स्वर कोकिला लता मंगेशकर भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे मशहूर और अनमोल गायिका हैं, उन्होंने अपनी सुरीली आवाज का जादू न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी चलाया है। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को संगीत का पर्यायवाची कहना भी गलत नहीं होगा, क्योंकि उन्होंने अपनी मधुर और मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज से संगीत में जो मानक स्थापित कर दिया है, वहां तक शायद ही कोई पहुंच सकता है।
लगा मंगेशकर जी की अद्भुत आवाज को लेकर रिसर्च तक की जा चुकी है, उनकी मधुर आवाज को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह तक कह डाला है कि लता जी की तरह इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न ही संभवत: कभी होगी। कई सदियों की महागायिका कहलाने वाली लता जी भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर प्रसिद्ध भारतीय प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर के रुप में जानी जाती हैं।
भारत रत्न लता मंगेशकर जी कई दशकों से भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता मंगेशकर जी के आगे आज पूरी संगीत की दुनिया नतमस्तक है। साल 1942 में जब लता जी महज 13 साल की थी, तब से ही वे भारतीय सिनेमा को अपनी सुरीली आवाज दे रही हैं।
उन्होंने अब तक करियर में 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और तक़रीबन 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गाने गाए हैं। इसके साथ ही लता जी ने कई विदेशी भाषाओं में भी गीत गा चुकीं हैं। आपको बता दें कि संगीत का महानायिका Lata Mangeshkar जी ने सबसे ज्यादा गाना मराठी और हिंदी भाषा में गाए है।
लता जी सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली म्यूजिक आर्टिस्ट के रुप में भी पहचानी जाती है। वहीं एक कार्यक्रम में जब लता जी ने “ए मेरे वतन के लोगो को,जरा आँख में भर लो पानी” गाया तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरूजी के आँखों में भी आंसू आ गए थे। महागायिका लता जी के द्धारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
साल 1989 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फालके पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। लता जी एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद दूसरी ऐसी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मन भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लता जी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव और संघर्षों को झेला है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वे लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ती रहीं,और जीवन की अनंत ऊंचाइयों को छूआ। आज आज लता जी सभी के लिए आदर्श हैं और उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं – तो आइए जानते हैं लता मंगेशकर जी के जीवन, संगीत करियर और उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –
पूरा नाम (Name)
लता दीनानाथ मंगेशकर
जन्म (Birthday)
28 सितंबर, 1929, इन्दौर
पिता का नाम (Father Name)
पंडित दीनानाथ मंगेशकर
माता का नाम (Mother Name)
शेवंती मंगेशकर
बहन (Sister Name)
आशा भोंसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर
भाई (Brother Name)
ह्रदयनाथ मंगेशकर
विवाह (Husband Name)
अविवाहित
राष्ट्रीयता (Nationality)
भारतीय
पेशा (Occupation)
प्लेबैक सिंगर, म्यूजिक कंपोजर
जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन –
भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी 28 सितंबर साल 1929 में मध्यप्रदेश के इंदौर में एक मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में जन्मीं थी। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर एक्टर थे, इसलिए यह कह सकते हैं कि लता जी को संगीत विरासत में मिला है।
