भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की जीवनी

Sucheta Kriplani ka Jeevan Parichay

सुचेता कृपलानी भारत की एक स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनेता थी। वे देश की पहली महिला मुख्यमंत्री एवं उत्तरप्रदेश की चौथी मुख्यमंत्री थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सुचेता कृपलानी ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई और गांधी जी के आदर्शों पर चलते हुए देश की आजादी की नींव रखी। इस दौरान उन्होंनें विरोधियों का सामना करने के लिए महिला शक्ति को भी मजबूत बनाने का काम किया। लड़कियों को ड्रिल और लाठी चलाना सिखाया एवं नोआखली के दंगा पीड़ित इलाकों में पीड़ित महिलाओं की मदद की।

इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ वापस लेने पर मजबूर किया। वे पहले साम्यवाद से प्रभावित हुईं, और फिर पूरी तरह गांधीवादी हो गईं। सुचेता कृपलानी एक ऐसी शख्सियत थीं, जिनमें अपनत्व और जुझारूपन कूट-कूट कर भरा था। तो आइए जानते हैं सुचेता कृपलानी जी के जीवन सफर के बारे में-

भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की जीवनी – Sucheta Kriplani in Hindi

Sucheta Kriplani

सुचेता कृपलानी की जीवनी एक नजर में – Sucheta Kriplani Information

पूरा नाम (Name) सुचेता कृपलानी (मजूमदार)
जन्म (Birthday) 25 जून, 1908, अंबाला, हरियाणा
पति (Husband Name) जे. बी. कृपलानी
शिक्षा (Education) बी.ए, एम.ए
मृत्यु (Death) 1 दिसंबर, 1974

सुचेता कृपलानी जी का जन्म, बचपन, परिवार – Sucheta Kriplani Biography

सुचेता कृपलानी का जन्म हरियाणा के अम्बाला में 25 जून, 1908, में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने पंजाब के ही इन्द्रप्रस्थ कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी और बाद में वे बनारस के हिन्दू यूनिवर्सिटी की इतिहास (कानून) की प्रोफेसर बनी। बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य नेता आचार्य कृपलानी से शादी कर ली। दोनों ने परिवारों ने उनकी शादी का विरोध किया था क्योंकि आचार्य खुद को गाँधी बताते थे।

आजादी की लड़ाई में सुचेता कृपलानी जी की भूमिका – Sucheta Kriplani Freedom Fighter

सुचेता कृपलानी भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी थी, जो कि अरुणा आसफ अली और ऊषा मेहता के साथ स्वाधीनता आंदोलन में न सिर्फ शामिल हुईं बल्कि अपनी साहसिक गतिविधियों से अंग्रेजों को भी अपनी शक्ति का एहसास करवाया एवं महिलाओं को आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने साल 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था और नोआखली में गांधी जी के साथ दंगा पीड़ित इलाकों का दौरा कर महिलाओं की बढ़-चढ़कर मद्द की।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब सभी दिग्गज नेता अंग्रेजों की गिरफ्त में आए तब, सुचेता कृपलानी ने अपनी बुद्दिमत्ता का परिचय देते हुए भूमिगत होकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाया और करीब 2 साल तक इस आंदोलन को चलाया। यही नहीं सुचेता जी ने अंडरग्राउंड वालंटियर फोर्स भी बनाई एवं इस दौरान महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दी। इसके अलावा सुचेता कृपलानी जी कैदियों के परिवार की सहायता की भी जिम्मेदारी बखूबी निभाती रहीं।

