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जानिए क्या हैं अखण्ड भारत का इतिहास | Akhand Bharat History

Akhand Bharat

भारत का इतिहास कितना अद्भुत है ये हम सभी जानते हैं भारत के इतिहास के बारे में कोई कितनी भी खोज क्यों न करें ले लेकिन फिर भी कुछ ना कुछ रह ही जाता है। इसलिए भारत के इतिहास के कई पन्ने ऐसे भी है जिनके बारे में लोग या तो बहुत कम जानते है या फिर कुछ जानते ही नही है।

इतिहास के उन्ही पन्नों में से एक अखण्ड भारत का इतिहास। कई बार आपने टीवी न्यूज चैनल्स या किन्ही बुद्धीजीवियों को अखण्ड भारत की बात करते सुना होगा। लेकिन अखण्ड भारत का पूर्ण इतिहास क्या है शायद ही किसी ने आपको बताया होगा ? दरअसल अखण्ड भारत का इतिहास क्या है इसकी पुष्टि तो आपको कोई भी नहीं कर सकता क्योंकि अखण्ड भारत – Akhand Bharat  की उत्पत्ति करोड़ो साल पुरानी है।

जानिए क्या हैं अखण्ड भारत का इतिहास – Akhand Bharat History

Akhand Bharat

अखण्ड भारत का धार्मिक इतिहास – Religious history of Akhand Bharat

हिंदुआ कथाओं में माना जाता है कि प्राचीनकाल में देवता और असुर ही रहा करते थे जिनके बीच देवताओं की राजधानी इंद्रलोक के लिए लड़ाई होती थी। ये इंद्रलोक हिमालय पर्वत की किसी श्रृंखला में था जिस वजह से पूरे मध्य दक्षिण एशिया में देवताओं की संस्कृति के अवशेष मिलते है।

माना ये भी जाता है कि इंद्र किसी देवता का नाम नहीं है बल्कि ये एक पद है जिस पर द्वापर युग तक कई देवता विराजमान हुए। वहीं दूसरी तरफ असुरों ने इन संस्कृतियों पर अपना अधिपत्य साबित करने के लिए युद्ध किए और इन्ही देवताओं और असुरों ने अलग – अलग संस्कृतियों और धर्मों को जन्म दिया। उस समय पूरा मध्य और दक्षिण भारत एक ही था।

अखण्ड भारत का वास्तविक इतिहास – Real History of Akhand Bharat

धार्मिक इतिहास के बाद जब हम असल इतिहास पर आते है। तो ये इतिहास भी काफी हद तक धार्मिक इतिहास से मेल खाता है लेकिन इसके तथ्य और प्रमाण मौजूद है और अखण्ड भारत के टूटने के कारण भी। आज के मौजूदा समय में भारत के सभी पड़ोसी देश फिर चाहे वो पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश हो या फिर श्रींलका, म्यांमार, अफगानिस्तान, इरान तार्जकिस्तान, बर्मा इंडोनेशिया सभी भारत का ही हिस्सा थे।

माना जाता है कि पिछले 2500 सालों में अखण्ड भारत पर कई हमले हुए जिन्होनें भारत के 24 विभाजन किए जिनसे भारत के पड़ोसी देश बने। इन विभाजनों में से ज्यादातर लोग केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश विभाजन के बारे में जानते है ऐसा इसलिए क्योंकि इसे पहले के विभाजन के इतिहास के बारे में जानकारी कम दी जाती है।

लेकिन रिपोर्टस के अनुसार पिछले 2500 सालों में कई हमले हुए। और हर बार भारत का कोई ना कोई हिस्सा अलग होता चला गया। पहले अखण्ड भारत हिंद महासागर, हिमालय, और आज के ईरान, इंडोनेशिया जिन्हे आर्यान कहा जाता था सभी एक ही भू भाग का हिस्सा थे तथ्यों के अनुसार अखण्ड भारत का कुल क्षेत्रफल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय तक 83 लाख वर्ग किमी था।

जो आज के समय में केवल 33 लाख वर्ग किलोमीटर है। इस संग्राम के बाद ब्रिटिश काल के दौरान 7 विभाजन हुए यानी कि बाकी के विभाजन पहले ही हो चुके थे 25 सौ सालों में फ्रेंच, डच, कुषाण, शक, हूण, यवन, यूनानी और अंग्रेजी आक्रमणों ने अपने आक्रमण से इस भू – भाग के हिस्से किए।

ब्रिटिश के भारत आने के बाद जो विभाजन हुए उनमें पहला विभाजन अफगानिस्तान का था। रुस और ब्रिटिश सरकार ने मिलकर अफगानिस्तान का विभाजन किया था ब्रिटिश और रुस की संधि को गंडामक संधि का नाम दिया गया। इसे राजनीतिक फायदे के लिए अलग किया गया था।

इसके बाद साल 1904 में पहाड़ी राजाओं के साथ समझौता कर ब्रिटिश सरकार ने नेपाल को भी अलग कर दिया था हालांकि नेपाल भी 1947 तक अंग्रेजों का आधीन रहा।

आज चीन में आने वाला तिब्बत पहले भारत का हिस्सा था लेकिन साल 1914 में तिब्बत को ब्रिटिश सरकार ने बफर स्टेट घोषित कर दिया जिसके बाद चीन ने इसे अपने आधीन कर लिया।

तिब्बत को बफर स्टेट घोषित करने से पहले ब्रिटिश ने साल 1906 में भूटान को भी भारत से अलग कर अलग देश का दर्जा दिया था।

म्यांमार और श्रींलका विभाजन भी अंग्रेजों ने किया था।

इसके बाद 1947 में भारत के आजाद होने के बाद पाकिस्तान अलग हुआ और फिर साल 1971 में बंग्लादेश।

भारत के कई संघ और लोग आज भी अखण्ड भारत का सपना देखते है लेकिन ये भी सत्य है कि मौजूदा समय मे सभी देशों की अपनी राजनीतिक प्रणाली है जिस वजह से अब किसी का भी दोबारा भारत में विलय हो पाना थोड़ा मुश्किल लगता है।

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