प्लाटो की जीवनी और इतिहास | Plato Biography in Hindi

Plato Biography in Hindi

प्लाटो – Plato अस्तित्व की जानकारी कम होने के कारण प्लाटो – Plato के प्रारंभिक जीवन और शिक्षा के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। कहा जाता है की इस दर्शनशास्त्री का जन्म एथेंस के एक समृद्ध और राजनैतिक परिवार में हुआ था।

प्लाटो के जन्म स्थान और जन्म तारीख से संबंधित सही जानकारी प्राप्त नही हुई है। प्राचीन सूत्रों के अनुसार महान विद्वानों का मानना है की उनका जन्म एथेंस में 429 या 423 BCE में हुआ था। उनका पिता अरिस्टों थे। विविध संस्कृतियों के अनुसार उनक परिवार बहुत समृद्ध और एथेंस के राजा से भी उनके मधुर संबंध थे।

प्राचीन सूत्रों के अनुसार प्लाटो बचपन से ही हुशार थे और बचपन से ही उनमे दर्शनशास्त्र के गुण थे। उनके पिता ने उन्हें वो सारी सुविधाये भी प्रदान की जो उन्हें चाहिये थी। उस समय के कुछ महान शिक्षको ने प्लाटो को ग्रामर, म्यूजिक, जिमनास्टिक और दर्शनशास्त्र की शिक्षा दे रखी थी।

Plato

प्लाटो की जीवनी और इतिहास – Plato Biography in Hindi

प्लाटो क्लासिकल ग्रीस दर्शनशास्त्री और एथेंस में अकैडमी के संस्थापक थे, उनके द्वारा स्थापित यह अकैडमी पश्चिमी दुनिया में उच्च माध्यमिक शिक्षा की पहली अकैडमी थी।

दर्शनशास्त्र के विकास और पश्चिमी संस्कृति के विकास में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। प्लाटो ने अपने जीवनकाल में कई प्रभावशाली कार्य किये है।

अपने शिक्षक सोक्रेटस और अपने सबसे प्रसिद्ध विद्यार्थी एरिस्टोटल के साथ प्लाटो ने पश्चिमी दर्शनशास्त्र और विज्ञान की भी स्थापना की थी। एक बार अल्फ्रेड ने कहा था की, ‘यूरोपियन दर्शनशास्त्र परंपरा का सबसे साधारण चित्रीकरण हमें प्लाटो की पादटिपण्णी में दिखायी देता है।‘

पश्चिमी विज्ञान, दर्शनशास्त्र और गणित में पश्चिमी दुनिया में प्रसिद्ध होने के साथ ही ही पश्चिमी धर्म और साहित्य, विशेषतः क्रिस्चियन धर्म के संस्थापक भी थे। प्लाटो ने क्रिस्चियन धर्म पर अपने विचारो से काफी प्रभाव डाला था। प्लाटो क्रिस्चियन इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दर्शनशास्त्रियो और विचारको में से एक थे।

इसके साथ ही प्लाटो दर्शनशास्त्र में डायलॉग और द्वंदात्मक प्रकार के खोजकर्ता भी थे, इसकी शुरुवात उन्ही से हुई थी। प्लाटो को पश्चिमी राजनैतिक दर्शनशास्त्र के संस्थापक भी कहा जाता है, उनके विचारो ने राजनैतिक इतिहास में कयी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली प्रश्न खड़े किये थे।

दर्शनशास्त्र के कयी प्रकारों की शुरुवात प्लाटो से ही हुई थी और आज भी लोग उनके विचारो को मानते है और दर्शनशास्त्र में उनके सिद्धांतो का उपयोग करते है।

दर्शनशास्त्र की स्टैंडफोर्ड इनसाइक्लोपीडिया ने प्लाटो के बारे में कहा था की, “…पश्चिमी साहित्यिक संस्कृति में प्लाटो एक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण लेखक थे और सबसे व्याप्त, प्रसिद्ध और प्रभावशाली लेखको में से एक थे, दर्शनशास्त्र का इतिहास प्लाटो के बिना अधुरा सा है… ।

“दर्शनशास्त्र” शब्द का विचार और उसे लिखने वाले पहले इंसान थे। लेकिन इसके साथ ही वे स्व-जागरूक भी थे। इसके बाद उन्होंने दर्शनशास्त्र की बहुत सी विधियों को भी उजागर किया था और पश्चिमी दर्शनशास्त्र के इतिहास में बहुत से दुसरे लेखको ने भी उनके सिद्धांतो का पालन किया था। दर्शनशास्त्र के इतिहास में उन्होंने कयी महत्वपूर्ण तथ्यों की खोज की थी। एरिस्टोटल उनके पसंदीदा शिष्यों में से एक थे।

प्लाटो और सोक्रेटस –

प्लाटो और सोक्रेटस के संबंध को विद्वानों की जोड़ी के रूप में भी देखा जा सकता है। प्लाटो ने अपने दर्शनशास्त्र में साफ़ तौर पर यह कह दिया था की सोक्रेटस को ही वे अपना शिक्षक मानते है।

