प्रसिद्ध भारतीय खगोल विज्ञानी मेघनाद साहा जी की जीवनी

Meghnad Saha Ka Jeevan Parichay

मेघनाद साहा भारत के एक महान भारतीय खगोल वैज्ञानिक थे। वे ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने साहा समीकरण का प्रतिपादन, आयोनाइजेशन का सिद्धांत, थर्मल, नाभिकीय भौतिकी संस्थान और इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस की स्थापना की थी।

मेघनाद जी के द्वारा खगोल विज्ञान के क्षेत्र में की गई रिसर्च का परिणाम दूरगामी और प्रभावी रहा और बाद में की गई ज्यादातर रिसर्च उनके सिद्धान्तों पर ही आधारित मानी जाती हैं। उनके द्वारा प्रतिपादित किया गया साहा समीकरण काफी लोकप्रिय हुआ, यह समीकरण तारों में भौतिक एवं रसायनिक स्थिति की व्याख्या करता है।

वे एक महान खगोल वैज्ञानिक होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। जिन्होंने भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। तो आइए जानते हैं, भारत के महान भारतीय खगोलीय वैज्ञानिक मेघनाद साहा जी के जीवन के बारे में-

प्रसिद्ध भारतीय खगोल विज्ञानी मेघनाद साहा जी की जीवनी – Meghnad Saha in Hindi

Meghnad Saha

मेघनाद साहा जी जीवनी एक नजर में – Meghnad Saha Information

पूरा नाम (Name) मेघनाथ साहा
जन्म (Birthday) 6 अक्टूबर, 1893, शिओरताली गांव, पूर्वी बंगाल
पिता (Father Name) जगन्नाथ साहा
माता (Mother Name)  भुवनेश्वरी देवी
शिक्षा (Education) बी.एस.सी, एम.एस. सी
मृत्यु (Death) 16 फरवरी 1956

मेघनाथ साहा जी का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Meghnad Saha Biography in Hindi

भारत के महान खगोल वैज्ञानिक डॉ. मेघनाथ साहा जी, 6 अक्टूबर, 1893 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका से सटे गांव शाओराटोली में एक निर्धन परिवार में जन्में थे।

उनकी मां का नाम भुवनेश्वरी देवी और पिता का नाम जगन्नाथ साहा था, जो कि एक छोटे से व्यापारी थे, जिसके चलते मेघनाथ जी को शुरुआत में काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। यहां तक की आर्थिक तंगी में शिक्षा हासिल करना भी मेघनाथ जी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था।

मेघनाथ साहा की शिक्षा एवं शुरुआती करियर – Meghnad Saha Education

मेघनाथ जी की शुरुआती शिक्षा ढाका के कॉलेजिएट स्कूल में हुई। वे बचपन से ही काफी होनहार थे और अपने प्रश्नों से टीचर्स को भी आश्चर्यचकित कर देते थे। उनके टीचर्स भी उनकी अद्वितीय प्रतिभा को पहचान गए थे, इसलिए उन्होंने मेघनाद जी के भाई से उनकी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा था, जिसके बाद उनके भाई ने एक स्थानीय डॉक्टर की मद्द के सहारे अपनी भाई की पढ़ाई के लिए पैसा इकट्ठा किया।

हालांकि बाद में मेघनाद जी की काबिलियित को देखकर उन्हें स्कॉलरशिप भी मिलने लगी थी जिसके बाद उन्होंने ढाका कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी। इसके बाद मेघनाद साहा ने  कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अपनी बीएससी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। मेघनाथ जी साल 1923 से 1938 तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे।

इसके बाद 1956 से अपनी मृत्यु तक कलकत्ता यूनिवर्सिटी में विज्ञान फैकल्टी के प्राध्यापक और डीन रहे। साल 1927 में मेघनाथ साहा जी को रॉयल सोसाइटी के सदस्य नियुक्त किया गया और साल 1934 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं।

