Kalinjar Fort
कलिंजर मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र का किला शहर है। कलिंजर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बाँदा में स्थित है, यह शहर वर्ल्ड हेरिटेज साईट और मंदिरों के शहर खजुराहो के पास ही स्थित है।
इन पहाडियों ने बुंदेलखंड पर शासन करने वाले बहुत से साम्राज्यों की सेवा की है, जिनमे 10 वी शताब्दी के राजपूतो का चंदेला साम्राज्य और रेवा के सोलंकी भी शामिल है। कलिंजर किले के परिसर में बहुत से मंदिर भी बने हुए है, जिनका संबंध तीसरी और पाँचवी शताब्दी के गुप्ता साम्राज्य से है।
कलिंजर किले का इतिहास – Kalinjar Fort, Bundelkhand
16 वी शताब्दी के इतिहासकार के अनुसार, कलिंजर शहर की स्थापना 7 वी शताब्दी में केदार राजा ने की थी। लेकिन चंदेला शासको के समय में इस किले को पहचान मिली।
चदेला के समय की किंवदंतियों के अनुसार, इस किले का निर्माण चंदेला शासको ने करवाया था। चंदेला को “कलंजराधिपति” की उपाधि भी दी गयी थी, जो कलिंजर किले से जुड़े हुए उनके महत्त्व को दर्शाती है।
एतिहासिक पृष्ठभूमि में इसका उपयोग बहुत से युद्धों और आक्रमणों में किया गया है। बहुत से साम्राज्यों हिन्दू राजाओ और मुस्लिम शासको ने इसे हासिल करने के लिए युद्ध किये है और इस कार कलिंजर किला भी एक साम्राज्य से दुसरे साम्राज्य के अधीन जाने लगा। लेकिन चंदेला को छोड़कर कोई भी दूसरा शासक इसपर ज्यादा समय तक राज नही कर पाया।
1023 में महमूद गजनी ने किले पर आक्रमण किया। इतिहास में मुघल आक्रमणकर्ता बाबर एकमात्र ऐसा कमांडर था जिसने 1526 में किले पर कब्ज़ा किया था। साथ ही यह वही स्थान है जहाँ 1545 में शेर शाह सूरी की मृत्यु हुई थी।
1812 में ब्रिटिश सेना ने बुंदेलखंड पर आक्रमण कर दिया। लंबे समय तक चले युद्ध में अंततः ब्रिटिशो ने किले को हासिल कर ही लिया।
ब्रिटिशो ने जब कलिंजर पर कब्ज़ा कर लिया तब किले से सारे अधिकार नव-ब्रिटिश अधिकारियो को सौपी गयी, जिन्होंने किले को क्षतिग्रस्त कर दिया था। लेकिन आज भी किले को हम देख सकते है और किले को पर्यटकों के लिए खुला रखा गया है।
किंवदंतियाँ कहती है की मंथन के बाद हिन्दू भगवान शिव ने यहाँ जहर पिया और पिने के बाद उनका गला नीला हो चूका था। इसीलिए उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है।
इसीलिए कलिंजर में भगवान शिव के मंदिर को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। तभी से उस पर्वत को एक पवित्र जगह कहा जाता है। प्राकृतिक स्मारकों से घिरी यह जगह शांति और ध्यान लगाने के लिए एक आदर्श जगह है।
Read More:
Hope you find this post about ” Kalinjar Fort History in Hindi” useful. if you like this Article please share on Facebook & Whatsapp. and for latest update download: Gyani Pandit free Android app.