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जिसे दिल्ली का छठा शहर कहते हैं उसी “पुराना किले” का इतिहास – Purana Qila

Purana Qila – पुराना किला दिल्ली के सबसे प्राचीन किलो में से एक है। इसके वर्तमान आकार का निर्माण सुर साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने किया था। शेर शाह सूरी ने इसके आस-पास के शहरी इलाके के साथ ही इस गढ़ को बनाया था।

जिसे दिल्ली का छठा शहर कहते हैं उसी “पुराना किले” का इतिहास – Purana Qila

ऐसा माना जाता है की 1545 में जब शेर शाह सूरी की मृत्यु हुई थी तब भी इसका निर्माण कार्य अधुरा ही था और इसी वजह से बाद में इसे उनके बेटे इस्लाम शाह ने पूरा किया। लेकिन आज भी इस किले के कुछ भागो को किसने बनाया इस बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध नही है।

हुमायूँ के शासन में यह किला दिन पनाह शहर का आंतरिक गढ़ हुआ करता था, हुमायूँ ने 1533 में इसकी मरम्मत करवाई थी और इसके पाँच साल बाद इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था।

1540 में सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने हुमायूँ को पराजित किया और किले का नाम शेरगढ़ रखा गया, और उसमे किले के परिसर में और भी बहुत सी चीजो का निर्माण करवाया। पुराना किला और इसके आस-पास के परिसर में विकसित हुई जगहों को “दिल्ली का छठा शहर” भी कहा जाता है।

जब एडविन लुटयेंस 1920 में ब्रिटिश भारत की नयी राजधानी, नयी दिल्ली की रचना कर रहे थे तब उन्होंने पुराना किला को ही राजपथ के साथ केंद्रीय रूप से गठबंधित किया। इसके बाद अगस्त 1947 में विभाजन के समय हुमायूँ के मकबरे के साथ-साथ पुराना किला भी शरणार्थियो के रहने की जगह बना।

1970 में पुराना किले की दीवारों का उपयोग थिएटर की पृष्ठभूमि के रूप में किया जाने लगा, जहाँ नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा का प्रोडक्शन होने लगा। यहाँ तुगलग, अँधा युग और सुल्तान रज़िया जैसे बहुत से नाटको का निर्माण किया गया, जिन्हें इब्राहीम अल्काजी ने निर्देशित किया था।

वर्तमान में पुराने किले में हर शाम सूर्यास्त के बाद साउंड और लाइट का प्रदर्शन किया जाता है, जिसे हजारो लोग देखने के लिए भी आते है और इसका लुफ्त उठाते है।

इस किले की दीवारे 18 मीटर ऊँची है और किले में तीन धनुषाकार प्रवेश द्वार : पश्चिम में बड़ा दरवाजा, दक्षिण में हुमायूँ गेट और तलाकी गेट भी है। बड़े दरवाजे का उपयोग आज भी यहाँ किया जाता है।

जबकि दक्षिण गेट का निर्माण हुमायूँ ने करवाया था, शायद इसीलिए इसे हुमायूँ गेट के नाम से जाना जाता है और साथ ही दक्षिण गेट से हुमायूँ का मकबरा भी दिखाई देता है।

किले के सभी द्वारो को विशाल पत्थरो से बनाया गया है और इनके दोनों तरफ दो टावर भी बनाए गये है। किले के सभी द्वारो को उस समय की प्रसिद्ध कलाकृतियों से सजा भी गया है।

इसके साथ-साथ किले की बालकनी, झरोखों और छत्रीयो को भी राजस्थानी कला के आधार पर आभूषित कर सजाया गया है। इस तरह की कला का चित्रण हमें मुग़ल साम्राज्य में भी दिखाई देता है।

पुराना किला दिल्ली का एक रोचक पर्यटक स्थल है। ऐतिहासिक ईमारत होने के साथ-साथ वर्तमान में यह दिल्ली के लोगो का आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है।

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