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जानिए चाय का दिलचस्प इतिहास | History of Tea

सुबह और शाम चाय के बिना हमेशा ही अधूरी होती है और भारत में चाय के शौकीन आपको हर घर में मिल जाएंगे। गर्मी हो या सर्दी, बरसात या फिर कोई ओर मौसम चाय हमेशा ही तनाव कम करने, नींद भगाने के लिए फायदेमंद साबित होती है। लेकिन क्या आप जानते है रोजाना सुबह शाम पीई जाने वाली चाय का इतिहास क्या है चलिए आपको बताते है चाय के दिलचस्प इतिहास – History of Tea के बारे में, चाय पीने की शुरुआत कहां से हुई और भारत में कहां की चाय है बेस्ट।

History of Tea

जानिए चाय का दिलचस्प इतिहास – History of Tea

माना जाता है कि चाय का इतिहास 750 ईसा पूर्व जितना पुराना है। चाय का इस्तेमाल सबसे पहले बौद्ध भिक्षुओँ ने औषधी के रुप में किया था। एक कहानी के अनुसार भिक्षु जैन जब चिंतन में थे इसी दौरान उन्हें नींद आने लगी और नींद से बचने के लिए भिक्षु ने बुश की पत्तियों को चबाना शुरु किया इन पत्तियों को चबाने से उन्हें नींद नहीं आई।

जिसके बाद इन बुश की पत्तियों को चाय का नाम दिया गया और इनका इस्तेमाल नींद भगाने के लिए शुरु हुआ। चाय के चलने के कुछ समय बाद ही ये काफी प्रचलित हो गई और लोग इसके साथ अलग – अलग तरह के प्रयोग करने लगे।

19वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश का आगमन हुआ तो उन्होनें पता लगाया कि असम के लोग एक काले रंग का तरल पदार्थ पीते है जो एक जंगली पौधे की पत्तियों से प्राप्त होता है। इसके बाद साल 1823 से 1831 के दौरान ब्रिटिशस ने चाय की पैदावर को देश में शुरु किया।

ब्रिटिश अधिकारियों ने पता लगाया कि चाय की पैदावर पूर्वी भारत के असम राज्य में हुई है। जिसके बाद असम से चाय के बीच और पौधे लाकर इनका कोलकत्ता में सोध किया गया।

लेकिन चाय की पैदावर का पता लगाने के बाद भी ब्रिटिश ने शुरुआत में इसकी पैदावार पर पैसा न खर्च करने का फैसला किया। लेकिन बाद मे जब ब्रिटिश अधिकारियों को इसकी एहमियत समझ आने लगी तो उन्होनें इसका व्यापार करने का फैसला किया। और बॉटनिकल गार्डन बनवाए और चाय के बगान तैयार करवाए गए।

इसके बाद चाय के व्यापार ने भारत में बहुत विकास किया और यही कारण है कि भारत चाय उत्पादन में देश का नंबर वन देश है।

चलिए अब आपको बताते है भारत में चाय कहां – कंहा उगाई जाती है – History of Tea in India

असम में ही ब्रिटिश ने चाय के पौधों की पहचान की थी। और यही पर भारत का सबसे बड़ी चाय का अनुसंधान केंद्र भी है। जो असम के जोरहाट में टोकलाई पर स्थित है। और दिलचस्प बात ये है कि असम ही पूरे देश में एकलौती ऐसी जगह है जहां पर चाय एक समतल भूमि पर उगाई जाती है और यही कारण है कि यहां कि चाय की पत्तियों का स्वाद भी कुछ अलग और खास है।

पूरे भारत में दार्जिलिंग की चाय सबसे ज्यादा मशूहर है। दार्जिलिंग में साल 1841 से चीनी चाय के पौधे उगाए जाते है। और अपने अलग स्वाद के कारण दार्जिलिंग की चाय की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार मे काफी अधिक है साथ ही इसकी मांग भी विश्व में काफी है।

कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का शहर है जहां पर 1829 रुप से चाय उगाई जाती है कांगड़ा में हरी और काली चाय की पैदावर होती है।

नीलगिरी में एक खास तरह का फूल खिलता है जिसका नाम कुरिंजी फूल है यह फूल 12 साल में एक बार खिलता है इस फूल की महक के कारण यहां उगने वाली चाय में भी एक असाधारण खूश्बू और स्वाद महसूस होता है।

भारत में चाय के लिए कभी कोई मौका नहीं तलाशना पड़ता यहां के लोग मेहमान के अगमान पर भी चाय पीलाते है और विदा करते समय भी चाय पिलाकर विदा करते है रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप हर जगह आपको कुछ ओर मिले ना मिले आपको चाय जरुर मिल जाएगी। अब इसे आप चाय के लिए लोगों की दीवानगी कहिए या कुछ ओर।

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