सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी | Sohni Mahiwal story in Hindi

Sohni Mahiwal – सोहनी महिवाल पंजाब की एक प्रसिद्ध दुःखद प्रेम कहानी है। सस्सी पुन्नन, मिर्ज़ा साहिबा और हीर राँझा की तरह ही सोहनी महिवाल की भी कहानी है। सोहनी महिवाल एक दुःखद प्रेम कहानी है। भारत में सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी काफी प्रसिद्ध है।

कहानी की हीरोइन सोहनी, नाखुशी से उस इंसान से शादी कर लेती है जिसे वह नही चाहती थी। इसीलिए वह हर रात मिट्टी के बर्तन के सहारे नदी पर तैरती थी। जहाँ उनका प्रिय भैसो के झुण्ड को चरा रहा था।

लेकिन एक रात उनकी भाभी ने मिट्टी कर बर्तन को पानी में घुलने वाले बर्तन में बदल दिया, और जब सोहनी उस रात तैरने गयी तब वह बर्तन पानी में घुल गया और महिवाल उसमे डूबकर मर गयी।

Sohni Mahiwal
Sohni Mahiwal

सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी – Sohni Mahiwal story in Hindi

यह कहानी हमें शाह जो रिसालो और सिंध की मुख्य सात प्रसिद्ध दुःखद प्रेम कहानियो में भी शामिल है। सोहनी महिवाल के साथ दूसरी छः प्रेम कहानियो में उमर मरुई, सस्सुई पुन्हून, लीलन चनेसर, नूरी जम तमाची, सोरठ राय दियाच और मोमल रानो शामिल है।

इन सभी को साधारणतः शाह अब्दुल लतीफ़ भित्ती की हीरोइन भी कहा जाता है। शाह ने अपनी कहानी की शुरुवात बहुत ही नाटकीय ढंग से की थी, जब एक जवां महिला ठण्डी नदी में सहायता के लिये पुकार रही थी, उनपर मगरमच्छ ने आक्रमण किया था। बाद में इस भयानक घटना को ही इतिहास में विस्तार से बताया गया था।

सिंध और पंजाब प्रान्त में सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी को लोग काफी पसंद करते है।
कहानी –

18 वी शताब्दी में (मुघल के बाद का समय), एक सुंदर कन्या सोहनी का जन्म तुल्ला नाम के कुम्भार के घर हुआ। वे कुम्भार जाती के थे और गुजरात, पंजाब में रहते थे। उस समय गुजरात की चेनाब नदी बखरा और दिल्ली के व्यापारी रास्ते के बीच में आती थी जहाँ मुसाफिरों का कारवाँ रुकता था।

जैसे-जैसे मिट्टी के घड़े उनके पास आते थे वैसे-वैसे सोहनी उनपर सुंदर-सुंदर कलाकृतियाँ निकालती थी और उन्हें बेचने के लिये तैयार करती थी।

बुखारा का इज्ज़त बैग –

बुखारा (उज्बेकिस्तान) का एक समृद्ध और अमीर व्यापारी शहजादा इज्ज़त बैग व्यापार करने के उदेश्य से पंजाब आया था और गुजरात (वर्तमान पाकिस्तान) में रुका था। वहाँ पर उसने सोहनी को एक दूकान में देखा और पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया। इसके बाद केवल सोहनी की एक झलक पाने के लिये वह रोज़ सोहनी द्वारा सजाये गए मटके खरीदने आया करता था।

सोहनी का दिल भी इज्ज़त बैग पर आ गया था। अपने कारवाँ के साथ बुखारा वापिस जाने की बजाये इज्ज़त बैग ने तुल्ला के ही घर में नौकर बनकर काम करने की ठान ली थी। बल्कि इज्ज़त बैग तुल्ला की भैसों को चराने के लिये भी ले जाया करता था। और तभी से कुछ समय बाद वह “महिवाल” के नाम से जाना जाने लगा था।

सोहनी का विवाह –

सोहनी और महिवाल का प्यार ही कुम्भर समुदाय में खलबली का कारण बना था। उस समय कुम्भर समाज के लोग यह नही चाहते थे की उनके समाज की बेटी किसी दुसरे समाज के लड़के से विवाह करे, इसीलिए उनके माता-पिता ने तुरंत सोहनी का विवाह एक दुसरे कुम्भर के साथ तय कर दिया था।

बारात के दिन जब कुम्भर घर पर आया था, सोहनी पूरी तरह से अकेली पड़ गयी थी। और डोली में बिठाकर सोहनी को अपने पति के घर भेजा गया था।

इसके बाद इज्ज़त बैग ने अपनी पहचान बदल दी थी और एक फकीर की तरह रहने लगा था। अचानक वह सोहनी के नये घर के पास की चेनाब नदी के पास ही की छोटी सी झोपडी में रहने लगा था। अँधेरी रात में जब सारी दुनियाँ सो जाती थी तब ये दोनों प्रेमी नदी किनारे एक-दूजे से मिलते थे।