आजादी के आंदोलन में मेघनाथ साहा जी की भूमिका – Meghnad Saha as Freedom Fighter

जब मेघनाथ जी अपनी स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे, उस दौरान बंगाल के गर्वनर उनके स्कूल का निरीक्षण करने के लिए आने वाले थे, जिसका विरोध कई छात्रों ने किया था, और उन्हीं छात्रों में मेघनाथ जी भी शामिल थे।

जिसके चलते स्कूल प्रशासन ने मेघनाथ जी को दी जाने वाली स्कॉलरशिप भी बंद कर दी थी, यही नहीं उन्हें स्कूल भी बाहर निकाल दिया गया था। हालांकि, बाद में एक प्राइवेट स्कूल में उन्होंने एडमिशन ले लिया।

जगदीश चन्द्र बसु की सलाह से बने महान वैज्ञानिक – Scientist Meghnad Saha

मेघनाथ साहा ने जब अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया तब महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु और प्रफुल्ल चंद राय उनके टीचर थे। तभी एक दिन जगदीश चन्द्र बसु ने उन्हें भौतिक विज्ञान पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कहा और अपनी लाइब्रेरी में आने की सलाह दी।

इसके बाद मेघनाद जी को जब भी समय मिलता था, वे जगदीश चन्द्र बसु की लाइब्रेरी में पहुंच जाते थे और फिर डॉ.बसु के निर्देशों को बहुत ध्यान से सुनते और काम करते थे। इसके बाद उनका रुझान वैज्ञानिक खोजों ने लगने लगा एवं आगे चलकर मेघनाद साहा ने भौतिक और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में महान खोजें कर विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

तारा भौतिकी (Astro Physics) में दिया महत्वपूर्ण योगदान – Meghnad Saha Invention

डॉ. मेघनाद साहा जी जब भौतिकी में नए-नए खोज कर रहे थे, तभी उन्होंने थर्मो रिलेटिविटी, डायनामिक्स एंड ऑटोमेटिक थ्योरी जैसे विषयों का गहन अध्यन किया और इसी समय उन्होंने एस्ट्रो फिजिक्सि से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए कई खोजें की, और बाद में वे अपनी इन खोजों के लिए दुनिया भर में मशहूर भी हुए।

उनकी द्वारा की गई थर्मल आयोनाइजेशन की खोज उनकी प्रमुख खोज मानी जाती है। उनके आयोनाइजेशन फॉर्म्यूला के माध्यम से खगोलशास्त्रियों कों सूर्य और अन्य तारों के आंतरिक तापमान और दबाव की जानकारी पाने में मद्द मिली है।

मेघनाद साहा का योगदान केवल खगोलशास्त्र तक ही सीमित न होकर उन्होंने बहोत से स्वतंत्रता अभियान में भी भाग लिया था। वे भारत को दुनिया की नजरो में सम्माननिय पहचान दिलवाना चाहते थे। उनके अतुल्य योगदान को लोग हमेशा याद रखेंगे।

विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए की कई संस्थानों की स्थापना – Meghnad Saha Institute Of Technology

डॉ. मेघनाद साहा जी ने विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थानों की स्थापना की है, उन्होंने सबसे पहले प्रयाग में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की स्थापना की और फिर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज ऑफ इंडिया, इंडियन फिजिकल सोसायटी की नींव रखी। इसके बाद लगातार मेघनाथ जी ने अपने कड़े प्रयासों के बल पर साल 1951 में साहा इंस्टीटयूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स संस्था की शुरुआत की।

यही नहीं मेघनाथ साहा जी ने अंतराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ की भी स्थापना की और साल 1953 में इंडियन साइंस एसोसिएशन के निदेशक के रुप में अपनी भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने लोगों को विज्ञान से जुड़े पहलुओं को आसान भाषा में समझाने के लिए साइंस एंड क्लचर नामक मैग्जीन की भी शुरुआत की थी।

