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विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध

Dussehra Essay in Hindi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। यहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग और पंथ के लोग रहते हैं, जो अपने-अपने परंपराओं, संस्कृति और रीति-रिवाज से त्योहारों को मनाते हैं। इसी तरह हिन्दू धर्म के लोग विजयादशमी और दशहरा का पर्व धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह पर्व हिन्दुओं के प्रमुख पर्वों में से एक है।

यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। अश्विन मास की नवरात्रों के बाद विजय पर्व के रुप में इसे पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में जगह-जगह आयोजित होने वाली रामलीला को लेकर बच्चों में खास उत्साह रहता है।

इस पर्व के महत्व को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में बच्चों से निबंध लिखने के लिए भी कहा जाता है। इसलिए आज हम आपको दशहरा पर्व पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं , जिसे आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं-

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Dussehra Essay in Hindi

प्रस्तावना

दशहरा और विजयादशमी का पर्व, पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है, जिसका सभी को पूरे साल इंतजार रहता है। अश्विन मास की नवरात्रों के बाद दसवें दिन रावण का पुतला जला कर लोग इस पर्व को मनाते हैं। इस पर्व के दिन लोग अपने अंदर की सभी बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लेते हैं। दशहरा का सभी लोगों के लिए खास महत्व होता है।

कब मनाया जाता है दशहरा का पर्व – When we Celebrate Dussehra

विजयादशमी का पर्व हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के पहले नौ दिन तक दुर्गा मां की आराधना की जाती है। नवरात्रों के बाद दसवें दिन इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।

दशहरा का पर्व क्यों मनाया जाता है? – Why we Celebrate Dussehra

असत्य पर सत्य की विजय के इस पावन पर्व  को मनाने के पीछे कई कहानियां जुड़ी हुई हैं , जिनमें से अत्याधिक प्रसिद्ध और प्रचलित यही कथा है कि इस  दिन भगवान राम ने महापापी राक्षस रावण का वध कर उसे अंहकार का विनाश किया था।

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कैकयी के कहने पर अपने पुत्र भगवान राम को 14 साल के लिए वनवास पर भेज दिया था, तब वनवास के आखिरी सालों में माता सीता का रावण से हरण कर लिया था।

जिसकी वजह से भगवान राम और रावण में भयंकर युद्ध हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि रावण एक महाबलशाली एवं विद्धांन पंडित था, जिसके पास न सिर्फ दैत्यरुपी शक्तियां थी, बल्कि अपार ज्ञान भी था, जिसका उसे बेहद अहंकार था। उसके अहंकार का विनाश करने के लिए ही विष्णु जी ने राम का अवतार लिया था।

वहीं भगवान राम और महाअसुर रावण के बीच हुए युद्द में भगवान राम का हनुमान जी, वानर सेना और रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी उनका साथ दिया और अंत में उन्होंने रावण का वध कर उसके घमंड को चूर-चूर कर दिया था। इसलिए उस दिन से बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में इस पर्व को मनाया जाने लगा है।

इसके अलावा इस पर्व को मनाने के पीछे यह  भी मान्यता है कि माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध कर दशहरे के दिन उसका अंत किया था, इसलिए तभी से इसे विजय पर्व के रुप में मनाते हैं।

दशहरा का पर्व कैसे मनाया जाता है – How We Celebrate Dussehra

इस पर्व को पूरे भारत देश में अलग-अलग रीति रिवाज और परंपरा के साथ मनाया जाता है। कई जगहों पर इस पर्व पर पूरे दस दिन का उत्सव मनाया जाता है, तो कई जगहों पर इस पर्व पर मेले भी लगते हैं। इस पर्व के दौरान जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें कलाकार रामायण के मुख्य किरदार निभाकर भगवान राम और रावण के युद्ध को प्रदर्शित करते हैं और फिर रावण का पुतला फूंक कर इसे मनाते हैं।

इस पर्व का बच्चों को पूरी साल इंतजार रहता है। वे इस पर्व के कई दिन पहले से ही रावण के पुतला बनाने की तैयारी में लग जाते हैं। इस तरह इस पर्व पर अलग ही रौनक देखने को मिलती है। हालांकि, बदलते वक्त के साथ इस पर्व को मनाने का तरीका भी बदलता जा रहा है।

उपसंहार

विजयादशमी का पर्व हमें अपने अंदर के क्रोध, ईर्ष्या, बुराई, असत्य, अभिमान, अहंकार आदि को मिटाकर सत्य की मार्ग पर चलते की प्रेरणा देता है। इसलिए हम सभी को मिलकर हर साल अपने अंदर के रावण को मारकर विजयादशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिए और आपस में प्रेम-भाईचारे के साथ रहने का संकल्प लेना चाहिए।

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Dussehra par Nibandh

प्रस्तवना

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे भारत

में धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे आश्विन महीने की नवरात्रों के बाद मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने महादैत्य रावण का विनाश कर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस पर्व को विजय के पर्व  ‘विजयादशमी’ के रुप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन हर तरफ सौहार्दपूर्ण  माहौल देखने को मिलता है। इस त्योहार के बहाने बच्चे जमकर मस्ती करते हैं एवं रावण का पुतला फूंककर इस पर्व का जश्न मनाते हैं।

दशहरा का महत्व एवं इससे जुड़ी रीति-रिवाज

भारत में अलग-अलग राज्यों में लोग इस पर्व को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व है। वे इसे एक बड़े उत्सव के रुप में मनाते हैं। इस दिन को लेकर भगवान राम द्धारा रावण का वध, मां दुर्गा द्धारा महिषासुर का वध, पांडव का वनवास और देवी सती का अग्नि में समाना जैसी कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई है।

