दुनिया का सबसे विशाल दरवाजा “बुलंद दरवाजा” – Buland Darwaza History in Hindi

Buland Darwaza – बुलंद दरवाजा दुनिया का सबसे विशाल और ऊँचा द्वार है और साथ ही मुग़ल वास्तुकला का सबसे बेहतर उदाहरण है। इसे देखकर ही हमें अकबर के साम्राज्य की महानता का अंदाज हो जाता है।

Buland Darwaza

दुनिया का सबसे विशाल दरवाजा “बुलंद दरवाजा” – Buland Darwaza History in Hindi

बुलंद दरवाजा का निर्माण 1601 AD में अकबर ने गुजरात पर मिली अपनी जीत की ख़ुशी में बनवाया था। फतेहपुर सिकरी के महल का यह मुख्य प्रवेश द्वार भी है, फतेहपुर सिकरी भारत के आगरा से 43 किलोमीटर दूर एक गाँव है।

बुलंद दरवाजा फतेहपुर सिकरी में है, जो आगरा से 43 किलोमीटर दूर है। फतेहपुर सिकरी महल का यह मुख्य प्रवेश द्वार भी है।

दुनिया का सबसे ऊँचा और सबसे विशाल दरवाजा माने जाने वाले बुलंद दरवाजे का निर्माण मुग़ल सम्राट अकबर ने 1576 में गुजरात साम्राज्य पर मिली अपनी जीत की ख़ुशी में बनवाया था।

मुग़ल काल की सबसे रोचक और आकर्षक कलाओ में से एक बुलंद दरवाजा है। इस मुग़लकालीन धरोहर को बनवाने में 12 साल लगे थे। यह ऐतिहासिक धरोहर इतिहास और वास्तुकला दोनों प्रेमियों को आकर्षक करती है।

दुनिया के सबसे आकर्षक बुलंद दरवाजे का फतेहपुर सिकरी में काफी ऐतिहासिक महत्त्व रहा है। यह मुग़लकालीन वास्तुकला आपको मंत्रमुग्ध करके रख देगी। लाल और बफर बलुआ पत्थरों से बने इस दरवाजे को सफ़ेद और काले मार्बल्स से सजाया गया है, बुलंद दरवाजे के भीतर एक मस्जिद भी है।

यह धरोहर जमीन से 54 मीटर ऊँची है। कहा जाता है की बुलंद दरवाजे की चोटी पर जाने के लिए हमें 42 सीढियाँ चढ़नी पड़ती है।

लाल पत्थरों से बने इस दरवाजे का उपयोग फतेहपुर सिकरी के दक्षिण-पूर्वी प्रवेश द्वार पर किसी समय गार्ड के खड़े रहने के लिए किया जाता था। इसी विशाल दरवाजे के निचे जामा मस्जिद भी ढँकी हुई है, जो बुलंद दरवाजे की दायी तरफ स्थित है।

इस द्वार पर प्रसिद्ध इस्लामिक शिलालेख भी लिखे गये है, जो कहते है, “दुनिया एक पुल की तरह है।

उसके उपर से गुजरे जरुर लेकिन उसपर कोई घर न बनाए। वह इंसान जो एक दिन की आशा करता है, वह अनंत काल की भी आशा करता है, लेकिन दुनिया सदा के लिए नही बल्कि इसी घंटे के लिए है। इसीलिए अपने इस वक्त को प्रार्थना करने में व्यतीत करे और बाकी उसके भरोसे छोड़ दे।”

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