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  • गणतंत्र दिवस पर शानदार भाषण

    गणतंत्र दिवस पर शानदार भाषण

    26 January Republic day Speech

    भारत में हर साल 26 जनवरी – 26 January को गणतंत्र दिवस (Republic Day) पूरे देश में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन के महत्व को आज के बच्चे एवं युवा पीढ़ी को समझाने के लिए इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों पर तमाम तरह की प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही इस मौके पर गणतंत्र दिवस पर निबंध लेखन, गणतंत्र दिवस पर भाषण – Republic day Speech प्रतियोगिताएं भी होती हैं।

    इसलिए आज हम आपको गणतंत्र दिवस पर अलग-अलग तरह के भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं। जिनका इस्तेमाल आप इस तरह की प्रतियोगिताओं में एवं स्कूल / कॉलेज में अपनी जरुरत के मुताबिक कर सकते हैं और अपना कौशल दिखा सकते हैं।

    26 January Republic day speech

    गणतंत्र दिवस पर भाषण – 26 January Republic day Speech in Hindi

    आओ झुककर सलाम करें उन्हें,
    जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है।।
    खुशनसीब होता है वो खून,
    जो देश के काम आता है।।
    जय हिन्द जय भारत।

    Happy Republic day

    गणतंत्र दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।।

    गणतंत्र दिवस के मौके पर यहां पर मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों, आदरणीय अतिथिगण, सम्मानीय प्राध्यापक, समस्त शिक्षकगण, सहपाठी और मेरे छोटे भाई-बहन सभी को मेरा प्रणाम।।

    इस गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में मै आपके सामने कुछ शब्द बोलने जा रही हूं / रहा हूं, जिसे सुनकर यहां बैठे आप सभी लोगों में देश भक्ति की भावना जागृत हो उठेगी और क्रूर अंग्रेजों शासकों के प्रति आपका खून खौल उठेगा। इसी के साथ शुरुआत करता हूं/करती हूं –

    चलो फिर से खुद को जगाते है,
    अनुशासन का डंडा फिर घुमाते है,
    सुनहरा रंग है गणतंत्र का शहीदों के लहू से,
    ऐसे शहीदों को हम सब सिर झुकाते है।।

    Happy Republic day Status

    यह तो हम सभी जानते हैं कि 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था।

    भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों के काफी संघर्षों, त्याग और बलिदान के बाद भारत को 15 अगस्त, साल 1947 में ब्रिटिश शासन के चंगुल से आजादी मिली थी, लेकिन आजादी के बाद भी भारत एक स्वशासित देश नहीं था।

    स्वतंत्रता के करीब ढाई साल बाद 1950 को भारत सरकार ने खुद का संविधान लागू किया और भारत को एक प्रजातांत्रिक गणतंत्र घोषित किया।

    इस तरह करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन बाद 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को भारत की संविधान सभा में पास किया गया और उसी दिन से हमारा देश भारत एक सम्पूर्ण प्रमुख समाजवादी, लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बन गया।

    जैसा हम सभी जानते हैं की भारत का संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया था। यह तीन साल लिखे जाने के लिए ले गए। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 में को संविधान सभा द्वारा एक मसौदा समिति की स्थापना की गई थी।

    जिसमें डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, गणेश वासुदेव मावलंकर, सी. राजगोपालाचारी, संजय फाकी, कानईलाल मुंशी, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, नलिनी रंजन घोष, संदीपकुमार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार वल्लभभाई पटेल, बलवंतराय मेहता और मौलाना अबुल कलाम आजाद, महिला सदस्य सरोजिनी नायडू, दुर्गाबाई देशमुख, हंस मेहता, विजयलक्ष्मी पंडित और राजकुमारी अमृत कौर शामील थे।

    वहीं इस घोषणा के बाद इस दिन को हर साल भारत के लोग गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं।
    गणतंत्र का अर्थ है देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति यानि देश में लोगों के पास अपने राजनेता को चुनने अधिकार होता है। जिससे सही दिशा में देश का नेतृत्व हो सके।

    वहीं यह शक्ति भारत के लोगों के पास भी है, इसलिए जनता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपना नेता देश के प्रधानमंत्री के रुप में चुनती है।

    भारत में “पूर्ण स्वराज” के लिये हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई। जिसका फायदा आज हम सभी देशवासियों को हो रहा है।

    डर कर भाग जाने वालों में से हम नहीं
    वतन के लिए मिटना भी पड़े तो कोई गम नहीं।।
    देखना है तो तराजू से तौल कर देख लो
    हमारी ताकत दुनिया में किसी से कम नहीं।।

    यह कुछ पक्तियां हमारे देश के महान नेता और देश के लिए मर मिटने वाले स्वतंत्रता सेनानियों पर चरितार्थ होती हैं, जिन्होंने भारत भूमि को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।

    इन महान पुरुषों के त्याग, बलिदान और समर्पण की वजह से ही आज हम आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं।

    आज इस गणतंत्र दिवस (Republic day) के मौके पर मैं, वतन के लिए मर मिटने वाले भारत के उन महान पुरुषों और भारत के वीर सपूतों को सलामी देता हूं और उन्हें हृदय से नमन करता हूं/ करती हूं।

    लेकिन आज इस मौके पर सवाल यह है कि, क्या आजादी के इतने सालों बाद भी हम अपने संविधान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सके हैं। कितने शर्म से यह कहना पड़ रहा है कि आज हमारे देश में गरीबी, अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा आतंकवाद, बलात्कार, महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार चोरी, दंगे, हड़ताल जैसे तमाम समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं और इसके साथ उग्रवाद और आतंकवाद हमारे तिरंगे की शान को चुनौती दे रहा है।

    यही नहीं किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है और उसे अपनी उपज की कीमत नहीं मिल पाती। यही नहीं दिन भर मेहनत मजदूरी करने वाला एक मजदूर भूखे पेट सोने को मजबूर है।

    इसके अलावा आज हमारा देश ऐसे लोगों से भरा पड़ा है, जिनके सिर पर छत नहीं है, तन पर कपड़ा नहीं है, और खाने के लिए पौष्टिक भोजन नहीं है और इलाज के लिए पैसे नहीं है और तो और देश की महिलाएं महफूज नहीं हैं।

    जिसके चलते फिर से हमारा देश गुलामी की जंजीरों में कैद हो गया है, ऐसी गुलामी से देश को बचाने के लिए हम सबको एक- साथ होने की ज़रुरत है और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है, क्योंकि कहीं न कहीं यह सब हमारे देश के विकास और उन्नति को रोक रहा है और हमारे देश को कई साल पीछे खीच रहा है।

    तो आइए गणतंत्र दिवस के इस पावन पर्व पर एकसाथ शपथ लेते हैं कि

    विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
    झंडा ऊंचा रहे हमारा
    इसकी शान न जाने पाए
    चाहे जान भले ही जाए।।

    फिलहाल इन्हीं शब्दों के साथ मै अपनी वाणी को विराम देता हूं/देती हूं।।

    धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत!!

    Republic Day

    गणतंत्र दिवस पर भाषण – 26 January Republic Day Speech in Hindi for Students

    माननीय मुख्य अतिथि, सम्मानीय प्रधानाचार्या जी, प्रिय शिक्षकों एवं मेरे सभी छोटे-बड़े भाई बहन सर्वप्रथम आप सभी को मेरा नमस्कार।

    मैं ….नाम…. कक्षा ….. का छात्र हूं। मुझे आज बेहद खुशी हो रही है कि आप सभी ने गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर आज मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया है।

    गणतंत्र दिवस पर अपने इस भाषण की शुरुआत में मैं कुछ पंक्तियों के माध्यम से आप सभी को गणतंत्र दिवस के पावन पर्व की बधाई देना चाहूंगा/चाहूंगी।

    भारत के गणतंत्र का, सारे जग में है मान,

    दशकों से खिल रही है, उसकी अद्भुत शान,

    सब धर्मो को देकर मान रचा गया इतिहास का,

    इसलिए हर देशवासी को इसमें है विश्वास ||

    गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढ़ेरो शुभकामनाए।

    जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज 26 जनवरी के दिन हम सभी हर साल की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं।

    यह दिन हम सभी भारतीयों के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस दिन साल 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और हमारा देश एक स्वतंत्र, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बना था।

    इसके साथ ही हमारे देश में संविधान लागू होने के बाद सभी देशवासियों को समानता का अधिकार दिया गया था, इसके साथ ही समान कानून व्यवस्था बनाई गई थी।

    हमारे देश के संविधान के तहत देश के सभी धर्म, संप्रदाय के लोगों को समान अधिकार दिए गए थे। वहीं संविधान के लागू होने के बाद काफी हद तक महिला और पुरुष के बीच के अंतर को कम किया जा सका, जिसके चलते जातिगत भेदभाव, ऊंच-नीच को मिटाने में भी मद्द मिली है।

    दुनिया के सबसे बड़े भारतीय संविधान को बनाने में करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का लंबा वक्त लगा था। इसके बाद दलितों के मसीहा माने जाने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता मे 26 जनवरी, 1950 के दिन भारतीय संविधान को लागू किया गया था।

    इसी दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को हमारे देश का राष्ट्रपति भी बनाया गया था।

    गुलामी का दंश झेल रहे भारत को आजादी दिलवाने एवं पूर्ण स्वराज के लिए हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

    उनके सालों तक संघर्ष एवं बलिदान की बदौलत ही आज हम सभी भारतीय चैन की सांस ले रहे हैं। वहीं इस मौके पर कुछ पंक्तियों के माध्यम से मैं धरती माता के वीर सपूतों की कुर्बानियों को याद करना चाहूंगा/चाहूंगी-

    चढ़ गए जो हंसकर सूली,

    खाई जिन्होंने सीने पर गोली

    हम उनको प्रणाम करते हैं

    जो मिट गए देश पर

    हम उनको सलाम करते हैं।।

    26 जनवरी के राष्ट्रीय पर्व के दिन राजधानी दिल्ली के राजपथ पर हर साल विशाल परेड का भी आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही भारत की जल, थल और वायु तीनों सेना द्वारा अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है। 

    इसके साथ ही इस दिन देश के अलग-अलग राज्यों द्वारा दिल्ली के राजपथ पर झांकियां भी निकाली जाती हैं, जिसमें उनके संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिलती है।

