पाइथागोरस की जीवनी और इतिहास | Pythagoras Biography in Hindi

Pythagoras Biography in Hindi

पाइथागोरस एक प्रसिद्द गणितज्ञ होने के साथ-साथ एक महान दार्शनिक भी थे। गणित के क्षेत्र में पाइथोगोरस की मशहूर प्रमेय की खोज के लिए इनकी प्रसिद्धि पूरे विश्व में फैली हुई है, उनकी यह प्रमेय गणित पढ़ने वाले हर विद्यार्थी को जरूर पढ़नी पड़ती है।

पाइथागोरस के बारे सबसे दिलचस्प बात यह है कि, इन्होंने, गणित की सारी गणनाएं बिना हाथ से एक शब्द लिखे मौखिक ही की थी। पाइथोरस बहुमुखी प्रतिभा वाले महान व्यक्तित्व थे, जिनका अनुसरण प्लेटो, अरस्तु, सुकरात और लगभग पूरी दुनिया जीतने वाले सिकंदर ने भी किया था।

तो चलिए जानते हैं, गणित की दुनिया के इस सबसे महान व्यक्तित्व पाइथागोरस के बारे में – Pythagoras

महान गणतिज्ञ पाइथागोरस का जीवन परिचय – Pythagoras Biography in Hindi

पूरा नाम (Name) पाइथागोरस (Pythagoras)
जन्म (Birthday) 571 BC, सामोस, यूनान
पिता (Father Name) मनेसार्चस (Mnesarchus)
माता (Mother Name) पयिथिअस (Pythais)
पत्नी का नाम (Wife Name) थेनो(Theano)
बच्चे (Children) मयिया, डामो, टेलिगास और अरिग्रोत
मृत्यु (Death) 570 ईसा पूर्व, पेतापोंतम

पाइथागोरस का जन्म एवं शुरुआती जीवन – Pythagoras Information in Hindi

गणित के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इस महान गणितज्ञ पाइथागोरस का जन्म करीब 570 ईसा पूर्व में पूर्वी एजियन के एक यूनानी द्धीप सामोस  में एक व्यापारी के घर में हुआ था। उनकी मां पयिथिअस, एक घरेलू महिला थी, जबकि उनके पिता बिजनेसमैन थे। पाइथागोरस शुरु से ही अपने पिता के साथ बिजनेस टूर पर जाते रहते थे। 

वहीं इस दौरान उन्होंने न सिर्फ मिस्त्र के कुछ पुजारियों के साथ वक्त बिताया बल्कि उन्होंने सीरिया और इटली के कुछ प्रसिद्ध विद्धानों से शिक्षा भी ग्रहण की। पाइथागोरस अपनी यात्राओं के दौरान अलग-अलग देशों के विद्धानों से शिक्षा ग्रहण करते थे और इसी दौरान उन्होंने ज्यामितीय के सिद्धान्तों का अध्ययन भी किया था।

पाइथागोरस ने सीरिया के विद्धानों से महत्वपूर्ण विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने के अलावा शल्डिया के विद्धानों को भी अपना गुरु बनाया और महत्वपूर्ण विषयों पर ज्ञान प्राप्त किया। आपको बता दें कि पाइथागोरस को शुरु से ही पढ़ने -लिखने में बेहद रुचि थी इसलिए हर समय वे ज्ञान अर्जित करने में लगे रहते थे, उन्होंने दर्शनशास्त्र की शिक्षा अपने सबसे पहले शिक्षक फेरेसायडस से ली थी।

ऐसे बढ़ी गणित और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति पाइथागोरस की रुचि – Pythagoras History

पाइथागोरस की मिल्ट्स की यात्रा काफी यादगार रही, क्योंकि इस दौरान वे गणित और अंतरिक्ष विज्ञान के महान विद्धान थेल्स से मिले थे। थेल्स से मिलने के बाद ही उनके अंदर गणित और अंतरिक्ष विज्ञान (Meteorology) को पढ़ने को लेकर रुचि बढ़ी। वहीं उस दौरान थेल्स अपने उम्र के आखिरी पड़ाव में थे, जिसके चलते वे उस हालत में नहीं थे कि पाइथागोरस को अपना शिष्य बना सके और उनकी जिज्ञासाओं को बुझा सकें।

