कैसे बनी दिव्या रावत मशरुम लेडी जानिए पूरी कहानी…

Mushroom Lady Divya Rawat

अपने लिए तो हर कोई करता है लेकिन दूसरों के लिए कोई कुछ करें वही असल कामयाबी मानी जाती है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते है जो दूसरों के लिए अपनी आराम दायक जिंदगी को छोड़ देते है। या फिर अपने गांव की तरक्की के लिए शहर की आराम भरी जिंदगी को त्याग देते है। ऐसे ही लोगों में से एक है Divya Rawat – दिव्या रावत।

Divya Rawat – दिव्या रावत मूल रुप से उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली है। जो एक छोटा सा गांव है लेकिन दिव्या की मेहनत के कारण आज ये गांव पूरे देश भर में प्रसिद्ध है दिव्या रावत को आज के समय में उत्तराखंड की मशरुरम लेडी – Mushroom Lady के नाम से जाना जाता है। जिन्होनें अपनी मेहनत के दम पर अपनी कंपनी सौम्य फूड प्राइवेट लिमिटेड को कामयाब बनाने के साथ साथ अपने मिनी मशरूम फ़र्म बिसनेस आईडिया को हम सब तक पहुँचाया।

लेकिन क्या दिव्या हमेशा से मशरुम का बिजनेस करना चाहती थी? क्या उनका ये सफर आसान था चलिए आपको बताते है एक आम लड़की के मशरुम क्वीन बने की कहानी।

Mushroom Lady Divya Rawat
Mushroom Lady Divya Rawat

कैसे बनी दिव्या रावत मशरुम लेडी – Mushroom Lady Divya Rawat

दिव्या रावत उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली है। उनके पिता तेज सिंह आर्मी से रिटायर है। दिव्या ने अपनी पढ़ाई दिल्ली एनसीआर के नोएडा स्थित एमटी यूनिवर्सिटी और इग्नू से की है। इसके बाद दिव्या दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रही थी। दिव्या के पास एक अच्छी पोस्ट भी थी और सैलरी भी अच्छी थी।

लेकिन दिव्या इन सब से खुश नहीं थी। दिव्या अपने घर वापस जाना चाहती थी। लेकिन चमोली जैसे छोटे से गांव में रोजगार के अवसर न के बराबर है। दिव्या की जगह कोई ओर होता तो शायद अपनी जॉब से खुश रहता। लेकिन दिव्या के सपने और चाहत कुछ ओर ही थी।

दिव्या रावत ने अपनी जॉब छोड़ने का फैसला किया और उत्तराखंड लौट गई। दिव्या ने साल 2014 में देहरादून से मशरुम प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी फॉर आंत्रेप्रेन्योर द डायरेक्टर ऑफ मशरुम रिसर्च सेंटर से परीक्षण हासिल किया। और चमोली लौट गई। दिव्या ने अपने घर वालो को बताया कि वो मशरुम की खेती करना चाहती है।

दिव्या के फैसले नाखुश उनके परिवार वालों ने उन्हें समझाने की कोशिश की। वो वापस दिल्ली लौट जाए लेकिन दिव्या अपना मन बना चुकी थी। दिव्या ने मात्र 30 हजार से अपना मशरुम की खेती का बिजनेस शुरु किया। और धीरे – धीरे दिव्या की मेहनत रंग लाने लगी।

दिव्या ने 35 से 40 डिग्री तापमान में मशरुम उगाने से अपना बिजनेस शुरु किया। 35 डिग्री में मशरुम उगाना एक कारनामा ही है क्योंकि आमतौर पर मशरुम केवल 22 से 23 डिग्री के तापमान पर ही उगाए जाते है।

दिव्या की कंपनी आज बटन, ओस्टर, मिल्की मशरुम जैसे उच्च कोटि के मशरुम – Divya Rawat Mushroom का बिजनेस करती है। दिव्या के इस बिजनेस के कारण चमोली और आसपास के गांव की महिलाओं को रोजगार मिला और उनकी जिंदगी में भी सुधार आने लगा। उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या है और पलायन की मुख्य वजह रोजगार है। दिव्या के अपने गांव में ही रोजगार उत्पन्न करने से उनके गांव के लोगों को अब काम की तलाश में कही बाहर जाने की जरुरत नहीं थी।

दिव्या को उनकी इस कामयाबी के लिए पहले उत्तराखंड सरकार द्वारा और उसके बाद विश्व महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा मशरुम क्रांति के लिए सम्मानित किया जा चुका है। यही नही उत्तराखंड सरकार ने दिव्या के कार्यक्षेत्र को मशरुम घाटी घोषित कर दिया है।

अच्छी गुणवत्ता के कारण सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड के मशरुम उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश भर में सप्लाई किए जाते है। दिव्या रावत की माने तो ये सिर्फ शुरुआत है उनका सपना तो उत्तराखंड को एक दिन मशरुम स्टेट बनाने का है। जिसके लिए वो दिन रात मेहनत कर रही है। दिव्या ने उन सभी युवाओं के लिए एक उदाहरण है जो अपने दम पर कुछ करने का साहस रखते है। और अपने साथ – साथ दूसरे के लिए भी सोचते है।

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13 thoughts on “कैसे बनी दिव्या रावत मशरुम लेडी जानिए पूरी कहानी…”

  1. very inspiring story.. divya ji se kaafi motivation milta hai.. Ye ek aisi story hai jis se ye pata chalta hai ki agar aatmaviswas hai tou iss duniya me sab possible hai

  2. rahul chauhan

    hello sir divya rawat ne ek nyi research se कीड़ा जड़ी की bhi taiyri kr li hai jo kafi faydemand ha budhape ko kam karne me.

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