संघी मंदिर का इतिहास | Sanghi Temple History

Sanghi Temple

संघी मंदिर जो की तेलंगाना (भारत) के संघी नगर में स्थित है। ये मंदिर हैदराबाद से लगभग 40 किमी की दुरी पर है। संघी मंदिर परिसर परमानन्द गिरी पहाड़ी के ऊपर है जो कई सारे भक्तो को आकर्षित करता है।

Sanghi Temple

संघी मंदिर का इतिहास – Sanghi Temple History

इस मंदिर की शुरुवात युवा रवि संघी के एक सपने से शुरू हुई। उसके बाद संघी परिवार जो उदार और धर्मार्थ के लिए जाना जाता है उसने इस सपने को सच में उतरने के लिए प्रयास शुरू किया।

स्वर्गीय राम शरण संघी के मार्गदर्शन में युवा रवि संघी ने पुरे समर्पण, दृढ़ता और निष्ठा और योजना के साथ इस परियोजना को आगे बढाया।

जल्द निर्णय लेने की और हर बात की विस्तृत जानकारी के आधार पर रवि संघी ने बहुत ही जल्द मंदिर का निर्माण करवाया। इस पवित्र कार्य में उनकी पत्नी श्रीमती अनीता संघी ने मदत की।

संघी मंदिर के परिसर के कुछ अन्य मंदिरे

हनुमान मंदिर – Hanuman Temple

पहाडियों के निचे ये मंदिर स्थित है। भगवान श्री राम के उत्साही भक्त अन्जनेय यानि हनुमानजी को इनके समर्पण, धैर्य और ताकद के लिए सभी सम्मान करते है।

जो भगवन राम के नाम के लिए तत्पर रहते है और हमेशा उनकी सेवा में उपलब्ध रहते है, ऐसे अन्जनेय परमात्मा के गुणों का प्रतिक है।

बालाजी मंदिर – Balaji Temple

इस मंदिर परिसर की देवता भगवान वेंकटेश्वर है जो धर्मनिरपेक्षता और विपुलता की देवता है। परिसर के मध्य में पवित्र देवता की मूर्ति शाही रूप में स्थित है जो तिरुमाला के मूर्ति की छवि या प्रतिकृति है।

श्रीराम मंदिर – Shri Ram Temple

बालाजी मंदिर के बाजु में राम मंदिर है। मनुष्य की बुराई पर जीत के श्री राम प्रतिक है। भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम को लोग एक आदर्श मानव के रूप में मानते है।

उनके साथ में उनकी पत्नी माता सीता और उनके समर्पित भाई लक्ष्मण भी है। हनुमान जो भगवान के सच्चे भक्त है हाथ जोड़े खड़े है।

अष्टलक्ष्मी मंदिर – Ashtalakshmi Temple

अष्टलक्ष्मी देवी का मंदिर बालाजी और पद्मावती मंदिर के बिच में है। आठ पहेलु वाली माता आदिलक्ष्मी जिनका एक हाथ “अभय मुद्रा” दर्शाता है और दूसरा हाथ “वर मुद्रा” अपने भक्तो को समृद्धि प्रदान करती है।

पद्मावती मंदिर – Padmavati Temple

बालाजी मंदिर के दाए बाजु में इनकी पत्नी देवी पद्मावती का निवास है।कमल पर बैठने वाली और कमल को हाथ में धारण करनेवाली करुणा और प्रेम का प्रतिक है।

शिव मंदिर – Shiv Temple

बालाजी मंदिर के बाये में भगवान शिव या त्रिदेवो में “विनाशक” का मंदिर है। ये सर्व शक्तिमान भगवान है जिन्हें सर्वनाश के नृत्य यानि “शिव तांडव” का श्रेय दिया जाता है जो सौभाग्यसे कमल पर बैठे है और बालो पर चंद्रमा है और दाहिने हाथ में त्रिशूल है।

“शक्ति स्वरूपिणी कमालाम्बिका” दाये में खडी है। ये दिव्य देवता अपने भक्तो में धैर्य पैदा करते है।

कार्तिके मंदिर – Kartikeya Temple

गणेश मंदिर के बाये में भगवान कार्तिके का मंदिर है। परंपरा के अनुसार इनका मंदिर पहाड़ो के ऊपर होता है और इनका परमानन्द गिरी मंदिर इसका एक निर्दोष उदाहरण है। कार्तिके जो अपने भक्तो के लिए एक कल्पवृक्ष की तरह है जो दाये हाथे में लाठी और बाये हाथ को कमर पर रखे है शेर के कपडे पहने हुए है।

विजय गणपति मंदिर – Ganpati Temple

इसके बाद में भगवान विजय गणपति का मंदिर है जो सभी बाधावो को दूर करनेवाले है। कोई भी कार्य करने से पूर्व भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ये दिव्य देवता भगवान शिव और पार्वती के पुत्र है। इनका वाहन मूषक है और इन्हें मोदक पसंद है जो सभी प्रयासों में सफ़लता सुनिश्चित करते है।

दुर्गा मंदिर – Durga Temple

यहाँ से आप दुर्गा मंदिर की और जाते हो। पर्वतो के देवता सुमेरु की पुत्री, जो तीन नेत्रोवाली है, भगवा वस्त्र धारण करने वाली है अपने सभी भक्तो के डर को दूर करके उन्हें धैर्य और शक्ति प्रदान करती है।

इस परिसर की यात्रा आपको एक समृद्ध और दैवी आशीर्वादो से ताजा कराती है।

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