बाल दिवस पर कुछ कवितायेँ | Poem on Children’s Day

Poem on Childrens Day Hindi

बच्चों को हर तरह से आनंद लेने के लिए बाल दिवस हमेशा एक खास दिन होता है अलग-अलग देशों में त्योहारों जैसा बच्चों के दिन का जश्न मनाया जाता है।

भारतीय 14 नवंबर 2017 को दिन मनाते हैं। बच्चे अपने स्कूलों में विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते जैसे बाल दिवस पर भाषण, बाल दिवस पर निबंध, सांस्कृतिक कार्यक्रम और कोई कोई तो कवितायेँ भी पढ़ता हैं।

आज हम निम्नलिखित बाल दिवस पर कुछ कवितायेँ – Poem on Children’s Day के रूप में सुंदर रचनाएं लाये हैं जो आपकी बचपन की यादों को फिर से ताजा कर देंगी।

बाल दिवस पर कुछ कवितायेँ – Poem on Children’s Day

Poem on Children's Day

Bal Diwas Par Kavitayen

14 नवंबर, 1889 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री और बच्चों के चहेते पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की जंयती को हम सभी भारतवासी बाल दिवस के रुप में मनाते हैं।

पंडित नेहरू को बच्चों से अत्याधिक प्रेम और स्नेह था, इसलिए उनकी जयंती को बच्चों के लिए समर्पित किया गया है। इस दिन न सिर्फ पंडित नेहरू को सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित की जाती है, बल्कि बच्चों को उनके शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधित अधिकारों के प्रति भी जागरूक किया जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बाल दिवस पर कुछ महत्वपूर्ण कविता उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल न आप अपनी स्पीच और निबंध में जरुरत के हिसाब से कर सकते हैं, बल्कि इन कविताओं को सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सऐप आदि पर शेयर कर बाल दिवस की एक-दूसरे को शुभकामनाएं भी दे सकते हैं।

“मुश्किल है इसको भुलाना”

बचपन है एक खज़ाना, जो आता हैं ना दोबारा,
मुश्किल होता है इसको भुलाना!!

वो खेलना खुदना और खाना, मौज मस्ती में बलखाना,
वो माँ की ममता और पापा का दुलार, भुलाये ना भूले वो सावन की फुहार,
मुश्किल होता है इसको भुलाना!!

वो कागज़ की नाव बनाना और,वो बारिश में भीगना,
वो झूले झुलाना और मुस्कुराना, वो पतंगो का उड़ाना,
मुश्किल होता है इसको भुलाना!!

वो यारो की यारी में सब भूल जाना, और डंडे से गिल्ली को मारना,
वो अपने पढ़ाई से जी चुराना, और शिक्षक के पूछने पर अलग अलग बहाने बनाना,
मुश्किल होता है इसको भुलाना!!

वो पेपर में रट्टा लगाना, उसके बाद नतीजें के डर से बहुत घबराना,
वो दोस्तों के साथ साइकिल चलाना, वो छोटी छोटी बातो पर रूठ जाना,
मुश्किल होता है इसको भुलाना!!

Poem on Children’s Day

पंडित नेहरू जी बच्चों की प्रगति एवं विकास पर काफी ध्यान देते थे, क्योंकि उनका मानना था कि, बच्चों का विकास से ही देश का विकास संभव है, क्योंकि बच्चे ही किसी भी देश के भविष्य की तस्वीर तय करते हैं।

इसलिए बाल दिवस के अवसर पर बच्चे अपने चहेते चाचा नेहरू और उनकी महान विचारों को याद करते हैं। एवं बाल दिवस पर नीचे लिखे गए इस तरह के कवितायेँ बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं और उनका हौसला बढ़ाने में भी मद्दगार सिद्ध होते हैं।

इसलिए इन कविताओं को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों, करीबियों और रिश्तेदारों से शेयर करें और इनके माध्यम से एक-दूसरे को बाल दिवस की शुभकामनाएं दें।

Bal Diwas Par Kavita

“बाल दिवस”

हर स्कूलों में भी होते हैं, नये नये आयोजन.
जिन्हेँ देख आनंदित होते, हम बच्चों के तन मन.
बाल दिवस के इस अवसर पर, एक कसम यह खाओ.
ऊँच नीच का भेद भुला कर, सबको गले लगाओ.

Bal Diwas par Poem

आदर्शवादी एवं सैद्धान्तिक छवि वाले महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने देश के पहले पीएम के रुप में अपनी दूरदर्शी सोच और अनुभव से शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान आदि के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास करवाया एवं आधुनिक भारत की नींव रखी।

इसके साथ ही पंडित नेहरू ने देश की आजादी की लड़ाई में भी एक सच्चे देशप्रेमी की तरह संघर्ष किया। वहीं उनकी जयंती अर्थात बाल दिवस के मौके पर उनके महान विचारों को याद किया जाता है, एवं जिस तरह वे हमेशा बच्चों के अधिकारों एवं उनके विकास के लिए तत्पर रहते थे, उसी तरह इस दिन बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए एवं उनके जीवन के लक्ष्यों को पाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

वहीं इस तरह के कविता बच्चों के हौसला अफजाई एवं उनकी सकारात्मक सोच विकसित करने में मद्द करती हैं। इसलिए इस तरह के कविताओं को पढ़ें एवं अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

Poem on Children’s Day 3

“बाल-दिवस है आज साथियों”

बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल,
जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमरेल!
जन्मदिन चाचा नेहरू का फिर आया है आज,
उन पर सारे भारत को है नाज!
वह भोले थे इतने, जितने हम हैं नादान,
हमेशा ही मन से वे थे जवान!
हम उनसे सीखे मुस्कुराना, सारें संकट झेल,
बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल!

नही घृणा हो किसी ह्रदय में, नही द्वेष का वास,
आँखों में आँसू न कहीं हो, हो अधरों पर हास!
हम सब मिलकर क्यों न रचाएं ऐसा सुख संसार,
भाई-भाई जहां सभी हो, रहे छलकता प्यार!
झगड़े नही आपस में कोई, हो आपस में मेल,
बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल!

पड़े जरूरत अगर, पहन ले हम वीरों का वेश,
प्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश!
मातृभूमि के हित के लिए हो जाएं बलिदान,
मिट्टी से मिलकर भी माँ की रक्खे ऊँची शान!
दुश्मन के दिल को दहला दे, डाल नाक-नकेल,
बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल!

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