दिवाली पर निबंध | Essay on Diwali

Essay on Diwali in Hindi

दिवाली त्योहार का आनंद लेने के लिए कुछ दिन की छुट्टी दी जाती हैं लेकिन कई स्कूलों में दिवाली के समय एक छोटासा होमवर्क भी देते हैं। और यह होमवर्क बच्चे ख़ुशी ख़ुशी करते भी हैं। वो होमवर्क हैं दिवाली पर निबंध लिखना। आज कल के बच्चों को दीवाली के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए बच्चों को समझने के लिए और दिवाली पर निबंध – Essay on Diwali लिखने के लिए इस निबंध के ज़रिये हम आपकी थोड़ी मदत कर देते हैं।

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार दीपावली पर हम आपको अलग-अलग शब्द सीमा पर कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं।

Essay on Diwali in Hindiदिवाली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi

भारत में साल भर बहुत से त्योहार मनाये जाते हैं, जहां सभी धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार अपने विभिन्न त्योहारों का जश्न मनाते हैं। “दिवाली” हिन्दू धर्म के लोगों का सबसे मशहूर, महत्वपूर्ण, पारंपरिक और सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है, जो हर साल रिश्तेदारों, परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के साथ मिलकर बहुत उत्साह से मनाते हैं। यह रोशनी का त्योहार या दीपावली के रूप में भी जाना जाता है।

यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ‘कार्तिक’ के महीने में मतलब अक्तूबर या नवम्बर के महीने में आता है।

दिवाली में हर घर में दीपक से सजाये जाते है। दीवाली के दिन हर कोई खुश होता है और एक -दूसरे को बधाई देता है।

दिवाली त्यौहार धनत्रयोदशी यानि धन तेर के साथ शुरू होता है, और नरक चतुर्दशी,लक्ष्मी पूजा (दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाईदूज के साथ खतम होता हैं।

भारत में हर त्यौहार और उत्सव किसी कारण या एक किंवदंती के साथ जुड़ा हुआ है वैसे ही इस त्यौहार के पीछे भी एक कहानी हैं दीवाली का त्यौहार भगवान् श्रीराम अपने 14 वर्ष के वनवास को पूरा करने के बाद, अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने राज्य अयोध्या को वापसी की याद दिलाता है। अयोध्या के लोगों ने मिट्टी के दियें लगाकर राज्य को रोशन करके अपने राजा का स्वागत किया।

दीवाली उत्सव की तैयारी – Diwali celebration

दीवाली के दिन हर कोई खुश होता है और एक-दूसरे को बधाई देता है। बच्चे खिलौने और पटाखे खरीदते हैं। दीवाली के कुछ दिन पहले दिवाली के लिए लोग अपने घरों, दुकानों को सफाई और चित्रित करते हैं। वे इस अवसर पर नए कपड़े, उपहार, बर्तन, मिठाई आदि खरीदते हैं। इसे नई दुकानों, घर, व्यवसाय और साझेदारी आदि के उद्घाटन के शुभ अवसर माना जाता है।

धन तेरस – Dhanteras

धन तेरस को घर के लिए कोई वस्तु, और सोने, चांदी आदि खरीदने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। लोग इस दिन को नए व्यापार शुरू करने के लिए शुभ मानते हैं।

नरक चतुर्दशी – Narak Chaturdashi

इस दिन था जिस पर राक्षस नरकासुर भगवान कृष्ण द्वारा मारा गया था जो कि अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।

लक्ष्मी पूजा – Lakshmi Pooja

लक्ष्मी पूजा यह दिन दिवाली का महत्वपूर्ण दिन माना जाता हैं इस दिन रंगोली और दियें की रोशनी के साथ घर और मंदिर को सजाकर लोग अपने घरों और दुकानों और व्यावसायिक स्थानों पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा शाम को करते हैं।

लक्ष्मी धन की देवी है और गणेश को शुभ शुरुआत के देवता के रूप में माना जाता है। लोग सड़कों, बाजारों, घरों और परिवेश में समृद्धि और कल्याण की इच्छा के लिए तेल से भरे प्रकाश की मिट्टी के साथ दिवाली का स्वागत करते हैं। इस अवसर पर पटाखे मुख्य आकर्षण हैं। पड़ोसियों, मित्रों और रिश्तेदारों को घरों और मिठाई वितरण में पकाया स्वादिष्ट भोजन दिवाली उत्सव का हिस्सा हैं। दिवाली की रात को लोग अपने घरों के दरवाजे खुल गए क्योंकि वे देवी लक्ष्मी की यात्रा की उम्मीद करते हैं।