    इस दिन चारों तरफ देशभक्ति से ओतप्रोत माहौल होता है। 26 जनवरी के दिन देशभक्ति के गीत एवं उद्घोषों से पूरा वातावरण गूंजायमान रहता है।

    गणतंत्र दिवस के दिन सभी देशवासी देश की आजादी के लिए लंबे समय तक संघर्ष करने वाले धरती माता के वीर सपूतों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों को याद करते हैं एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली देते हैं।

    इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली के इंडिया गेट पर स्थित शहीद स्मारक ”अमर जवान ज्योति” पर फूल आदि चढ़ाकर वीर शहीदों को याद किया जाता है।

    26 जनवरी, जैसे राष्ट्रीय पर्व हम सभी भारतीयों को आपस में मिलजुल कर प्रेम-सदभाव से रहने की प्रेरणा देते हैं। इसके साथ ही हमारे अंदर देशप्रेम की भावना पैदा करते हैं।

    वहीं इस मौके पर हम सभी देशवासियों को अपने वतन की रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए।

    मैं कुछ पंक्तियों के माध्यम से अपने इस भाषण को विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं-

    कतरा कतरा दे दूंगा अपने वतन के लिए

    रात और दिन बॉर्डर पर पहरा दूंगा अपने वतन के लिए

    ये कुर्बानी है मेरी मेरे देश के लिए

    जरुरत आने पर अपनी जान भी दूंगा अपने वतन के लिए।।

    धन्यवाद

    जय हिन्द, जय भारत ।।

    गणतंत्र दिवस पर भाषण – Republic Day Bhashan

    Republic Day Bhashan

    माननीया मुख्य अतिथि, आदरणीय कुलपति जी, मेरे समस्त शिक्षणगण एवं मेरे सभी छोटे-बड़े भाई बहनों एवं सहपाठियों, आप सभी को मेरा नमस्कार।।

    सबसे पहले मैं आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देना चाहता हूं/चाहती हूं।

    मेरा नाम… है। और मैं ..कोर्स का नाम विद्यार्थी हूं। आज मुझे बेहद खुशी हो रही है कि गणतंत्र दिवस समारोह के इस मौके पर आप सभी ने मुझे अपने विचार सांझा करने का मौका दिया है।

    मैं अपने भाषण की शुरुआत कुछ पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं/करना चाहती हूं-

    भूख, गरीबी, लाचारी को,

    इस धरती से आज मिटायें,

    भारत के भारतवासी को,

    उसके सब अधिकार दिलायें

    आओ सब मिलकर नये रूप में गणतंत्र मनायें…

    जैसे कि हम सभी जानते हैं कि आज गणतंत्र दिवस के मौके पर हम सभी लोग इस समारोह में इकट्ठे हुए हैं। आज का दिन हम सभी भारतवासी के लिए बेहद गौरवमयी दिन है।

    इस दिन साल 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और हमारा भारत देश समाजवादी, स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतंत्रात्मक, प्रजातंत्रात्मक गणराज्य बना था।

    दरअसल, जब हमारा देश ब्रिटिश चंगुल से आजाद हुआ था। उसके बाद भी यह स्वशासित देश नहीं था। संविधान लागू होने के बाद ही हमारा भारत देश स्वतंत्र- स्व-शासित गणतंत्रात्मक देश बना।

    हमारे देश के संविधान को लागू करवाने में महान राजनैतिक,अर्थशास्त्री एवं समाजसेवी भीमराव अंबेडकर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

    वहीं देश में संविधान के लागू होने के बाद ही हम सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति एवं बोलने की स्वतंत्रता समेत कई समानता के अधिकार प्राप्त हुए थे। हम सभी भारतीय अपनी इच्छानुसार अपने देश का प्रतिनिधि चुन सकते हैं।

    हम हमारे गुलाम देश को आजादी दिलवाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भूल सकते हैं।

    भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत तमाम क्रांतिकारियों के लंबे संघर्ष और लड़ाई के बाद हमें आजादी मिली थी।

    उन्हीं के बदौलत ही आज हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं। वहीं गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व हमें अपने वीर सपूतों के त्याग का एहसास दिलवाने का काम करते हैं।

    इसके साथ ही इन अवसरों पर उनकी गौरवगाथा सुनाई जाती हैं एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित की जाती हैं। इस मौके पर हर साल देश के राष्ट्रपति दिल्ली के राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं।

    वहीं इसमें कोई दोराय नहीं है कि देश की आजादी के बाद हमारे भारत देश में सफलता की नई बुलंदियों को हासिल किया है और राजनैतिक, आर्थिक, समाजिक, वैज्ञानिक समेत हर क्षेत्र में जमकर तरक्की की है।

    लेकिन कई मायनों में आज भी हमारा देश संविधान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में पीछे है। स्वतंत्र, संप्रभु एवं धर्मनिरपेक्ष गणराज्य होते हुए भी आज हमारे देश में जाति, गरीबी, भ्रष्टाचार, हिंसा, अपराध, अत्याचार, बलात्कार जैसी जघन्य समस्याएं बढ़ रही हैं।

    इसके अलावा बढ़ रही आतंकवादी गतिविधियां भी हमारे देश की शान को चुनौती दे रहा है। इसलिए हम सभी को अपने देश को श्रेष्ठ बनाने की जरूरत है और एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ाई करने की जरूरत है।

    ताकि हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, हिंसा जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो सकें। कहीं न कहीं यह हमारे देश की उन्नति और विकास को रोकने का काम करती हैं।

    इसलिए आज गणतंत्र दिवस के मौके पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सभी अपने देश की रक्षा करेंगे और भ्रष्टाचार मुक्त एवं हिंसामुक्त गणराज्य का निर्माण करेंगे।

    मैं कुछ पंक्तियों के माध्यम से अपने इस भाषण को विराम देना चाहती हूं/चाहता हूं-

    शहीदों का सपना जब सच हुआ

    हिंदुस्तान तब स्वतंत्र हुआ

    आओ सलाम करें इन वीरों को,

    जिनकी वजह से भारत गणतंत्र हुआ।

    धन्यवाद।

    वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम्….

    भारत माता की जय..

    गणतंत्र दिवस पर भाषण – 26 January Bhashan

    सम्मानीय वरिष्ठ अधिकारियों एवं मेरे प्यारे सहयोगियों आप सभी को मेरा नमस्कार एवं गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

    आज हम सभी लोग हर साल की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस के समारोह को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। सबसे पहले मै आप सभी का आभार प्रकट करना चाहता हूं/चाहती हूं कि आप सभी ने मुझे इस गौरवमयी दिन में अपने विचार रखने का मौका दिया है।

    मै अपने भाषण की शुरुआत में सबसे पहले देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने वाले वीर जवानों को सलाम करता हूं / करती हूं और देश के लिए अपना लहू बहाने वाले एवं अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीरों को श्रद्धांजली देता हूं।

    जिनकी बदौलत आज हम आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं और गणतंत्र देश में सुकून से रह रहे हैं।

    आज 26 जनवरी के दिन ही, साल 1950 में हमारा भारतीय संविधान लागू हुआ था और भारतीयों को उनके अधिकार दिए गए थे एवं भारत एक प्रजातंत्रात्मक, लोकतंत्रात्मक एवं स्वतंत्र गणराज्य बना था।

    इसके पहले भारत देश स्वशासित देश नहीं था। जिस दिन से हमारे भारत देश का संविधान लागू हुआ था, उस दिन से हमारे देश को एक गणतंत्र देश के रुप में मान्यता मिली थी।

    गणतंत्र देश का मतलब एक ऐसा देश जो कि प्रजा द्वारा चलाया जाता है एवं यहां प्रजा का फैसला ही सर्वोपरि होता है। अर्थात लोगों को अपने देश का प्रतिनिधि चुनने का पूरा अधिकार होता है।

    वहीं संविधान के तहत देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है। जिसके चलते आजादी के बाद जातिगद भेदभाव के आधार पर वर्गीकृत भारतीय समाज को एकता के सूत्र में भी बांधने में मद्द मिली है साथ ही जातिगत भेदभाव जैसे समाजिक बुराईयों को दूर करने में मद्द मिली है।

    इसके अलावा हमारे संविधान के तहत महिलाओं और पुरुषों के बराबर के अधिकार दिए गए हैं, जिससे महिलाओं को भी समाज में बराबरी का हक प्राप्त हुआ है।

    इसके तहत सभी को शिक्षा का अधिकार, घू्मने-फिरने का अधिकार, कहीं पर भी रहने का अधिकार, बोलने एवं अभिव्यक्ति की आजादी समेत तमाम अधिकार दिए गए हैं।

    जिसके चलते भारतीय समाज की स्थिति में सुधार हुआ है एवं हमारा देश उन्नति के पथ पर अग्रसर हुआ है।

    आपको बता दें कि हमारे देश का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं। इसे तैयार करने में करीब ढाई साल का लंबा वक्त लगा था।

    डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने हमारे देश के संविधान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके अथक प्रयासों के बदौलत ही आज हमें एक मजबूत संविधान प्राप्त हुआ है, जिसने सभी देशवासियों को अपनी सर्वोच्च शक्ति प्रदान की है।

    वहीं 26 जनवरी के दिन हमारे देश के गणतंत्र देश बनने की खुशी में ही पूरे देश में इसे बेहद धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

    हम सभी भारतवासियों को अपने गणतंत्र देश का गरिमा का सम्मान करना चाहिए और इसकी रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए। मैं अपने भाषण के अंत में कुछ पंक्तियों शब्दों के साथ विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं-

    ये बात हवाओं को बताये रखना

    रोशनी होगी चिरागों को जलाये रखना

    लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने की

    ऐसे तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना।

    धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत ।।

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

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  • बाल दिवस पर भाषण | Childrens Day Speech

    बाल दिवस पर भाषण | Childrens Day Speech

    Childrens Day Speech in Hindi

    आदर्शवादी एवं सैद्धान्तिक छवि वाले महान राजनीतिज्ञ पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के जन्मदिन 14 नवंबर को पूरे भारतवर्ष में बाल दिवस के रुप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर पंडित नेहरु को श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।

    दरअसल, नेहरू जी को को बच्चों से अत्याधिक स्नेह और प्रेम था। वे हमेशा बच्चों के बेहतर भविष्य और उनकी तरक्की के बारे में सोचते रहते थे, दरअसल उनका मानना था कि बच्चों के भविष्य पर ही देश का भविष्य टिका होता है, बच्चे किसी भी देश की बुनियाद होते हैं।