इज्ज़त नदी किनारे सोहनी से मिलने आया करता था और सोहनी मिट्टी के बर्तन की सहायता से तैरकर नदी किनारे पहुचती थी। इज्ज़त रोज़ मछलियाँ पकड़ता था और सोहनी के लिये लाया करत था। एक समय की बात है, कहा जाता है की एक बार ज्यादा लहरों की वजह से इज्ज़त बैग मछली को पकड़ने में असफल रहा था, तब महिवाल ने अपनी जांघ का ही एक टुकड़ा कांटकर उसे भुना था।

सोहनी को पहले इस बारे में जरा भी पता नही था लेकिन फिर सोहनी ने इज्ज़त को बताया की आज मछली के स्वाद में जरा फर्क लग रहा है। और जब सोहनी ने अपना एक हाथ उसके पैर पर रखा तब सोहनी को अहसास हुआ की महिवाल ने उसके लिये अपनी जांघ पर घाव मारा है। और यह बात उन दोनों के प्यार की गहराई को दर्शाती है।

सोहनी-महिवाल दुःखद अंत – Sohni Mahiwal story sad ending

इस प्रकार उनकी परम कहानी के चर्चे जगह-जगह फैलते गए थे। एक दिन सोहनी की भाभी ने उनका पीछा किया और उस जगह छुप गयी जहाँ सोहनी अपना पानी पर तैरने वाला बर्तन रखती थी। सोहनी को ऐसा करते हुए देखते ही उसने सोहनी की सासुजी को यह बात बतायी और दोनों न मिलकर यह बात महिवाल को बताने की बजाये खुद ही इस बात पर निर्णय लेने की ठानी।

अगले दिन, सोहनी की भाभी ने तैरने वाले मिट्टी के बर्तन को बदलकर वहाँ डूबने वाला बर्तन रख दिया। उस रात, जब सोहनी मिट्टी के बर्तन के सहारे नदी पार करने की कोशिश कर रही थी तब वह बर्तन उस रात पानी में घुल गया और इस वजह से सोहनी पानी में डूब गयी।

नदी की दूसरी तरफ से महिवाल ने सोहनी को डूबता हुआ देखा और सोहनी को बचाने के लिये महिवाल भी पानी में कूद गए थे। और इस तरह से दोनों प्रेमी एक साथ मौत में मिल गए।

सोहनी-मेहर का सिन्धी वर्जन –

इस कहानी का थोडा सा अलग रूप हमें इसके सिंध वर्जन में देखने को मिलता है, जहाँ माना गया है की सोहनी जाट समुदाय से रिश्ता रखती थी और इंडस नदी के पश्चिमी तट पर रहती थी। कहा जाता की सोहनी और मेहर के प्यार की शुरुवात तब हुई थी जब एक विवाह समारोह में मेहर ने सोहनी को दूध पिलाया था।

सोहनी की कब्र –

जानकारों के अनुसार पाकिस्तान के हैदराबाद से 75 किलोमीटर दूर सिंध के शहदपुर में इंडस नदी के किनारे से सोहनी और महिवाल के शवो को निकाला गया था। और बाद में सोहनी की कब्र को शहदपुर में शाहपुर चाकर रोड पर बनवाया गया था। जिसे लाखो प्रेमी युगल हर साल देखने के लिये आते है।

Sohni Mahiwal story after famous –

सोहनी-महिवाल की प्रसिद्ध प्रेम कहानी को फज़ल शाह सय्यद ने पंजाबी कविता बनाकर भी समझाने की कोशिश की है, इसके साथ ही उन्होंने हीर-राँझा, लैला-मजनू और दुसरे प्रसिद्ध प्रेमी युगलों पर भी कविताये बनायी है।

सोहनी-महिवाल की तर्ज पर वर्तमान में बहुत से गाने भी बने है, जिनमे पठानी खान का प्रसिद्ध गाना सोहनी गहरे नु मेनू यार मिला घदेया भी शामिल है।

इसके बाद आलम लोहार ने अपने गानों के माध्यम से सोहनी-महिवाल की प्रेम कथा को बताया, और वे ऐसे पहले गायक भी बने जिन्होंने गानों के माध्यम से उनकी प्रेम कहानी को लोगो के सामने रखा। पाकिस्तानी पॉप बैंड नूरी का गाना दोबारा फिर से असल में सोहनी-महिवाल की प्रेम कहानी पर ही आधारित है।

प्रसिद्ध आर्टिस्ट सोभा सिंह द्वारा सोहनी-महिवाल की बहुत सी तस्वीरे (पेंटिंग्स) भी बनायी गयी है। पंजाब राज्य में हमें सोहनी-महिवाल की कहानियो के फोक वर्जन भी दिखाई देते है।

चार हिंदी फिल्म वर्जन (किरदारों के नाम), जिनका नाम Sohni Mahiwal की कहानी के आधार पर रखा गया –

• 1933 में गौहर कर्नाटकी, मास्टर चोनकर, शिवरानी और मास्टर कांति
• 1946 में इश्वरलाल और बेगम पारा
• 1958 में भारत भुषण और निम्मी
• 1984 में सनी देओल और पूनम ढिल्लों

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16 thoughts on “सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी | Sohni Mahiwal story in Hindi”

  1. विरोचन

    प्रभावी भाषा में पेश किया है । धन्यवाद

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