गोवर्धन पूजा और बलिप्रतिपदा – Govardhan Puja / Balipratipada

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र को पराजित किया और इंद्र द्वारा आयोजित भारी बारिश से अपने ग्रामीणों और मवेशियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया।

उत्तर भारत में गोबर, गन्ने, किताबें, हथियार और उपकरण आदि इस अवसर पर शाम को पूजा करते थे।

महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में लोग इस दिन बलिप्रतिपदा के रूप में मनाते हैं जो दानव राजा बाली के ऊपर विष्णु के बौना वामन अवतार की विजय का स्मरण करता है।

भाईदूज – Bhai Dooj

भाईदूज त्योहार भाई और बहन के स्नेह का प्रतीक है। बहन अपने भाई को तिलक और नारियल और मिठाई की पेशकश करती है जहां भाई अपनी बहन को उपहार देता है।

दीवाली के अवसर पर हर समुदाय और उम्र के लोगों में उत्साह से भरा होता है। विभिन्न संस्कृतियों द्वारा उसी त्यौहार के उत्सव के विभिन्न तरीकों से और अधिक सुंदर बना दिया जाता है।

स्कूल, कॉलेज में कुछ दिनों की छुट्टिया दी जाती हैं ताकि बच्चे त्योहार का आनंद उठा सकें। बैंक नई योजनाएं और ब्याज दरों की पेशकश करते हैं हर साल इस अवसर पर भारी बजट नई फिल्में जारी की जाती हैं।

दीपावली पर निबंध – Diwali Par Nibandh

प्रस्तावना-

सुख-समृद्दि और उन्नति के इस पर्व  को मनाने के पीछे सबसे प्रचलित मान्यता यही है कि इस दिन भगवान राम अपना 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या नगरी वापस लौटे थे, जिसके जश्न में इसे प्रकाशोत्सव के रुप में मनाते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करने का काफी महत्व है।

दीपावली का अर्थ – Diwali Meaning

दीपावली एक संस्कृत शब्द है, जो कि दो शब्दों से मिलकर बना है, दीप और आवली। दीप का अर्थ है प्रकाश या रोशनी और आवली का मतलब से पंक्ति या लाइन। इस तरह दीपावली का मतलब है रोशनी की पंक्ति।

दीपावली को प्रकाश का पर्व और दीपोत्सव भी कहा जाता है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला यह खास पर्व लोगों को अंधेरे से प्रकाश की तरफ जाने की सीख देता है।

इस पर्व को न सिर्फ हिन्दू धर्म के लोग बल्कि सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी अपनी-अपनी मान्यता के मुताबिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस पावन पर्व का अलग-अलग धर्मों में अपना अलग-अलग महत्व है।

दीपावली कब मनाई जाती है – When Is Diwali Celebrated

हिन्दुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक दीपावली का पावन पर्व हिंदू कैलेंडर के मुताबिक प्रकाश का पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन धूमधाम से मनाया जाता है।

इस महापर्व के दिन अमावस्या की घोर अंधेरी रात असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है।हर जगह रोश्नी की चकाचौंध देखने को मिलती है। यह त्योहार अधिकतर हर साल अक्टूबर या फिर नवम्बर महीने के बीच में पड़ता है।

यह त्योहार सुख-समृद्धि और खुशहाली का त्योहार है, जो कि 5 दिनों तक चलता है, यह महापर्व धनतेरस वाले दिन से शुरु होकर भाईदूज पर खत्म होता है

दीपावली क्यों मनाई जाती है – Why Is Diwali Celebrated

दीपों का उत्सव दीवाली का मनाने की पीछे कई ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। जिसकी वजह से हर साल इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।

दीपावली मनाने के पीछे सबसे प्रचलित कथा यह है कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन अयोध्या के राजा भगवान राम अपना 14 साल का कठिन वनवास काटकर वापस अयोध्या लौटे थे, जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था, जिससे अमावस्या की घोर अंधेरी रात्रि में भी अयोध्या नगरी प्रकाश से जगमगा उठी थी।

वहीं इस दिन के बाद से ही इस प्रकाशोत्सव को मनाने की परंपरा शुरु की गई।

इस दिन हिन्दू धर्म के लोग अपने घरों में गणेश-लक्ष्मी और सरस्वती जी का विशेष पूजन करते हैं एवं सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना करते हैं।