    इसलिए उनके जन्मदिवस को बाल दिवस को बच्चों को समर्पित किया गया है। वहीं इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों समेत अन्य शिक्षण संस्थानों में तमाम तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करवाया जाता है।

    जिसमें भाषण, बाल दिवस पर निबंध लेखन, खेल कूद, वाद-विवाद समेत कई प्रतियोगिताएं होती हैं। इसके साथ ही इस मौके पर होनहार बच्चों को उनके हौसला अफजाई के लिए सम्मानित भी किया जाता है।

    वहीं ऐसे मौके पर कई बार भाषण देने की जरूरत होती है, इसलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बाल दिवस पर अलग-अलग शब्द सीमा पर कुछ भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरुरत के मुताबिक कर सकते हैं।

    बाल दिवस पर भाषण – Childrens Day Speech in Hindi

    Childrens Day Speech

    दुनिया भर में बच्चे का दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पूरे विश्व में विभिन्न तिथियों पर मनाया जाता है, जैसे भारत में 14 नवंबर को मनाया जाता है। हालांकि, 20 नवम्बर को सार्वभौमिक बच्चों के दिन के रूप में मनाया जाता है।

    इस दिन सभी स्कूलों में बहुत से सांस्कृतिक प्रोग्राम होते हैं जिनमे सें एक भाषण का भी प्रोग्राम होता हैं आज हम बाल दिवस पर एक छोटासा भाषण देकर सभी की थोड़ी सी मदत करते हैं आशा हैं आपको यह भाषण पसंद आयेंगा।

    भारत में, हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का भी जन्मदिन है, जिसे चाचाजी भी कहते है।

    उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में और बच्चों के प्रति उनका प्यार को देखते हुए, इस दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है उन्होंने बच्चों के कल्याण के प्रति पूरी तरह से काम किया और वह भारत में बच्चों के शिक्षा और विकास के बारे में उत्सुक थे।

    ऐसा कहा जाता है कि उनके सारे जीवन में वह गुलाब और बच्चों के बहुत प्यार करते थे। उन्हें देश के बच्चों की प्रगती के लिए चिंता थी क्योंकि उनका मानना था कि वे देश का भविष्य हैं। इसलिए उन्हें अनुशासन, स्वच्छता, महत्वाकांक्षा और बहुत कुछ के मूल्यों को आत्मसात करना चाहिए। यह मूल्य हर बच्चे को अच्छे नागरिक बनाएंगे।

    बच्चे का पहला स्कूल और नींव है उसका घर एक बच्चे को अवलोकन, सुझाव और प्रभाव के माध्यम से घर पर गुण सीखना पड़ता है। इसलिए माता-पिता / बच्चे के भविष्य को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

    उन्होंने सभी माता-पिता से अनुरोध किया कि वे अपने बच्चों की उचित देखभाल करें, उन्हें ठीक से पालन करें, उन्हें देखभाल करें और उन्हें प्यार करें।

    पंडित जवाहरलाल नेहरू का यह मानना था कि इतनी सारी सामाजिक बुराई की सदी में, बच्चे के बीच कोई अंतर नहीं है फिर चाहे वो लड़का हो या लड़की। उनका मानना था कि देश की ताकत देश के बच्चे है। एक बच्चे के पालन के बारे में बात करते हुए, शिक्षा एक प्रमुख भूमिका निभाता है क्योंकि यह एक बच्चे की मानसिक संकाय विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    छत्रपति शिवाजी महाराज, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और कई अन्य लोगों जैसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने बच्चों को शिक्षित करने का महत्व समझाया था। ये पुरुष हमारे आदर्श हैं, जिनके मार्ग का पालन हमारे देश की युवा पीढ़ी द्वारा किया जाना चाहिए।

    हर बच्चे को यह महसूस करना चाहिए कि उन्हें हमेशा अपने माता-पिता और शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए बच्चों के लिए यह महान विचारधारा और प्यार एक कारण है कि हम उनके जन्मदिन पर बच्चों के दिन मनाते हैं, ताकि उन्हें श्रद्धांजलि दे।

    बाल दिवस पर भाषण – Bal Diwas Par Bhashan

    आदरणीय महानुभाव, प्रधानाचार्य जी, अध्यापक व अध्यापिकाएं और मेरे सभी साथियों आप सभी को मेरा नमस्कार।

    मै(…) कक्षा (…) का विद्यार्थी हूं, सबसे पहले आप सभी को बाल दिवस की शुभकामनाएं देना चाहता हूं/चाहती हूं। जैसे कि हम सभी जानते हैं, आज 14 नवंबर के दिन हम सभी लोग यहां बालदिवस को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं।

    मुझे बेहद खुशी हो रही हैं कि आज इस खास मौके पर मुझे भाषण के माध्यम से बाल दिवस पर अपने विचार रखने का सुनहरा मौका मिला है। मै अपने भाषण की शुरुआत करने से पहले आधुनिक भारत के शिल्पकार एवं आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्धारा कहीं कुछ शानदार पंक्तियों बोलकर करना चाहूंगीं/चाहूंगा, जो कि इस प्रकार हैं-

    ”बच्चे बगीचे की एक कली की तरह होते हैं जिन्हें अच्छी देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि वो देश का भविष्य और कल के नागरिक हैं।”

    जी हां पंडित नेहरू बच्चों को राष्ट्र निर्माता मानते थे, उनका मानना था कि, कोई भी राष्ट्र सही मायने में तभी विकास कर सकता है, जब उस राष्ट्र के बच्चे तरक्की कर रहे हों। 14 नवंबर के दिन यानि की पंडित नेहरू जी की जयंती को उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करने एवं उनके सम्मान में बाल दिवस के रुप में मनाते हैं।

    पंडित नेहरू इसी दिन साल 1889 में जन्में थे। वे एक महान राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने गुलाम भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए काफी संघर्ष किया था, एवं अपने महान विचारों एवं दूरदर्शी सोच से भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में देश का सकुशल नेतृत्व किया था एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान समेत तमाम क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास कर आधुनिक भारत की नींव रखी थी।

    पंडित नेहरू को बच्चों से अत्याधिक लगाव था, उन्हें बच्चों के साथ खेलना एवं उनके साथ समय व्यतीत करना काफी अच्छा लगता था।

    वे अपने महान विचारों से हमेशा ही बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे एवं उनका हौसला अफजाई करते थे। इसलिए बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे।

    पंडित नेहरू हमेशा ही बच्चों के विकास और उनके भविष्य के लिए काफी फिक्रबंद रहते थे। वह यही चाहते थे कि बच्चों को उनके शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सभी अधिकार हासिल हों और उनका सही दिशा में मार्गदर्शन किया जाए ताकि वे आगे बढ़े।

    साल 1964 में भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की मौत के बाद से उनकी जयंती को उनके सम्मान में बाल दिवस के रुप में मनाया जाना लगा था।

    हालांकि संयुक्त राष्ट्र सभा में 20 नवंबर को अधिकारिक रुप से बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी, दरअसल भारत में, पंडित नेहरु के बच्चों के प्रति अत्याधिक प्रेम को देखते हुए उनकी जयंती को बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था।

    वहीं 20 नवंबर को यूनिवर्सिल बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है।

    बाल दिवस मनाने का  मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना एवं उनके हितों की रक्षा करना भी है। यह दिवस, देश के भविष्य के प्रगति और निर्माण में बच्चों की अहमियत एवं उनके महत्व को बताने में मद्द करता है।

    यह दिवस बच्चों के प्रति हमारे कर्तव्य, एवं प्रतिवद्धता की याद दिलाता है, साथ ही बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास एवं कल्याण करने के लिए हमें प्रेरित करता है। बाल दिवस, बच्चों की हौसला अफजाई करने एवं उनकी हुनर और प्रतिभा की प्रशंसा करने का एक अच्छा मौका होता है।

    बच्चों के हाथ में ही किसी भी राष्ट्र के भविष्य की डोर होती है। इसलिए बच्चों को उन्हें अधिकार एवं उचित देखभाल की जानी चाहिए। वहीं बच्चों के विकास और उनकी उन्नति के लिए हमारी सरकार की तरफ से तमाम योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन इन सबके बाबजूद, आज भी हमारे देश के कई बच्चे शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम मौलिक अधिकारों से महरूम हैं। यही नहीं बाल मजदूरी, हमारे देश के लिए कलंक बना हुआ है।

    बड़े-बड़े होटल मालिक और कुछ स्वार्थी और लालची लोग अपने मुनाफे के लिए कम उम्र के बच्चों से कम पैसा देकर खूब काम करवाते हैं एवं मासूम बच्चों का शोषण करते हैं, जिससे बच्चों का सही विकास नहीं हो पा रहा है।

    इसलिए इस मौके पर हम सभी को मिलकर बाल अधिकारों के प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए। ताकि हमारे देश के बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो और हमारा राष्ट्र विकास कर सके। इस भाषण का अंत मैं बाल दिवस पर लिखी गई एक शानदार कविता के माध्यम से करना चाहती हूं/ चाहता हूं-

    इस दिन हम सब बच्चें मिलकर,

    गीत ख़ुशी के गाते.

    चाचा नेहरु के चरणों में,

    श्रद्धा सुमन चढ़ाते.

    बाल दिवस के इस अवसर पर,

    एक शपथ यह खाओ.

    ऊँच नीच का भेद भूला कर,

    सबको गले लगाओ.

