विक्रम अम्बालाल साराभाई एक भारतीय वैज्ञानिक और खोजकर्ता थे जो ज्यादातर “भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम” के जनक के नाम से जाने जाते है। विक्रम साराभाई को 1962 में शांति स्वरुप भटनागर मैडल भी दिया गया। देश ने उन्हें 1966 में पद्म भुषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
विक्रम साराभाई की जीवनी – Vikram Sarabhai Biography
पूरा नाम (Name)
विक्रम अम्बालाल साराभाई
जन्म (Birthday)
12 अगस्त 1919
जन्मस्थान (Birthplace)
अहमदाबाद
माता (Mother Name)
सरला देवी
पिता (Father Name)
अम्बालाल साराभाई
विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को गुजरात, भारत के अहमदाबाद शहर में हुआ था। साराभाई के परिवार का उनके जीवन में बहोत महत्त्व था और विक्रम साराभाई एक अमीर व्यापारी परीवार से सम्बन्ध रखते थे। उनके पिता अम्बालाल साराभाई एक समृद्ध उद्योगपति थे जिन्होंने गुजरात में कई मिल्स अपने नाम कर रखी थी।
विक्रम साराभाई, अम्बालाल और सरला देवी की 8 संतानो में से एक थे। अपने 8 बच्चों को पढाने के लिए सरला देवी ने मोंटेसरी प्रथाओ के अनुसार एक प्राइवेट स्कूल की स्थापना की। जिसे मारिया मोंटेसरी ने प्रतिपादित किया था। उनकी इस स्कूल ने बाद में काफी ख्याति प्राप्त की थी।
साराभाई का परीवार भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होने के कारण बहोत से स्वतंत्रता सेनानी जैसे महात्मा गांधी, रबीन्द्रनाथ टैगोर, मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू अक्सर साराभाई के घर आते-जाते रहते थे। इन सभी सेनानियो का उस समय युवा विक्रम साराभाई के जीवन पर काफी प्रभाव पडा और उन्होंने साराभाई के व्यक्तिगत जीवन के विकास में काफी सहायता भी की।
इंटरमीडिएट विज्ञान परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद के गुजरात महाविद्यालय से अपना मेट्रिक पूरा किया। इसके बाद वे इंग्लैंड चले गए और वहा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के सेन्ट जॉन महाविद्यालय, कैंब्रिज से शिक्षा ग्रहण की।
साराभाई को 1940 में प्राकृतिक विज्ञान (कैंब्रिज में) में उनके योगदान के लिए ट्रिपोस भी दिया गया। बाद में दुसरे विश्व युद्ध की वृद्धि के कारण, साराभाई भारत वापिस आ गए और भारतीय विज्ञान संस्था, बैंगलोर में शामिल हो गए और सर सी.व्ही. रमन (नोबेल खिताब विजेता) के मार्गदर्शन में अंतरिक्ष किरणों पर खोज करना शुरू कीया।
युद्ध समाप्त होने के उपरांत वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी लौट आये और अंतरिक्ष किरणों पर उनके थीसिस उष्णकटिबंधीय अक्षांश और खोज के कारण उन्हें 1947 में पीएचडी की उपाधि दी गयी।
विवाह और संतान –
सितम्बर 1942 को विक्रम साराभाई का विवाह प्रसिद्ध क्लासिकल डांसर मृणालिनी साराभाई से हुआ। उनका वैवाहिक समारोह चेन्नई में आयोजित किया गया था जिसमे विक्रम के परीवार से कोई उपस्थित नही था। क्योकि उस समय महात्मा गांधी का भारत छोडो आंदोलन चरम पर था।
जिसमे विक्रम का परीवार भी शामिल था। विक्रम और मृणालिनी को दो बच्चे हुवे- कार्तिकेय साराभाई और मल्लिका साराभाई। मल्लिका साराभाई अपनेआप में ही एक प्रसिद्ध डांसर है जिन्हें पालमे डी’ओरे पुरस्कार से सम्मानित कीया गया।
भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला –
