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एफिल टॉवर का इतिहास | Eiffel tower history information

Eiffel Tower in Hindi

फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एफिल टॉवर अपने आर्कषण, खूबसूरती, भव्यता और अद्धितीय बनावट के लिए पूरी दुनिया भर में मशूहर है। एफिल टॉवर दुनिया के सात आश्चर्यों में शुमार है। यह न सिर्फ प्रेम का प्रतीक माना जाता है, बल्कि यह फ्रांस की पहचान है, और फ्रांस की संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है।

दुनिया के इस सबसे खूबसूरत टॉवर की नींव पैरिस में ‘शैम्प-दे-मार्स’ में सीन नदी के तट पर 26 जनवरी, 1887 को रखी गई थी। जबकि इसे डिजाइन एक प्रख्यात इंजीनियर अलेक्जेंडर- गुस्ताव एफिल ने किया था। जिनके नाम पर ही इस भव्य टॉवर का निर्माण किया गया। दुनिया की इस सबसे मशहूर कृति को बनाने में करीब 2 साल का समय लगा था सन् 1887 से लेकर 1889 तक इस टॉवर का निर्माण काम चला था।

करीब 324 मीटर ऊंचाई वाले जब इस शानदार टॉवर का निर्माण हुआ था, तब यह विश्व की सबसे ऊंची इमारत मानी जाती थी, तो आइए जानते हैं एफिल टॉवर के बारे में कुछ दिलचस्प और रोचक जानकारी –

एफिल टॉवर का इतिहास और जानकारी – Eiffel tower history information in Hindi

Eiffel tower Paris

एफिल टॉवर (Eiffel Tower) का संक्षिप्त विवरण एक नजर में – Eiffel Tower Information

कहां स्थित है एफिल टॉवर (Eiffel Tower Kaha Hai) पैरिस (फ्रांस की राजधानी)
कब हुआ निर्माण सन् 1887 में (करीब दो साल में पूरा हुआ निर्माण काम)
किसने किया डिजाइन (Eiffel Tower Built By) गुस्ताव एफिल ने (उन्हीं के नाम पर इस टॉवर का नाम रखा गया)
एफिल टॉवर की ऊंचाई (Eiffel Tower Height) 324 मीटर।

एफिल टॉवर का निर्माण एवं इसका इतिहास – Why Was The Eiffel Tower Built

एफिल टॉवर अब फ्रांस की राजधानी पैरिस की पहचान बन चुका है। इसका निर्माण 1887 ईसवी में फ्रांस की क्रांति को 100 साल पूरे हो जाने की खुशी मे किया गया था। आपको बता दें कि इसके निर्माण के लिए फ्रांस की सरकार ने कुछ शर्तें भी रखी थी। टॉवर बनाने के लिए यह शर्त रखी गई थी कि, इस टॉवर का निर्माण लोहे का इस्तेमाल कर होना चाहिए, और इसकी ऊंचाई करीब 300 मीटर होनी चाहिए एवं एफिल टॉवर के चारों स्तंभों के बीच की दूरी करीब 125 मीटर होनी चाहिए।

सरकार की इन शर्तों के मुताबिक शुरुआत में इंजीनियर मौरिस कोएचलीं ने इस टॉवर का पूरा ढांचा एवं डिजाइन तैयार की थी, जिसमें उसका साथ एमिले नौगुइएर ने दिया था।

दोनों ने मिलकर कई अलग-अलग तरह की डिजाइन पेश की थी, जिसमें उन्होंने वर्गाकार आकार में टॉवर का प्रारूप तैयार किया था, इस एफिल टॉवर की डिजाइन को कई विशेषज्ञों को दिखाया गया, जिसमें से कुछ लोगों ने इस डिजाइन की सराहना की, लेकिन कुछ लोगों ने इन दोनों इंजीनियर के द्धारा बनाई गई डिजाइन की काफी निंदा की, यहां तक की कई लोगों ने तो इसे अपनाने से तक मना कर दिया था, इसके बाद दोनों इंजीनियर ने काफी समय तक इस एफिल टॉवर की डिजाइन में सुधार किया, फिर इसके बाद इस टॉवर की फाइनल डिजाइन को बनाने में महान इंजीनियर “गुस्ताव एफिल” ने मद्द की।

