Larry Page
परिवर्तन दुनिया का नियम है और कुदरत के इस नियम को कोई बदल नहीं सकता। पहले ज़माने में लोग ज्ञान पाने के लिए गुरु के आश्रम में जाते थे, कुछ समय बाद लोग किताबो के माध्यम से ज्ञान अर्जित करते थे। लेकिन धीरे धीरे समय बदलता गया और इस चक्र में कई सारे बदलाव हुए।
आजकल लोग किसी भी बात की जानकारी पाने के लिए क़िताबे खोलकर नहीं देखते, सभी लोग आजकल इंटरनेट की मदत से ही सारी जानकारी हासिल करते है। यह सब विज्ञान का आविष्कार है।
लेकिन कभी सोचा है की कंप्यूटर पर इतनी सारी जानकारी देने का काम कौन करता है। कंप्यूटर के अन्दर ऐसी कौनसी चीज है जो हमें बिना देरी किये कोई भी जानकारी सही तरीके से देती है। कौन सा ऐसा व्यक्ति है जिसने ऐसा सोचा होगा की दुनिया की सारी जानकारी हमें एक बटन क्लिक करने पर आसानी से मिल सके।
गूगल का अविष्कार करने वाले लैरी पेज – Larry Page Biography
आज हम उसी इन्सान की बात बताने वाले है जिसने इस अविष्कार से पूरी दुनिया को बदल दिया। उस इन्सान का नाम है लैरी पेज जिसने दुनिया के सबसे बड़े अविष्कार की खोज की और उसे गूगल नाम दे दिया। आज कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा की जिसे गूगल मालूम नहीं होगा।
ल्यारी पेज जैसे महान इंसान ने इस गूगल सर्च इंजन की शुरुवात की। इस महान व्यक्ति का अबतक का सफ़र कैसा रहा इसकी जानकारी हम आपको देने जा रहे है।
लैरी पेज बायोग्राफी – Larry Page life Information
लैरी पेज एक व्यवसायी और कंप्यूटर वैज्ञानिक है जिन्होंने अपने स्कूल के मित्र सेर्गे ब्रिन के साथ में मिलकर सन 1998 में दुनिया के सबसे बड़े गूगल जैसे सर्च इंजन की शुरुवात की थी।
मिशिगन में 26 मार्च 1973 में जन्म हुए लैरी पेज के माता पिता कंप्यूटर एक्सपर्ट्स थे। उन्होनें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढाई की। उसी यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात सर्गी ब्रिन से हुई।
दोनों ने साथ में मिलकर एक ऐसा सर्च इंजन बनाया जिसमे सभी तरह से पेजेस एक के बाद एक दिखाई देते थे और उसे उन दोनों ने गूगल नाम दे दिया। 1998 में शुरू हुआ यह “गूगल” नाम का सर्च इंजन आज दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे मशहूर सर्च इंजन बन चूका है।
गूगल की स्थापना और उसका विस्तार – Google Installation
जब लैरी पेज 1995 में स्टैनफोर्ड में उनकी पी एच डी के रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तब उनकी मुलाकात उनके साथी शोधकर्ता सर्गी ब्रिन से मुलाकात हुई। 1996 तक उन्होंने एक सर्च इंजन भी बनाया था उसे शुरुवात में ‘BackRub’ नाम भी दिया था। कई महीनो तक उसे स्टैनफोर्ड के सर्वर पर भी चलाया गया।
लेकिन सितम्बर 1998 में उनके प्रोजेक्ट का नाम बदलकर ‘गूगल’ रखा गया और उसे ही कंपनी बनाया गया।
2001 में एरिक श्मिट को कंपनी का सीईओ पद पर नियुक्त किया गया और पेज और ब्रिन क्रमशः उत्पाद और प्रौद्योगिकी के अध्यक्ष बने।
2004 में गूगल ने ऑरकुट नाम की एक सोशल नेटवर्किंग नाम की साईट भी शुरू की और साथ ही गूगल डेस्कटॉप सर्च की भी शुरुवात की। उसी साल गूगल ने अपने कंपनी की इनिशियल पब्लिक ओफ्फेरिंग (आईपीओ) भी लोगो के सामने रखी जिसकी वजह से पेज और ब्रिन करोड़पति बन गए।
समाज की सेवा करने के लिए और समय पड़ने पर समाज को मदत करने के लिए गूगल डॉट ओआरजी ( google. org) नाम की एक शाखा भी शुरू की गयी थी।
2005 का साल गूगल के लिए बहुत ही अच्छा साबित हुआ। गूगल मैप्स, ब्लॉगर मोबाइल, गूगल रीडर और आईगूगल 2005 में ही रिलीज़ किये गए। उसके अगले साल ही गूगल ने यूटयूब को भी खरीद लिया और जीमेल में चाट नाम का फीचर भी शामिल कर दिया।
सन 2007 में गूगल ने चाइना मोबाइल और सेल्सफ़ोर्स डॉट कॉम के साथ में मिलकर साझेदारी में काम करना शुरू किया। केनिया और रवांडा के हजारों बच्चो को मुफ्त में पढ़ाने के लिए गूगल एप्स की जरुरत थी उसके लिए भी गूगल ने कई सारी साझेदारी पर हस्ताक्षर किये।
2011 में लैरी पेज गूगल के नए सीईओ नियुक्त किये गए और पूर्व सीईओ एरिक श्मिट कंपनी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाये गए।
लैरी पेज बचपन से ही कंप्यूटर के काफी नजदीक रहे। क्यों उनके घर में सभी लोग पढ़े लिखे थे और खास बात यह है की उनकी माँ और पिताजी दोनों भी कंप्यूटर के क्षेत्र में ही काम करते थे। उन्हें बचपन से ही कंप्यूटर से लगाव था। इसलिए आगे चलकर उन्होंने कंप्यूटर में ही इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
वह जब कॉलेज में पढ़ रहे थे तो उस समय भी वह किसी ना किसी प्रोजेक्ट पर काम करते थे। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने गूगल सर्च इंजन को बनाने का सोचा था और उसमे वह सफल भी रहे लेकिन फर्क सिर्फ़ इतना था की उस समय उन्होंने सर्च इंजन को नाम नहीं दिया था।
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बहुत अच्छा आर्टिकल था
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