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चार धामों में से एक “केदारनाथ मंदिर” | Kedarnath Temple History in Hindi

Kedarnath Temple

हिंदु समुदाय में भगवान शिव का बहुत महत्व है जिस वजह से भगवान शिव कों अलग अलग रुपों में भारत के अलग अलग स्थानों में पूजा जाता है। जिनमें से एक है केदरानाथ भी है जहां से जुड़ी आस्था के अनुसार केदारनाथ जाने वाले व्यक्ति की हर मनोकामना तो पूरी होती ही है साथ ही केदारनाथ जाने वाले के जीवन भर के पाप भी धुल जाते है। लेकिन केदारनाथ का हिंदु समुदाय में इतना महत्व क्यों है चलिए आपको इसके बारे में बताते है –

चार धामों में से एक “केदारनाथ मंदिर” – Kedarnath Temple History in Hindi

केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित हिन्दू मंदिर है। भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यह प्राचीन और पवित्र मंदिर रुन्द्र हिमालय की श्रुंखलाओ पर बना हुआ है।

हजारो साल पुराना यह मंदिर विशाल पत्थरो से बना हुआ है। मंदिर की सीढियों पर हमें प्राचीन शिलालेख भी दिखाई देते है।

मंदिर के पवित्र स्थल की आंतरिक दीवारे पौराणिक कथाओ और बहुत से देवी-देवताओ की चित्रकला से विभूषित है। प्रतिष्टित मंदिर की उत्पत्ति के प्रमाण हमें महान महाकाव्य महाभारत में दिखाई देते है।

यह मंदिर भारत के उत्तराखंड में केदारनाथ की मंदाकिनी नदी के पास वाली घरवाल हिमालय पर्वत श्रुंखालओ पर बना हुआ है। चरम मौसम की स्थिति के कारण यह मंदिर अप्रैल (अक्षय तृतीया) से कार्तिक पूर्णिमा (साधारणतः नवम्बर) तक ही खुला रहता है।

सर्दियों के मौसम में केदारनाथ के भगवान शिव की मूर्ति को उखीमठ ले जाया जाता है और वहाँ 6 महीनो तक उनकी पूजा की जाती है। भगवान शिव की पूजा ‘केदारनाथ धाम – Kedarnath Dham’ के नाम से की जाती है।

यह मंदिर 3581 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है, सीधे रास्ते से आप इस मंदिर में नही जाते सकते और गौरीकुंड से मंदिर तक जाने के लिए आपको 21 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा करनी पड़ती है। मंदिर तक जाने के लिए गौरीकुंड में टट्टू और मेनन की सेवाए भी प्रदान की जाती है।

इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने करवाया था और आदि शंकराचार्य ने इसे पुनर्जीवित किया। साथ ही यह मंदिर 275 पादल पत्र स्थलों में से भी एक है।

कहा जाता है की पांडवो ने केदारनाथ में तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। मंदिर के बाहर दरवाजे के पास नंदी का पुतला भी बना हुआ है, जो एक रक्षक का काम करता है।

भारत में उत्तरी हिमालय के छोटे चार धामों में से एक यह मंदिर है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह सर्वोच्च है।

2013 में उत्तर भारत में आयी बाढ़ की वजह से केदारनाथ और उसके आस-पास का क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ। केदारनाथ और उसके आस-पास के क्षेत्रो को इस बाढ़ से काफी क्षति पहुची। लेकिन मंदिर के आंतरिक भाग को इससे ज्यादा क्षति नही पहुची।

केदारनाथ मंदिर – Kedarnath Mandir के चारो तरफ फैले विशालकाय पहाड़ बाढ़ से मंदिर की रक्षा करते है। लेकिन वर्तमान में यहाँ की परिस्थिति सुधर चुकी है और अब आम लोगो के लिए केदारनाथ के द्वार खुल चूले है।

केदारनाथ धाम से जुडी पौराणिक कथा – kedarnath story in hindi

केदारनाथ से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार रुद्रप्रयाग जिले के इस स्थान पर भगवान विष्णु के रुप नर और नारायण ने तपस्या की थी जिनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें इसी स्थान पर विराजमान होने का वरदान दिया था। और यही नर नारायण दोपर युग में अर्जुन और कृष्ण के रुप में अवतरित हुए थे। वहीं केदारनाथ को लेकर महाभारत से जुड़ी एक ओर कथा प्रचलित है।

जिसके अनुसार महाभारत के युद्ध मे भ्रात हत्या के पाप से मोक्ष पाने के लिए पांडवो ने भगवान शिव की आराधना की और उनके दर्शन पाने के लिए काशी पहुंचे लेकिन भगवान शिव पांडवो से काफी नाराज थे जिस वजह से भगवान शिव काशी से चले गए और पांडवो को भगवान शिव के दर्शन नहीं हो पाए।

लेकिन पांडव भगवान शिव की तलाश में रुद्रप्रयाग के केदार नामक भृंग पर आ पहुंचे। लेकिन भगवान शिव ने पांडवो से छिपने के लिए एक बैल का रुप धारण कर लिया और बाकी बैलों में जा मिले। पांडवो को इस बात का अंदेशा हो चुका था। जिस वजह से भीम ने विशाल रुप धारण कर अपना पैर दो पर्वतों के बीच रख दिया। बाकी बैल भीष्म के पैर के नीचे से चली गई। लेकिन एक बैल ने पैर के नीचे से जानने से इंकार कर दिया।

इस दौरान पांडवो के निष्ठा से खुश होकर भगवान शिव का क्रोध भी शांत हो चुका था। इसलिए उन्होनें पांडवो को दर्शन दिए। क्योंकि यहां पर भगवान शिव ने बैल रुप धारण किया था यही कारण है कि आज भी भगवान शिव की बैल की पीठ के रुप में पूजा होती है।

केदारनाथ से जुड़ी अहम बातें – Facts about Kedarnath

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