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भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in Hindi

Essay on Democracy in Hindi

लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है – लोक + तंत्र। लोक का अर्थ है जनता और लोग अर्थात तंत्र का अर्थ शासन, अर्थात लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन। लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसमें जनता को अपना शासन चुनने का अधिकार होता है, और जनता अपनी मर्जी से अपना मनपसंद शासक चुनती है।

आपको बता दें कि 15 अगस्त साल 1947 जब भारत को ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजादी मिली तो भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। आजाद भारत में लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने नेताओं को चुनने हक दिया गया। और आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

भारत में जनता का, जनता के द्धारा और जनता के लिए शासन की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था है। भारत में हर पांच साल में केन्द्रीय और राज्य सरकार के चुनाव करवाए जाते हैं, वहीं भारत के लोकतंत्र के महत्व को बताने के लिए और विद्यार्थियों के लेखन कौशल को निखारने के लिए स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में अलग-अलग शब्द सीमा के अंदर भारत में लोकतंत्र पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे छात्र अपनी जरुरत के अनुसार चुन सकते हैं।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in Hindi

Essay on Democracy in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर- 1 – Loktantra Par Nibandh

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां जनता को अपने मनपंसद प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपने देश के हित के लिए और देश के विकास के लिए देश की बागडोर एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में सौंपती है, जो इसके लायक होता है और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदत करता है।

वहीं भारत का लोकतंत्र पांच मुख्य सिंद्धातों पर काम करता है जैसे संप्रभु यानि कि भारत में किसी भी तरह की विदशी शक्ति की दखलअंदाजी नहीं है, यह पूरी तरह आजाद है।  समाजवादी, जिसका वोटलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्मनिरपेक्षता, जिसका वोटलब है किसी भी धर्म को अपनाने या फिर अपनाने से इंकार करने की आजादी। लोकतांत्रिक, जिसका अर्थ है देश के नागरिकों द्धारा भारत की सरकार चुनी जाती है। गणराज्य जिसका अर्थ है देश का प्रमुख कोई एक वंशानुगात राजा या रानी नहीं होती है।

देश में कई तरह की राजनीतिक पार्टियां है, जो हर पांच साल में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने के लिए खड़ी होती हैं। लेकिन सिर्फ उसी राजनीतिक पार्टी का शासन होता है, जिसे जनता का सार्वधिक वोट मिलता है।

आपको बता दें भारतीय संविधान के मुताबिक 18 साल से अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का हक है। वह अपना शासक चुनने के लिए अपने कीमती वोट का इस्तेमाल करता है। वहीं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल करने के लिए भी सरकार लगातार जागरूक कर रही है।

लोकतंत्र का अर्थ – Meaning of Democracy in Hindi

लोकतंत्र,एक ऐसी शासन व्यवस्था है, जिसके तहत जनता को अपनी मर्जी से अपना शासक चुनने का अधिकार प्राप्त होता है। इसके तहत देश हर व्यस्क नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल कर एक ऐसा शासक चुनता है, जो देश के और जनता के विकास में उसकी मदत करे और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की कोशिश करे , इसके साथ ही देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे।

आपको बता दें कि आजादी से पहले हमारे देश की जनता पर क्रूर ब्रिटिश शासकों ने शासन किया था, जिससे भारतीयों का काफी शोषण हुआ था, लेकिन जब 15 अगस्त, 1947 को अपना भारत देश ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजाद हुआ तो इसे एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाया गया।

जिसके तहत भारत के हर एक नागरिक को अपनी मर्जी से अपने शासक को चुनने का अधिकार दिया गया, वहीं लोकतंत्र के तहत जाति, धर्म, लिंग, रंग और संप्रदाय आदि को लेकर फैली असमानता की भाव को दूर कर अपने वोट का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई गई।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास – Indian Democracy History

पुराने समय में भारत में कई मुगल और मौर्य शासकों ने शासन किया था, पहले वंशानुगत शासन चलता था, जिसमें अगर कोई व्यक्ति किसी  देश या राज्य की सल्तनत हासिल कर लेता था तो वर्षों तक उसी के वंश की कई पीढि़यां राज करती थी और सभी के पास शासन करने की अपनी एक अलग शैली होती थी और सब अपने-अपने अनुसार नियम-कानून और कायदे बनाते थे।