    जिस दिन लाल जवाहर ने था,

    जन्म जगत में पाया।

    उसका जन्मदिवस भारत में

    बाल दिवस कहलाया।।

     धन्यवाद ।।

    बाल दिवस पर भाषण – Bal Diwas Par Speech

    आदरणीय प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, सम्मानित शिक्षकगण मेरे सभी सहपाठियों, आप सभी को मेरा नमस्कार एवं बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

    मै (….) कक्षा (..) का विद्यार्थी हूं। सर्वप्रथम आप सभी का बाल दिवस के अवसर पर इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद। मुझे बेहद खुशी हो रही है कि, मुझे इस मौके पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करना का मौका मिला है। मै बाल दिवस पर अपने भाषण की शुरुआत एक कविता के माध्यम से करना चाहती हूं-

    ”आता हैं हर वर्ष ये दिन

    झूमे नाचे बच्चे संग-संग

    देते चाचा नेहरु को श्रद्धांजलि हम

    थे यह देश के पहले प्रधानमंत्री

    करते थे बच्चों से प्यार

    हर जयंती पर होता बच्चो का सत्कार

    कच्ची मिट्टी हैं बच्चो का आकार

    सच्चे साँचे में ढले यही हैं दरकार

    ना हो अन्याय से भरा इनका जीवन

    प्रतिज्ञा करो न करोगे बाल शोषण

    नन्ही सी कलि हैं ये

    भारत का खिलता कमल हैं ये

    बाल दिवस पर हैं इन्हें सिखाना

    जीवन अनमोल हैं यूँही ना गँवाना

    देश के भविष्य हो तुम

    शक्तिशाली युग की ताकत हो तुम

    ” जय हिन्द जय भारत “”

    14 नवंबर यानि की आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री एवं महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की जयंती को उनके सम्मान में बाल दिवस के रुप में मनाते हैं।

    पंडित नेहरू जी दूरदर्शी सोच एवं सैद्धान्तिक छवि वाले एक महान राजनेता थे, जो कि बच्चों को राष्ट्र निर्माता मानते थे एवं बच्चों से अत्याधिक प्यार करते थे। इसलिए उनकी जयंती को उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए बाल दिवस के रुप में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है।

    बाल दिवस का दिन हर बच्चे के लिए बेहद खास दिन होता है। यह दिन बच्चों को न सिर्फ उनके मूल्य अधिकारों के प्रति जागरूक करता है, बल्कि देश के भविष्य के निर्माण में उनके महत्व को बताता है।

    बाल दिवस के मौके पर शिक्षण संस्थानों में आयोजित तमाम तरह की प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

    इस दिवस पर बच्चे, सबसे लोकप्रिय एवं अपने चहेते राजनेता चाचा नेहरू को याद करते हैं एवं उनके द्धारा कहे गए महान विचारों का अनुसरण करने का भी संकल्प लेते हैं।

    बाल दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश के हर नागरिकों को अपने बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों को याद दिलवाना अर्थात बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के लिए जागरूक करना है, ताकि बच्चे सही दिशा में विकास कर सकें, क्योंकि किसी भी राष्ट्र के निर्माण और उसके विकास में बच्चों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

    इसलिए जब तक राष्ट्र के बच्चों का विकास नहीं होगा, तब तक किसी भी राष्ट्र का विकास होना संभव नहीं है।

    वहीं बच्चों के बेहतर विकास के लिए आज जहां हमारे देश में सरकार द्धारा तमाम तरह की योजनाएं चलाईं जा रही हैं एवं अभिभावकों द्धारा अपने बच्चों के अधिकारों एवं सुरक्षा का बेहतर तरीके से ख्याल रखा जा रहा है।

    लेकिन आज भी आज हमारे देश में बाल मजदूरी, नशाखोरी, ड्रग, यौन शोषण, हिंसा समेत कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो कि हमारे देश के विकास के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।

    इसलिए आज बाल दिवस के मौके पर हम सभी को बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हमारे देश के बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो और हमारा भारत देश, विश्व के सबसे शक्तिशाली और संपन्न राष्ट्र बन सकें।

    वहीं बाल दिवस पर मैं अपने इस भाषण का अंत कुछ पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं/चाहती हूं-

    चाचा नेहरू तुझे सलाम

    अमन शांति का दे पैगाम

    जग को जंग से तूने बचाया

    हम बच्चों को भी मनाया

    किया अपना जन्मदिवस बच्चों के नाम

    चाचा नेहरू तुझे सलाम।

    बाल दिवस मुबारक

    धन्यवाद ।

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  • शिक्षक दिवस पर भाषण

    शिक्षक दिवस पर भाषण

    Teachers day Speech in Hindi

    हर इंसान के जीवन में सबसे ज्यादा महत्व एक शिक्षक या गुरु का होता है क्योकि वह ही अपने विद्यार्थी के ज्ञान का एकमात्र साधन होते है। शिक्षको के कार्यो को सराहने और उनकी प्रशंसा करने के लिए बहुत से पर्व आते है, जिनमे से एक शिक्षक दिवस भी है। इस दिन यह जरुरी होता है की हम शिक्षको के प्रति की भावना को सभी के सामने रखे।

    हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन का हर छात्र एवं शिक्षक के लिए बेहद महत्व होता है।

    शिक्षक, मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण आधार होते हैं। गुरुओं की महिमा का बखान तो बड़े-बड़े संत कवियों ने भी की है। वहीं हमारी भारतीय संस्कृति में भी गुरुओं को उच्च स्थान दिया गया है साथ ही गुरु-शिष्य के अनूठए रिश्ते को वेदों और पुराणों में भी बताया गया है।

    इसलिए भारत में शिक्षकों के सम्मान में यह दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूलों, कॉलेजों समेत तमाम शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

    वहीं इस मौके पर छात्रों को भाषण आदि बोलने का भी मौका मिलता है, जिसके माध्यम से छात्र अपने शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करते हैं।

    वहीं अगर आप भी इस शिक्षक दिवस पर भाषण (Teachers Day Speech) देने की सोच रहे हैं तो शिक्षक दिवस के विषय पर हमारे लेख में दिए गए यह स्पीच आपके लिए काफी मद्दगार साबित हो सकते हैं, तो आइए पढ़ते हैं शिक्षक दिवस पर भाषण –

    शिक्षक दिवस पर भाषण – Teachers day Speech in Hindi

    Teachers day speech in Hindi
    Teachers day speech in Hindi

    प्रिंसिपल सर को सुप्रभात, सम्माननीय शिक्षक और मेरे प्यारे मित्रो, हम सभी आज यहाँ शिक्षक दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए है। इस महोत्सव पर मै आप सभी का स्वागत करता हूँ। आज 5 सितम्बर है और हम सभी इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में सालो से मनाते आ रहे है।

    इस दिवस को देश के सभी स्कूल और कॉलेजों में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद और शिक्षक के कार्यो को सम्मान देते हुए मनाया जाता है। हमारे समाज में शिक्षको को एक विशेष दर्जा दिया जाता है और विद्यार्थियों के करियर को बनाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान होता है। देश में धूम-धाम से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। हम सभी के जीवनकाल में कोई ना कोई ऐसा शिक्षक जरुर होता है जिसे हम अपना आदर्श मानते है।

    आपके शिक्षको ने ही आपको एक स्वतंत्र विचारक, साहसी पढ़ाकू और जिज्ञासु शोधकर्ता बनाया है। और उन्होंने आपको जीवन के हर एक कदम पर सहायता की है। जब कभी भी शिक्षक हमकर गुस्सा हुए है तब भी हमें जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करने की ताकत मिली है।

    उन्होंने ही हमें समाज में रहने और सच्चाई का सामना करने की हिम्मत दी है। लेकिन हम सभी को इस बात का एहसास बादमे होता है। और उस समय हम केवल उनका आदर और सम्मान ही कर सकते है।

    जब कभी भी आप अपने पसंदीदा शिक्षक को याद करो तो आपके मन में उसे जुडी हुई कुछ रोचक बाते ए रोचक किस्से जरुर याद आयेंगे।

    साल दर साल समय तो गुजरता चला जाएंगा। लेकिन शिक्षको का एक विशेष स्थान हमारे दिल में हमेशा बना रहेंगा। जब शिक्षक हमें पढ़ाते है तो वे अपना सब कुछ भूलकर अपना पूरा समय, अपना पूरा ज्ञान और अपनी पूरी क्षमता हमारे उपर खर्च करते है। शिक्षक हमारे बचपन से ही हमारे जीवन को स्थानांतरित करते रहते है।

    इसीलिए शिक्षक दिवस के दिन निश्चित रूप से हमें शिक्षको के प्रति अपने विचारो को बाटना चाहिए, इससे हमें तो ख़ुशी मिलती ही है साथ ही शिक्षक भी प्रोत्साहित होते है। जब हम शिक्षको के लिए कुछ करते है तो शिक्षको को भी हमपर गर्व महसूस होता है। शायद इसी दिन को मनाकर हम उनका आभार भी व्यक्त कर सकते है।

    हमारे शिक्षको ने हमारे लिए जितना किया, उसके बराबर हम उन्हें कोई चीज नही दे सकते। लेकिन हाँ, हम उनका आभार जरुर व्यक्त कर सकते है। मैं एक शिक्षकों पर कविता – Teachers Day Poem सुनाकर अपना यह भाषण समाप्त करना चाहूँगा।

    गुरु आपकी ये अमृत वाणी
    हमेशा मुझको याद रहे
    जो अच्छा है जो बुरा है
    उसकी हम पहचान करे
    मार्ग मिले चाहे जैसा भी
    उसका हम सम्मान करे
    दीप जले या अँगारे हो
    पाठ तुम्हारा याद रहे
    अच्छाई और बुराई का
    जब भी हम चुनाव करे
    गुरु आपकी ये अमृत वाणी
    हमेशा मुझको याद रहे

    ~ सुजाता मिश्रा

    धन्यवाद् !

