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लक्षद्वीप का इतिहास और जानकारी | Lakshadweep History Information

Lakshadweep – लक्षद्वीप भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है। इस प्रदेश पर भारत सरकार का नियंत्रण होता है। भारत में कुल सात केंद्र शासित प्रदेश है जिसमे लक्षद्वीप भी शामिल है। 36 द्वीपों का बना लक्षद्वीप इसकी सुन्दर और सूरज को छूने वाले समुद्र तटो के लिए काफी मशहूर है। कवरत्ती इस केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी है। यह केंद्र शासित प्रदेश सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है।

लक्षद्वीप का इतिहास और जानकारी – Lakshadweep History Information

लोगो ने इस द्वीप पर पहली बार रहना शुरू कर दिया था जब केरल मे चेरा वंश का आखिरी राजा चेरमन पेरूमल शासन किया करता था। पुराने समय में लोग यहाँ के अमिनी, कल्पेनी अन्दरोत, कवरत्ती और अगाती में रहते थे। पुरातत्व के कुछ सबुतो से पता चलता है की सन 5 वी और 6 वी शताब्दी में यहापर बौद्ध धर्म के लोग रहते थे।

यहाँ के कुछ लोगो का मानना है की सन 661 में एक अरबी व्यक्ति उबेदुल्ला ने यहापर इस्लाम धर्म की शुरुवात की थी। उसकी कब्र अन्द्रोत द्वीप पर देखने को मिलती है। 11 वी शताब्दी में इस द्वीप पर चोला वंश का शासन था और उसके बाद में कानानोर का शासन था।

16 वी शताब्दी में पोर्तुगिजो का ओर्मुज और मालाबार के बिच के प्रदेश पर और दक्षिण में सीलोन तक शासन था। पोर्तुगिजो ने सन 1498 में इसे पूरी तरह से अपने कब्जे में कर लिया था और बाद में यहापर कोयर यानि काथी का उत्पादन लेना शुरू कर दिया था लेकिन 1545 में यहाँ के लोगो ने उन्हें यहाँ से निकाल दिया।

17 वी शताब्दी में इस द्वीप पर कन्नूर के अली राजा/ अरक्कल भीवी का शासन था मगर उन्हें यह प्रदेश कोलाथिरिस ने भेट के रूप में प्रदान कर दिया था।

सन 1787 में अमिनिदिवी का द्वीपसमूह (अन्दरोत, अमिनी, कदमत, किल्तन, चेत्लाथ और बितरा) टीपू सुलतान के कब्जे में चला गया था। लेकिन तीसरे एंग्लो मैसूर युद्ध के बाद यह प्रदेश अंग्रेजो के कब्जे में चला गया और यह दक्षिण कानारा का हिस्सा बन गया। जो बचा हुआ प्रदेश था वह कानानोर के अरक्कल परिवार को सौपा गया लेकिन उसके बदले में उन्हें भी हर साल भुगतान देना पड़ता था।

अगर किसी भी साल भुगतान नहीं किया गया तो अंग्रेज उस प्रदेश का प्रशासन खुद चलाते थे। अग्रेज शासन के दौरान यहाँ के सभी द्वीप मद्रास प्रान्त के मालाबार जिले से जुड़े थे।

जब भारत के सभी राज्यों की फिर से निर्मिती की जा रही थी तब 1 नवम्बर 1956 को लक्षद्वीप को मद्रास से अलग करके केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। इस द्वीप को नाम देने से पहले कुछ लोग इसे लक्कदिव, मिनिकॉय और अमिनिदिवी द्वीप नाम से बुलाते थे मगर 1 नवम्बर 1973 को इसे लक्षद्वीप नाम दिया गया।

लक्षद्वीप की भाषा – Lakshadweep Language

इस द्वीप पर रहने वाले लोग केरल के लोगो की तरह बोलते है और उनकी भाषा मे भारतीय और अरबी भाषा का मिश्रण देखने को मिलता है। लक्षद्वीप के लोग मलायलम भाषा में ही बात करते है मगर यहाँ के मिनिकॉय इलाके में धिवेही भाषा का एक प्रकार जिसे महल कहा जाता है, उसमे ही यहाँ के लोग बात करते है।