लता जी के माता का नाम शेवंती (शुधामती) था जो कि महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर था, लेकिन उनके पिता ने इसे बदलकर अपने गृहनगर के नाम पर मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गांव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। हालांकि, लता जी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार महाराष्ट्र में जाकर रहने लगा था।
लता मंगेशकर को बचपन में उन्हें “हेमा” नाम से बुलाया जाता था, लेकिन बाद में उनके पिता ने एक प्ले ”भाव बंधन’ से प्रेरित होकर उनका नाम बदलकर लता रख दिया था और बाद में संगीत के क्षेत्र में इसी लता नाम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। लता अपने माता-पिता की सबसे बड़ी औऱ पहली संतान है। इनसे छोटे चार भाई-बहन हैं जिनके नाम मीना, आशा भोसले, उषा और हृदयनाथ हैं।
बचपन से ही संगीत में रुचि होने की वजह से सुरों की जादूगर लता मंगेशकर ने अपना पहला पाठ अपने पिता से सीखा था। वे अपने पिता से अपना सभी भाई-बहनों के साथ क्लासिकल संगीत सीखतीं थी। आपको बता दें कि जब लता जी महज 5 साल की थी, तब से उन्होंने अपने पिता के म्यूजिकल प्ले के लिए एक्ट्रेस के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर जी संगीत के क्षेत्र का चमत्कार है, इसका अहसास उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर को लता के बचपन में ही हो गया था।
9 साल की उम्र में इस स्वरासम्राज्ञानिने शास्त्रीय संगीत की मैफिल सजाई थी। शुरु से ही संगीत में रुचि होने की वजह से लता जी ने क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग उस्ताद अमानत खान, बड़े गुलाम अली खान, एवं पंडित तुलसीदास शर्मा एवं अमानत खान देवसल्ले से ली थी। उस समय लता जी के.एल. सहगल के म्यूजिक से काफी प्रभावित थीं।
पिता के मौत के बाद घर की आर्थिक उन्होंने अपने कंधों पर उठाई:
साल 1942 में संगीत के चमत्कार कही जाने वाले लता मंगेशकर जी पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उनके पिता को ह्रदय संबंधी बीमारी हो गई और वे अपने विशाल युवा परिवार को बीच में छोड़ कर चल बसे। उस दौरान लता जी सिर्फ 13 साल की थी, वहीं परिवार में सबसे बड़ी होने के नाते लता जी पर अपने भाई-बहनों की आर्थिक जिम्मेदारी आ गई। जिसके बाद से लता जी ने कम उम्र में ही अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये काम करना शुरू कर दिया था।
करियर –
13 साल की उम्र में लता जी ने अपने करियर की शुरुआत की थी और तब से वे अपनी भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता ने अपना पहला गाना 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिये “‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी’ गाया था, इस गाने को सदाशिवराव नेवरेकर ने कंपोज किया था, लेकिन इस फिल्म की एडिटिंग करते समय इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था।
इसके बाद नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और लता जी के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने इनके परिवार की मौत के बाद इनके परिवार को संभालने में मद्द की और लता मंगेशकर जी को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में भी मद्द की। मास्टर विनायक ने साल 1942 में लता जी को मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला-गौर’ में एक छोटा सा किरदार भी दिया था जिसमे लता ने एक गाना भी गाया था।
भले ही लता ने अपना करियर मराठी गायिका और अभिनेत्री के रूप में शुरू किया था, लेकिन उस समय यह कोई नही जानता था की यह छोटी लड़की एक दिन हिंदी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध और मधुर गायिका बनेगी।
देखा जाये तो, उनका पहला हिंदी गाना भी 1943 में आई मराठी फिल्म का ही था। वह गाना “माता एक सपूत की दुनियाँ बदल दे तू” था जो मराठी फिल्म “गजाभाऊ” का गाना था। इसके बाद लता जी साल 1945 में मास्टर विनायक कंपनी के साथ मुंबई चली गईं थी। और यहां से ही उन्होंने अपनी संगीत प्रतिभा को निखारने के लिए उस्ताद अमानत अली खान से हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था।
