What Royalties does India still pay after Independence from Britain
भारत आज दुनिया के सबसे विकासशील देशों में से एक है लेकिन हम सभी जानते हैं की भारत 200 साल ब्रिटिश हुकुमत का गुलाम रहा है जिसे भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी। और हुकुमत के 200 साल जो ब्रिटिश ने नुकसान किया उसकी भरपाई भारत आज भी कर रहा है हालांकि अंग्रेज तो देश छोड़कर चले गए। लेकिन उनकी बहुत सी चीजें ऐसी है जो आज भी भारत में है भारत में रेल भी अंग्रजों ने ही शुरु की थी।
लेकिन आजादी के बाद रेलवे पर भारत सरकार का अधिकार हो गया। और भारत सरकार ने रेलवे का विकास किया। य़ही वजह है कि बजट सत्र में रेलवे का अलग बजट पेश किया जाता है। क्योंकि रेलवे भारत में यातयात का साधन है जिस पर सभी वर्ग के लोग सफर करते हैं।
रेलवे हर साल भारत सरकार करोड़ो का पैसा भी कमाती है जिसे रेलवे स्टेशन की मरम्मत और जनकल्याण के कार्यों में लगाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि भारतीय रेल के एक रेलवे ट्रैक की पूरी सालाना कमाई हर साल ब्रिटेन को जाती है।
आज भी भारत के एक रेलवे ट्रैक को साल की पूरी कमाई ब्रिटेन को क्यों देनी पड़ती हैं?
ऐसा इसलिए क्योंकि इस रेलवे ट्रैक पर आज भी ब्रितानी हुकुमत है चलिए आपको बताते है ये कौन सा रेलवे ट्रैक है और आज भी क्यों ब्रिटेन इस पर राज करता है।
भारत के महाराष्ट्र राज्य के अमरावती से मुर्ताजुपर के बीच बिठी नैरोगेज टैक 189 किलोमीटर लंबा है रिपोर्टस के अनुसार इस रेलवे ट्रैक पर केवल एक ही पैसेंजर ट्रेन चलती है। जिसकी कमाई भारत सरकार हरजाने के तौर पर हर साल ब्रिटेन की एक प्राइवेट कंपनी को देती है।
दरअसल रिपोर्टस के अनुसार अमरावती का ये इलाका ब्रिटिश काल के दौरान पूरे देश में कपास की खेती के लिए काफी मशहूर था। लेकिन मुंबई शहर से काफी दूर होने के कारण यहां से कपास को मुंबई लाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। कपास के व्यापार को बढ़ाने के लिए अंग्रेजों ने यहां पर रेलवे ट्रैक बनाने का फैसला किया जो अमरावती को मुंबई पोर्ट से जोड़ता है।
इस रेलवे ट्रैक को बनाने का कोंट्रक अंग्रेजों ने ब्रिटेन की कंपनी क्लिक निक्सन को दिया। क्लिक निक्सन नाम की इस कंपनी ने इस रेलवे ट्रैक को बनाने का काम साल 1916 में पूरा कर लिया। निक्सन कंपनी के बनाए इस रेलवे ट्रक पर चलने वाली एकलौती पैंसेजर ट्रेन शंकुतला एक्सप्रेस – Shakuntala Railway भी तभी शुरु की गई थी। जिस वजह से शंकुतला एक्सप्रेस 100 साल से इस ट्रैक पर दौड़ रही है। और शकुंलता एक्सप्रेस के कारण ही इस ट्रैक को भी शंकुलता रुट भी कहा जाता है।
आजादी के बाद जब रेल का राष्ट्रीयकरण किया गया तो उस समय महाराष्ट्र के इस रेलवे ट्रैक को भारतीय रेल में शामिल नहीं किया जा सका। जिस वजह से ये तय हुआ कि भारतीय सरकार को हर साल ब्रिटेन की निक्सन कंपनी जो अब सेंट्रल प्रोविन्स रेलवे कंपनी के नाम से जानी जाती है उसे रॉल्यटी के तौर पर 1 करोड़ 20 लाख रुपये देने होंगे।
भारतीय रेलवे इस ट्रैक के लिए ब्रिटेन को रॉयल्टी तो भरता है लेकिन इस ट्रैक की हालात को देखकर रॉयल्टी के पैसे बर्बाद से लगते है क्योंकि पिछले कई सालों से इस रेलवे ट्रैक की ढ़ंग से मरम्मत नहीं हुई है जिस वजह से इस रेलवे ट्रक की हालात बेहद खराब है।
Read More:
Note: Hope you find this post about ”What Royalties does India still pay after Independence from Britain” useful. if you like this articles please share on Facebook & Whatsapp. and for the latest update download : Gyani Pandit free android App.