नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की सच्ची कहानी | Nawazuddin Siddiqui biography Hindi

Nawazuddin Siddiqui – नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी एक भारतीय फिल्म अभिनेता है जो हिंदी सिनेमा में कार्यरत है। अपने फ़िल्मी करियर के शुरुवाती दौर में बहुत से ध्यान ना देने लायक किरदार करने के बाद, 2012 में नेशनल फिल्म अवार्ड में उन्हें विशेष जूरी अवार्ड दिया गया था। इसके बाद 2013 में उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया था।

Nawazuddin Siddiqui

अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी – Nawazuddin Siddiqui biography Hindi

सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1974 को भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पश्चिमी भाग में मुज़फ्फरनगर जिले के छोटे से गाँव और तहसील बुधना में हुआ था। उनका जन्म एक ज़मीनदारी मुस्लिम परिवार में हुआ था। अपने आठ भाई-बहनों में वे सबसे बड़े है। हरिद्वार के गुरुकुल कंगरी विश्वविद्यालय से उन्होंने विज्ञान ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। इसके बाद दिल्ली जाने से पहले उन्होंने वड़ोदरा में एक साल तक केमिस्ट के रूप में भी काम किया था। एक बार दिल्ली में, एक नाटक देखने के बाद ही उनमे एक्टिंग करने की रूचि पैदा हुई और तभी वे दिल्ली की नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिल भी हुए, दाखिल होने के बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ तक़रीबन 10 नाटक किये थे।

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी फिल्म करियर – Nawazuddin Siddiqui film career

एन.एस.डी. से ग्रेजुएट होने के बाद सिद्दीकी नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिल हुए और फिर मुंबई चले गये। 2004 साल, उनकी जिंदगी का सबसे ज्यादा संघर्ष भरा साल साबित हुआ, इस समय में वे किराया देने में भी असफल थे। रहने के लिए उन्होंने एन.एस.डी के अपने सीनियर से भी पूछा और सीनियर ने भी दया खाकर गोरेगाँव में रहने के लिए उन्हें अपना अपार्टमेंट दिया लेकिन उनकी शर्त थी की उन्हें रोज अपने सीनियर के लिए खाना बनाना पड़ता था।

सिद्दीकी ने 1999 में अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था, उन्होंने आमिर खान की फिल्म सरफ़रोश में एक छोटा सा रोल किया था। इसके बाद फिल्म जंगल में उन्होंने मैसेंजर की भूमिका निभाई थी, लेकिन इसके बाद उन्हें केवल मेहमान भूमिका वाले रोल ही मिलने लगे थे। इसके बाद उन्होंने मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस में सुनील दत्त और संजय दत्त के साथ काम किया था।

फिर कुछ समय बाद मुंबई में ही स्थापित होने के बाद उन्होंने टेलीविज़न में काम ढूँढना शुरू किया लेकिन इनमे में उनके हाथ सफलता नहीं लगी। इसके बाद 2003 में उन्होंने एक छोटी फिल्म बाईपास की, जिसमे उन्होंने इरफ़ान खान के साथ काम किया था। इसके अलावा 2002 से 2005 के बीच, वे तक़रीबन फिल्मो से दूर ही थे और अपने चार सहयोगियों के साथ वे फ्लैट में रहने लगे थे, और इस समय में छोटे-मोटे नाटको में रोल अदा करके वे अपना गुजारा करते थे।

इसके बाद अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे (2007) में उन्होंने एक पावरफुल रोल प्ले किया। मुख्य रोल में उनकी पहली फिल्म एक वेडिंग सिंगर चक्कू के रूप में भी जिस रोल को उन्होंने प्रशांत भार्गव की पतंग में निभाया था, उनके रोल की वजह से ही इस फिल्म को बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया था। प्रसिद्ध फिल्म आलोचक रॉजर एबर्ट के अनुसार इसी फिल्म से उनकी एक्टिंग स्टाइल में परिवर्तन आया था। 2009 में उन्होंने फिल्म देव डी के गाने “इमोशनल अत्याचार” में कैमेयो रोल किया था। यह रोल उन्होंने रंगीला और रसीला के रूप में निभाया था। इसके बाद आलोचकों की नजर फिल्म न्यू यॉर्क में उनपर पड़ी। लेकिन उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान आमिर खान के प्रोडक्शन में बनी फिल्म पीपली लाइव (2010) में उनके द्वारा किये जर्नलिस्ट के रोल ने दिलवायी।