सुचेता कृपलानी जी के राजनीतिक सफ़र एक नजर – Sucheta Kriplani Political Career

  • साल 1939 में सुचेता कृपलानी जी ने नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया।
  • साल 1940 में सुचेता कृपलानी जी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह किया और गिरफ्तार हुईं।
  • साल 1941-1942 में सुचेता कृपलानी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अरुणा आसिफ अली और अन्य प्रसिद्ध महिला नेताओं के साथ आगे आकर मोर्चा संभाला और इस दौरान उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महिला विभाग और विदेश विभाग की मंत्री के रुप में नियुक्त किया गया।
  • साल 1942 से 1944 तक सुचेता कृपलानी जी ने जब स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बड़े कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी को होते हुए देखा तो उन्होंने भूमिगत आंदोलन चलाया, हालांकि साल 1944 में सुचेता कृपलानी जी को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • साल 1946 सुचेता कृपलानी के लिए काफी शानदार रहा, इस दौरान उन्हें केन्द्रीय विधानसभा की सदस्य के रुप में नियुक्त किया गया। इसके साथ ही संविधान सभा की सदस्य के तौर पर भी निर्वाचित हुईं। यही नहीं उनके राजनैतिक सर्मपण और योग्यता को देखते हुए उन्हें भारत के संविधान का चार्टर तैयार करने वाली उप कमेटी का सदस्य भी बनाया गया।
  • 15 अगस्त साल 1947 में सुचेता जी ने संसद में नेहरू के भाषण देने से पहले राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाया।
  • साल 1948 में सुचेता कृपलानी जी पहली बार विधानसभा के लिए चुनी गईं और साल 1948 से 1951 तक कांग्रेस कार्यकारिणी की सदस्य रहीं।
  • साल 1949 में सुचेता कृपलानी जी को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया गया।
  • साल 1950 से लेकर 1952 तक सुचेता कृपलानी जी प्रॉविजनल लोकसभा की सदस्य के रुप में कार्यरत रहीं।
  • साल 1952 और 1957 में सुचेता कृपलानी जी को नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित किया गया। इस दौरान उन्हें लघु उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री के पद की जिम्मेदारी भी सौंपी गईं।
  • साल 1962-1967 तक सुचेता कृपलानी जी कांग्रेस के टिकट पर मेंहदावल से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं।
  • साल 1962 में सुचेता कृपलाणी जी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कानपुर विधानसभा सीट से चुनाव चुड़ा और इस चुनाव में जीत हासिल की। औऱ उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इस दौरान सुचेता जी ने श्रम, सामुदायिक, विकास और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी कुशलतापूर्वक संभाली।

देश की पहली महिला सीएम के रुप में सुचेता कृपलानी जी – First Woman Chief Minister Of India

कांग्रेस के नेता कमलानपति त्रिपाठी और सी.बी. गुप्ता के बीच आपसी मतभेद हो गया। और सी.बी. गुप्ता 1962 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में हार गए थे और वे बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि कमलापति त्रिपाठी मुख्यमंत्री बने। इसलिए सी.बी. गुप्ता ने सुचेता कृपलानी की राजनैतिक प्रतिभा को देखत हुए उन्हें उत्तरप्रदेश के सीएम पद की दावेदारी ठोंकने के लिए उकसाया। जिसके बाद

सुचेता कृपलानी जी 2 अक्तूबर,1963 को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के साथ देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और इस पद पर 13 मार्च, 1967 तक आसीन रहीं और सीएम के रुप में एक कुशल प्रशासक की तरह अपने प्रदेश में विकास काम करवाए और खुद को साबित किया।

सुचेता कृपलानी जी जब मुख्यमंत्री के रुप में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, उस दौरान राज्य के कर्मचारियों ने सैलरी बढ़ाने की मांग को लेकर करीब 62 दिन की लंबी हड़ताल कर कर दी थी, लेकिन सुचेता कृपलानी जी एक अडिग राजनेता थीं, जो कि अपने फैसले पर अड़ी रही, जिसके बाद कर्मचारियों को अपनी हड़ताल को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। पहले साम्यवाद से प्रभावित हुईं और फिर पूरी तरह गांधीवादी हो गईं।

साल 1967 में सुचेता कृपलानी जी ने उत्तरप्रदेश के गोण्डा से चुनाव लड़ा और फिर लोकसभा के लिए चुनी गईं।

इसके बाद साल 1971 में सुचेता कृपलानी जी ने राजनैतिक जीवन से संयास लिया। और 1974 में अपनी मृत्यु तक वह एकांत में रहने लगी।

सुचेता कृपलानी का अंतिम समय – Sucheta Kriplani Death

जीवन के अंतिम दिनो में सुचेता कृपलानी जी अपने पति के साथ दिल्ली में रहीं और उनकी कोई औलाद नहीं होने की वजह से उन्होंने अपनी सारी संपत्ति और संसाधन लोक कल्याण समिति को दान कर दी।

आपको बता दें कि देश की पहली महिला मुख्यमंत्री कृपलानी जी ने अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में ही अपनी आत्मकथा ”एन अनिफिनिश्ड ऑटोबायोग्राफी” लिखी थी, उनकी ऑटोबायोग्राफी 3 अलग-अलग भागों में पब्लिश हुई। 1 दिसंबर, 1974 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। स्वतंत्रता आंदोलन में श्रीमती सुचेता कृपलानी के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

उनके शोक संदेश में श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा कि,

“सुचेता जी ऐसे दुर्लभ साहस और चरित्र की महिला थीं, जिनसे भारतीय महिलाओं को सम्मान मिलता है।”

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