दीपावली कैसे मनाई जाती है – How Celebrated Diwali

दीपावली का त्योहार हिन्दुओं के सबसे बड़े और प्रमुख त्योहारों में से एक है, इस त्योहार के मौके पर खास कार्यक्रमों एवं उत्सवों का आयोजन होता है।

इस दिन को लेकर लोग कई दिन पहले से ही तैयारियां करने लगते हैं। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में खास तरीके की साज-सजावट करते हैं एवं 5 दिनों तक मनाया वाला यह पर्व धनतेरस से शुरु होकर भाई दूज के पर्व पर खत्म होता है।

धनतेरस में दीपावली का महापर्व धनतेरस से शुरू होता है। धनतेरस के दिन लोग अपने-अपने घरों में नए बर्तन, सोने-चांदी का सामान या फिर अन्य वस्तु खरीदकर लाते हैं, ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन वस्तुएं घर में खरीद कर लाने से घर में धन की बढ़ोतरी होती है।

दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली के एक दिन पहले लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर सूर्य देवता की पूजा करते हैं।

इसके बाद दीपावली के दिन लोग घरों में माता लक्ष्मी और गणेश पूजन करते हैं एवं विद्या की देवी सरस्वती जी का भी पूजन करने का भी इस दिन खास महत्व है।

इसके बाद गोर्वर्धन के दिन लोग अन्नकूट बनातें और दीपावली के आखिरी दिन भाई दूज वाले दिन बहनें, अपने भाई की लंबी उम्र और सलामति की दुआ करती हैं।

दीपावली के पर्व के दौरान बाजारों में खास रौनक देखने को मिलती है। इस मौके पर ग्राहकों को खास तरीके के ऑफर भी उपलब्ध करवाए जाते हैं।

जगह-जगह पर रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर लोग विशेष तरीके से आतिशबाजी भी करते हैं, एवं अपने रिश्तेदारों, पड़ोसी, दोस्तों और अन्य पारिवारिक सदस्यों को गिफ्ट्स आदि देकर इस पर्व की बधाई देते हैं।

आधुनिकता का रुप लेती दिवाली

जहां आजकल हर त्योहार आधुनिकता का रुप ले रहे हैं, उसी तरह दीवाली ने भी वर्तमान स्वरुप अपना लिया है। जहां पहले दीपावली के मौके पर लोग अपने-अपने घरों को मिट्टी के दीपक से सजाते थे।

वहीं आज उन दीपकों की जगह कैंडल और चाइनीज लाइटों ने ले ली हैं। यही नहीं दीपावली आज के समय में शान-ओ-शौकत के दिखावे का त्योहार भी बन गया है।

लोग एक-दूसरे को दिखावे के चक्कर घर की सजावट आदि में बेफिजूल खर्च करते हैं। इसके अलावा दिवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है।

इसके साथ ही पैसों की बर्बादी भी होती है। दिवाली के दिन प्रदूषण काफी बढ़ जाता है, जिसका स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।

वहीं हम सभी को पटाखों की जगह नए पेड़-पौधे लगाने आदि का संकल्प लेना चाहिए और हरित इको-फ्रैंडली दिवाली मनानी चाहिए।

उपसंहार

दीपावाली का त्योहार सभी के जीवन में खुशियां और नई उमंग लेकर आता है और नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है।

दीपावली पर निबंध – Essay On Diwali In Hindi With Headings

प्रस्तावना

कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला दीपावली का पर्व न सिर्फ हिन्दू धर्म के लिए बल्कि जैन, बुद्द, आर्य, सिख आदि धर्मों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और सांस्कृतिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

दीपावली पर गणेश और महालक्ष्मी जी का विशेष पूजन – Lakshmi Puja In Diwali

दीपों के त्योहार दीपावली के पावन पर्व के मौके पर धन,कीर्ति और यश की देवी मता लक्ष्मी और बुद्दि के देवता भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है।इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके लिए विशेष आरती, भक्ति गीत और मंत्र आदि का उच्चारण करते हैं।

वहीं इस मौके पर लोग अपने घरों में माता लक्ष्मी और गणेश जी का खास पूजन करते हैं। माता लक्ष्मी और गणेश जी का खास श्रंगार कर लोग उन्हें मिठाईयां और पुष्प आदि अर्पण करते हैं।

धन की देवी माता लक्ष्मी के इस दिन पूजन करने का विशेष महत्व है,मान्यता है अगर मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं जो घऱ में धन आदि की वर्षा होती है।