आपको बता दिं कि गुस्ताव एफिल ने अपनी विवेकशीलता और बुद्धिमानी से  “स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी” के अंदरूनी भाग को भी डिजाइन किया था। होनहार इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने सरकार की तीनों शर्तों को पूरा करते हुए एफिल टॉवर की एक बेहद आर्कषण और शानदार डिजाइन दी। जिसके बाद ऐसी करीब 107 योजनाओं में से इंजीनियर गुस्ताव एफ़िल की परियोजना को मंज़ूर किया गया।

फिर गुस्ताव एफिल ने पैरिस के मशहूर एफिल टॉवर की इस डिजाइन का पेटेंट हासिल कर लिया और इसे साल 1884 में प्रर्दशनी में रखा, वहीं एक्जीबिशन में इस डिजाइन को कंपनी के नाम से ही रखा गया था। फिर इसके बाद 30 मार्च, सन् 1885 को इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने इस टॉवर की डिजाइन एवं इससे संबंधित बनावट और समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त किए।

इतिहासकारों के मुताबिक एफिल ने एक भाषण के माध्यम से अपने विचार रखते हुए कहा कि ”यह टॉवर न सिर्फ मॉडर्न और आधुनिक इंजीनियर की कला होगी बल्कि, यह विज्ञान और कारोबार के क्षेत्र में एक नया चमत्कार होगा। इसके साथ ही गुस्ताव एफिल ने यह भी कहा कि अगर यह टॉवर बनेगा तो यह फ्रांस की पहचान बनेगा” और आखिरकार यही हुआ आज यह टॉवर फ्रांस पहचान का प्रतीक बना हुआ है।

1886 ईसवी तक और जुल्स ग्रेवी के फ्रांस के प्रेसिडेंट के पद पर फिर से नियुक्त किये जाने तक इसमें थोड़े-बहुत परिवर्तन भी किए थे। फिर पैरिस के इस सबसे खूबसूरत इमारत की डिजाइन के साथ-साथ इसका बजट भी तय किया गया।

एफिल टॉवर बनाने के लिए लगाये गए कुछ नियम – Eiffel Tower Rules

वहीं इस टॉवर का बजट पास होने के बाद फिर से विशेषज्ञों द्धारा इसकी डिजाइन पर बारीकी से अध्ययन किया गया, जिसमें कुछ खामियां भी पाईं गईं, जिनमें सुधार के बाद टॉवर को बनाने का आदेश दिया गया। लेकिन इसके बाद भी एफिल टॉवर का निर्माण तुरंत शुरु नहीं हो सका, क्योंकि इसके बाद टॉवर के निर्माण की जगह को लेकर इंजीनियर गुस्ताव एफिल को एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ा, जिसमें इस टॉवर को बनाने को लेकर कुछ शर्ते और नियम लिखे गए थे। जिसके पहले नियम के मुताबिक –

दूसरे और हैरान कर देने वाले नियम के मुताबिक –

इन नियमों को मानते हुए इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने इस टॉवर का निर्माण काम साल 1887 में शुरु करवाया, फिर फ्रांसिस सरकार ने भी इस अद्भुत और अद्दितीय टॉवर के निर्माण के लिए करीब 1.5 मिलियन फ्रांसिस सहायता के लिए भेजे। तब जाकर करीब 2 साल, 2 महीने और 5 दिन तक लगातार काम करने के बाद साल 1889 में एफिल टॉवर का निर्माण काम पूरा हुआ।

गुस्ताव एफिल ने जिस तरह इसका प्रारुप किया गया था, उसी की तरह यह बेहद खूबसूरत और आर्कषित बना और इसका नाम इंजीनियर गुस्ताव एफिल के नाम पर ही ”एफिल टॉवर” रखा गया।

