Mannem Madhusudana Rao
आपने अपने आसपास ऐसी कई सारी कहानिया सुनी होगी जो आपको प्रेरित करती होगी और ऐसे कई सारे लोग हुए है जिनसे हमे सीख मिलती है।
लेकिन उन्हें छोड़ बहुत सारे ऐसे लोग है जिनकी जिन्दगी चमत्कार लगती है। ऐसा लगता है जैसा की भगवान् ने साक्षात् इनके ऊपर कृपा की है। खाने की घर में अनाज नहीं था लेकिन कुछ सालो बाद करोडपति बन जाना ये चमत्कार से ज्यादा मेहनत और ईमानदारी पर निर्भर करता है और ऐसी ही कहानी है मधुसुदन राव की जो एक बंधुआ मजदूर के बेटे थे और खुद मजदूरी करते थे लेकिन आज बीस बड़ी बड़ी कम्पनियों के मालिक है।
एक बंधुआ मजदूर का बेटा कभी ढोता था ईट पत्थर, आज है बीस कंपनियों का मालिक – Mannem Madhusudana Rao
मधुसुदन राव का शुरुआती जीवन- Mannem Madhusudana Rao Biography
मधुसूदन राव का जन्म आँध्रप्रदेश के प्रकाशम जिले में हुआ। पिता का नाम पेरय्या और माँ का नाम रामुलम्मा है। घर में आठ भाई बहन और कमाने वाले माँ बाप, उनका काम था बंधुआ मजदूरी। माँ बीडी की फैक्ट्री में काम करती और बाप भी दिहाड़ी मजदूरी करते थे।
कन्दुकुरु तहसील का पलकुरु नाम का एक ऐसा गाँव जहाँ दलितों को सम्मान की नजरो से नहीं देखा जाता था। उन्हें घुटने के नीचे धोती नहीं पहनने दी जाती थी। मधुसुदन के माँ बाप सुबह जल्दी निकल जाते और देर रात घर आते लेकिन उसमे भी एक वक्त का खाना ही मिल पाता।
मधु हमेशा सोचते थे की आखिर उनके माँ बाप रोजाना कहा जाते है और इतना लेट क्यों आते है लेकिन जैसे जैसे वो बड़े हुए उन्हें समझ में आ गया की उनके माँ बाप एक बंधुआ मजदूर है। सपने तो मधु के भी बहुत बड़े थे लेकिन पेट की भूख के आगे सब धराशयी हो जाते थे।
घर में कोई पढ़ा लिखा नहीं था लेकिन माँ बाप ने फैसला किया की वो घर में दो बेटों को पढ़ायेगे और इसमें मधु और उनके भाई का दाखिला स्कूल में करवाया गया। शुरुआती पढ़ाई गाँव के स्कूल में ही हुई। वो पढ़ते चले गए और पढाई में हमेशा अव्वल थे। दसवी और बारहवी तक की पढाई की और आगे के बारे में विचार करने लगे।
मधुसुदन राव की पढाई – Mannem Madhusudana Rao Education
मधु खुद बताते है की वो जब बारहवी करके निकले तो उन्हें बी.टेक करना था लेकिन उनके आसपास जुड़े हुए और टीचर्स का कहना था की वो पॉलिटेक्निक करे और उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने फिर एंट्रेंस लिखा और क्वालीफाई कर तिरुपति के श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। मधुसूदन ने 2 साल तिरुपति और एक साल ओंगोल में पढ़ाई कर पॉलिटेक्निक डिप्लोमा हासिल कर लिया।
डिप्लोमा हो जाने के बाद घरवालो को लगा की बेटा घर की समस्या दूर करेगा और नौकरी करेगा लेकिन समस्या थी की नौकरी मिले कहा।
मधु कहते है की “मैं जहाँ भी जाता तो मुझे नौकरी नहीं दी जाती क्योकि निम्न वर्ग से था और इसके अलावा कई जगह से मुझे रिजेक्ट किया गया क्योकि मेरे पास कोई रेफरेंस नहीं था और मेरे घर में सभी अनपढ़ थे”।
नौकरी नही मिलने से वो हैदराबाद में अपने भाई के साथ मजदूरी करने लगे जहाँ भाई मिस्त्री का काम करता था। सीमेंट, ईट ढोना आदि उनका काम था और इसके अलावा दीवार की सींचा करते थे। इसके उन्हें बीस रुपये मिलते थे लेकिन उन्हें किसी ने बताया की रात में काम करने के 120 रुपये मिलते है इसीलिए उन्होंने वाचमैन का भी काम किया।
मधुसुदन राव ऐसे आये बिजनस में – Mannem Madhusudana Business Career
कहते है की मौका कब मिल जाए आपको पता नहीं चलता और पता चल गया तो आप सफल हो जाते है।
एक दिन मधु बिजली का खम्भा गाड़ रहे थे की इतने में एक इंजिनियर आया जो उन्हें दूर से देख रहा था और बोला की तुम पढ़े लिखे लगते हो, मधु ने पूछा की आपको कैसे पता तो इंजिनियर ने कहा की जिस तरीके से नाप लेते हुए तुम गड्ढा खोद रहे हो वैसा एक आम मजदूर नहीं कर सकता है।
इसके बाद उस इंजिनियर में मधु को नोकरी का ऑफर दिया और दफ्तर ले गया। दफ्तर में एक बड़े ठेकेदार और छोटे ठेकेदार में बहस चल रही की ठेका नहीं मिलेगा। इतने में मधु ने कहा की मुझे ठेका दे दो तो उन्हें ठेका मिल गया।
इससे उन्होंने पैसे कमाए और बेहतर काम किया तो ठेकेदार ने उन्हें एक लाख रुपये दिए और इससे वो अपने बहन की शादी कर सके। लेकिन इसके बाद उन्हें धोखा मिल गया तो उन्होंने ये काम बंद कर दिया।
इसके बाद मधु की शादी हुई इस शर्त पर की वो कभी धंधा नहीं करेगा लेकिन मधु नहीं माने क्योकि वो नौकरी नहीं करना चाहते थे। इसके बाद पत्नी ने काफी समझाने के बाद साथ दिया और फिर से मधु खुद को खड़ा करते हुए धंधे में उतरे।
MMR ग्रुप करिअर – MMR Group Careers
मधु ने फिर से ठेकेदारी शुरू की और फिर बनाया “MMR ग्रुप” जिसके आज वो चेयरमैन है। आज ये कंपनी फ़ूड और आईटी में काम करती है। मधुसुदन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करके उन्हें अपने आगे की योजना बताई थी। मधु की भाई और उनके सभी रिश्तेदार अलग अलग काम देखते है। मधु कहते है की मैंने हर एक कंपनी में हेड रखा हुआ है जो की मुझसे रोज बात करता है।
मधुसुदन की ये कहानी आसान नहीं है। एक शख्स जिसे खाने को भरपेट नहीं मिलता था लेकिन आज कई हजार लोगो के पेट भर रहा है।
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bahaut khoob. Dhanayawad.
hi sir yah majdur ke Bete ki Amir banne ki kahani kafi acchi hai, yah kahani UN sabhi majdur ke baton ko jivan mein aage badane ki Prerna dengi isliye aisi kahani laane ke liye dhanyavad
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bhai aisi motivational stores hamare saath share karne ke liye aapka bahut bahut dhanyabad