Ramesh Babu Barber
हम सालोंसे ही हीरो की कहानिया सुनते आ रहे है, जिसमे हीरो कई परेशानियों और मुश्किलों से गुजरकर अपने आप को उचाई पर ले जाता है और सफल बनाता है। इस तरह की कहानिया आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक साबित होती है और रमेश बाबु उन्ही हीरो में से एक है।
रमेश बाबु, एक नाई है जिन्होंने रोल्स रॉयस खरीदी थी। रमेश बाबु एक ऐसे नाई है जो करोडपति बने। एक नाई की ही तरह उन्होंने अपनी किस्मत को भी आकार दिया।
प्रसिद्ध व्यवसायी की प्रेरणादायक कहानी / Famous Entrepreneurs Story In Hindi
रमेश ने थोड़े-थोड़े पैसो की बचत करते हुए ही 1994 में मारुती कार खरीदी थी। 2004 से, उन्होंने भाड़े से कार देने का व्यवसाय शुरू किया। शुरू में उनके पास कुल 7 कार थी।
2014 में, उनके पास कुल 200 कारे हो चुकी थी। इतना ही इसके साथ ही उनके पास 75 समृद्ध विशिष्ट कारो का भी समावेश है जिनमे मर्सिडीस, बी.ऍम.डब्लु., ऑडी, और साथ ही पाच और दस सिटर कारे शामिल है।
एक सफल व्यवसाय का निर्माण:
1994 से मै गंभीर रूप से कार भाड़े से देने के व्यवसाय में ध्यान देने लगा। मेरी पहली कंपनी जिससे मैंने भाड़े पर कारे ली थी वह इंटेल थी क्योकि उस समय नंदिनी अक्का वहा कार्यरत थी जिसमे मेरी सहायता की थी। और बाद में मैंने मेरे कारो के समूह में और ज्यादा कारे लाने की ठानी।
2004 तक, मेरे पास सिर्फ और सिर्फ 5 से 6 कारे ही थी। तभी मै नाई के व्यवसाय में भी ध्यान देने लगा, लेकिन मैंने कभी नाई के व्यवसाय को ज्यादा प्राथमिकता नही दी। मेरा नाई का व्यवसाय कुछ खास नही चल रहा था क्योकि उस समय प्रतियोगिता बहोत ज्यादा थी।
उस समय सभी के पास छोटी कारे थी। इसीलिए मैंने विशाल समृद्ध और आरामदायक कारे लेने की ठानी क्योकि इस तरह की कारे भारत में ज्यादा लोगो के पास नही थी।
जोखिम उठाना :
जब उन्होंने सन 2004 में अपनी पहली समृद्ध और आरामदायक कार खरीदी, तब सभी ने उनसे यही कहा था की वो बहुत बड़ी गलती करने जा रहा है।
2004 में उन्हीने एक समृद्ध और आरामदायक कार के लिए 14 लाख रुपये दिए थे और ये उनके लिए उस समय बहुत ज्यादा थे उस समय के हिसाब से ये एक बहोत बड़ा सौदा था। उन्हें भी उस समय अपने आप पर पूरा भरोसा नही था लेकिन रमेश बाबु ने जोखिम उठाने की ठानी।
उन्होंने अपने आप से ही कहा की यदि मै असफल होता हु तो मै अपनी यह समृद्ध कार बेच दूंगा। लेकिन परिणामतः जोखिम उठाना उनके लिए सही साबित हुआ, इसका फायदा उन्हें भविष्य में हुआ।
उस समय कोई दूसरी भाड़े से कार देने वाली कंपनी नही थी जो समृद्ध और आरामदायक कारो को भाड़े से दे सके। उनमे से कुछ के पास समृद्ध और आरामदायक कारे जरुर थी लेकिन वे काफी पुरानी हो चुकी थी।
उस समय बंगलौर में वो पहले व्यक्ति थे जिसने नयी समृद्ध और आरामदायक कारो में निवेश किया था, और रमेश बाबु का यह फैसला उनके लिए सबसे ज्यादा सही साबित हुआ।
एक नजर में रमेश बाबु की कहानी :
• 1989: रमेश के पिता, जिन्होंने नाई की दुकान खोल रखी थी। वे रमेश के लिए सिर्फ ही नाई की दुकान को छोड़कर भगवान को प्यारे हो गये। और उस दूकान को उनकी मृत्यु के बाद 5 रुपये प्रति दिन के हिसाब से भाड़े से देने के बाद उनकी माता भी घरेलु काम-काज किया करती थी।
• 1994: रमेश ने शिक्षा पूरी करने की बजाये अपने पिता की दूकान को चलाने की ठानी। उस समय उनकी दूकान को इनर स्पेस का नाम दिया गया था और उनकी दुकान स्कूल के ही पास के एक शौपिंग काम्प्लेक्स में ही थी। वो उस समय में फैशनेबल और नए तरीके से बाल काटने वाला बन गये थे।
• 1997: जैसा की उनका पहले से ही कार खरीदने का सपना था, उन्होंने अपने जीवन की पहली कार मारुती ओमनी खरीदी। और लोगो की उनके व्यक्तिगत कामो के लिए भाड़े से देने लगे। और यही उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट भी बना।
• 1990 के अंत में: रमेश बाबु सफलता पूर्वक अपना टैक्सी का व्यापार चला रहे थे। उस समय उनकी संस्था का नाम रमेश टूर एंड ट्रेवल्स था।
• 2004: वे समृद्ध कारो को भी भाड़े से देने लगे और खुद ही अपना व्यवसाय चलाने वाले बने।
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अप्रतीम…….
Nice story
very very good story
मयूर जी, बहुत ही प्रेरणास्पद कहानी है। इसी तरह ज्ञान और प्रेरणा बांटते रहिए।
अच्छा प्रयास है।
Very nice article…….
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