इसके बाद वे 2012 में आयी सफल फिल्म कहानी में दिखे, जिसमे उन्होंने शोर्ट-टेम्पर्ड इंटेलिजेंस ऑफिसर खान का रोल निभाया था। इसके बाद अनुराग कश्यप की एक और फिल्म गैंग्स और वासेपुर में वे फिल्म अपने नए अंदाज़ में दिखे। इसके बाद अशीम अहलुवालिया की फिल्म मिस लवली में सोनू दुग्गल के नाम से प्राइमरी रोल की भूमिका अदा की। इस फिल्म में उनके अभिनय की तारीफ 2012 के कैनंस फिल्म फेस्टिवल में भी की गयी थी, इस फेस्टिवल में उन्हें “मोस्ट रियल परफ़ॉर्मर” का दर्जा भी दिया गया था। इसके बाद सिद्दीकी गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के सीक्वल में भी दिखे। 2013 में उन्होंने हॉरर फिल्म आत्मा की थी, जिसमे वे मुख्य भूमिका में नजर आये थे। फिर 2012 में आमिर खान की फिल्म तलाश में वे उन्होंने सराहनीय भूमिका अदा की थी। यु.एस और कनाडा में उनकी रिलीज़ फिल्म पतंग की न्यू यॉर्क टाइम्स और लोस एंजेल टाइम्स में काफी तारीफ़ की गयी थी। 2014 में उन्होंने फिल्म किक में शिव गजरा नाम के विलेन का किरदार निभाया था।

2015 में सिद्दीकी की फिल्म बजरंगी भाईजान और मांझी – द माउंटेन मैन रिलीज़ हुई और इन दोनों फिल्मो में दर्शको और आलोचकों ने उनके अभिनय की काफी प्रशंसा की थी। इसके बाद सिद्दकी गुजरात में आधारित फिल्म हर्रामखोर में दिखे। हर्रामखोर में उनके अभिनय के लिए, उन्हें न्यू यॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला है।

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी निजी जिंदगी – Nawazuddin Siddiqui personal life

सिद्दीकी अपने छोटे भाई शामस नवाब सिद्दीकी के साथ मुंबई में रहते है, उनका भाई डायरेक्टर है। नवाज़ुद्दीन ने अंजलि से शादी की है और उनकी एक बेटी शोरा और एक बेटा भी है, जिसका जन्म उनके 41 वे जन्मदिन पर हुआ था।

अवार्ड – Awards

मुख्य रोल में सिद्दीकी की पहली फिल्म पतंग को बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था और इसमें उनके अभिनय की प्रसिद्ध आलोचक रॉजर एबर्ट ने काफी तारीफ़ की थी, उन्होंने इस फिल्म को 4 में से 4 स्टार दिए थे और और फिल्म में उनके रोल को भी सर्वश्रेष्ट बताया।

2012 की मुख्य चार फिल्मो में भी सिद्दीकी दिखे – कहानी (2012), गैंग्स ऑफ़ वासेपुर – पार्ट 2 (2012) और तलाश (2012), इन सभी फिल्मो में उनके अभिनय की सभी ने काफी सराहना और प्रशंसा की थी। इसके लिए उन्हें बहुत से अवार्ड भी मिले जिनमे मुख्य रूप से बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का स्क्रीन अवार्ड, बेस्ट एक्टर का जी सिने अवार्ड, बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर – मेल का जी सिने अवार्ड, और गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में उनके रोल के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का स्टारडस्ट अवार्ड शामिल है।

2012 में फिल्म कहानी, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर, देख इंडियन सर्कस और तलाश में बेहतरीन अभिनय करने की वजह से उन्हें 60 वे नेशनल फिल्म अवार्ड में स्पेशल जूरी अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

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6 thoughts on “नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की सच्ची कहानी | Nawazuddin Siddiqui biography Hindi”

    1. जी हा विकास जाधव जी आपने बिलकुल ठीक कहा। कोई भी इन्सान मेहनत के बलबूते पर कामयाबी हासिल कर लेता है। कोई कम समय में सफल होता है तो किसी को कामयाबी पाने के लिए बहुत बड़ा इंतजार करना पड़ता है. इसी तरह का लम्बा इंतजार फ़िल्म अभिनेता नवजुद्दीन सिद्दीकी को भी करना पड़ा तब जाकर आज वे मशहूर फ़िल्म अभिनेता बन चुके है। आज वे किसी भी किरदार को बेहतर तरीके से पेश कर सकते है और यह सब उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है। विकास जी आप इसी तरह हमारे साथ जुड़े रहे। आप हमसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हो।

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