वहीं इस दौरान उन्हें बहुत सारे म्यूजिक कंपोजर ने उनकी पतली और तीखी आवाज बताकर रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि उनकी आवाज उस दौर के पसंद किए जाने वाले गानों से एकदम अलग थी। वहीं उस दौरन लता जी से उस दौर की मशहूर सिंगर नूरजहां के लिए भी गाने के लिए कहा जाता था।
1948 में दुर्भाग्यवश विनायक की मृत्यु हो गयी थी और लता के जीवन में एक और तूफ़ान आया था, इस तरह हिंदी फिल्म जगत में उनके शुरुआती साल काफी संघर्ष से भरे हुए थे। हालांकि विनायक जी की मौत के बाद गुलाम हैदर जी ने लता जी के करियर में काफी मद्द की थी।
साल 1948 में मजदूर फिल्म का गाना “दिल मेरा तोड़ा,मुझे कहीं का ना छोड़ा” से लता मंगेशकर जी को पहचान मिली थी। वहीं इसके बाद साल 1949 में आई फिल्म ‘महल’ में उन्होंने अपना पहला सुपर हिट गाना “आएगा आनेवाला” गाया।
इस गाने के बाद लता जी, संगीत की दुनिया के कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर और प्लेबैक सिंगर की नजरों में चढ़ गईं थी, जिसके बाद उन्हें एक के बाद एक कई गानों के लिए ऑफर मिलते चले गए।
साल 1950 में लता जी को कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर जैसे अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, खय्याम, सलिल चौधरी, मदन मोहन, कल्यानजी-आनंदजी, इत्यादि के साथ काम करने का मौका मिला।
वहीं उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें 1958 में म्यूजिक डायरेक्टर सलिल चौधरी द्धारा फिल्म “मधुमती” का गाना “आजा रे परदेसी” के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का सबसे पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला।
इस दौरान स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने कुछ राग आधारित गाने जैसे बैजू बावरा के लिए राग भैरव पर “मोहे भूल गए सावरिया” कुछ भजन जैसे हम दोनों मूवी में “अल्लाह तेरो नाम” साथ ही कुछ पश्चिमी थीम के गाने जैसे “अजीब दास्ता भी गाए थे।
उस दौरान अपनी आवाज से सभी के दिलों में राज करने वाली लता जी ने मराठी और तमिल से लोकल भाषाओं में भी गीत गाना शुरु किया था, तमिल ने उन्होंने ”वानराधम” के लिए “ एंथन कन्नालन” गाया था।
इसके बाद लता जी ने अपने छोटे भाई ह्दयनाथ मंगेशकर के लिए गाना गाया था, जो कि जैत के जैत जैसी फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे। इसके अलावा लता जी ने बंगाली भाषा के म्यूजिक को अपनी मधुर आवाज से एक नई पहचान दी है। साल 1967 में लता जी ने “क्रान्तिवीरा सांगोली” फिल्म में लक्ष्मण वेर्लेकर के द्धारा कम्पोज किए गए गाने “बेल्लाने बेलागयिथू” से कन्नड़ भाषा में अपना डेब्यू किया था।
इसके बाद स्वर कोकिला लता जी ने मलयालयम में नेल्लू फिल्म के लिए सलिल चौधरी द्धारा कंपोज किया गया गाना ”कदली चेंकाडाली” गाना गाया था। फिर बाद में कई अलग-अलग भाषाओं में गाने गाकर उन्होंने अपनी आवाज से संगीत को एक नई पहचान दी।
इस दौरान लता जी ने कई बड़े म्यूजिक कंपोजर जैसे हेमंत कुमार, महेन्द्र कपूर, मोहम्मद रफी, मत्रा डे के साथ कई बड़े प्रोजक्ट्स किए थे। उस दौर में लता जी का करियर सातवें आसमान पर था, उनकी सुरीली और मधुर आवाज की बदौलत वे एक सिंगिंग स्टार बन गईं थी, यह वो दौर था जब बड़े से बड़ा प्रोड्यूसर, म्यूजिक कंपोजर, एक्टर और डायरेक्टर लता जी के साथ काम करना चाहता था।
1960 का समय लता जी के लिये सफलताओ से भरा हुआ था, इस समय में उन्होंने “प्यार किया तो डरना क्या”, “अजीब दासता है ये” जैसे कई सुपरहिट गाने गाए। 1960 के साल को सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और लता जी के संबंध के लिये भी जाना जाता था जिसके बाद लता जी ने तक़रीबन 35 साल के अपने लंबे करियर में 700 से भी ज्यादा गाने गाए।
इसके बाद मंगेशकर की सफलता और आवाज़ का जादू 1970 और 1980 के दशक में भी चलता गया। इस दौर में उनके किशोर कुमार के साथ गाए ड्यूएट बहुत पसंद किए गए। कुछ गाने जैसे कि “कोरा कागज़” (1969), ”आंधी” फिल्म का तेरे बिना जिंदगी से (1971), अभिमान फिल्म का “तेरे मेरे मिलन की” (1973), घर का आप की आँखों में कुछ” (1978) ये वो गाने हैं, जिन्हें सुनकर आज भी मन को सुकून मिलता है।