हालांकि, बाद में अपनी ज्ञान पिपासा को शांत करने के लिए पाइथागोरस ने थेल्स के सबसे होश्यार शिष्य और गणित के विद्धान अनेक्जिमेंडर से गणित की शिक्षा ली और यहीं से अपने ज्यामितीय और अंतरिक्षीय सिद्धांन्तों को विकसित किया एवं तब से ही उन्होंने गणित की सबसे मशूहर और प्रमुख प्रमेयों में से एक पाइथागोरस प्रमेय की खोज करनी भी शुरु कर दी थी।

ज्यामितीय की प्रमेयों के लिए उत्पत्ति प्रणाली की नींव डालने का क्रेडिट भी पाइथागोरस को दिया जाता है। गणित की दुनिया के महान अविष्कारक पाइथागोरस ने यह भी सिद्द किया कि ”किसी त्रिभुज के तीनों अंत: कोणों का योग दो समकोण के बराबर होता है।”

करीब 535 ईसापूर्व के दौरान पाइथागोरस मिस्त्र में चले गए जहां उन्होंने कई सालों तक हेलिपोलिस के एक पुजारी से शिक्षा ग्रहण की। इस दौरान उन्होंने वहां संगीत और गणित के बीच संबंध स्थापित करने का भी प्रयास किया। पाइथागोरस ने 50 साल की उम्र तक गणित और अंतरिक्ष विज्ञान का काफी ज्ञान अर्जित कर लिया था, और अब वे अपने इस ज्ञान का विस्तार करना चाहते थे, जो कि किसी पाठशाला के माध्यम से ही संभव था, इसलिए वे स्कूल खोलकर अपने ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांटना चाहते थे।

लेकिन उस दौरान सामोस में क्रूर शासक के बढ़ते अत्याचारों से पाइथागोरस काफी परेशान हो चुके थे जिसके चलते उन्होंने सामोस राज्य को छोड़ना का फैसला लिया और इसके बाद वे इटली में जाकर बस गए थे।

पाइथागोरस ने धर्म व दर्शन से जुड़े स्कूल और धार्मिक पंथ की शुरुआत की – Pythagoras School

महान गणितज्ञ पाइथागोरस ने इटली के क्रोटोन नामक जगह पर एक  सेमीसर्कल नाम के स्कूल की शुरुआत की। वहीं उस समय तक पाइथागोरस गणित के एक महान विद्धान के तौर पर मशहूर हो गए थे, जिसके चलते उनके स्कूल में कई विद्यार्थियों ने दाखिला लिया, इस स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ संगीत की शिक्षा भी छात्रों को दी जाती थी। पाइथागोरस के इस स्कूल में प्रमुख रुप से संगीत, ज्यामितीय, अंकगणित, और विज्ञान के साथ-साथ यूनानी दर्शन की शिक्षा भी दी जाती थी।

पाइथागोरस ने गुप्त धार्मिक पंथ की स्थापना कर वहां के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में सुधार लाने के काफी प्रयास किए थे। पाइथागोरस लोगों को अनुशासित, सदाचारी और सादा जीवन जीने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते थे। पाइथागोरस ने ऊं के सिद्धांत पर भी गंभीरता से कार्य किया था।

वहीं पाइथागोरस के विचारों से प्रभावित होकर कई लोग उनके धार्मिक पंथ में शामिल हो गए और उनके अनुयायी बन गए थे। पाइथागोरस के अनुयायियों के ग्रुप को ”पैथोगोरियंस” के नाम से जाना जाता था। जबकि केन्द्र में जो लोग काम करते थे उन्हें ”मेथमेत्कोई” कहा जाता था।

पाइथागोरस के धार्मिक केन्द्र के बेहद सख्त नियम थे:

पाइथागोरस के धार्मिक केन्द्र के रुल्स बेहद सख्त थे, जिनका इन अनुयायियों को सख्ती के साथ पालन करना पड़ता था। इस स्कूल के अंदर रहने वाले लोग सिर्फ शाकाहारी खाना ही खा सकते थे, उनकी कोई प्राइवेट संपत्ति भी नहीं होती थी, जबकि इस केन्द्र के आसपास रह रहे छात्र जो सिर्फ केन्द्र में पढ़ाई के लिए आते थे, उन्हें अपने घर में खाने की छूट थी, ऐसे छात्र अकउस्मेतिकोई कहलाते थे।

वहीं दुनिया के इस महान गणितज्ञ पाइथागोरस के धार्मिक स्कूल के अंदर रहने वाले लोगों का नाम दुनिया के पहले संयासी के रुप में इतिहास में भी उल्लेखित है।

धार्मिक पंथ में भेदभाव की वजह से बने दो अलग-अलग ग्रुप:

