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भारत की पहली एमबीए महिला संरपच छवि राजावात | Chhavi Rajawat

Chhavi Rajawat

हम सभी पढ़ाई के दौरान ही अपना लक्ष्य तय कर लेते है कि हमें बिजेनस करना है या नौकरी करनी है और अपने सपनों को पाने की रेस में दौड़ने लग जाते है। और तब तक दौड़ते रहते हैं जब तक हम कोई अच्छी नौकरी नहीं पा लेते या फिर कोई अच्छा बिजनेस शुरु नहीं कर लेते। लेकिन जरुरी नहीं हर कोई अपनी मंजिल को पाले।

मौजूदा समय में देश में रोजगार एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है जिस वजह से जिसे जो नौकरी मिलती है वो उसे छोड़ना नहीं चाहता। लेकिन इस मौहल के बीच भी आप सोच सकते है कोई ऐसी महिला भी होगी जो मल्टी नेशनल कंपनी में अपने एक अच्छे मासिक वेतन वाली नौकरी को छोड़कर एक छोटे से गांव की संरपच बनना चाहेगी।

ग्रेजुएशन, एमबीए की डिग्री पाने के बाद हमें लगता है कि हमें उसी स्तर की नौकरी चाहिए और हम नौकरी का स्तर भी वेतन और कंपनी प्रोफाइल से जज करते है जबकि हम ये भुल जाते है कि हमारी काबलियत किसी को काम को बड़ा या छोटा बनाती है ना कि काम हमारी काबलियत को छोटा या बड़ा नहीं करता है।

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भारत की पहली एमबीए महिला संरपच छवि राजावात – Chhavi Rajawat

और इसी बात को सच कर दिखाया छवि राजावात – Chhavi Rajawat ने। जिन्हें आज दुनियाभर में भारत की पहली एमबीए पास सरंपच के तौर पर जाना जाता है। इसे पहले भारत के किसी भी गांव की सरंपच इतनी पढ़ी लिखी नहीं रही है। जो वाकई में एक उपलब्धि भी है और बदलाव की ओर इशारा भी।

छवि राजावात कैसे बनी सरपंच – Story of Chhavi Rajawat

छवि राजावात – Chhavi Rajawat भारत के राजस्थान राज्य के सोडा गांव की सरपंच है। सोडा गांव राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 60 किलोमीटर आगे है। इस गांव की हालत छवि के सरपंच बने से पहले काफी खराब थी लेकिन छवि के सरपंच बने के बाद यहां स्थितियों में सुधार होने लगा है।

क्योंकि छवि एक पढ़ी लिखी महिला है जो विकास के महत्व को भली भांति समझती है। छवि राजावात – Chhavi Rajawat गांव की सरपंच बने से पहले एक मल्टी नेशनल कंपनी में एक अच्छी पोस्ट पर काम कर रही थी। लेकिन जब वो अपने गांव वापस आई तो उन्होनें यहां के हालातों को समझा। आजादी के इतने सालों बाद भी गांव में पानी की कमी, बिजली की कमी, लड़कियों की कम उम्र में शादी और शिक्षा की ओर लोगों का ध्यान न देना छवि को अंदर ही गांव के लोगों के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित कर रहा था।

फिर छवि ने अपनी नौकरी छोड़ गांव के सरपंच का चुनाव लड़ा और जीता। लेकिन छवि पर लोगों की नजर उस समय पड़ी जब छवि राजावात – Chhavi Rajawat ने अपने भाषण से सयुंक्त राष्ट्र के 11वें इन्फों पॉवर्टी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस में सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।

छवि ने सम्मेलन में भाषण देते हुए कहा कि हम कैसे विकास कर सकते हैं जब हमारे पास मूलभूत सुविधाएं यानी की पानी, बिजली, शौचालय स्कूल और रोजगार नही है। साथ ही छवि ने ये भी कहा कि मैं जानती है ये थोड़ा मुश्किल है लेकिन हमें इसे दूसरे तरह से करना होगा।

साथ ही छवि ने सबसे वादा किया कि वो अगले तीन साल में अपने गांव को बदलकर दिखाएंगी। आपको बता दें ये छवि की मेहनत का फल है कि राजस्थान के सोडा गांव में जहां पहले कोई बैंक तक नहीं हुआ करता था वहां छवि की कोशिशों के बाद पहला बैंक खोला गया। छवि दूसरे सरपंचो की तरह भले ही पापंरिक लिबाज में ना रहती हो। लेकिन उनकी सोच पूरी युवा पीढ़ी को प्रेरित करने वाली है।

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