वहीं साल 1947 में जब देश आजाद हुआ और भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बना तो वंशानुगत व्यवस्था हमेशा के लिए खत्म की गई, और लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल कर अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया गया। वहीं आज भारत देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

आपको बता दें कि जब भारत में मुगल और अंग्रेज शासकों द्धारा शासन किया जाता था, तो उस समय भारत की जनता को उनके द्वारा किए गए अत्याचारों को झेलना पड़ता था, और उनकी गुलामी करनी पड़ती थी, लेकिन जब भारत एक लोकतांत्रिक राज्य बना तो भारत के नागरिकों को  अपनी पसंद का शासक चुनने का अधिकार मिला और अपने वोट का इस्तेमाल करने की शक्ति प्राप्त  हुई।

वहीं अब भारत दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है। आपको बता दें कि आजादी के बाद जब 26 जनवरी, 1950 में हमारे भारत में संविधान लागू किया गया तो भारत को एक लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया।

हमारे देश की लोकतंत्रात्मक प्रणाली देश में समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों में यकीन करती है। लोकतंत्रात्मक व्यवस्था के तहत किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग के लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने प्रतिनिधि को चुनने का अधिकार दिया गया है।

आपको बता दें कि भारत में सरकार का संसदीय स्परुप अंग्रजों की व्यवस्था पर आधारित है।

भारत में सरकार का एक संघीय रुप है जिसका अर्थ है केन्द्र औऱ राज्य सरकार। जिसमें केन्द्र सरकार वह होती है, जो संसद के लिए जिम्मेदार होती है, अर्थात केन्द्र सरकार ही देश के लिए नियम और कानून बनाती है।

इसके अलावा विदेश नीति भी बनाती  है और अपने देश के हित के लिए दूसरे देश के साथ समझौता करती है, जिससे देश की तरक्की हो सके।

केन्द्र सरकार के लिए हमारे देश में लोकसभा का चुनाव करवाया जाता है। केन्द्र सरकार भारतीय संविधान द्धारा दी गई सभी शक्तियों का अच्छी तरह से इस्तेमाल करती है और भारत के विकास और रक्षा के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी होती है। आपको बता दें कि हर 5 साल में संसद का चुनाव आयोजित करवाया जाता है।

वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारें अपनी राज्य से संबंधित विधानसभाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं। हमारे भारत देश में प्रत्येक राज्य को राज्य सरकार द्धारा शासित किया जाता है, आपको बता दें कि हमारे देश में कुल 29 राज्य सरकारें हैं, जिनमें से हर राज्य का नेतृत्व राज्यपाल या फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्धारा किया जाता है।

देश के हर प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद काफी अहम होता है, क्योंकि वह प्रदेश की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता समेत अन्य मामलों से जुड़े सभी अहम फैसलों को लेता है, इसके साथ  ही मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का भी प्रमुख है। 

वहीं केन्द्र और राज्य की सरकारें लोकतांत्रिक रुप से यानि की जनता के द्धारा चुनी जाती हैं और भारतीय संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्य सभा के नियमों का पालन करती हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर देश के राष्ट्रपति का चुनाव करती हैं, राष्ट्रपति का राज्यों का प्रमुख भी माना गया है।

लोकतांत्रिक देश भारत में चुनाव एक अहम प्रणाली –

सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत में चुनाव एक अति महत्वपूर्ण और बेहद अहम प्रणाली है। सरकार बनाने के लिए, और प्रतिनिधि को चयन करने के लिए चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रणाली है।

लोकसभा के चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव, इसमें देश के सभी नागरिक एक समान भाव से एक जुट होकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं और अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं, देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के हर नागरिक को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है।

देश के नागरिकों को समय-समय पर अपने वोट देने के लिए जागरूक भी किया जाता है। आपको बता दें कि हमारे देश में हर 5 साल में चुनाव होते हैं, जिसमें देश के नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल कर देश के विकास और प्रगति के लिए अपना प्रतिनिधि चुनते हैं।

