Sarabjit Singh
“ना पूछो ज़माने को क्या है हमारी कहानी,
हमारी पहचान तो सिर्फ ये है की, हम है हिंदुस्तानी.”
‘देश का वीर’ सरबजीत सिंह | Sarabjit Singh story in Hindi
सरबजीत सिंह भारतीय मूल का ही व्यक्ति है जिसे पाकिस्तानी कोर्ट ने आतंकवादी हमलो में दोषी और जासूस करार दिया है. पाकिस्तानी कोर्ट के अनुसार 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम हमलो में वह भी सहभागी था और उसने 14 तमाशाईयो की हत्या भी की थी. लेकिन सरबजीत का कहना है की वह एक किसान है और बम हमले के तीन महीने बाद भटकते हुए अपने गाव की बॉर्डर से होकर पाकिस्तान आया था. अकथित भारतीय जानकारों और पाकिस्तानी अखबारों के अनुसार सिंह इंडियन रिसर्च एंड एनालिसिस विंग इंटेलिजेंस एजेंसी का गुप्तचर था और वह छुपकर पाकिस्तान में रहता था और जासूसी करता था.
पूरी जांच और पड़ताल के बाद लाहौर हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार उसे दोषी ठहराया गया और 1991 मृत्यु की सजा सुनाई गयी. लेकिन यह सजा बाद में पकिस्तान सरकार द्वारा पोस्टपोंड (आगे बढ़ाई) कर दी गयी.
जबकि अप्रैल 2013 को जेल में उनपर कुछ कैदियों ने हमला किया और उसके 6 दिन बाद ही जिन्नाह हॉस्पिटल, लाहौर में उनकी मृत्यु हो गयी थी.
सरबजीत सिंह का जीवन परिचय और परिवार – Sarabjit Singh biography and family
सरबजीत सिंह / Sarabjit Singh भिखीविंड से थे जो भारत में पंजाब के टार्न तरन जिले के इंडो-पाक बॉर्डर पर स्थित है. उन्हें रेसलिंग का काफी शौक था और वे कबूतरों का ध्यान भी रखते थे. जबकि दूसरी तरफ वे एक किसान की तरह काम करते थे. उनका विवाह सुखप्रीत कौर से हुआ था और उनकी दो बेटिया स्वपनदीप और पूनम कौर भी है. उनकी बहन दलबीर कौर, 1991 से उन्होंने छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.
जबकि एक और महिला जिसका नाम बलजिंदर कौर था उसने स्वयं को सिंह की असली बहन बताया इससे उनके और दलबीर के रिश्तो में खटास भी आई थी. बलजिंदर के अनुसार सिंह 10 भाई-बहनों में तीसरे नंबर के थे और दलबीर उनकी बहन नही थी लेकिन 1989 में, दलबीर ने सभी को यह विश्वास दिलाया की वह सरबजीत की रिहाई के लिये काफी कोशिशे कर रही है. और हमने उनकी बात पर भरोसा कर लिया और उन्हें अपने परिवार में शामिल कर लिया. दलबीर ने बताया की सरबजीत की बहन होने का उनके पास कोई सबुत नही है लेकिन वे सिंह के साथ अपना डीएनए टेस्ट करवाने के लिये राज़ी थी. उन्होंने यह भी दावा किया की सरबजीत के असली भाई चरणजीत और हरभजन ने उन्हें सरबजीत की चिता को भी उन्हें छूने नही दिया, और उन्होंने यह भी कहा की लोग सिंह की मृत्यु के बाद उनसे मिलने भी नही आये थे. उन्होंने कहा की जब वे सरबजीत की रिहाई के लिये कोशिशे कर रही थी तब सरबजीत के किसी रिशेदार ने उनका साथ नही दिया था.
सरबजीत सिंह गिरफ्तारी और मुकदम
सरबजीत सिंह को भारत-पाक सीमा पर पाकिस्तानी आर्मी में सीमा पर करने के कसूर में पकड़ा था. लेकिन सरबजीत और उसके सहकर्मियों का ऐसा मानना था की सरबजीत सिंह शराब के नशे में गलती से पाकिस्तानी बॉर्डर में चले गये थे. उनके सहकर्मियों ने उन्हें एक गरीब किसान बताया. उनकी बहन ने बताया की लापता होने के बाद तक़रीबन 9 महीनो तक उन्होंने सरबजीत को ढूंडा लेकिन उनकी कोई जानकारी नही मिली. 1 साल बाद उन्हें सिंह का एक लैटर मिला, जिसमे उन्होंने लिखा था की उन्हें मंजीत सिंह के नाम से पकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया, और वहा उनके पास उनके पहचान का कोई प्रमाणपत्र नही है, इसीलिए लाहौर पुलिस ने पाकिस्तान में हुए बम हमलो में उन्हें दोषी ठहरा दिया. और इसके लिये उन्हें सजाये मौत भी सुनाई गयी थी.
कुछ जानकारों का ऐसा मानना है की उन्हें अनधिकारिक रूप से बॉर्डर पार करने की वजह से गिरफ्तार किया गया था. लेकिन 8 दिनों बाद पाकिस्तानी पुलिस में उनपर 1990 में हुए बम हमलो का दोषी ठहरा दिया.
पाकिस्तानी अधिकारियो का ऐसा मानना है की उनका नाम मंजीत सिंह है और उसने पकिस्तान के मासूम 14 लोगो की हत्या की है, और उनका ऐसा कहना है बम धमाके करने के बाद वह भारत वापिस जा रहा था तभी पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया. बाद में पाकिस्तानी आर्मी के अत्याचारों से परेशान होकर उन्होंने उनपर लगाये दोषों को कबुल कर लिया. ये बाद में बताया गया की मंजीत सिंह पहले कनाडा में पकड़ा गया था और बाद में भारत आया था.