    शिक्षक दिवस पर भाषण – Teachers Day Bhashan in Hindi

    Teachers Day Bhashan in Hindi
    Teachers Day Bhashan in Hindi

    सर्वप्रथम सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

    आदरणीय मान्यवर, सम्मानीय मुख्य अतिथि, प्रधानचार्या जी, सभी शिक्षक गण और यहां पर बैठे मेरे छोटे-बड़े भाई-बहनों और मेरे प्रिय दोस्तों आप सभी का मैं…. तहे दिल से आभार प्रकट करती हूं/करता हूं।

    बेहद खुशी हो रही है कि, आज मुझे शिक्षक दिवस के इस खास मौके पर आप लोगों के समक्ष भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।

    मैं शिक्षक दिवस अपने भाषण की शुरुआत, गुरु की महिमा पर किसी महान कवि द्धारा लिखे गए एक संस्कृत श्लोक के माध्यम से करना चाहती हूं /चाहता हूं

    “गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
    गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

    अर्थात् गुरु ही ब्रह्मा हैं, जो अपने शिष्यों को नया जन्म देता है, गुरु ही विष्णु हैं जो अपने शिष्यों की रक्षा करता है, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; क्योंकि वह अपने शिष्य के सभी बुराईयों और दोषों को दूर करता है। ऐसे गुरु को मैं बार-बार नमन करता हूँ/ करती हूं।

    जैसे कि हम सभी जानते हैं कि एक शिक्षक, एक मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण आधार होता है, शिक्षक के बिना मनुष्य अपने जीवन में कभी भी ज्ञान नहीं हासिल कर सकता है और न ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है। शिक्षक का हर किसी के जीवन में बेहद खास महत्व होता है।

    शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर हमारे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

    इस मौके पर देश के राष्ट्रपति, पहले उपराष्ट्रपति एवं महान शिक्षक राधाकृष्णन जी को श्रद्धांजली देकर उन्हें याद किया जाता है एवं शिक्षकों के सम्मान में तरह -तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    वहीं हमारे स्कूल में भी इस मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसे मनाने के लिए हम सब  इस सभागार में इकट्ठे हुए हैं।

    इसके साथ ही दोस्तों आपको यह बता दें कि आखिर 5 सितंबर को भी हम शिक्षक दिवस क्यों मनाते हैं, दरअसल देश के महान शिक्षकविद रह चुके डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी 1962 में जब देश के राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित हुए तो छात्रों ने मिलकर उनके जन्मदिवस को मनाने का आग्रह किया।

    लेकिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को शिक्षकों से बेहद लगाव था, इसलिए उन्होंने अपने जन्मदिवस को शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी और तभी से उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रुप में हमारे देश में धूमधाम से मनाया जाने लगा।

    देश के उत्थान के लिए कई काम कर चुके डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का मानना था कि शिक्षक के बिना एक मनुष्य कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता है, इसलिए हर व्यक्ति के जीवन में शिक्षक का होना बेहद जरूरी है।

    राधाकृष्णन जी ने न सिर्फ अपने जीवन के 40 साल एक शिक्षक के रुप में काम किया और लोगों के बीच एक पसंदीदा शिक्षक के रुप में ख्याति  बटोरी, बल्कि समाज में शिक्षक के महत्व, उनके द्धारा समाज और राष्ट्र के विकास में उनके योगदान को बताया।

    अपने जीवन में उच्च पदों पर आसीन होकर देश की सेवा करने वाले एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राधाकृष्णन जी का कहना था कि, अगर शिक्षा सही तरीके से दी जाए तो, समाज में फैली कई बुराइयों को दूर किया जा सकता है।

    अर्थात इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि, एक शिक्षक ही मनुष्य के अंदर सोचने, समझने और सीखने की अद्भुत शक्ति विकसित करता है एवं शिक्षक ही मनुष्य के ज्ञान, जानकारी, समृद्धि के वास्तविक धारक होते हैं।

    हर किसी की सफलता के पीछे शिक्षक का ही हाथ होता है, क्योंकि बिना शिक्षक के मार्गदर्शन से व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है।

    एक शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी अपने शिष्यों के प्रति समर्पित रहता है एवं अपने शिष्य के  जीवन से अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर उसके जीवन में ज्ञान का ज्योति जलाता है, साथ ही निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य के सफल जीवन की कामना करता है।

    हर शिक्षक यही चाहता है कि, उसका शिष्य अपने जीवन में सफलता की असीम ऊंचाईयों को छुए।

    वहीं एक शिक्षक न सिर्फ अपने शिष्य को शिक्षित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, बल्कि वह एक सभ्य समाज और शिक्षित राष्ट्र के निर्माण में मद्द करता है एवं युवाओं को देश के सुनहरे भविष्य के लिए तैयार करता है।

    दरअसल, हम सभी के अंदर शिक्षक के ज्ञान और सही मार्गदर्शन से ही सही और गलत का एहसास होता है साथ ही हमारे अंदर दया, परोपकार, मद्द का भाव प्रकट होता है एवं हमारे अंदर अनुशासन, कृतज्ञता, कर्तव्यपरायणता आदि जैसे गुण उत्पन्न होते हैं। अर्थात शिक्षक, मनुष्य को सफल बनाने की राहें आसान बना देते हैं।

    हम सभी शिष्य बेहद धन्य है कि हमें आप जैसे शिक्षकों से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।

    आप शिक्षकों के बिना हमारा जीवन बिना नाविक की नाव की तरह होता, जिस तरह बिना नाविक के नाव दिशाहीन होकर चलती है, या फिर बेसहारा भंवर में फंस जाती है, ठीक उसी तरह आप जैसे टीचर्स के बिना हम दिशाहीन हो जाते हैं और हमें कभी नहीं पता चलता है कि हमें किस रास्ते पर चलना है।

    दोस्तों यह शिक्षक दिवस हम सभी छात्रों को लिए के लिए बेहद खास है, क्योंकि इस मौके पर हमे अपने शिक्षकों के प्रति न सिर्फ सम्मान प्रकट करने का मौका मिलता है।

    बल्कि सही मार्गदर्शन कर हमें तरक्की की तरफ अग्रसर करने वाले शिक्षकों का हमें शुक्रियादा करने का भी सुनहरा अवसर प्राप्त होता है।

    मै अपने भाषण का अंत अपने टीचर्स के लिए कुछ खास पंक्तियों के माध्यम से करना चाहती हूं/चाहता हूं –

    “आप केवल हमारे शिक्षक नहीं है, आप हमारे मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक है, आप, हम सभी को एक सभ्य व्यक्ति के रुप में ढ़ालते है। हम आपके समर्थन के लिए हमेशा आभारी रहेंगे।”

    धन्यवाद।।

    शिक्षक दिवस पर भाषण – Shikshak Din Bhashan

    Shikshak Din Bhashan
    Shikshak Din Bhashan

    आदरणीय प्रधानचार्य महोदय जी, सम्मानीय शिक्षकों एवं मेरे प्यारे मित्रों सभी को मेरा नमस्कार एवं शिक्षक दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

    जैसे कि हम सभी जानते हैं कि आज 5 सितंबर का दिन हम सभी छात्रों और शिक्षकों के लिए बेहद खास दिन है, इसलिए हम सभी इस सभागार में शिक्षकों के सम्मान में मनाए जाने वाले इस दिन को और खास मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं।

    शिक्षक दिवस के इस मौके पर हम सभी एक सभ्य समाज एवं शिक्षित राष्ट्र के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण निभाने वाले शिक्षकों का शुक्रिया अदा करेंगे साथ ही निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने वाले आदर्श शिक्षकों के कठिन प्रयासों को श्रद्धांजली अर्पित करेंगे।

    शिक्षक दिवस के इस खास मौके पर मुझे बेहद खुशी हो रही है कि मुझे आप सभी के समक्ष भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है और अपने गुरुओं के सम्मान में अपने विचार रखने का मौका मिला है, इसके लिए मै बेहद आभारी हूं।

    मै अपने भाषण की शुरुआत शिक्षकों के महिमा को बताने वाले महान संत कबीरदास जी द्धारा लिखी गईं  कुछ खास पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं /चाहती हूं –

    “गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष।
    गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।

    अर्थात, इस दोहे में महान संत कबीर दास जी ने बताया है कि गुरु के बिना मनुष्य अपने जीवन में ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता, और तब तब वह अपने जीवन में अज्ञानता रुपी अंधेरे में भटकता रहता है। इसके साथ ही संसारिक मोहमाया एवं बंधनों से जकड़ा रहता है।

    गुरु ही अपने शिष्य को स्वर्ग का रास्ता बताता है, इस्के साथ ही सत्य, असत्य एवं उचित, अनुचित का बोध करवाता है। गुरु के ज्ञान के बिना मनुष्य कई बुराईयों से लिप्त रहता है।

    इसलिए हम सभी को अपने गुरुओं और शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और श्रद्धापूर्वक उनसे ज्ञान अर्जित करना चाहिए।

    हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

    आपको बता दें कि साल 1962 में राधाकृष्णन जी जब देश के राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित हुए, तब उन्होंने अपने जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रुप में मनाए जाने का आग्रह किया था, और तब से लेकर आज तक 5 सितंबर को हर साल शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

    एक शिक्षक, मनुष्य के जीवन का मुख्य आधार होते हैं, शिक्षक के बिना मनुष्य के सफल जीवन की कल्पना तक नहीं की जा  सकती है।

    शिक्षक के सही मार्गदर्शन द्धारा ही व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के योग्य बनता है एवं भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार होता है।

    एक शिक्षक मनुष्य के भौतिक और मानसिक विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं राष्ट्र के लिए समर्पित एक आदर्श नागरिक का निर्माण करता है।

    शिक्षक, अपने शिष्य को सही आकार में ढालता है एवं उसके सुनहरे भविष्य की नींव रखता है। इसलिए हम सभी को अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए साथ ही हमारे जीवन को सफल बनाने में उनके द्धारा दिए गए योगदान और उनके कीमती प्रयासों को कभी नहीं भूलना चाहिए एवं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए।

    वहीं शिक्षक दिवस का यह मौका अपने गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने एवं उनके प्रति अपनी भावनाओं को उजागर करने साथ ही का एक बेहद अच्छा मौका होता है।

    गुरु शिष्य का रिश्ता निस्वार्थ होता है, जिसमें एक शिक्षक निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य को ज्ञान देता है और उसे अपने जीवन में सही पथ पर चलने एवं सही कर्मों को करने की शिक्षा देता है।

    माता-पिता के बाद एक हमारे शिक्षक ही होते हैं जो कि हमेशा हमारी सफलता के बारे में सोचते हैं और हम शिष्यों को सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं।

    एक शिक्षक ही न सिर्फ हमे सफल होने के योग्य बनाता है बल्कि बुरे वक्त में ज्ञान और धैर्यता के माध्यम से हमें अपने जीवन में कठिनाईयों से लड़ने के योग्य बनाता है। इसके साथ ही शिक्षक समय-समय पर अपने शिष्यों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

    शिक्षकों की  कड़ी मेहनत, त्याग और समर्पण से ही एक शिष्य योग्य और सफल बनता है एवं उसका उद्दारा होता है।

    वहीं सभी व्यवसायों में एक शिक्षक ही एक ऐसा पेशा होता है, जो कि न सिर्फ हर पेशे से महान और ऊंचा होता है, बल्कि कई पेशों का निर्माण भी करता है।

    इसलिए हम सभी को अपने शिक्षकों के महत्व को समझना चाहिए साथ ही अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

    जिस तरह एक शिक्षक लगातार छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं  उसी तरह सभी छात्रों का भी दायित्व है कि वे अपने शिक्षकों की हर बात सुनें एवं सच्चाई और ईमानदारी पूर्वक उनसे ज्ञान अर्जित करें।

    वहीं देश के विकास में राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिक्षकों के महत्व और उनके योगदान को सिर्फ शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है।