भारत एक ऐसा लोकतंत्रात्मक देश हैं, जिसमें 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं, जिसमें हर 5 साल के अंतराल में चुनाव का आयोजन किया जाता है। वहीं इन चुनावों में राजनैतिक दल, केन्द्र और राज्य में जनता के ज्यादा वोट प्राप्त कर अपनी सरकार का निर्माण करते हैं।

आपको बता दें कि चुनाव के दौरान राजनैतिक दल जनता से विकास के तमाम वादे कर जनता से उनकी पार्टी को वोट देने के लिए भी उत्साहित करती  हैं, ऐसे में जनता के सामने सही और योग्य उम्मीदवार का चयन करना एक चुनौती भी होती है।

आपको बता दें भारत में कई राजनैतिक पार्टियां हैं जिनमें से बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- ( सीपीआईएम ), माकपा आदि प्रमुख पार्टी हैं। वहीं जनता किसी भी राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों का चयन, पार्टी के प्रतिनिधियों के द्धारा करवाए गए विकास कामों के आधार पर करती है।

भारत के 5 लोकतांत्रिक सिद्धांत

भारत एक ऐसा लोकतंत्रात्मक देश है जो मुख्य रुप से 5 लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर काम करता है – जैसे कि संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरेपक्षता और लोकतांत्रिक। जिनसे बारे में हम आपको नीचे संक्षिप्त में बता रहे हैं –

लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत संप्रभु के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ  है, हमारा भारत किसी भी विदेशी शक्ति, उसके नियम-कानून और उसके नियंत्रण के हस्तक्षेप से मुक्त है।

समाजवादी भी भारत का एक लोकतांत्रिक सिद्धान्त हैं, जिसका वोटलब है कि हमारा देश के हर नागरिक को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग , रंग और पंथ  को अनदेखा कर आर्थिक समानता और सामाजिकता प्रदान करना।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है, जिसका वोटलब है, भारत के सभी नागरिक को अपनी मर्जी और पसंद के अनुसार किसी भी धर्म को अपनाने और उसके पालन करने की स्वतंत्रता प्राप्त है, क्योंकि हमारे देश भारत में कोई भी आधिकारिक धर्म नहीं है।

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका अर्थ है कि भारत की सरकार का चयन, भारत के नागिरकों द्धारा किया जाता है, किसी भी जातिगत भेदभाव और आर्थिक असमानता के बिना सभी नागिरकों को समान भाव से वोट देने का अधिकार दिया गया है, ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सके जिससे देश के विकास को बल मिल सके और देश आर्थिक रुप से मजबूत बन सके।

गणतंत्र –

जब से हमारे देश का संविधान लागू हुआ है ,तब से भारत एक धर्मनिरेपक्ष और लोकतंत्र गणराज्य घोषित किया है, अर्थात हमारे देश का मुखिया कोई वंशानुगत राजा या रानी नहीं है बल्कि इसे लोकसभा और राज्यसभा द्धारा चुना जाता है, जिसका फैसला जनता-जर्नादन के हाथ में होता है।

सबसे बड़े लोकतंत्र में सुधार की जरूरत

हमारा देश भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसमें सुधार की बेहद जरूरत है, इसमें सुधार के लिए समय-समय पर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। वहीं हम आपको नीचे लोकतंत्र में सुधार के कुछ उपायों के बारे में बता रहे हैं –

उपसंहार

भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को पूरे देश में सराहा जाता है, हालांकि भारत के लोकतंत्र में अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसे तमाम कारकों को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि देश के लोकतंत्र को और अधिक मजबूती मिल सके और देश के विकास को बल मिल सके। 

अगले पेज पर और भी निबंध….

भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर 2 (700 शब्द) – Democracy Hindi Essay (700 Word)

प्रस्तावना –

कई सालों तक अंग्रेजों की गुलामी सहने के बाद जब भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ तो, भारत एक समाजवादी, संप्रभु, लोकतंत्रात्मक राष्ट्र बना। वहीं जब भारत में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू किया गया तो, इसके तहत भारत के सभी नागरिकों को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

जिसके चलते भारत के सभी नागिरक अपने वोट का इस्तेमाल कर अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुन सकते हैं, जिससे देश का विकास हो सके और देश आर्थिक रुप से मजबूत बन सके।