आपको बता दें कि एफिल टॉवर की प्रदर्शनी और विस्तार के दौरान ही गुस्ताव एफिल ने इससे काफी रुपए कमा लिए थे, लेकिन थोड़े समय बाद टॉवर के आधुनिकरण एवं उसके विस्तार आदि के लिए गुस्ताव एफिल ने एक दूसरी कंपनी को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी थी। फिलहाल, एफिल टॉवर आज मजबूती के साथ पैरिस की आन-बान और शान बनकर खड़ा हुआ है।

एफिल टॉवर की डिजाइन, बनावट एवं इससे जुड़ी अन्य जानकारी – Eiffel Tower Architecture

पैरिस की शान माने जाने वाला एफिल टॉवर एक वर्ग के आकार में बना हुआ है, जिसे बनाने में मेटल का इस्तेमाल किया गया है।  इस टॉवर में करीब 18 हजार लोहे के टुकड़े हैं, जो कि करीब 2.5 मिलियन कील की सहायता से एक-दूसरे को बेहद अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।

पेरिस में बने इस टॉवर के सबसे टॉप परइसकी चोटी तक पहुंचने के लिए करीब 1 हजार 665 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी। हालांकि, इस मॉडर्न टॉवर में लिफ्ट की सुविधा भी है, जिसकी मद्द से टॉवर के टॉप पर पहुंचा जा सकता है। आपको बता दें कि टॉवर की यह लिफ्ट एक साल में करीब 103,000 किलोमीटर का सफ़र करती है, जो कि पृथ्वी की परिधि से करीब ढाई गुना ज्यादा है।  इस खूबसूरत एफिल टॉवर की लिफ्ट को नीचे से ऊपर तक ले जाने में करीब 15 यूरो खर्च होते हैं।

पेरिस में स्थित दुनिया की इस सबसे खूबसूरत आकृति की पहली मंजिल का क्षेत्रफल करीब 4200 वर्ग मीटर है, जबकि टॉवर की इस मंजिल के चारों तरफ एक जालीदार छज्जा बना हुआ है, जिसमें यात्रियों के लिए दूरवीन भी रखे हुए हैं, ताकि यहां आने वाले यात्री इस टॉवर से पेरिस की खूबसूरती का अद्भुत दृश्य देख सकें। वहीं इस टॉवर की दूसरी मंजिल का क्षेत्र फल 1650 वर्ग मीटर है।  एफिल टावर की इस मंजिल से भी पर्यटक शहर का खूबसूरत नजारा ले सकते हैं ।

फ्रांस के इस बेहद आर्कषक और खूबसूरत एफिल टॉवर के हर किनारे की लंबाई करीब 125 मीटर है और इसकी एंटीना की ऊंचाई करीब 116 मीटर है, जबकि इसकी कुल ऊंचाई 324 मीटर यानि की 1063 फीट है, जो कि करीब 81 मंजिला इमारत के बराबर होती है। जबकि इस एफिल टॉवर का ऊपरी हिस्सा कुछ 6 से 7 सेंटीमीटर हवा में झूलता है।

वहीं इस टॉवर की, समुद्र तल से ऊंचाई करीब  335 मीटर है। आपको बता दें कि जिस दौरान प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले एफिल टॉवर का निर्माण हुआ था, उस दौरान यह विश्व की सबसे ऊंची इमारत  थी।

एफिल टॉवर  के बनने के करीब 41 साल बाद तक इसका नाम दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का रिकॉर्ड दर्ज रहा, हालांकि 1930 में न्यूयॉर्क के क्रिसटल ब्लिडिंग ने इसकी जगह ले ली थी।

फांस की पहचान बन चुका एफिल टॉवर को करीब 300 लोगों ने मिलकर बनाया था। वहीं इस टॉवर को बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले  करीब 72 इंजीनियर, गणितज्ञों और वैज्ञानिकों  के नाम शानदार अक्षरों में इस टॉवर के बाजू में लिखे गए हैं।