    मै अपने भाषण के अंत में शिक्षकों पर लिखी गईं कुछ खास पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं/चाहती हूं –

    “धूल थे हम सभी आसमां बन गये
    चांद का नूर ले कहकंशा बन गये
    ऐसे सर को भला कैसे कर दें विदा
    जिनकी शिक्षा से हम क्या से क्या बन गये”

    धन्यवाद।।

  • 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भाषण

    15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भाषण

    Independence Day speech in Hindi

    15 अगस्त सन् 1947 में हमारा भारत देश कई सालों बाद ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल 15 दिवस को स्वतंत्रता दिवस के रुप में पूरे देश में मनाया जाता है।

    सभी लोग इस राष्ट्रीयता के पर्व को मिलजुल कर हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और अपनी एवं देश की स्वतंत्रता समेत भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। आजादी-ए-जश्न के इस मौके पर स्कूल, कॉलेज समेत सरकारी दफ्तरों आदि में अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

    इसके साथ ही भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, खेलकूद प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक समेत कई गतिविधियां होतीं हैं, जिससे जरिए लोग अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं।

    वहीं आज हम यहाँ आपको अपने इस आर्टिकल में स्वतंत्रता दिवस – Independence Day के मौके पर दिए छात्रों, शिक्षकों आदि के लिये कुछ आसान भाषण – Speech उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका आप अपनी जरूरत के मुताबिक स्वतंत्रता दिवस 15 August के समय में इस्तेमाल कर सकते हैं।

    15 august Independence Day speech

    15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भाषण – 15 August Independence Day speech in Hindi

    मेरे सभी आदरणीय आदरणीय अध्यापक गण, अभिभावको और प्यारे मित्रों को सुबह का प्रणाम (नमस्कार)। इस महान राष्ट्रीय अवसर को मनाने के लिये आज हम लोग यहाँ इकठ्ठा हुए है। मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ।

    जैसा कि हम जानते है कि स्वतंत्रता दिवस हम सभी के लिये एक मंगल अवसर है। हम सब इस दिन को इसलिए मनाते है क्योकि 15 अगस्त 1947 को ही हमारा देश आज़ाद हुआ था, और ब्रिटिश राज से हमें मुक्ति मीली थी। आज हम यहाँ हमारा स्वतंत्रता दिवस मनाने इकठ्ठा हुए है।

    आज का दिन सभी भारतीय नागरिकों के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है। और यह इतिहास में सदा के लिये उल्लिखित हो चुका है।

    नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने भाषण दिया था। जब पूरी दुनिया के लोग सो रहे थे, ब्रिटीश शासन से जीवन और आजादी पाने के लिये भारत में लोग संघर्ष कर रहे थे। अब, आज़ादी के बाद, दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारा देश विविधता में एकता के लिये प्रसिद्ध है। भारतीय लोग हमेशा अपनी एकता से जवाब देने के लिये तैयार रहते है।

    बड़ी ख़ुशी से हमारे पुरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह सभी भारतीयों के लिये बेहद महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह दिन हमें मौका देता है उन महान स्वतंत्रता सेनानीयों को याद करने का जिन्होंने हमें एक शांतिपूर्ण और खूबसूरत जीवन देने के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। आजादी से पहले, लोगों को पढ़ने-लिखने की, अच्छा खाने की और हमारी तरह सामान्य जीवन जीने की आज्ञा (Permission) नही थी। अपने अर्थहीन आदेशों की पूर्ति के लिये अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ गुलामों से भी ज्यादा बुरा बर्ताव किया जाता था।

    भारत की आजादी के पहले दिन को याद करने के लिये हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है साथ ही साथ उन सभी महान लोगों याद करते है। जिनके कठिन संघर्षों की वजह से हम अपनी आजादी का उपभोग करने लायक बने है और अपनी इच्छा से खुली हवा में साँस से सकते है।

    अंग्रेजों से आजादी पाना हमारे पूर्वजो के लिये बेहद असंभव कार्य था लेकिन हमारे पूर्वजो ने लगातार प्रयास करके इसे प्राप्त कर लिया। हम उनके किये कार्य को कभी भूल नहीं सकते और हमेशा उन्हें याद करते रहेंगे। केवल एक दिन में सभी स्वतंत्रता सेनानीयों के कामों को हम याद नहीं कर सकते लेकिन दिल से उन्हें सलामी जरुर दे सकते है। वो हमेशा हमारी यादों में रहेंगे और पूरे जीवन के लिये प्रेरणा का कार्य करेंगे।

    आज सभी भारतीयों के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है जिसको हम महान भारतीय नेताओं के बलिदानों को याद करने के लिये मनाते है, जिन्होंने देश की आजादी और समृद्धि के लिये अपना जीवन दे दिया। भारत की आजादी मुमकिन हो सकी क्योंकि सहयोग, बलिदान और सभी भारतीयों की सहभागिता थी। हमें महत्व और सलामी देनी चाहिये उन सभी भारतीय नागिरकों को क्योंकि वो असली राष्ट्रीय हीरो थे।

    भारत के कुछ महान स्वतंत्रता सेनानीयो में बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, जवाहरलाल नेहरु, खुदीराम बोस, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, लाला लाजपत राय इत्यादि। ये सभी प्रसिद्ध देशभक्त थे जिन्होंने अपने जीवन के अंत तक भारत की आजादी के लिये कड़ा संघर्ष किया। हम लोग हमारे पूर्वजों द्वारा किये गए संघर्ष के उन डरावने पलों की कल्पना भी नहीं कर सकते।

    आजादी के इतने वर्षों बाद भी आज हमारा देश विकास के सही राह पर है। आज हमारा देश पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक देश के रुप में अच्छे से स्थापित है।

    महात्मा गांधी जी एक महान नेता थे जिन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह जैसे आजादी के असरदार तरीकों के बारे में हमें बताया। अहिंसा और शांति के साथ स्वतंत्र भारत के सपने को गाँधीजी ने ही देखा था।

    भारत ही हमारी मातृभूमि है और हम आज़ाद भारत के आज़ाद नागरिक है। हमें हमेशा बुरे लोगो से अपने देश की रक्षा करते रहनी चाहिये। ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को आगे की ओर ले जाये और इसे दुनिया का सबसे अच्छा देश बनाये।

    आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाये, आशा करते है की हमारा देश हर साल हर क्षेत्र में विकास करता रहे ताकि पूरी दुनियाँ को हमपर एक दिन गर्व हो।

    जयहिन्द, जयभारत

    स्वतंत्रता दिवस पर भाषण – Independence Day Speech in Hindi For School Students

    स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और मै हूं …। स्वतंत्रता दिवस  के इस पावन मौके पर यहां पर मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों, आदरणीय अतिथिगण, सम्मानीय प्रधानाध्यपक समेत सभी मेरे शिक्षकगण, सहपाठी, प्रिय छोटे भाई-बहन सभी को मेरा सादर प्रणाम।

    राष्ट्रीयता के इस पर्व स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आप सभी ने मुझे आप लोगों के समक्ष अपने विचार रखने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है, जिसके लिए मै आप सभी धन्यवाद करती हूं / करता हूं।

    स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मै सभी के सामने कुछ ऐसे शब्द बोलने जा रही हूं/ जा रहा हूं, जिसे सुनकर आप सभी लोगों में देश भक्ति की भावना जागृत हो उठेगी एवं देश के शूरवीरों की गाथा सुनकर सीना फक्र से चौड़ा हो जाएगा, इसके साथ ही क्रूर अंग्रेजों शासकों के प्रति आपका खून खौल उठेगा। और इसी के साथ मै अपने भाषण की शुरुआत स्वतंत्रता दिवस पर लिखीं गईं कुछ पंक्तियों के माध्यम से करती हूं/करता हूं –

    “चलो फिर से आज खुद को जगाते हैं, अनुशासन का डंडा फिर से घुमाते हैं,
    सुनहरा रंग हैं इस स्वतंत्रता दिवस का शहीदों के लहु से ऐसे शहीदों को हम सब मिलकर शीश झुकाते हैं।।”

    जैसे की हम सभी जानते हैं कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन कई सालों के बाद हमारे भारत देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी और इसी स्वर्णिम दिन हम सभी भारतीय स्वतंत्र हुए थे।

    हमारे भारत के महान स्वतंत्रतासेनानियों और शूरवीरों की बदौलत ही आज हम आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं, और खुद से जुड़े फैसले और अपनी जिंदगी खुद के मुताबिक बिना किसी रोकटोक के जीने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।

    आज हम अपनी बात रखने, अपनी भावनाओं को प्रकट करने,शिक्षा ग्रहण करने, नौकरी करने, व्यवसाय करने आदि के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।

    लेकिन यह स्वतंत्रता यूं ही नहीं मिली बल्कि इसके लिए हमारे देश के वीर सपूतों ने कई सालों तक कड़ा संघर्ष किया, तमाम लड़ाइयां लड़ीं, अंग्रेजों का अत्याचार सहा, उनकी लाठियां खाईं, अपना लहुं बहाया, अपनी पूरा जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित किया यही नहीं अपने प्राणों तक की आहुति दी, तब जाकर सालों बाद तमाम वीरों की शहादत के बाद हमारा भारत देश ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त हुआ।

    अगर हमारे वीर सपूतों ने अंग्रेजों का मुकाबला करने का साहस नहीं भरा होता और यह तमाम लड़ाइयां और संघर्ष नहीं झेले होते तो आज हम गुलामी की बेड़ियों में बंधे होते और अंग्रेजों के जुल्म सहने को मजबूर होते।

    इसलिए आज का यह खास दिन भारत माता के उन वीर सपूतों की कुर्बानियों को याद करने और उन्हें नमन करने का दिन है। वहीं वीरों के बलिदानों को मै इन पंक्तियों के माध्यम से याद करना चाहूंगा /चाहूंगी।

    “लड़े वो वीर जवानों की तरह, ठंडा खून भी फौलाद हुआ,
    मरते मरते भी कई मार गिराए, तभी तो देश आजाद हुआ।”

    हम बेहद भाग्यशाली हैं कि हमारी भारत भूमि में ऐसे वीर सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने सिर में कफन बांधकर भारत माता को आजाद करवाने के लिए कई कष्ट झेले थें।

    स्वतंत्रता आंदोलन में वैसे तो लाखों वीरों ने त्याग और बलिदान दिया था और अपने प्राणों की बाजी लगाई थी, वहीं उन नामों में से कुछ ऐसे नाम हैं, जो इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिख दिए गए हैं।