भारत में सरकार, भारत के नागिरकों के द्धारा चुनी जाती है, इसलिए  इसे लोकतंत्रात्मक गणराज्य भी कहा गया है।

भारत में लोकतंत्र की कार्यप्रणाली

भारत में संविधान के तहत देश के सभी वयस्क नागरिक जिनकी उम्र 18 साल की उम्र से ऊपर हो, उन्हें अपने वोट का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है, लोकतंत्र में जनता द्धारा अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया गया है।

इसमें जनता अपनी मनमर्जी से एक ऐसा शासक चुनती है, जो देश की उन्नति के लिए सही फैसले ले सके और जनता का विकास करने में सहायक हो, इसके साथ ही देश की सभी लोगों की जरूरतों को पूरा कर सके।

वहीं जब देश का प्रतिनिधि सही तरीके से अपनी कर्तव्यों को पूरा करता है तो देश को आर्थिक रुप से भी मजबूती मिलती है।

आपको बता दें कि देश में चुनाव के द्धारा जनता अपना शासक चुनती है। हमारे भारत में मुख्य रुप से दो तरह के चुनाव होते हैं – लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव में देश का प्रधानमंत्री तय होता है, जबकि विधानसभा चुनाव देश के अलग-अलग 29 राज्यों में आयोजित होते हैं, जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्रियों का चुनाव जनता द्धारा किया जाता है।

भारत कई बड़े राजनैतिक पार्टियां हैं, जिनके उम्मीदवार तमाम विकास के दावे और वादे कर चुनावी मैदान में खड़े होते हैं। आपको बता दें कि भारत में बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा, माकपा, टीएमसी समेत तमाम राजनैतिक पार्टियों द्धारा चुनाव लड़े जाते हैं। वहीं चुनाव के दौरान देश की जनता इन राजनैतिक दलों के किसी एक उम्मीदवार को उसके पिछले कार्यकाल का मूल्यांकन कर  अपना कीमती वोट देती है।

भारत में लोकतंत्र के मौलिक उद्देश्य और विशेषताएं

हमारे भारतीय संविधान में जातिगत भेदभाव, धर्म, संप्रदाय, रंग, लिंग, पंथ और समाजिक असमानता को नजरअंदाज कर देश के सभी नागिरकों को एक समान अधिकार दिए हैं, जिससे समाज में छुआछूत, जातिगद भेदभाव जैसे कुरोतियां जड़ से खत्म हो गई। 

वहीं लोकतंत्र में एक ऐसी शासन प्रणाली बनी है, जिससे जनता के व्यक्तित्व का निर्माण हो,  इससे वोट देने के अधिकार से नागरिकों का स्वाभिमान बढ़ता है और लोगों में देशभक्ति की भावना का विकास होता है, वहीं लोकतंत्र किन उद्देशयों पर काम करता है, इसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –

लोकतंत्र का उद्देश्य

लोकतंत्र की मुख्य विशेषताएं –

लोकतंत्र की उपलब्धियां

लोकतंत्र के फायदे-

भारतीय लोकतंत्र में सुधार की जरूरत

निष्कर्ष –

भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है , जिसकी कार्यप्रणाली को काफी तारीफ भी मिली है, लेकिन इसमें अभी कुछ कमियां हैं जिनमें सुधार की जरूरत है।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर – ( 500 शब्द ) – Essay on Democracy (500 Word)

प्रस्तावना –

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक देश है, जहां की शासन प्रणाली को हमेशा ही सराहा गया है, यहां देश के सभी नागरिकों की जाति, लिंग, धर्म, रंग और पंथ को नजरअंदाज कर सभी को समान भाव से वोट देने का अधिकार प्राप्त है।

देश के सभी नागरिक अपनी वोट की शक्ति का इस्तेमाल कर एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव करते हैं, जो देश के प्रतिनिधित्व करने के योग्य होता है और देश को विकास की ओर ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

15 अगस्त, 1947 में भारत की आजादी के बाद जब भारत में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ तो, भारत एक सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया, इसी के साथ लोगों को अपनी मर्जी से अपने पसंद का नेता चुनने का भी हक दिया गया, आपको बता दें कि कई साल अंग्रेजों की गुलामी करने और मुगलों और ब्रिटिश शासकों के अत्याचार झेलने के बाद सभी भारतीय नागरिकों को भारतीय संविधान के द्धारा वोट देने की शक्ति प्रदान की गई थी।