दुनिया के इस सबसे ज्यादा खूबसूरत एफिल टॉवर का निर्माण काम साल 1887 से शुरु हुआ था, जो कि करीब 2 साल, 2 महीने और 5 दिन के बाद करीब 1889 में बनकर तैयार हुआ था।

तापमान बदलने की वजह से एफिल टॉवर का आकार करीब 6 इंच  तक छोटा  हो जाता है। इसके साथ ही तेज हवा में भी यह टॉवर करीब 2 से 3 इंच तक नीचे झुक जाता है।

पैरिस में स्थित यह एफिल टॉवर हमेशा रोशनी से जगमगाता रहे, इसके लिए इसमें करीब 20 हजार बल्ब लगाए गए हैं, लेकिन साल 2013 के बाद से लाइट की बचत करने के लिए रोजाना रात में करीब 1 बजे इस एफिल टॉवर की लाइट बंद कर दी जाती हैं।

साल 2015 के एक सर्वे के अनुसार विश्व के सबसे ज्यादा लोग हर साल दुनिया की इस सबसे खूबसूरत और आर्कषित एफिल टॉवर को देखने आते हैं। हर साल करीब  6.91 मिलियन लोग पैरिस के इस टॉवर को देखने आते हैं और इसकी प्रशंसा करते हैं।

जेम्स बांड की फिल्म में पेरिस में स्थित इस अद्धितीय डिजाइन वाले एफिल टॉवर को भी दिखाया गया था और “बीटल्स” का एक गाना भी काफी मशूहर है, जिसमे “सेमोलिना पिल्चार्ड” को एफिल टॉवर पर चढ़ते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा इस शानदार टॉवर पर कई फिल्में भी शूट हो चुकी हैं।

आज गुस्ताव एफिल द्वारा बनाई हुई यह शानदार कृति अब फ्रांस की शान और इसकी पहचान बन चुका है। एफिल टावर आज पूरे विश्व में अपनी खूबसूरती की वजह से मशहूर है। इसके साथ ही यह  दुनिया के सात आश्चर्यों  में से भी एक है।

विश्व के इस सबसे खूबसूरत टॉवर का जब निर्माण किया जा रहा था, तभी इस टॉवर को 20 साल की अवधि के लिए बनाया गया था और फिर शर्त के मुताबिक इसे साल 1909 में तोड़ा जाना था, लेकिन इन 20 साल के दौरान एफिल टॉवर वैज्ञानिक और तकनीकी समेत अपने सभी मानकों पर खरा उतरा, हालांकि समय-समय पर इस टॉवर की मजबूती को बरकरार रखने के लिए इसकी खामियों को दूर किया जाता रहा, इसलिए इस टॉवर को गिराने की शर्त टलती रही।

लेकिन फिर साल 1944 में द्धितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने दुनिया के सबसे खूबसूरत शहर पेरिस के मिलिट्री गवर्नर “डीटरीच” को इस टॉवर को पूरी तरह से नष्ट करने का आदेश दिए थे, लेकिन इस टॉवर के आर्कषण, बढ़ती लोकप्रियता और इसे रेडियो एंटिना बनाने की योजना को पूरा करने की वजह से जनरल “डिटरिच” ने हिलटर के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था। इस तरह यह टॉवर वर्तमान में यह फ्रांस की शान और पहचान बनकर खड़ा हुआ है।

दूसरे विश्वयुद्ध से पहले जर्मन के कुछ नाजी सैनिको ने पेरिस में स्थित, विश्व के इस सबसे खूबसूरत एफिल टॉवर के पर स्वास्तिक लगाने की कोशिश की थी। आपको बता दें कि  यह स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक माना जाता था, लेकिन बाद में वे ऐसा करने में कामयाब नहीं हुए थे।

एफिल टॉवर से जुड़े रोचक एवं दिलचस्प तथ्य – Eiffel Tower Facts

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