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नेल्सन मंडेला का प्रेरणादायक जीवन सफर

“कोई भी इंसान तबतक कुछ नही कर सकता जबतक की वह खुद पर भरोसा नही कर लेता।”

आधुनिक भारत के महानतम हीरो नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे, जिन्होंने अपने जीवन में रंगभेद के खिलाफ काफी विरोध किया था, एवं रंग भेद के संघर्ष के खिलाफ लड़ते हुए उन्होंने साल 1964 से 1990 तक अपने जीवन के करीब 27 साल जेल में बिताए थे, जेल में रहने के दौरान उन्हें कई प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अहिंसा के पथ पर चलते हुए नस्लवाद के खिलाफ जमकर विरोध किया था।

नेल्सन मंडेला, महात्मा गांधी जी के कठोर समर्थक थे, एवं उनके विचारों का अपने जीवन मे अनुसरण करते थे। साल 1944 में नेल्सन मंडेला जी ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस लीग की स्थापना की थी। इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर काफी जोर दिया था।

उनका मानना था कि शिक्षा ही सिर्फ वो हथियार है, जिसके माध्यम से पूरी दुनिया में बदलाव लाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं रंगभेद के खिलाफ लड़ने वाले महान शख्सियत नेल्सन मंडेला जी के जीवन के बारे में-

नेल्सन मंडेला का प्रेरणादायक जीवन सफर – Nelson Mandela Biography in Hindi

एक नजर में –

नाम (Name) नेल्सन मंडेला
जन्म (Birthday) 18 जुलै 1918
पिता (Father Name) गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा
माता (Mother Name) नेक्यूफी नोसकेनी
पत्नी Wife Name)
  • एवलिन नटोको मेस,
  • विनी मदिकिज़ेला,
  • ग्राशा मैचल
बच्चे (Childrens Name)
  • मेडिका थेमबेकल मंडेला,
  • मैकज़िव मंडेला,
  • मैकगाथो लेवानिका मंडेला,
  • मैकज़िव मंडेला,
  • ज़ेनानी मंडेला,
  • ज़िनज़िस्वा मंडेला
मृत्यू (Death) 5 दिसंबर 2013

पढ़ाई –

नेल्सन रोलीहलाहल मंडेला का जन्म रोहिह्लाल मंडेला के नाम से हुआ था वे दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। उन्होंने 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रपति बनकर सेवा की। वे देश के पहले काले मुख्य अधिकारी थे, और लोकतान्त्रिक चुनाव जितने वाले पहले व्यक्ति थे। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा। इसके साथ ही उन्होंने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) की 1991 से 1997 तक अध्यक्ष बनकर सेवा की।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, मंडेला ने 1998 से 1999 तक विविध राजनैतिक अभियानों एवं आंदोलनों में हिस्सा लिया। नेल्सन का जन्म थेंबू शाही राजघराने में हुआ था, मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फोर्ट हरे यूनिवर्सिटी और लॉ की शिक्षा वितवाटर्सरैंड यूनिवर्सिटी से ग्रहण की। जोहान्सबर्ग में रहते हुए ही वे बहोत से राजनैतिक कार्यक्रमो और अभियानों में हिस्सा लेने लगे थे। बाद में वे ANC में शामिल हुए ताकि वे युथ लीग के संस्थापक सदस्य बन जाये।

1948 जब सरकारी अधिकारो में गोरो को ज्यादा महत्त्व दिया जाता था तो उन्होंने 1952 में अपनी पार्टी ANC के साथ मिलकर अश्वेत अभियान शुरू किया। और इस अभियान के बाद ही वे 1955 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। एक वकील होते हुए भी, उनके बहोत से कामो की वजह से उन्हें कैद भी किया गया था।

5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।

1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।

नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था औ्र उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था।

दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे। उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”,”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था। 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया।

दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदी बाकह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है। नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभाने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य –

नेल्सन मंडेला को अफ्रीका का गांधी कहा जाता था। उन्होंने न सिर्फ रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम भी किया। उन्होंने लोकतांत्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी। साल 1993 में नेल्सन मंडेला जी को उनके महानतम काम के लिए साल शांति नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ ने 18 जुलाई को उनके जन्मदिवस को मंडेला दिवस घोषित भी किया है।

नेल्सन मंडेला के तमाम संघर्षों के चलते ही समाज में रंगभेद जैसी बुराई को दूर करने में मद्द मिली है। नेल्सन मंडेला का मानना था कि,

“दृढ़ता, जिद्द और भरोसे से ही इंसान अपने सपने को पूरा कर सकता है।”

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