Michael Dell
आधुनिक विकास का एक नमूना है डैल टेक्नॉलजी कम्पनी। आज यह दुनिया भर में काफी लोकप्रिय है पर इसके पीछे एक शख़्स के कठिन प्रयास छिपे हैं। उस महान इंसान का नाम माइकल डेल। आज इस कम्पनी के कंप्यूटर अपनी चरम सीमा पर हैं। आइये जानते हैं माइकल डेल के जीवन की दिलचस्प कहानी।
डैल टेक्नॉलजी के पीछे है इस महान शख़्स का प्रयास – Michael Dell Biography

माइकल का बचपन – Michael Dell Childhood
माइकल का जन्म 23 फरवरी 1965 को हुआ था। माइकल का जन्म स्थल अमेरिका का ह्यूस्टन नामक शहर है। उनके पिता जी काम लेक्जेंडर डेल था जो की पेशे से अमेरिका में ही दांतों के सफल डॉक्टर थे और माता जी का नाम लंगफान था जो कि एक स्टाफ ब्रोकर थी।
माता पिता दोनों कमाने वाले थे जिसके कारण माइकल आर्थिक रूप से मजबूर थे। बचपन से ही माइकल जिज्ञासु प्रवृति के विद्यार्थी थे वह अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तरह नहीं थे। माइकल अपना ज्यादा समय सीखने में व्यतीत करते थे।
माइकल डेल शिक्षा – Michael Dell Education
माइकल ने अपने बचपन की शिक्षा ह्यूस्टन के ही हीरोड एलिमेंटरी स्कूल से अर्जित की और स्कूली शिक्षा के दौरान ही वह अपनी माता जी से निवेश और व्यवसाय के गुण सीखते रहे।
जिसके कारण उनका रुझान व्यवसाय के लिए बड़ा और उन्होंने निवेश करना शुरू कर दिया। जब वह दस वर्ष के हुए तो उन्हें जो भी जेब ख़र्ची अपने माता पिता से मिलती थी वह उसे जमा करने लगे।
छोटी उम्र में ही माइकल पर पैसों को जमा करने का भूत इस कदर सवार हो गया था कि उन्होंने पैसे कमाने के लिए डाक टिकट बेचने शुरू कर दिए थे। उन्होंने 12 वर्ष की आयु में 2000 डॉलर जमा कर लिए थे।
माइकल की सफलता की पहली सीढ़ी – Michael Dell Success Story
सफलता के मार्ग पर चलते चलते उन्होंने अपनी जमा कुंजी को शेयर्स और मेटल्स में निवेश किया। जिससे उन्हें 18000 डॉलर का भारी मुनाफा हुआ था।
उनका यह मुनाफा उनके इतिहास और अर्थशास्त्र के अध्यापिका की साल भर की कमाई से कई अधिक था। इतनी कम आयु में वह काफी कुछ तरक्की कर चुके थे जिसके कारण उनके माता पिता भी उनकी हर ख़्वाहिश पूरी करने में दिन रात एक कर दिया करते थे।
जब माइकल की जिंदगी में आया कम्प्यूटर नामक यंत्र
माइकल की तकनीक के क्षेत्र में काफी रूचि थी। जिसके कारण उनके माता पिता ने महज़ 15 वर्ष की आयु में उन्हें एक बेहतरीन कंप्यूटर लाकर दिया था।
पर माइकल उसे अंदर से समझने की अपेक्षा उसके अंदरुनी पार्टस को समझने लग गए जिसका परिणाम यह हुआ की उन्होंने पूरे कंप्यूटर को कई हिस्सों में बाँट दिया। अब हर एक कंप्यूटर का पुर्जा साफ़ साफ़ दिखाई देने लगा था।
इस घटना के कारण उनका कंप्यूटर के प्रति और भी लगाव बड़ गया था वह अपनी दिनचर्या का ज्यादा समय अब कंप्यूटर के साथ बिताने लगे थे। कंप्यूटर के पुर्ज़ो को और नजदीक से समझने के लिए कि ये काम कैसे करते हैं उन्होंने दूसरी कंपनी का एक और कंप्यूटर लिया।
माइकल ने फिर वो ही किया जो पहले कंप्यूटर के साथ किया था उन्होंने दूसरे कंप्यूटर के भी पुरजे अलग अलग कर दिए। पर अंत में उन्होंने उस कंप्यूटर के बिखरे हुए पुर्जों को सही ढंग से जोड़ा और दोबारा कंप्यूटर को पहले जैसा रूप दे दिया था।
कॉलेज में माइकल ने किया कुछ ऐसा
माइकल ने कॉलेज में ही कंप्यूटर से जुड़े पुर्जों को एकत्रित कर के अपने ही कंप्यूटर बनाने शुरू कर दिए और उन कंप्यूटर को माइकल ने कॉलेज में रह रहे अन्य बच्चों को बेचना शुरू कर दिया। माइकल ने जो भी कंप्यूटर बनाये वह लोगों की सुविधा के मद्देनजर रखते हुए बनाये। लोगों को वह कंप्यूटर काफी पसंद भी आ रहे थे साथ ही माइकल के असेंबल किये हुए कंप्यूटर दूसरी कंपनी के अपेक्षा काफी सस्ते भी थे।
माइकल ने बीच में ही छोड़ दी थी कॉलेजी शिक्षा, डैल कंपनी को दिया जन्म
माइकल के कंप्यूटर इस कदर बिकने शुरू हो गए थे कि उन्होंने बीच में ही बायोलॉजी की शिक्षा में विराम लगा दिया था और जनवरी 1984 में PC’ s limited नाम से उन्होंने अपनी पहली कंपनी बनायी। पर इस कंपनी का नाम ज्यादा समय तक नहीं टिका कुछ ही समय बाद माइकल ने इस कंपनी का नाम बदलकर डैल कॉर्पोरेशन रख दिया।
डैल कॉर्पोरशन में हुई तरक्की
समय के अनुसार धीरे धीरे माइकल की कंपनी का नाम हर किसी की ज़ुबान पर आने लगा था। जिसका कारण था डैल के बेहतरीन तकनीक के कंप्यूटर और वह भी बिलकुल सस्ते दामों पर साथ ही माइकल की कंपनी लोगों को कंप्यूटर के साथ अन्य सेवायें भी अच्छे से देती थी।
27 वर्ष की आयु में मिली ये उपलब्धि
दिन दुगनी रात चौगनी तरक्की पाने के बाद माइकल 27 वर्ष की आयु में यंगेस्ट सीईओ बन गए थे। माइकल की उस समय की मेहनत के परिणाम आज भी देखने को मिलते हैं। आज उनके द्वारा बनाई गयी कंपनी विश्व की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी इन्फ्रा स्ट्रक्चर कंपनियों में से एक है साथ ही माइकल डेल दुनिया के 37 वें व्यक्ति हैं।
माइकल डेल की सफलता का एक मुख्य कारण जो रहा है वह है कि उनको बचपन से ही जिस काम में रूचि थी उन्होंने ने उसको ही अपना कारोबार का रूप दिया था।
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