इस पर्व के महत्व को समझते हुए लोग अपने अंदर की समस्त बुराई, क्रोध आदि का अंत कर अच्छाई के साथ नए जीवन की शुरुआत करने के रुप में मनाते हैं। विजय का इस पर्व को किसान अपनी फसल पकने की खुशी में तो बच्चे इस त्योहार पर रामलीला को देखने एवं मौज-मस्ती के रुप में मनाते हैं, जबकि बड़े लोग इस पर्व को अपने अंदर छिपे अंहकारी रुपी रावण को मारकर आत्मविजय के रुप में मनाते हैं। इस तरह इस पर्व का सभी लोगों के लिए अलग-अलग महत्व है।

दशहरा उत्सव एवं मेले

दशहरा का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में कई जगहों पर दशहरा उत्सव की तैयारियां कई दिन पहले से ही होने लगती है तो कई जगहों पर इस पर्व पर करीब 10 दिन का भव्य उत्सव होता है एवं मेलों का आयोजन किया जाता है।

दशहरे के मेले में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मेले में एक क्षेत्र के लोग अन्य क्षेत्रों में जाकर अपनी दुकार और स्टॉल लगाते हैं, इसके साथ ही बच्चों की मौज-मस्ती के लिए तरह-तरह के झूले लगाए जाते हैं एवं सर्कस समेत तमाम गतिविधियां होती हैं, जिसे देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटती है।

विजयादशमी के इस प्रमुख पर्व के मौके पर मंदिरों में रामायण आदि का पाठ भी होता है। इसके साथ ही जगह-जगह नाट्यरुपी रामलीला का मंचन किया जाता है और राम-रावण का युद्ध प्रदर्शित किया जाता है।

वहीं दशहरे के पर्व पर स्कूल, कॉलेज समेत सरकारी दफ्तरों का अवकाश भी घोषित किया गया है। इस पर्व में रोश्नी की चकाचौंध और पटाखों की गूंज से दीपावली के त्योहार के नजदीक आने का भी एहसास होने लगता है।

रामलीला का मंचन

दशहरे के पर्व पर अब जगह-जगह रामलीला का मंचन किया जाता है। रामलीला के आयोजन को लेकर नवरात्रों से ही तैयारियां होने लगती हैं।

इस मौके पर रामायण के मुख्य पात्र भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, माता कैकयी, दशरथ आदि के किरदार कलाकारों द्धारा निभाए जाते हैं, जबकि रावण एवं उसके छोटे भाई विभीषण और मेघनाथ के कागज के पुतले बनाए जाते हैं, फिर विजयादशमी के पर्व के दिन भगवान राम और महाअसुर रावण के बीच युद्ध दिखाया जाता है, जिसमें अंत में भगवान राम रावण का वध करते हैं, जिसमें रावण को जलाया जाता है, वहीं रावण के पुतले में लगे ढेर सारे पटाखों के जलने  की गूंज से रावण जैसे अहंकारी राक्षस का अंत होता है।

रामलीला देखने में बेहद मनोरंजक होती है एवं इस मौके पर हर तरफ अलग ही माहौल देखने को मिलता है ।

उपसंहार

असत्य पर सत्य की जीत के इस पर्व को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर जैसे महादैत्य का भी अपनी शक्ति से वध किया था, इसलिए इस पर्व को न सिर्फ भगवान राम की रावण पर विजय के रुप में बल्कि शक्ति के प्रतीक के रुप में भी मनाते हैं। इस दिन हम सभी को अपने अंदर के क्रोध, लोभ , अहंकार, स्वार्थ, ईर्ष्या जैसी बुराई को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए और आपस में मिलजुल कर प्रेम-भाईचारे के साथ रहने का वादा करना चाहिए।

विजयादशमी यानि दशहरे पर निबंध – Essay on Dussehra

प्रस्तवना

बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पावन पर्व  आश्विन माह के नवरात्रों के बाद शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारत में बेहद धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को विजय पर्व के रुप में मनाते हैं।

इस पर्व से जुड़ी सबसे प्रचलित पौराणिक कथा भगवान राम और रावण से जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक महादैत्य रावण द्धारा छल से माता सीता का हरण करने पर भगवान राम और रावण का युद्ध होता है, जिसमें भगवान राम अहंकार से भरे हुए रावण का अंत करते हैं, तभी से इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाते हैं।

दशहरा से जुड़े महत्वपूर्ण और दिलचस्प तथ्य – Facts about Dussehra

दशहरा का बदलता स्वरुप

आधुनिकता के इस युग में त्योहारों का मनाने का तरीका भी बदल गया है, वास्तविकता से हटकर त्योहारों को मनाया जाने लगा है। जिसके चलते त्योहारों का महत्व धीमे-धीमे कम होता जा रहा है, जैसे कि अन्य त्योंहारों के तरह दशहरा को मनाने का तरीका भी बदल चुका है।

उपसंहार

हम सभी को त्योहारों के महत्व और इसकी वास्तविकता को समझकर अपने त्योहारों को मनाना चाहिए और इन त्योहारों के माध्यम से आपसी रिश्तों में मिठास लाने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि त्योहार हमें न सिर्फ खुद की बुराइयों का अंत कर नई जिंदगी जीने का मौका देते हैं, बल्कि हमारे बीच आपसी प्रेम और भाईचारा को भी बढ़ाने का काम करते हैं।

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