विज्ञान की कई किताबें लिख किया किताबों की कमीं को पूरा – Meghnad Saha Books

भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. मेघनाथ साहा जब अपनी रिसर्च करते थे, उस दौरान देश में साइंस की किताबों की कमी की वजह से विदेश से किताबें मंगवानी पड़ती थीं, जब डॉ. मेघनाथ साहा ने किताबों की कमी को महसूस किया, तो उन्हो्ंने अपने अनुभव और रिसर्च के आधार पर कई किताबें लिखीं।

उनके द्वारा लिखी गईं किताबों में थ्यॉरी ऑफ हीट और मॉडर्न फिजिक्स सबसे ज्यादा प्रमुख मानी जाती है। उनकी किताबें देश के लगभग सभी स्कूल/कॉलेजों में पढ़ाईं जाती हैं।

संसद के सदस्य के रुप में मेघनाद साहा:

मेघनाद साहा भारत के महान खगोलीय वैज्ञानिक होने के साथ-साथ संसद के सदस्य भी थे। वे देश की आजादी के बाद साल 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में खड़े हुए थे, और इस चुनाव में उन्होंने कलकत्ता से भारी वोटों से जीत भी हासिल की थी। उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी के साथ राष्ट्रीय योजना समिति में काम किया था।

मेघनाद साहा- एक महान सामाजिक कार्यकर्ता:

मेघनाद साहा जी एक वैज्ञानिक होने के साथसाथ महान सामाजिक कार्यकर्ता भी थे, उन्होंने बचपन में काफी गरीबी और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया था, इसलिए जब बंगाल का बंटवारा हुआ तो इससे प्रभावित लोगों की मद्द के लिए वे आगे गए। इसके साथ ही उन्होंने बाढ़ के कारणों का पता लगाया और उन्हें रोकने का अध्ययन किया, ताकि कोई भी व्यक्ति बाढ़ से प्रभावित न हो सके।

मेघनाथ साहा की प्रमुख उपलब्धियां – Meghnad Saha Achievements

भारत के महान खगोलीय वैज्ञानिक मेघनाथ साहा जी ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, उनकी योग्यता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में प्रचलित पंचागों में सुधारीकरण के लिए गठित समिति के लिए अध्यक्ष बनाया गया था। समिति ने इन विरोधावास को दूर करने की दिशा में काफी काम किया था।

  • साहा समीकरण का प्रतिपादन कर खगोलीय विज्ञान में योगदान दिया।
  • इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन साइंस की स्थापना।
  • साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान
  • मेघनाद साहा जीने थर्मल आयोनाइजेशन के सिद्धांत में महत्वपूर्ण भूमिका।
  • हैली धूमकेतू पर की गई रिसर्च में भी मेघनाद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

खगोल विज्ञान के क्षेत्र में मेघनाद साहा द्वारा की गईं खोजों का प्रभाव दूरगामी रहा और बाद में की गई कई रिसर्च मेघनाद साहा जी के सिद्धान्तों पर ही आधारित मानी जाती हैं। खगोलीय वैज्ञानिक होने के साथ-साथ वे स्वतंत्रता सेनानी और संसद के सदस्य भी थे, जिन्होंने भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

मेघनाथ साहा जी को मिले अंतराष्ट्रीय सम्मान – Meghnad Saha Awards

मेघनाद साहा जी को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए कई महान पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उन्हें लंदन की रॉयल एशियाटिक सोसायटी के फैलो के रुप में नियुक्त किया गया। साल 1934 में मेघनाथ जी की अद्भुत कल्पना शक्ति के चलते उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त हुआ।

इसके साथ ही कैलेंडर सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा एक समिति का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष मेघनाथ साहा जी को बनाया गया था।

जब इस संसार को अलविदा कह गए मेघनाथ साहा – Meghnad Saha Death

भारत के महान वैज्ञानिक मेघनाद साहा जी 16 फरवरी, साल 1956 में जब राष्ट्रपति भवन में आयोजित वैज्ञानिक योजना आयोग की एक बैठक में शामिल होने जा रहे थे,  उसी दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई।

मेघनाद साहा जी आज भले ही हमारे बीच मौजूद नहीं है, लेकिन खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय खोजों के चलते उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा।

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