महान गणितज्ञ पाइथागोरस ने अपने धार्मिक मठ में शांति बनाए रखने के लिए एकेमैथिया नियम लागू किया था, इस सख्त नियम का पालन नहीं करने वालों को मौत की सजा का प्रावधान था। यही नहीं इतिहास में ऐसी व्याख्या की गई है कि उनके धार्मिक पंथ में अनुयायियों के साथ भेदभाव किया जाता था, मठ के वे शिष्य जो सिर्फ अध्ययन करने के लिए आते थे, उन्हें पाइथागोरस को देखने  तक की अनुमति नहीं थी और ना ही उन्हें  पंथ के गुप्त रहस्यों के बारे में बताया जाता था।

धार्मिक पंथ में इस तरह के भेदभाव से शिष्यों के बीच ईर्ष्या की भावना पैदा हो गई थी और बाद में मठ के अंदर रहने वाले और बाहर से आने वाले विद्यार्थियों दोनों का ग्रुप अलग-अलग हो गया।

पाइथागोरस का विवाह, बच्चे एवं निजी जीवन – Pythagoras Marriage, Children and Personal Life

दुनिया के इस महान गणितज्ञ पाइथागोरस की शादी थेनो नाम की एक दार्शनिक महिला से हुई थी, जिन्होंने गणित, चिकित्सा विज्ञान, बाल विज्ञान और भौतिक विज्ञान पर कई किताबें भी लिखीं थी। इनसे पाइथागोरस के तीन बेटियां और एक बेटा भी था।

हालांकि, पाइथागोरस के बच्चों की संख्या को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत भी हैं। वहीं इतिहास में ऐसा भी उल्लेखित है कि जब पाइथागोरस के धार्मिक पंथ में दो अलग-अलग गुटों में बंट गए थे, तब उनमें से एक गुट का नेतृत्व उनकी पत्नी थेनो और उनकी बेटियों ने किया था।

”पाइथागोरस प्रमेय” से मिली  पहचान  – Pythagorean Theorem

पाइथागोरस, मुख्य रुप में अपनी ‘पाइथागोरस की प्रमेय’ के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। पाइथागोरस प्रमेय यह सिद्ध करती है कि- ”किसी समकोण त्रिभुज में कर्क पर बना वर्ग शेष दो भुजाओं पर बन वर्गो के योग के बराबर होता है।”

हालांकि, उनकी इस प्रमेय के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि इस प्रमेय को काफी पहले बेबिलोनियंस द्धारा भी सिद्ध किया जा चुका है। इसके अलावा पाइथागोरस ने संख्याओं के सिद्धांत को भी स्पष्ट किया, उनका मानना था कि संख्याओं के क्रम पर ही जीवन आधारित है।

जीवन के आखिरी पड़ाव में झेलनी पड़ी थी कड़ी आलोचना:

आपको बता दें कि पैथोगोरियंस पंथ में बनाए गए सख्त नियमों की कड़ी आलोचना भी की गई थी। रुढ़िवादी विचारों और अंधविश्वास के चलते पाइथागोरस को अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में  काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था।

दरअसल, समाज का एक तबका उनसे बेहद नफरत करने लगा था, जिसकी वजह से उन्हें कई बार बहुत अपमानित भी होना पड़ा था और बाद में उन्हें  देश से बाहर भी निकाल दिया गया था।

परलोक सिधार गए महान गणितज्ञ पाइथागोरस – Pythagoras Death

करीब 85 से 90 साल की आयु में इटली के मेटापोंटम में उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि उनके मौत के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है। दुनिया के इस महान गणितज्ञ पाइथागोरस की मौत के कई सालों बाद रोम के सीनेट में एक बहुत बड़ी मूर्ति बनवाई गई और इन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ और महानतम विद्धान के रुप में सम्मानित किया गया।

पाइथागोरस को गणित की प्रमुख ज्यामितीय खोज ”पाइथागोरस प्रमेय” को सिद्ध करने के लिए एक महान गणितज्ञ के रुप में दुनिया भर में आज भी याद किया जाता है, वहीं आज भी गणित का हर विद्यार्थी ”पाइथागोरस प्रमेय” का अध्ययन करता है।

Read More:

I hope these “Information about Pythagoras” will like you. If you like these “Life History Of Pythagoras in Hindi language” then please like our Facebook page & share on Whatsapp.

5 thoughts on “पाइथागोरस की जीवनी और इतिहास | Pythagoras Biography in Hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top