    उनमें  चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, लाल बहादुर शास्त्री, रानी लक्ष्मी बाई, मंगल पांडे, नाना साहब, तात्या टोपे, राजगुरु, पंडित जवाहर लाल नेहरू जी  समेत कई नाम शामिल हैं। यह देश के ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी और सच्चे वीर सपूत थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने का साहस भरा था और अपने क्रांतिकारी आंदोलनों से अंग्रेजों की नींदें हराम कर दी थीं साथ ही समस्त भारतवासियों के अंदर अपनी क्रांतिकारी विचारधारा से अंग्रेजों के खिलाफ नफरत पैदा कर दी थी।

    जिसके चलते अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा था और इस तरह हम सभी भारतीयों को आजाद भारत में रहने का यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

    इसलिए हमें अपने स्वतंत्रता के महत्व को समझना चाहिए और अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करने चाहिए। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब से हमारा देश ब्रिटिश हुकूमत के चंगुल से आजाद हुआ है, तब से हमारे देश ने अभूतपूर्व विकास किया है।

    शिक्षा, खेल, तकनीक, वित्त, परिवहन, विज्ञान आदि के क्षेत्र में हमारा देश निरंतर आगे बढ़ रहा है और आज हमारा देश एक परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्र है। लेकिन आजादी के इतने साल बाद भी आज हमारे देश की महिलाएं तमाम बंधिशों में बंधी हुईं हैं और गुलामी की पीड़ा सह रही हैं।

    यही नहीं हमारे देश में आज लोग भ्रष्टाचार, घूसखोरी, रिश्वतखोरी, अपराध, हिंसा आदि में बुरी तरह संलिप्त है, जो कि हमारे देश के लिए बेहद निंदनीय हैं और यह हमारे देश को आगे बढ़ने से रोक रहा है।

    वहीं इस देश के नागरिक होने के नाते हम सभी भारतीयों का पुनीत कर्तव्य है कि हम सभी मिलकर अपनी और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करें, इसके साथ ही अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करें साथ ही देश में घूसखोरी, रिश्वतखोरी, जमाखोरी आदि को खत्म करने का संकल्प लें साथ ही देश की प्रगति और विकास के साधक बने और न कि बाधक।

    वहीं इसी के साथ मै अपने इस भाषण को विराम देता हूं/देती हूं, लेकिन अंत में कुछ पंक्तियां कहना चाहती हूं/चाहता हूं –

    “आजाद भारत के लाल हैं हम आज शहीदों को सलाम करते हैं
    युवा देश की शान हैं हम अखंड भारत का संकल्प करते हैं।। भारत माता की जय।”

    स्वतंत्रता दिवस पर भाषण – 15th August Speech in Hindi For Teachers

    सर्वप्रथम स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आदरणीय अतिथिगण, सम्मानीय प्रधानाध्यक जी, सभी अभिभावक और यहां पर मौजूद सभी शिक्षकगण, मेरे सहपाठियों एवं प्रिय छात्र-छात्रों सभी को मेरा सादर प्रणाम।

    मुझे बेहद खुशी हो रही है कि आज मुझे राष्ट्रीय एकता और सदभाव के इस पावन पर्व के मौके पर अपने विचार रखने का सुनहरा अवसर प्रदान हुआ है, इसके लिए मै आप सभी का आभार प्रकट करती हूं / करता हूं।

    जाहिर है कि यहां पर हम सभी आजादी के इस पर्व का जश्न मनाने के लिए और उन वीर सपूतों की कुर्बानियों को याद करने के लिए इकट्ठे हुए जिनके त्याग और समर्पण की बदौलत आज आजाद भारत में चैन से सांस ले पा रहे हैं।

    राष्ट्रीयता के इस पर्व के मौके पर मैं अपने इस भाषण में देश के उन शहीदों के बारे में जिक्र करूंगीं/करूंगां, जिन्होंने देश की आजादी के लिए न सिर्फ अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया बल्कि हंसते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी। देश के ऐसे शूरवीरों की शौर्यता के बारे में सुनकर आप भी वीरों की जन्मभूमि भारत में पैदा होने पर फक्र महसूस करेंगे।

    मै अपने इस भाषण की शुरुआत स्वतंत्रता दिवस पर लिखीं गईं कुछ पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं / चाहती हूं –

    “उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई, उनकी शहादत का कर्ज देश पर उधार है,
    आप और हम इसलिए खुशहाल हैं, क्योंकि सीमा पर सैनिक शहादत को तैयार हैं।।”

    कई सालों की गुलामी करने के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा भारत देश आजाद हुआ था। देश को आजाद करवाने के लिए चन्द्र शेखऱ, आजाद, भगत सिंह, महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, सरदार वल्लभ भाई पटेल, रानी लक्ष्मी बाई, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, तात्या टोपे समेत कई वीर जवानों ने अपने पूरे जीवन भर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी, वहीं इनमें से कई शूरवीरों ने देश की आजादी के लिए अपनी शहादत तक दे दी थी।

    इस मौके पर मै अपने वीर जवानों की बलिदानों को याद करते हुए कुछ पंक्तियां पेश करना चाहता हूं –

    “आओ मिलकर सब अपने देश का सम्मान करें, शहीदों की शहादत को आज याद करें,
    एक बार फिर से राष्ट्र की कमना, हम हिंदुस्तानीी अपने हाथ धरे, आओ स्वतंत्र दिवस का सभी सम्मान करें।।”

    महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और समर्पण का नतीजा है कि एक ऐसे भारत में सुख और चैन से रह रहे हैं।

    वहीं आज 15 अगस्त का दिन इन्हीं वीर सूपतों की कुर्बानियों को याद करने का दिन है, शहीदों की शहादत को श्रद्धा से नमन करने का दिन और तिरंगा झंडा फहराकर भारत देश का मान रखने का दिन है।

    उन सैनिकों को जज्बे को सलाम करने का दिन है, जो सीमा पर तैनात होकर हमारे प्राणों की रक्षा करते हैं और हम पर कोई आंच नहीं आए इसके लिए सदैव अपने जान न्योछावर करने तक को तैयार रहते हैं।

    वहीं अगर हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वाधीनता पाने के लिए इतना संघर्ष नहीं किया होता है और इतनी लड़ाईयां नहीं लड़ी होती तो आज भी हम गुलामी की बेड़ियों में बंधे होते और हमारी अपनी कोई पहचान नहीं होती है।

    आज के दिन हर भारतवासी को फक्र करना चाहिए कि आज हम विश्व के सबसे लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष देश में बिना किसी डर के सुकून से रह रहे हैं।

    एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां कई अलग-अलग तरह की जाति, धर्म, पंथ, संप्रदाय के लोगों की रीति-रिवाज, संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, पहनावा आदि में कई विविधता होने के बाबजूद भी राष्ट्रीय एकता ही इसकी असली पहचान है।

    हालांकि, आजादी के इतने साल बाद आज भी हमारा देश आतंकवाद की बेड़ियों में बंधा हुआ है, देश की ज्यादातर महिलाएं अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, उनसे जुड़े फैसले आज भी उनके पिता, भाई या फिर पति द्धारा ही लिए जाते हैं, देश का हर विभाग घूसखोरी, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में संलिप्त है,आज भी हमारे लोकतंत्रात्मक देश में जाति को आधार बनाकर राजनेता चुनाव लड़ते हैं जो कि बेहद निंदनीय है।

    अर्थात, हम सभी भारतीयों को  देश में फैली इन सभी बुराइयों को खत्म करने के लिए एक साथ मिलकर संकल्प लेना चाहिए इसके साथ ही देश के प्रत्येक नागरिक को एक जिम्मेदार, सभ्य और शिक्षित नागरिक बनने की शपथ लेनी चाहिए एवं देश के विकास को गति देने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए और हम सभी को राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखना अपना कर्तव्य समझना चाहिए।

    तभी हमारा भारत देश और अधिक विकास कर सकेगा और विश्व का सबसे उन्नत एवं प्रगतिशील देश कहलाएगा। इस भाषण का अंत मै कुछ पंक्तियों के माध्यम से करना चाहता हूं / चाहती हूं –

    “भूल न जाना भारत मां के सपूतों का बलिदान इस दिन के लिए हुए थे जो हंसकर कुर्बान
    आजादी का जश्न मनाकर लो ये शपथ कि बनाएंगे अपने देश भारत को और भी महान।। जय हिन्द, जय भारत।”

    स्वतंत्रता दिवस पर भाषण – Swatantrata Diwas Par Bhashan

    माननीय मुख्य अतिथि, सम्मानीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय अध्यापकगण, अभिभावक, मेर सहपाठी और मेरे प्यारे भाई-बहनों आप सभी को मेरा सादर प्रणाम।  आप सभी लोगों को आजादी के इस पर्व की हार्दिक बधाईयां।

    जैसे कि हम सभी जानते हैं कि आज… वां है। इस स्वतंत्रता दिवस के सुनहरे अवसर पर हम सभी लोग इसका जश्न मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। मुझे बेहद गौरान्वित महसूस हो रहा है कि 15 अगस्त के स्वर्णिम दिन पर मुझे आप लोगों के समक्ष अपने विचार रखने का मौका मिला है। मैं इसके लिए आप सभी का तहे दिल से आभार प्रकट करता हूं/करती हूं।

    स्वतंत्रता दिवस का यह पर्व हम सभी भारतीयों के अंदर देश के प्रति प्रेम, सम्मान, निष्ठा, सोहार्द आदि का भाव पैदा करता है एवं अपने देश के लिए अपने कर्तव्यों की याद दिलवाता है।

    इसके साथ ही यह पर्व देश के उन शूरवीरों और स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को याद दिलवाता है, जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए खुद का जीवन पूरी तरह समर्पित कर दिया था और देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था। यह पर्व देश के उन सैनिकों के लिए सम्मान पैदा करता है जो चिलकती धूप और हांड कंपा देने वाली ठंड में भी दिन और रात हमारी रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तत्पर रहते हैं।

    इसके अलावा राष्ट्रीयता का यह पर्व हमें अपनी स्वतंत्रता का सम्मान करना और इसकी रक्षा करना भी सिखाता है।

    हम सभी भारतीय बेहद सौभाग्यशाली हैं कि हम सभी को आजादी के पर्व के जश्न मनाने का मौका मिला है। इस पर्व पर आजादी के जश्न की शुरुआत हम अपने देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा फहराकर करते हैं।

