महिलाओं की शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली बहादुर मलाला यूसुफजई की जीवनी

Malala Yousafzai in Hindi

पाकिस्तान में जन्मीं मलाला यूसूफजई सबसे कम उम्र में सबसे बड़ा सम्मान नोबेल शांति प्राप्त करने वाली प्रेरणात्मक शख्सियत हैं, जिन्होंने पाकिस्तान की महिलाओं के लिए अनिवार्य शिक्षा की मांग की थी, हालांकि इसके लिए उन्हें तालिबान की गोली तक का शिकार होना पड़ा था।

वहीं जिस उम्र में बच्चे खेलकूद में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में ही मलाला यूसुफजई ने दूसरी लड़कियों की शिक्षा पाने के अधिकार की लड़ाई शुरु कर दी थी। मलाला यूसूफजई ने बचपन से ही अपने जीवन में कठोर संघर्ष किया।

साल 2007 से 2009 के बीच तालिबानियों ने स्वात घाटी पर अपना कब्जा कर लिया, जिसके डर से लोगों ने अपनी बेटियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया, नतीजतन करीब 400 से ज्यादा स्कूल बंद हो गए, उसमें मलाला का स्कूल भी शामिल था, उस दौरान मलाला क्लास 8 में थी,और तभी से मलाला ने लड़कियों के शिक्षा के हक में अपनी लड़ाई लड़नी शुरु कर दी।

11 साल की छोटी सी उम्र में मलाला ने “‘हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट टू एजूकेशन” का प्रभावशाली भाषण दिया था और इसके बाद लगातर वे अपने डायरी और भाषणों के माध्यम से तालिबान के कुकृत्यों का वर्णन करती रहीं। तो आइए जानते हैं मलाला यूसूफजाई के साहसिक जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं के बारे में-

महिलाओं की शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली बहादुर मलाला यूसुफजई की जीवनी – Malala Yousafzai Biography in Hindi

Malala Yousafzai
Malala Yousafzai

नोबेल विजेता मलाला यूसुफजई की जानकारी – Malala Yousafzai Information in Hindi

मलाला यूसुफजई ने पकिस्तान के अपने स्थानिक गाव स्वाट वैली में की थी, जहा तालिबान ने उस समय महिलाओ का स्कूल जाना बंद कर दिया था। तभी से युसूफजाई की वह छोटी सी वकालत आज अंतर्राष्ट्रीय अभियान बन गया है।

मलाला का परिवार अपनी स्थानिक जगहों पर स्कूल चलाता है। 2009 के शुरू में, जब मलाला 11-12 साल की ही थी तो उसने उसने बीबीसी को एक ब्लॉग लिखकर बताया की उनका जीवन तालिबान के व्यापार में फसा हुआ है, उन्होंने बताया की तालिबान स्वाट वैली को हथियाना चाहते है।

उसी साल गर्मियों में जर्नलिस्ट एडम बी. एलिक ने एक पाकिस्तानी मिलिट्री के तौर पर न्यू यॉर्क टाइम्स की एक डाक्यूमेंट्री बनायी। यूसुफजई के इस अभियान की प्रख्याति धीरे-धीरे बढती गयी, वह प्रिंट और टेलीविज़न पर इंटरव्यू भी देने लगी थी। इसके साथ ही इतनी कम आयु में ही साउथ अफ्रीका के कार्यकर्त्ता डेस्मंड टूटू ने इंटरनेशनल चिल्ड्रेन पीस प्राइज के लिये उनका नामनिर्देशन किया गया था।

9 अक्टूबर 2012 की दोपहर को यूसुफजई उत्तरी पाकिस्तानी जिले स्वाट की स्कूल बस में चढ़ी। एक गनमैन में उनसे उनका नाम पूछा, और उनकी तरफ पिस्तौल भी दिखाई और तीन गोलिया चलाई। एक गोली यूसुफजई के सिर के बायीं तरफ लगी, और एक उनके कंधे पर लगी। गनमैन ने तेज़ी से उनपर हमला किया लेकिन वह पूरी तरह से अचेत हो चुकी थी और गोलिया लगने के कारण उनकी हालत और भी ख़राब हो गयी थी। लेकिन जब उन्हें जल्दी से स्वास्थलाभ के इरादे से इंग्लैंड में बिर्मिंघम के क्वीन एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल में ले जाया गया तो उनकी हालत में थोडा सुधार आया।

12 अक्टूबर को 50 लोगो के इस्लामिक पादरियों के समूह ने पाकिस्तान में जिसने मलाला को मारने की कोशिश की उसके खिलाफ फतवा जारी किया लेकिन तालिबानियों पर इसका कोई असर नही हुआ वे मलाला और उनके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई को मारने की लगातार कोशिशे करते रहे। बार-बार मलाला और उनके परिवार पर होते हुए हमलो को देख यूसुफजई के परिवार को राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला।

