जहापनाह का इतिहास | Jahanpanah History

जहापनाह – Jahanpanah 

दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश और भारत की राजधानी है। दिल्ली शहर के तीन भाग हरियाणा और चौथा भाग उत्तर प्रदेश के साथ अपनी सीमा बाटते है। दिल्ली में बहुत से एतिहासिक स्मारक है, जो पर्यटकों को आकर्षित करते है।

इन स्मारकों में मुख्यतः लाल किला, क़ुतुब मीनार, हुमायूँ का मकबरा, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर और दुसरे बहुत से स्मारक शामिल है। इनमें से एक जहापनाह – Jahanpanah हैं।

Jahanpanah Delhi

जहापनाह का इतिहास- Jahanpanah History

जहापनाह एक दुर्ग शहर हैं जिसे मुहम्मद बिन तुग़लक ने बनाया है, उन्होंने इस शहर का निर्माण मंगोल आक्रमण से बचने के लिए किया। वर्तमान शहर तबाह हो चूका है लेकिन आज भी हम प्राचीन दीवार और किले के भीतर बने एतिहासिक स्मारक दिखाई देते है।

जहापनाह का अर्थ दुनिया की शरण से है। यह शहर सीरी से क़ुतुब मीनार तक फैला हुआ है।

मुहम्मद बिन तुगलक ने 1326 और 1327 के समय में इस दुर्ग शहर का निर्माण किया था। वह बिखरे हुए शहरी इलाको में एकता कायम करना चाहते थे और इसी वजह से उन्होंने दुर्ग शहर का निर्माण करवाया।

इस दुर्ग शहर में और भी कई किले, स्मारक हैं। जो इस प्रकार हैं।

आदिलाबाद :

आदिलाबाद, मामूली आकार का एक किला है। किले का निर्माण तुगलकाबाद के दक्षिण में पहाड़ी क्षेत्र पर किया गया है और यह किला जहापनाह शहर की सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करता है। यह किला अपने पूर्ववती किले, तुगलकाबाद किले से काफी छोटा लेकिन समान आकार का है।

बेगमपुर मस्जिद :

वर्तमान में शहर के अवशेष बेगमपुर गाँव में बिखरे हुए है, जो इसके समृद्ध इतिहास की याद दिलाते है।

बेगमपुर मस्जिद 90 मीटर * 94 मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका भीतरी अंगम 75 मीटर * 80 मीटर का है। कहा जाता है की ईरानी आर्किटेक्ट ज़ाहिर अलदीन अल्जयुश ने इस मस्जिद की डिजाईन को बनाया था।

कलुसराई मस्जिद :

कलुसराई मंदिर बीजामंडल के उत्तर में 500 मीटर की दुरी पर स्थित है लेकिन यह अत्यधिक जीर्ण राज्य इ स्थित है।

इस मस्जिद का निर्माण मस्जिदों के प्रसिद्ध निर्माणकर्ता खान-ए-जहां मकबूल तिलंगनी ने करवाया था। यह उनके द्वारा निर्मित सांत मस्जिदों में से एक है और इसका निर्माण भी बाकी छः मस्जिदों के आकार में ही किया गया है।

लेकिन फिर भी दूसरी मस्जिदों की तुलना में इस मंदिर के मेहराब की दृश्य सजावट अधिक जटिल है। वर्तमान में यहाँ कुछ परिवार रहते है।

सराई शाजी महल :

बेगमपुर मस्जिद के पूर्व में सराई शाहजी ग्राम में मुघल कालीन इमारते देखने मिलती है, जिनमे से सराई शाजी महल एक विशिष्ठ स्मारक है। इसके आस-पास का क्षेत्र बिखरे हुए द्वार, कब्र और विशाल झुग्गी क्षेत्र से घिरा हुआ है।

इस स्थान से थोड़ी ही दुरी पर शेख फरीद मुर्तजा खान का मकबरा है, जो अकबर के शासनकाल में विशाल मस्जिदों और इमारतो के निर्माण के लिए जाना जाता था।

बिजय मंडल :

74 मीटर के अयं में बनी बिजय मंडल एक ईमारत है, जहाँ बेहतरीन समरूप वर्गीय गुंबद है। इसे हम किसी टावर या महल का नाम नही दे सकते।

यह एक ठेठ तुगलकी संरचना है, जिसकी अष्टकोणीय योजना को मलबे चिनाई से बनाया गया, जहाँ सभी प्रधान दिशाओ में दरवाजो का निर्माण किया गया है।

इस असामान्य संरचना के उद्देश्य और सर दारा महल की तबाही का उल्लेख इब्न बतूता ने एकाधिक कक्ष वाले महल और विशाल जनता कक्ष के रूप में किया है। साथ ही इसका निर्माण अपने सैनिको की हरकतों पर ध्यान रखने के लिए भी किया गया था। इस स्थान का माहौल इसे आरामदायक और आनंदमयी जगह बनाता है।

यात्रा करने के सर्वोत्तम समय – Best time to travel

किले की यात्रा करने का सबसे सही समय अक्टूबर और मार्च के बीच का है, इस समय मौसम काफी अच्छा होता है।

दिसम्बर और जनवरी का मौसम भी ठंडा होता है लेकिन फिर भी पर्यटन अपनी यात्रा का आनंद लेते है। बचे हु माह में, मौसम काफी गर्म होता है, जिससे पर्यटकों को असुविधा हो सकती है।

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