सरबजीत को सजाये मौत : Sarabjit Singh :
पकिस्तान आर्मी एक्ट के तहत 1991 में सरबजीत सिंह को मृत्यु की सजा सुनाई गयी थी. बाद में पाकिस्तानी हाई कोर्ट और पकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें दोषी ठहराते हुए मृत्यु की सजा सुनाई. लेकिन पाकिस्तानी आर्मी ने मार्च 2006 में उन्हें उनकी मृत्यु की सजा को आगे बढ़ा दिया. लेकिन सरबजीत सिंह ने बादमे कहा था की पकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका में रूचि ना होने की वजह से अनदेखा कर दिया था.
सरबजीत सिंह की मृत्यु – Sarabjit Singh Death :
26 अप्रैल 2013 को तक़रीबन दोपहर के 4.30 बजे सेंट्रल जेल, लाहौर में कुछ कैदियों ने ईंटो, लोहे की सलाखों और रॉड से सरबजीत सिंह पर हमला कर दिया था. बाद में नाजुक हालत में उन्हें जिन्नाह हॉस्पिटल, लाहौर में भर्ती करवाया गया, उस समय वे कोमा में भी चले गये थे और उनकी रीड की हड्डी भी टूट चुकी थी. फिर भी हॉस्पिटल में उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. लेकिन उनपर कितने हमले किये गये थे और क्यों किये गये थे इस बार में पकिस्तान सरकार ने बताने से इंकार कर दिया. सरबजीत की बहन का ऐसा मानना था की उनपर जो हमला किया गया था उसकी पहले से ही योजना बनाई गयी थी. उनकी पत्नी, बहन और 2 बेटियों को उन्हें हॉस्पिटल में देखने की इज़ाज़त दी गयी थी.
29 अप्रैल 2013 को भारत में पकिस्तान को सरबजीत सिंह को रिहा करने की अपील भी की लेकिन भारत की इस अपील को पकिस्तान सरकार ने ख़ारिज कर दिया. सरबजीत के वकील ने भी पकिस्तान कोर्ट में सरबजीत की रिहाई की अपील की लेकिन वे भी इसमें असफल हुए और पकिस्तान सरकार ने सरबजीत को मेडिकल जांच के लिये भारत भेजने की बजाये UK भेजा.
1 मई 2013 को जिन्नाह हॉस्पिटल के डॉक्टरो ने सरबजीत सिंह को ब्रेनडेड घोषित किया लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियो ने इसे मानने से इंकार कर दिया. और उनकी बहन और उनके परिवार को भी भारत वापिस भेज दिया गया. लेकिन भारत आने के बाद उनकी बहन ने दावा किया की डॉक्टर इमानदारी से उनके भाई का इलाज नही करते थे. उनकी बहन का ऐसा कहना है की उन्होंने उनके भाई के अंगूठे पर स्याही का निशान देखा था और जब उन्होंने डॉक्टरो से इस विषय में पूछा था तो उन्होंने इसका जवाब देने से इंकार कर दिया था.
2 मई 2013 को, रात 12.45 बजे लाहौर में ही उनकी मृत्यु हो गयी थी. और उन्हें वेंटिलेटर से भी निकाल लिया गया था. बाद में उनके शव को भारत भेजा गया और पोस्टमार्टम में भारतीय डॉक्टरो ने यह बताया की उनके शरीर के मुख्य अंग निकाल दिए गये थे. और उन्होंने बताया की पकिस्तान में किये गये पोस्टमार्टम में उनके शरीर के साथ छेड़खानी की गयी थी.
सरबजीत सिंह की मृत्यु पर पंजाब सरकार ने राज्य में तीन दिन के शोक की घोषणा की. और उनके परिवार को 10,000,000 का अनुदान देने को घोषणा भी की. उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बन रही है जिसमे ऐश्वर्या राय और रणदीप हुड्डा मुख्य भूमिका निभा रहे है.
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But sarabjit ko kediyo ne nhi maara tha balki unki phle se hi chaal thi sarabjit ko maar daalne Ki bczz India m kasaab ko faansi dedi thi issi baat ka badla nikaalne k liye unhone jail m jaakr unka khoon krdiya Aur unki maut ussi din hogyi thi 26 April ko hi BT unko dikhawe k liye hospital m rkkha jaa rha tha Aur Jo begunaah Hindustani log Pakistan m fasse hue hai Jo bina galti k roj itna dard jhel rhe h unke liye hamari sarkaar ko kuch krna chahiye
sarabjit desh ka real hero tha, hai orv rahega
Jb pehli bar sarabjit ji k bare me suna to unke liye dua krta tha Phir unpe dedicated film bani to dekhne ki bahot ichcha thi bt time nhi mil paya, Aaj hi roza rakhne k liye sehri me utha to sarabjit ji pe dedicated movie dekha bs Phir kya h aansu pe aansu chalu the Allah aise bekusuro ko kabhi saza na dilwaye pariwar pe kya guzarti hai wo sir pariwar wale hi jante hai. We LOVE YOU sarabjit ji, jo sukun apko nhi mil Sala wo sukun Allah apko jannat me dega.. Ameen?
kya likhu koi sabad hi nahi jisase apne is dukh ko sabit ker saku. ager ek sabd me kucha bola ja sakta hai to ye pure manaw jati k liye sham ki baat hai ki ek baksur bina kisi wajh mara jata hai aur ham khda hoker tamasa dekhte hai .
SARABJEET SINGH AAPKO DAHE DIL SE NAMAN KERTE HAI
Hum logo ko huch karna chahiye hum unki ye kurbani yuhi khali nahi Jane de sakte hmain Pakistan ko uski bhasha main jawab dena chahiye