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भारतीय क्रिकेटर और कमेंटेटर रवि शास्त्री | Cricketer Ravi Shastri

Ravi Shastri – रवि शास्त्री पूर्व भारतीय क्रिकेटर और भारतीय टीम के कप्तान रह चुके है। उनके करियर की खास बात यह रही की जब वो क्रिकेट खेलने आये थे तब वो केवल गेंदबाज थे। लेकिन बाद में उन्होंने गेंदबाजी के साथ साथ बल्लेबाजी पर ध्यान देना भी शुरू किया और कुछ वक्त गुजरने के बाद ऐसा भी वक्त आया की अच्छे बल्लेबाज के रूप में उभरकर सामने आये। उनका क्रिकेट का करियर काफ़ी लम्बे समय तक यानि 12 साल तक चला।
Ravi Shastri

भारतीय क्रिकेटर और कमेंटेटर रवि शास्त्री – Cricketer Ravi Shastri

रवि शास्त्री का पूरा नाम रविशंकर जयद्रिथा शास्त्री हैं उनका जन्म 27 मई 1962 को मुंबई में हुआ और वहा के माटुंगा की डॉन बोस्को स्कूल में उन्होंने अपनी पढाई पूरी की।

शास्त्री को महान खिलाडी बनाने में वसंत अमलाडी और विशेष रूप से व्ही एस मार्शल पाटिल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

रवि शास्त्री का करियर – Ravi Shastri Career

स्कूल के समय से ही शास्त्री ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और गिल्स शील्ड ट्राफी में स्कूल की तरफ़ से खेलते हुए उस मैच में स्कूल को जीता दिया था। 1977 में उनके नेतृत्व में उनकी टीम इतिहास में पहली बार गिल्स शील्ड ट्राफी जीती थी। उस समय उन्हें उनके महान कोच बी डी देसाई ने कोचिंग दी थी।

मेट्रिक की परीक्षा के बाद उन्होंने आर ए पोदार कॉलेज में दाखिला लिया और कॉलेज के दुसरे साल ही उन्हें रणजी ट्राफी खेलने के लिए महाराष्ट्र की टीम में शामिल किया गया था। जब शास्त्री का रणजी ट्राफी खेलने के लिए चयन हुआ तब वो केवल 17 साल के थे।

बाद में उन्हें भारत की अंडर 19 टीम में शामिल किया गया था। 1981 में जब इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर आयी थी तब उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया था।

तब से लेकर के तो उनके सन्यास लेने तक उनकी टीम में जगह फिक्स ही थी। 1983 में जो विश्व कप भारत ने जीता था उस टीम में शास्त्री भी शामिल थे और उन्होंने कप जिताने में बहुत ही महत्वपूर्ण पारिया खेली थी।

1985 में जो ऑस्ट्रेलिया में विश्व श्रुंखला हुई उसमे उन्होंने सफ़लतापूर्वक भारत का नेतृत्व किया था।

उन्होंने उनका आखिरी मैच 1992 में जब भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका गयी थी तब खेला था। बाद में उन्होंने क्रिकेट से सन्यास लिया और सन्यास लेने के बाद वो कमेंटेटर के रूप में काम करने लगे और ऐसा माने तो चलेगा की तबसे उनका ही कमेंटरी पे वर्चस्व रहा है।

कमेंटरी के अलावा भी उन्होंने भारतीय टीम के कोच के रूप में कुछ समय तक काम किया है और वो दो साल तक भारतीय टीम के निर्देशक भी रह चुके है।

 

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