डच वेल्ले ने जनवरी 2013 में यह लिखा की यूसुफजई “विश्व की सबसे प्रसिद्धि कम उम्र की महिला है”, यूसुफजई को सम्मानित करते हुए यूनाइटेड नेशन के विशेष दूतो ने ग्लोबल एजुकेशन के लिए UN याचिका को यूसुफजई का नाम दिया। जिसमे यह संबोधित किया गया था की 2015 के अंत तक उनके स्थानिक गाव के हर बच्चे को पढने के लिये स्कूल भेजा जायेगा। इससे पकिस्तान में सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार भी मिला।

टाइम्स पत्रिका के 2013, 2014 और 2015 के संस्करणों में यूसुफजई को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगो की सूचि में भी शामिल किया गया। वह पाकिस्तान का पहली नेशनल यूथ पीस प्राइज प्राप्त करने वाली महिला है। उसी साल जुलाई में मलाला ने यूनाइटेड नेशन के मुख्य कार्यालय में वैश्विक स्तर पर शिक्षा पर भाषण दिया और अक्टूबर में कनाडा सरकार ने यूसुफजई को कनाडा की नागरिकता स्वीकार करने का आमंत्रण भी दिया।

फरवरी 2014 को वर्ल्ड चिल्ड्रेन प्राइज अवार्ड के लिये स्वीडन में उनका नामनिर्देशन किया गया। क्योकि यूसुफजई बच्ची को शिक्षा का हक्क दिलाने के लिये ही लड़ रही थी। 2015 में UN में किये गये अभियान के दौरान वाटसन का भाषण सुनकर उन्होंने अपनेआप को नारीवादी कहना शुरू किया। मई 2014 में यूसुफजई को किंग्स कॉलेज, हैलिफैक्स द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गयी।

इसके साथ ही 2014 में कैलाश सत्यार्थी के साथ यूसुफजई को भी नोबेल पुरस्कार का सह-हकदार माना गया। और 2014 को ही नोर्वे में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार मिलते ही सभागृह में उपस्थित सभी लोगो ने खड़े होकर तालिया बजाना शुरू की। 17 वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र वाली नोबेल विजेता बन गयी।

मलाला यूसुफजई से जुड़े रोचक तथ्य – Malala Yousafzai Facts

  • पाकिस्तान में जन्मी मलाला ने ढाई साल की उम्र से 10 साल बड़े बच्चों के साथ बैठकर पढ़ना शुरु कर दिया था। मलाला शुरु से ही पढ़ाई में काफी होनहार थी और क्लास में फर्स्ट आती रही हैं।
  • साल 2008 में जब तालिबानियों ने स्वात घाटी पर कब्जा कर 400 स्कूल बंद करवा दिए, उस दौरान 8वीं क्लास में पढ़ रही मलाला ने इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी।
  • साल 2009 में मलाला ने बीबीसी को एक डायरी लिखी जिसमें उन्होंने तालिबानी आंतकियों के कुकृत्यों का वर्णन किया।
  • 9 अक्टूबर, साल 2012 में मलाला पर तालिबानियों ने हमला कर दिया, इस दौरान एक गोली मलाला के सिर पर लगी थी, इसके बाद उनका लंदन के क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल में इलाज चला, हालांकि इसके बाद वे एकदम स्वस्थ हो गईं।
  • मलाला के 16वें जन्मदिन पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने उनके जन्म दिन को ”मलाला दिवस” घोषित किया था।
  • साल 2013 में मलाला को यूरोपीय यूनियन का प्रतिष्ठित शैखरोव मानवाधिकार पुरस्कार से नवाजा गया था।
  • मलाला 2012 में पाकिस्तान की सबसे प्रचलित शख्सियतों में से एक रह चुकी हैं।
  • दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली मलाला यूसुफजई  सबसे छोटी उम्र की शख्सियत हैं। जिन्हें साल 2014 में यह पुरस्कार मिला था, जब उनकी उम्र महज 17 साल की थी।
  • नोबेल पुरस्कार के अलावा भी उन्हें कई अंतराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

मलाला यूसुफजाई ने जिस तरह महिलाओं की शिक्षा के अधिकार के प्रति लड़ाई लड़ी, वो वाकई सराहनीय है। बहादुर, मलाला यूसुफजई के जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। मलाला यूसुफजाई जी के साहसिक विचारों का अंदाजा उनके इस विचार से लगाया जा सकता, उनका कहना है कि-

”आतंकवादियों ने सोचा वे मेरा लक्ष्य बदल देंगे और मेरी महत्त्वाकांक्षाओं को दबा देंगे, लेकिन मेरी ज़िन्दगी से कमजोरी, डर और निराशा की मौत हो गयी। शक्ति, सामर्थ्य और साहस का जन्म हो गया।”

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