ये लता जी के एवरग्रीन गाने हैं। इसके अलावा लता जी ने कुछ धार्मिक गीत भी गाए थे। इस समय उन्होंने अपनी सुरमयी आवाज़ की बदौलत अपनी पहचान पुरे विश्व में बना ली थी। साल 1980 में महानगायिका लता जी ने सचिन बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन के साथ और आर.डी.बर्मन के साथ काम किया था।
आपको बता दें कि आर.डी.बर्मन, लता जी की छोटी बहन और हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका आशा भोंसले जी के पति हैं। उन्होंने लता जी के साथ अगर तुम ना होते का “हमें और जीने की, रॉकी का “क्या यही प्यार हैं”,मासूम में “तुझसे नाराज नहीं जिंदगी” आदि गाने गए।
इसके कुछ सालों बाद धीरे-धीरे लता जी का स्वास्थ्य खराब होता गया और फिर उन्होंने कुछ चुंनिदा गानों में ही अपनी आवाज देनी शुरु कर दी, लता जी ने अपने करियर में न सिर्फ फिल्मों के लिए गीत गाए बल्कि कई म्यूजिक एल्बम भी लॉन्च किए थे। साल 1990 में बॉलीवुड में बहुत से नये महिला गायकों ने प्रवेश किया लेकिन जिनके कंठ में स्वयं सरस्वती विराजमान है उन्हें भला कौन पीछे छोड़ सकता है।
इस समय भी लता की सफलता का दीया जलता रहा। और आज के समय में भी लोग लता जी से उतना ही प्यार करते है जितना 70, 80 और 90 के दशक में करते थे।
लता जी के गाये यादगार गीतों में कुछ फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्आ दी. वहीं नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्कि उसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में।
एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले थे। उन्होंने 30,000 से अधिक गाने गाये है तथा सभी भारतीय भाषाओ में गाने का उनका एक कीर्तिमान भी है।
पुरस्कार –
लता मंगेशकर ने न केवल कई गीतकारो एवं संगीतकारों को सफल बनाया है, बल्कि उनके सुरीले गायन कारण ही कई फिल्में लोकप्रिय सिद्ध हुई है। लता मंगेशकर जी को अपने करियर में कई बहुत से बड़े औऱ राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं, जिनमें भारत के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल पद्मश्री और भारत रत्न भी शुमार है।
इसके अलावा लता जी को गायन के लिए 1958, 1960, 1965,एवं 1969 में फिल्म फेयर अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं। ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की तरफ से भी उनका विशेष सम्मान किया जा चुका है। मध्यप्रदेश शासन की तरफ से उनके नाम हर साल 1 लाख रूपये का पारितोषिक दिया जाता है। 1989 में लताजी को ‘दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
लता जी को मिले पुरस्कार इस प्रकार हैं –
फिल्म फेयर अवॉर्ड – पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
नेशनल फिल्म अवॉर्ड (1972, 1974 और 1990)
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और1967)
1969 – पद्म भूषण
1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
2008 _ लता जी को भारत के 60वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ”वन टाइम अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट” से भी नवाजा गया था।
मृत्यू –
6 फरवरी 2022 को मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम से निधन हो गया। मृत्यू के समय उनकी आयु 92 वर्ष थी।
भारत रत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय महागायिका है जिनका दशको का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। लता जी ने अपनी आवाज़ से 7 दशकों से भी ज्यादा समय तक संगीत की दुनिया को अपने मधुर सुरों से नवाजा है। भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने बहुत सी भाषाओ में हजारो गाने गाए है।
उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आये तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने आज भी स्वयं को पूरी तरह संगीत के लिये समर्पित करके रखा है। लता जी एक लीजेंड है, जिन पर हर भारतवासी गर्व करता है।
लता जी के और नये गाने सुनने के लिये हम सभी बेकरार है और उम्मीद करते है की जल्द ही हमें उनका कोई नया गाना सुनने को मिलेंगा। लता मंगेशकर दुनिया की एक ऐसी कलाकार है, जिनके जैसा न कोई पहले हुआ है और न संभवतः हो सकेगा।