लक्षद्वीप की संस्कृति – Lakshadweep Culture

लक्षद्वीप समूह की संस्कृति और परमपरा काफी समृद्ध है। यहापर कई तरह की प्रथा और परम्पराए देखने को मिलती है। इस प्रदेश के इस्लाम धर्म के लोग तो रहते ही है लेकिन यहापर अन्य धर्म के लोग त्यौहार, नृत्य भी देखन को मिलते है।

लक्षद्वीप केरल के नजदीक होने की वजह से केरल की प्रथा और परंपरा का यहाँ पर काफी प्रभाव देखने को मिलता है। मुहर्रम, बकरी ईद, मिलादुन्नबी और ईद उल फ़ित्र जैसे त्यौहार यहापर बड़े उत्साह के साथ मनाये जाते है।

लक्षद्वीप के मुख्य पर्यटन स्थल – Lakshadweep Famous Tourist Places

अगत्ती द्वीप से ही लक्षद्वीप में प्रवेश किया जा सकता है। यह द्वीप कोचीन से करीब 459 किमी की दुरी पर है। अगत्ती द्वीप लगभग 6 किमी लम्बा है। इस द्वीप पर अधिक मात्रा में मछलिया देखने को मिलती है। मछलिया पकड़ना यहाँ के लोगो का मुख्य व्यवसाय है।

इस द्वीप पर कुछ खास समुद्र तट है जिसपर अच्छे से स्विमिंग की जा सकती है। यहापर पर्यटक स्विमिंग, स्नोर्केल्लिंग और स्कूबा डाइविंग का पूरा आनंद ले सकते है। यहाँ की बड़ी बड़ी खाड़ी की वजह से तो यह द्वीप ओर ही सुन्दर दिखता है। इस द्वीप पर लोग स्कूबा डाइविंग, फिशिंग, नौकायन, बोट रायडिंग, वाटर स्कीइंग, और कयाकिंग का पूरा लुत्फ़ उठा सकते है।

लक्षद्वीप का यह सबसे विकसित द्वीप है। कवरत्ती इस लक्षद्वीप की राजधानी भी है और इस द्वीप पर अधिकतर बाहर से आये हुए लोग रहते है। यहापर कई सारी मस्जिद (लगभग 52) है जिसमे उज्र की मस्जिद सबसे सुन्दर है।

कल्पेनी अन्दरोत से करीब 76 किमी की दुरी पर स्थित है। यह जगह एक बड़े खाड़ी में स्थित है। इस खाड़ी में अलग अलग तरह के समुद्री जिव रहते है।

कदमत द्वीप यहाँ का सबसे सुन्दर द्वीप है इसीलिए यह पर्यटन का मुख्य आकर्षण बन चूका है। इस द्वीप के पश्चिम में एक बहुत बड़ी खाड़ी है जो को अमिनी से केवल 10 किमी की दुरी पर स्थित है।

यहापर बहुत ही मुलायम रेत और कुछ वृक्षों के वन होने की वजह से इसे दुनिया का सबसे अच्छा पर्यटन स्थल माना जाता है। यहा के समुद्र के कारण ही रेत इतनी अच्छी और मुलायम है। यह द्वीप अगत्ती द्वीप से उत्तरी दिशा में करीब 8 किमी की दुरी पर है।

इस लक्षद्वीप पर सभी धर्म के लोग रहते है। लेकिन इस्लाम धर्म के लोग यहाँपर बड़ी मात्रा में देखने को मिलते है। कहा जाता है की यहापर इस्लाम धर्म को लाने में उबेदुल्ला नाम के व्यक्ति ने बड़ा योगदान दिया है। इस द्वीप पर मुहर्रम, बकरी ईद जैसे त्यौहार बड़े पैमाने पर मनाये जाते है। यहाँ के लोग ज्यादातर मलायलम भाषा में ही बात करते है। यहाँ के अधिकतर लोग मच्छीमार व्यवसाय करते है। यहाँ के खाने की अधिकतर चीजो में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। इडली, डोसा, चावल के पदार्थ यहापर आमतौर पर देखने को मिलते है।

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