    जो कि हमारे देश की आन-बान और शान है और इस मौके पर मैं देशभक्ति पर लिखीं गईं कुछ पंक्तियां पेश करना चाहता हूं/चाहती हूं

    “आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे
    बची हो जो एक बूंद भी लहू की तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे।।”

    जैसे कि हम सभी जानते हैं कि, 15 अगस्त, 1947 को हमारा भारत देश कई सालों की गुलामी सहने के बाद ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजाद हुआ था।

    सबसे पहले आजादी की घोषणा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण से की थी, और इसके बाद लाल किले के प्राचीर में तिरंगा झंडा फहराया था, तब  से लेकर आज तक आजादी के इस पर्व पर देश के प्रधानमंत्रियों द्धारा लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और इस मौके पर कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

    इस दौरान जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के द्धारा अपने अद्भुत शक्ति का तो प्रदर्शन किया ही जाता है साथ ही देश के सभी राज्यों द्धारा अपनी-अपनी संस्कृति और विरासत को झांकी के रुप में प्रर्दशित किया जाता है।

    राष्ट्रगान की धुनों पर राज्यों की झांकियां निकलती है। इस दिन हर तरफ  देशभक्ति से ओतप्रोत वातावरण रहता है और पूरा देश आजादी के जश्न में  डूबा रहता है। सभी भारतीय इस मौके पर देश के शूरवीरों की शहादत को याद करते हैं एवं उन्हें श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजली देते हैं।

    भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों और सच्चे वीर सपूतों ने हमारी भारत भूमि को क्रूर ब्रिटिश शासकों के चंगुल से स्वतंत्र करवाने के लिए खुद को देश के लिए पूरी तरह समर्पित कर दिया और अपनी अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।

    इन वीर जवानों के त्याग, बलिदान और समर्पण की वजह से ही आज हम आजाद भारत में सुख, चैन की सांस ले पा रहे हैं।

    वहीं स्वतंत्रता दिवस के इस मौके पर मै वतन के लिए मर मिटने वाले भारत के शहीदों और वीर सपूतों को सलामी देता हूं और उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूं और उनकी कुर्बानियों और शहादत पर कुछ पंक्ति पेश करना चाहता हूं –

    “आओ झुककर सलाम करें उन्हें, जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है|।
    खुशनसीब होता है वो खून, जो देश के काम आता है।। देश के शहीदों को शत-शत नमन।।”

    जाहिर है कि आज हम देश के इन वीर सपूतों के त्याग और बलिदान की वजह से ही सुख और शांति पूर्वक अपने जीवन जी पा रहे हैं और हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में आज विकास के सही राह पर चलकर सफलता की नई ऊंचाईयों को छू रहा है।

    लेकिन आजादी के इतने साल बाद आज भी मुझे यह सवाल अंदर से कचोटता रहता है कि क्या स्वतंत्रता पाने के इतने सालों बाद भी  हम अपने देश के संविधान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सके हैं ?

    यह कहते हुए मुझे बेहद शर्मींदगी महसूस हो रही है कि आज हमारे देश में बेरोजगारी, गरीबी, भ्रष्टाचार, बलात्कार, हिंसा, आतंकवाद, अपराध, महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार चोरी, दंगे, हड़ताल जैसे तमाम समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हुईं हैं और इसके साथ लगतार बढ़ रहा आतंकवाद और उग्रवाद हमारे तिरंगे की शान को चुनौती दे रहा है।

    यही नहीं फसलों की सही कीमत नहीं मिलने की वजह से हमारे देश के ज्यादातर कर्ज के डूबे किसान आज आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।

    कई लोग भोजन नहीं मिलने की वजह से भूखे पेट सोने के लिए मजबूर है, तो न जाने कितने लोग हमारे देश में ऐसे हैं जो रोजाना भुखमरी की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं।

    वहीं हमारा देश ऐसे लोगों से अटा पड़ा है, जिनके तन पर पहनने के लिए कपड़ा नहीं है, रहने के लिए सिर पर छत नहीं है, बीमारी के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। देश में महिलाएं, बच्चियां महफूज नहीं हैं।

    कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब न्यूज पेपर और न्यूज चैनलों में बलात्कार और हत्याएं जैसे जघन्य अपराधों की खबरें न छपी हों। बढ़ते अपराधों की वजह से आज हमारा देश फिर से  गुलामी की बेड़ियों में बंध गया है।

    ऐसी गुलामी से देश को सुरक्षित करने के लिए हम सभी को फिर से एक साथ होने की जरूरत है और इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने की जरूरत है क्योंकि इस तरह के जुर्म हमारे देश को आगे बढ़ने से रोक रहे हैं और हमारे देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे है तो चलिए हम सब मिलकर इस स्वतंत्रता दिवस के पावन मौके पर एक साथ यह शपथ लेते हैं कि –

    “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा
    इसकी शान न जाने पाए चाहे जान भले ही जाए।।”

    फिलहाल इन्हीं शब्दों के साथ मै अपने इस भाषण को विराम देता हूं / देती हूं।

    धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत !!

    अगले पेज पर और भी

  • महान लोगों के महान प्रेरणादायक भाषण | Motivational Speech

    महान लोगों के महान प्रेरणादायक भाषण | Motivational Speech

    Motivational Speech

    जीवन में हम बहुत बार असफ़ल होते हैं, लेकिन इस असफ़लता से हमारा जीवन समाप्त नहीं हो जाता। बल्क़ि उस असफ़लता से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। यह अनमोल विचार तो हमनें कई बार सुना होंगा की,

    “असफलता ही सफ़लता की पहली सीढ़ि होती हैं”

    Motivational Speech

    महान लोगों के महान प्रेरणादायक भाषण – Motivational Speech

    इसी असफलता की निराशा से बाहर निकलने के लिए हमें प्रेरणा की बहुत जरुरत होती हैं। यह प्रेरणा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज जो भी महान लोग बने हैं उन्हें सफ़लता प्राप्त करने के लिए असफ़लता से गुजरना पड़ा। तभी वह महान बन सकें। असफ़ल से हार मानने वाले कभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकतें। और कभी अपने सपनोँ को साकार नहीं कर सकतें।

    अगर आप भी ऐसी असफ़लता की निराशा से गुजर रहे हो तो महान लोगोनें भाषण देते वक्त अपनी “असफलता से सफ़लता” तक की कहानी बतायी हैं उसे पढ़े ताकि आपकों उससे प्रेरणा मिले।

    प्रेरणादायक भाषण को पढ़ने के लिए आगे की लिंक पर क्लीक करके आप उसे पढ़ सकते हैं।

    “किस्मत के साथ एक वादा” यह भाषण चाचा नेहरू ने आज़ाद भारत को 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को दिया था और उन्होंने अपने भाषण में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ किये गए दशको तक संघर्ष के बारे में बताया था।

    लोकमान्य तिलक ने 1917 में नाशिक में होम रूल लीग की स्थापना के पहली वर्षगाठ पर भाषण दिया था।

    मार्टिन लूथर किंग जूनियर अमेरिका के एक पादरी, आन्दोलनकारी (ऐक्टिविस्ट) एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे। उन्होनें 28 अगस्त 1963 में वाशिंगटन डी।सी। में दिया था।

    “दी गैटिसबर्ग एड्रेस” यूनाइटेड स्टेट के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 1863 में अमेरिकन सिविल वॉर के समय भाषण दिया था। अमेरिका के इतिहास में उनके द्वारा दिये गए इस भाषण को सबसे महानतम भाषणों में से एक माना जाता है।

    प्रेसिडेंट बराक ओबामा यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका के 44 वे प्रेसिडेंट है और साथ ही अमेरिकी इतिहास के पहले काले प्रेसिडेंट है। प्रेसिडेंट बनने के कुछ समय बाद ही उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। अपने स्वीकृत भाषण में दुनिया की शांति के बारे में कुछ कहाँ। यह बराक ओबामा का हिंदी में अनुवाद किया गया भाषण हैं।

    यह भाषण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में डिजिटल इंडिया इवेंट पर सेन जोस, कैलिफोर्निया में दिया था। उनके सभी भाषण हमेशा प्रेरणा से भरे होते हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके जीवन में पीछे पलटकर देखा जाएँ तो उनसें बहुत कुछ सीखने जैसा हैं।

    भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने 31 अगस्त 1994 को मनिला में रमण मेगसेसे अवार्ड लेते समय के शानदार भाषण दिया था।

    माय विज़न फॉर इंडिया – डॉ। अब्दुल कलाम कलम ने हैदराबाद के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) में 25 मई 2011 को अपना सबसे बेहतरीन भाषण दिया था।

    जब सचिन तेंदुलकर अपना अंतिम मैच खेल रहे थे तब लाखो लोग इस सुनहरे मौके पर इकठ्ठा हुए थे। सचिन तेंदुलकर के इस प्रेरणादायक भाषण ने सभी को भावुक कर दिया था।

    आझादी के लढाई में सुभाषचंद्र बोस ने यह प्रेरणादायक भाषण दिया था। उनके द्वारा कहा गया यह भाषण बाद में इतिहासिक बन गया और लाखो युवा उनके इस भाषण से प्रेरित हुए थे।

    “भारत छोडो आन्दोलन – Quit India Movement” पर महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को A.I।.C.C. मुंबई में दिया गया यह भाषण महात्मा गांधी के सबसे बेहतरीन भाषणों में से एक है।

    चार्ली चैपलिन का अंतिम भाषण द ग्रेट डिक्टेटर – Charlie Chaplin Speech The Great Dictator (1940) दिया गया है, जो सभी समय के सबसे प्रेरणादायक और महान भाषणों में गिना जाता है।

    स्वामी विवेकानंद हमेशा से युवाओं को प्रेरित करते आये है, विश्व धर्म सम्मेलन में उन्होंने दिया भाषण अपने आप में एक अमृतवाणी है।

    एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स 12 जून 2005 को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक समारोह में शामिल हुए थे, जहाँ उन्होंने सबसे प्रसिद्ध भाषण Best speech “Stay Hungry Stay Foolish” दिया था। कुछ ही मिनट का ये भाषण दिया था। छोटा भाषण मगर प्रेरणादायक, उत्साहित और मनुष्य जीवन को कार्मिक दृष्टिकोण से देखने पर मजबूर कर देता है।

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