सोक्रेटस ने भी प्लाटो में अपने सबसे करीबी इंसानों में से एक बताया था। सोक्रेटस से प्लाटो ने दर्शनशास्त्र के बहुत से गुण सीखे है, सोक्रेटस ने भी प्लाटो को दर्शनशास्त्र के सिद्धांतो और नियमो के बारे में बताया था। प्लाटो के लेखो में भी हमें सोक्रेटस की झलक दिखायी ही देती है।

अपने अंतिम समय तक प्लाटो सोक्रेटस को हो अपना गुरु मानते थे और अंतिम समय तक उन्होंने दर्शनशास्त्र में अपनी विशेष पहचान बना रखी थी। अपने समय में उन्होंने लाखो युवको को प्रेरित भी किया है और प्रभावित किया है।

प्लाटो और पाइथागोरस –

कहा जाता है की प्लाटो का संबंध पाइथागोरस से भी था, पाइथागोरस का ज्यादातर प्रभाव प्लाटो पर ही पड़ा था और पाइथागोरस ने प्लाटो को कयी साहित्यिक गुण भी सिखाये थे।

प्लाटो के कार्यो में हमें पाइथागोरस की प्रतिभा भी दिखायी देती है। आर.एम. हैरे के अनुसार, उनके प्रभाव के मुख्य तीन बिंदु थे :

  • प्लेटोनिक रिपब्लिक ज्यादातर दिमागी विचारो वाली संस्था से जुडी हुई थी, जैसे पाइथागोरस की स्थापना क्रोटोन में की गयी थी।
  • सूत्रों के अनुसार प्लाटो ने संभवतः पाइथागोरस के ही विचारो पर चलकर गणित का अभ्यास किया था और विज्ञान से संबंधित बहुत से गुण भी सीखे थे।
  • प्लाटो और पाइथागोरस ने मिलकर कयी प्रभावशाली विचारो को जन्म दिया है। कहा जाता है की इनके संयुक्त विचारो का प्रभाव काफी लोगो पर पड़ा था।

बाद की जिंदगी –

प्लाटो ने जीवन के अंतिम समय में इटली, सिसीली, इजिप्त और कय्रेने की यात्रा भी की थी। प्लाटो फिर चालीस साल की उम्र में एथेंस वापिस आये थे, प्लाटो ने पश्चिमी सिविलाइज़ेशन की धरती पर प्रारंभ में ही हेकाड़ेमुस और अकाड़ेमुस उपवन की स्थापना की थी। इस अकैडमी में एक विशाल मैदान भी था। प्राचीन हीरो अकाड़ेमुस से जुडी यहाँ की एक कहानी भी है।

पश्चिमी दुनिया में दर्शनशास्त्र को जन्म देने वाले प्लाटो ही थे। प्लाटो ने अपने पूर्ववती सभी दार्शनिको के विचारो का अभ्यास कर सभी के उत्तम विचारो को अपनाया था। और दर्शनशास्त्र की दुनिया में एक नये प्रकार को उजागर किया था। प्लाटो के समय में लोग दर्शनशास्त्रियो का सम्मान करते थे।

और प्लाटो ने भी अपने जीवनकाल में बहुत सी रचनाये की थी जिसमे मुख्य रूप से संवाद शामिल थे। अपने जीवन में हुए बहुत सी घटनाओ को भी उन्होंने अपनी रचनाओ में बताया था।

प्लाटो, सोक्रेटस और एरिस्टोटल की त्रिमूर्ति के अभिन्न अंग थे। उन्होंने पश्चिमी संस्कृति को एक नयी दिशा प्रदान की थी। प्लाटो ने अपने पसंदीदा गुरु सोक्रेटस की रचनाओ को भी अपने हिसाब से परिभाषित किया था।

प्लाटो के ज्ञान की विशालता हमें दर्शनशास्त्र से लेकर राजनीती, राजनीती से धर्मशास्त्र और धर्मशास्त्र से लेकर शिक्षाशास्त्र तक दिखायी देती है।

प्लाटो को देखकर हम यह निश्चित रूप से कह सकते है की पश्चिमी देशो में महान दर्शनशास्त्रियो की कोई कमी नही थी। प्लाटो का यह मानना था की हमें गुणवान होने के साथ-साथ भला होना भी जरुरी है। अपने लेखो में उन्होंने जीवन जीने की अवधारणा को भी बताया है।

प्लाटो की मृत्यु – Plato Death

प्लाटो की मृत्यु के अलग-अलग कारण इतिहास में बताये गए है। एक कहानी मनुलिपि पर आधारित है जिसके अनुसार प्लाटो की मृत्यु उनके पलंग पर ही हुई थी, जिसमे एक युवा थ्रासियन लड़की ने उनके लिये बाँसुरी भी बजायी थी।

एक और कहानी के अनुसार प्लाटो की मृत्यु शादी के समारोह में हुई थी। इसके साथ ही तृतीय युग के अनुसार प्लाटो की मृत्यु नींद में हुई हो गयी थी।

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