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इन कानूनों के बारेमें हर महिला को पता होना चाहियें!

Women Rights in India

]हमारे समाज में महिलाओं को शुरु से ही संस्कृतियों के नाम पर तो कभी पंपराओं के नाम पर जुल्म किया जाता रहा है। महिलाएं भी आजादी के कई सालों तक इस जुल्मों को सहती रही और आज भी भारत की लाखों महिला अपने अधिकारों से वंचित है। साथ ही रेप, घरेलु हिंसा, भ्रूण हत्या, दहेज प्रताड़ना का शिकार हो रही है।

महिलाओं के साथ हो रही नाइंसाफी की एक वजह ये भी है कि आज भी हमारे समाज की बहुत सारी महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों को लेकर जागरुक नहीं है।

उन्हें नहीं पता जब उनके साथ हिंसा होती है तो उन्हें क्या करना चाहिए, उनके अधिकारों का हनन करने वाले पर कौन सा कानून बनाता है, आज हम आपको महिलाओं से जुड़ी कुछ अहम कानूनों के बारे में बताने जा रहे है जो समाज में महिलाओँ के अधिकारों की रक्षा करते है और उन्हें किसी भी तरह की जुल्म से बचाते है।

Women Rights in India

इन कानूनों के बारेमें हर महिला को पता होना चाहियें! – Women Rights in India

हमारे समाज में घरेलु हिंसा के कई केसेस देखने को मिलते है लेकिन ज्यादातर केसेस में महिलाएं जानकारी के अभाव के कारण आवाज नहीं उठा पाती है। लेकिन भारतीय कानून सहिंता के अनुसार किसी महिला के साथ मारपीट होने पर या उसे किसी भी तरह की मानसिक यातनाएं दिये जाने पर जैसे ताने मारना या महिला के साथ गाली गलौज करना किया जाता है तो महिला घरेलु हिंसा कानून के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है।

हमें हमेशा से समझाया जाता है कि लड़की पराया धन है और यही कहकर महिलाओं को कभी भी अपने मयाके की संपत्ति में अधिकार नहीं दिया जाता है और सुसराल की संपत्ति पर पति को हक मिला है इसलिए वहां भी महिला को कुछ नहीं मिल पाता है।

लेकिन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम कानून के अनुसार महिला चाहे शादीशुदा हो या कुंवारी उसे पिता की संपत्ति पर बेटे जितना हक दिए जाने का अधिकार है। वहीं पति की संपत्ति पर भले ही महिला का मलिकाना हक ना हो, लेकिन अगर पति – पत्नी के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी आती है तो महिला को पति की आय और संपत्ति के अनुसार मासिक भत्ते का अधिकार है ताकि वो अपना जीवन बिना किसी परेशानी के व्यतीत कर सकें।

भारत की उच्च न्यायालय के अनुसार महिला कितनी भी बड़ी अपराधी क्यों ना हो, महिला के गिरफ्तारी यानी की महिला को पुलिस हिरासत में लेने के लिए एक महिला पुलिसकर्मी का होना अनिवार्य है। साथ ही महिला के घरवालों को सूचित करना और लॉकअप में बंद करने से पहले महिला के लिए सभी व्यवस्था करना भी जरुरी है।

साथ ही किसी भी महिला को शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। अपराध बहुत ज्यादा संगीन होने पर भी पुलिस को पहले मेयर के दस्तखत की जरुरत पड़ती है।

यौन शोषण से पीड़ित महिला को लीगल ऐड कमेटी के तहत कानूनी सलाह और केस लड़ने के लिए सरकारी वकील मुहैया कराया जाता है जिसके लिए पीड़िता को कोई भुगतान करने की जरुरत नहीं है।

अगर कोई महिला पब्लिक या प्राइवेट सेक्टर में काम करती है तो महिला को प्रसव के बाद 24 हफ्ते अवकाश दिए जाने का अधिकार है। साथ ही इस दौरान महिला के वेतन में किसी भी तरह की कटौती नहीं की जाएगी साथ ही अवकाश के बाद महिला दोबार नौकरी ज्वाइन कर सकती है।

आजकल शहरों में लिव इन रिलेशनशिप का काफी चलन है लेकिन इसकी आड़ में कई बार पुरुष महिलाओं का फायदा भी उठाते है जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी अधिकार देने का फैसला किया।

भारतीय कानून के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप में अगर महिला के साथ किसी भी तरह की प्रताड़ना होती है तो वो घरेलु हिंसा के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है साथ ही लंबे समय तक साथ रहने के बाद पुरुष महिला को जबरन घर से बाहर निकालने की कोशिश करता है तो उसे महिला को मुआवजे का भुगतान करना पड़ेगा।

साथ ही राइट टू शेल्टर का अधिकार भी है। वहीं लिव इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे को पिता का नाम भी दिया जाएगा। उसे नाजायज नहीं कहा जा सकता।

लेकिन कई बार महिलाएं अपने अधिकारों जाने के बाद भी अपने लिए आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पाती, महिलाओं को इस बात को समझने की जरुरत है कि अगर वो अपने हक के लिए नहीं लड़ेगी तो कोई ओर उनके लिए कैसे लड़ पाएगा।

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