इंग्लैंड जाके के बाद सन् 1947 में विक्रम फिर स्वतंत्र भारत में लौट आये। और अपने देश की जरुरतो को देखने लगे, उन्होंने अपने परीवार द्वारा स्थापित समाजसेवी संस्थाओ को भी चलाना शुरू किया। अहमदाबाद के ही नजदीक अपनी एक अनुसन्धान संस्था का निर्माण कीया।
11 नवंबर 1947 को उन्होंने भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory) की स्थापना की। उस समय वे केवल 28 साल के थे। वे अपनी अनुसन्धान प्रयोगशाला के कर्ता-धर्ता थे।
मृत्यु –
विक्रम साराभाई की मृत्यु 30 दिसंबर 1971 को केरला के थिरुअनंतपुरम के कोवलम में हुआ था। वे थुम्बा रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिये थिरुअनंतपुरम गये थे।
उनके अंतिम दिनों में, वे काफी मुश्किलो में थे। अंतिम दिनों में ज्यादा यात्राये और काम के बोझ की वजह से उनकी सेहत थोड़ी ख़राब हो गयी थी। और इसी वजह को उनकी मृत्यु का कारण भी बताया जाता है।
एक नजर में –
1. जिस समय भारत को आज़ादी प्राप्त हुई थी उसी समय साराभाई भारत वापिस आये थे। उन्होंने भारत में वैज्ञानिक सुविधाओ को विकसित करने की जरुरत समझी। इसे देखते हुए उन्होंने उनके परीवार द्वारा स्थापित कई समाजसेवी संस्थाओ को सहायता की, और अहमदाबाद मे 1947 में भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला की स्थापना की।
2. विक्रम साराभाई, एक वायुमंडलीय वैज्ञानिक थे। साथ ही वे PRL के संस्थापक भी थे जिनके मार्गदर्शन में उनकी प्रयोगशाला में अंतरिक्ष किरणों से सम्बंधित कई प्रयोग किये गये। और उन्ही के मार्गदर्शन में उनकी संस्थाओ ने कई सफल प्रयोग किये जैसे की अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष किरणे।
3. साराभाई IIM, अहमदाबाद (इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट) के संस्थापक अध्यक्ष थे। दो देश का दुसरा IIM था। अपने दुसरे व्यापारी कस्तूरभाई लालभाई के साथ मिलकर उन्होंने 1961 में शिक्षा के क्षेत्र में विकास के कई काम किये।
4. 1962 में अहमदाबाद में प्राकृतिक योजना एवं तंत्रज्ञान विश्वविद्यालय (CEPT University) को स्थापित करने में उनका अतुल्य योगदान रहा है। जो शिल्पकला, योजना और तंत्रज्ञान में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट के कई प्रोग्राम उपलब्ध करवाती थी।
5. 1965 में उन्होने नेहरू विकास संस्था (NFD) की स्थापना की। जिसका मुख्य केंद्र बिंदु देश में शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र का विकास करना था।
6. 1960 की कालावधि में उन्होंने विक्रम ए. साराभाई कम्युनिटी साइंस सेन्टर (VASCSC) की स्थापना की ताकि वे विज्ञान और गणित के प्रति लोगो की रूचि बढ़ा सके, और विद्यार्थियो को इसका ज्ञान दे सके। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य देश में विज्ञान के प्रति लोगो की रूचि को बढाना था।
7. अपने उपक्रम में साराभाई ने डॉ. होमी भाभा को पूरी सहायता की थी। जो न्यूक्लिअर अनुसन्धान करने वाले पहले भारतीय थे। भाभा ने भी साराभाई को पहले राकेट लॉन्चिंग स्टेशन, थुम्बा की निर्मिति में सहायता की थी। जिसका उदघाटन 21 नवंबर 1963 को कीया गया था।
8. भारत में उनका सबसे बडा और महत्वपुर्ण योगदान 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था (ISRO) की स्थापना में रहा है। इस संस्था का मुख्य उद्देश् देश में तंत्रज्ञान के उपयोग को बढाना और देश की सेवा करना ही था।