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लेखिका झुम्पा लाहिड़ी का जीवन परिचय | Jhumpa Lahiri Biography

Jhumpa Lahiri – झुम्पा लाहिड़ी एक भारतीय अमेरिकी लेखिका हैं। उन्हें उनकी किताब “इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” के लिए सन 2000 का पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त हुआ। ये पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह प्रथम एशियाई महिला है।

 लेखिका झुम्पा लाहिड़ी का जीवन परिचय – Jhumpa Lahiri Biography

नीलांजना सुधेश्ना लाहिरी यानि झुम्पा लाहिड़ी का जन्म 11 जुलाई 1967 में लन्दन में हुआ। झुम्पा लाहिड़ी के माता पिता जो कलकत्ता के थे। उनके पिताजी विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन थे। उन्होंने काम करने के लिए अमेरिका के साउथ किंग्स टाउन, र्होड़े आइलैंड में विस्थापित होने का निर्णय लिया।

इनके परिवार में इन्हें “झुम्पा” उपनाम से बुलाया जाता था और शिक्षक भी इन्हें इसी नाम से बुलाते थे। इंग्लिश साहित्य की पढाई के लिए इन्हें न्यू यॉर्क के बर्नार्ड कॉलेज में जाना पड़ा।

उसके बाद ये बोस्टन विश्वविद्यालय की छात्र संघटन में शामिल हुई। उसके पश्चात रेनैसंस से डॉक्टरेट प्राप्त करने से पहले साहित्य में तीन मास्टर की उपाधि प्राप्त कर ली।

15 जनवरी 2001 को कलकत्ता के उपनगर के राजवाड़े में लाहिरी की शादी अमेरिका के पत्रकार अल्बर्टो वौर्वौलिअस से पारंपरिक हिंदु समारोह में हुई। शादी के बाद वे न्यू यॉर्क अपने घर वापस आई और अपने पहले उपन्यास पर कर कार्य शुरू कर दिया।

झुम्पा लाहिड़ी का करियर – Jhumpa Lahiri Career

झुम्पा लाहिरी 1997 में इंग्लिश थिएटर में सतरावी शताब्दी में इटालियन वास्तुकला पर अपने निबंध पुरे कर रही थी। तब उन्होंने बोस्टन पत्रिका में अवैतनिक प्रशिक्षु बन कर काम किया। उसके बाद उन्होंने लेखिका बनने पर विचार किया।

पत्रिका कमे उन्हें कोई प्रसिद्धी नहीं मिली लेकिन उपभोक्ता के उत्पादों पर विचार कर मेहनत ली। इस दौरान इन्होने लघु कथाये लिखना शुरू कर दिया था और 1993 में ट्रान्साटलांटिक रिव्यु की तरफ़ से हेनफिल्ड पुरस्कार मिला और 1997 में लौस्विल्ले रिव्यु प्राइज मिला।

न्यू योर्कर ने इनकी तीन कथाये प्रसिद्ध की और इन्हें अमेरिका के 20 सर्वश्रेष्ट युवा लेखको के नाम से नामित किया।

1999 में जब लाहिरी की कथा “इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” का जब सर्वश्रेष्ट अमेरिकन लघु कथा में नाम शामिल किया गया तब लाहिरी की तरफ़ सबका आकर्षण बढ़ने लगा। यह लघु कथा एमी टन द्वारा संपादित थी।

यह कहानी एक भारतीय चिकित्सक के दुभाषिया की है जो एक टूर गाइड के रूप में काम करने वाले व्यक्ति की है और इस लघु कथा का केंद्रबिंदु है।

2003 में लाहिरी ने “द नेमसेक” प्रकाशित की। इसमें उन्होने अपने विषय पर आगे लिखा है की कुछ प्रवासी ऐसा महसूस नहीं करते की वो किसी नए या अपने मूल देश के है। इस किताब ने बहुत सारी प्रशंसा प्राप्त की।

यह किताब लोस अन्जेलेस टाइम्स बुक प्राइज के लिए फाइनलिस्ट में था और यु एस ए टुडे और एंटरटेनमेंट वीकली ने इसे साल की सर्वश्रेष्ट किताब से नामित किया था।

मीरा नायर ने 2006 में इस उपन्यास एक फ़िल्म बनाई थी। तब लाहिरी उनके दुसरी लघु कथा पर काम कर रही थी।

लाहिरी ने “अनअकस्तम अर्थ” (2008) में प्रकाशित की, जिसमे उन्होंने फिर भारतीय प्रवासियों के जीवन के बारे में लिखा है। यह किताब न्यू यॉर्क टाइम्स सर्वश्रेष्ट विक्रेता के सूचि में सबसे ऊपर थी और इसने फ्रैंक द ओ कोन्नोर इंटरनेशनल शोर्ट अवार्ड और वल्लोम्ब्रोसा-ग्रेगोर वों रेज्जोरी प्राइज भी जीता।

2010 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लाहिरी को कला और मानविकी राष्ट्रपति की समिति पर चयनित किया था।

लाहिरी ने 2013 में उनकी दूसरी उपन्यास “द लोलैंड्स” लिखी। यह उपन्यास एक गौरी नामक भारतीय महिला के जीवन पर आधारित है। ये किताब 2013 के नेशनल बुक अवार्ड और मैन बुकर प्राइज के फाइनलिस्ट में थी।

झुम्पा लाहिरी के कुछ चुनिंदा लेखन – Jhumpa Lahiri Books

झुम्पा लाहिरी को मिले हुए पुरस्कार – Jhumpa Lahiri Award

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