वहीं इससे पहले वंशानुगत प्रणाली थी, जिसमें किसी देश का राजा एक समय तक राज करता था और फिर उसके बेटे या फिर उसके वंश के द्धारा शासन किया जाता था। लेकिन जबसे हमारा भारत देश लोकतांत्रिक गणराज्य बना, तब से जनता के लिए जनता के द्धारा, जनता का प्रतिनिधि चुना जाता है। इसलिए लोकतंत्र को सरकार का सबसे अच्छा रुप भी कहा गया है।

भारत में लोकतंत्र के पांच सिद्धान्त

उपसंहार –

फिलहाल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, लेकिन इसमें अभी काफी सुधार की जरूरत है क्योंकि देश में बढ़ रही गरीबी, साक्षरता की कमी, जातिगत भेदभाव, लिंग भेदभाव, सांप्रदायिकता जैसे कई कारक इसमें रुकावटें पैदा कर रहे हैं, हालांकि इसमें सुधार की मांग की जा रही है, वहीं इस दिशा में कई कदम भी उठाए गए हैं।

हालांकि इसमें अभी कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है , वहीं जब तक लोकतंत्र के रुकावटों के कारकों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक नागरिक सही मायनो में लोकतंत्र का आनंद नहीं ले सकेंगे।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर – ( 300 शब्द ) – Essay on Democracy (300 Word)

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक गणराज्य है, जिसमें 7 केन्द्र शासित प्रदेश और 29 राज्य है। भारतीय लोकतंत्र में भारत सरकार  जनता के द्धारा चुनी जाती है। भारत के हर व्यस्क नागरिक को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है।

हमारे देश में सभी जाति, धर्म, संप्रदाय, रंग, पंथ, लिंग के लोग अपने वोट का इस्तेमाल कर अपने देश के लिए एक ऐसा प्रतिनिधि चुनते हैं, जिससे देश और जनता का विकास हो सके। आपको बता दें भारतीय लोकतंत्र में देश के सभी व्यस्क नागरिक को वोटदान करने और चुनाव में प्रत्याशी होने का अधिकार है।

चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशी, किसी राजनैतिक  पार्टी का भी हो सकता है, इसके साथ ही वह निर्दलीय और स्वतंत्र प्रत्याशी के रुप में भी चुनाव में खड़ा हो सकता है।

भारत में मुख्य रुप से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं, लोकसभा चुनाव में जनता अपने वोट का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री का चयन करते हैं, जबकि विधानसभा चुनाव में जनता अपने वोट का इस्तेमाल मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए करती है।

इसके अलावा भी नगरपालिका, नगर निगम, वार्ड परिषद, निकाय चुनाव होते हैं। हर पांच साल में चुनाव करवाए जाते हैं।

भारत, जब 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ तो इसे लोकतांत्रिक देश घोषित कर दिया गया, वहीं 26 जनवरी, 1950 में जब भारत का संविधान लागू किया गया तो भारत के सभी नागरिकों को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया, वोट देने से लोगों में आत्मनिर्भरता और देशभक्ति की भावना का विकास होता है।

भारत में लोकतंत्र मुख्य रुप से नीचे लिखे गए 5 सिंद्धांतों पर काम करता है –

उपसंहार –

भारत की लोकतंत्रात्मक प्रणाली की काफी तारीफ की गई है क्योंकि भारत में जाति, धर्म, रंग, पंथ, संप्रदाय को नजरअंदाज कर सभी व्यस्क नागरिक को समान भाव से अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार किया गया है।

वहीं भारत में भाषा, रहन-सहन समेत तमाम विविधता होने के बाबजूद भी सभी भारतीय आपस में भाईचारे और प्रेम से रहते हैं, लेकिन भारत के लोकतंत्र में अभी भी कई कमियां हैं, जो  लोकतंत्र पर असर डालती हैं जैसे कि गरीबी, लिंग भेदभाव, जाति जैसे कारकों को खत्म करने की जरूरत है ,जिससे देश का सही दिशा में विकास हो सके।

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