पांच दिन का सबसे बड़ा त्यौहार है दीपावली-

हिन्दु धर्म के सबसे प्रमुख पर्वों में से एक दीपावली का पर्व पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है, यह पर्व धनतेरस से शुर होकर भाई दूज तक चलता है, इन सभी दिनों का अपना अलग-अलग महत्व है, इससे की पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।

धनतेरस:

धन और समृद्धि के इस पर्व को माता-लक्ष्मी की पूजा-अर्चना होती है। इस दिन नए बर्तन, सोने-चांदी का सामान या फिर अन्य वस्तुओं का खरीदना भी काफी शुभ माना गया है।

नरक चतुर्दशी होती है छोटी दीपावली:

दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व होता है, जिसमें सूर्योदय से पहले उठकर सूर्यदेव की पूजा की जाती है।

दीपावली के सुख-समृद्धि की माता लक्ष्मी का पूजन:

कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीवाली होती है, जिसमें माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का रीति-रिवाज से पूजन किया जाता है।

गोवर्धन पूजा:

दीपावली के एक दिन बाद छप्पन भोग लगाकर गोवर्धन की पूजा होती है। इस दिन लोग अन्नकूट बनाते हैं और अपने परिवारजनों के साथ भोजन करते हैं।

भाई दूज:

ये इस महापर्व का आखिरी दिन होता है। इस दिन बहन- अपने भाई को तिलक करती है और अपनी भाई की लंबी उम्र और उसकी सलामति की दुआ करती है।

दीपावली के महापर्व का महत्व – Importance Of Diwali Festival In Hindi

दीपावली हिन्दू धर्म के लोगों का सबसे बड़ा और प्रमुख पर्व है। इस धर्म के लोगों को लिए दीपावली का विशेष महत्व है। इस पर्व को विजय के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है।

यह पर्व न सिर्फ आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने में मद्द करता है। बल्कि इस आर्थिक दृष्टि से भी यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है। इस पर्व के मौके पर ज्यादातर लोग खऱीददारी करते हैं।

लोग नए कपड़े, ज्वैलरी, साज-सज्जा का सामान समेत  कई बड़ी वस्तुओं एवं आतिशबाजी आदि की भी इस दौरान खरीददारी करते हैं, दरअसल इस पर्व पर खरीददारी और खर्च को शुभ माना जाता है।

जिसके चलते इस मौके पर दुकानदारों को काफी मुनाफा होता है। इसके अलावा इस पर्व पर साफ-सफाई होने से यह पर्व तमाम तरह की फैलने वाली बीमारियों से भी बचाता है।

इस तरह दीपावली का पर्व धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक सभी तरह से काफी महत्वपूर्ण है।

सफाई का प्रतीक है दीपावली का महापर्व:

हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार दिवाली स्वच्छता का भी प्रतीक माना जाता है। इस पर्व के मौके पर लोग अपने-अपने घरों की सफाई कई दिन पहले से ही करने लग जाते हैं।

सभी लोग अपने घर को चमकाते हैं और सुंदर-सुंदर साज-सज्जा करते हैं। इस मौके पर लोग अपने घरों में नई-नई चीजें भी लाते हैं और लाइटिंग आदि लगाते हैं।

इको-फ्रैंडली दीवाली मनाने का ले संकल्प – Eco Friendly Diwali

हिन्दू धर्म के इस पावन पर्व को हम सभी को हरित दीवाली के रुप में मनाना चाहिए। इस मौके पर आतिशबाजी नहीं कर सभी को घर में नए पेड़-पौधे लगाने चाहिए, क्योंकि आतिशबाजी से होने वाला प्रदूषण से स्वास्थय पर बुरा असर पड़ता है।

उपसंहार

दीपों का त्योहार दीपावली के पर्व पर हम सभी को इको-फैंडली दीवाली मनाने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि इस मौके पर की गई आतिशबाजी से प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

दीपावली पर निबंध – Deepawali Essay In Hindi

प्रस्तावना

कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला दीवाली का पर्व पर समृद्धि और खुशहाली का पर्व है। इस पर्व को भारत में नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

दीवाली पर रीति-रिवाज परंपरा:

दीपावली के पहले दिन धनतेरस को माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और सरस्वती जी का पूजन किया जाता है। इस मौके पर लोग अपने-अपने घरों में नया सामान खरीदकर लाते हैं, क्योंकि इस दिन धन खर्च आदि करना भी शुभ माना गया है।

इसके बाद नरक चतुर्दशी यानि कि छोटी दिवाली के भगवान कृष्ण की पूजा-आराधना की जाती है, ऐसा माना जाता है, इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।

इस दिन लोग सुबह जल्द तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा-आराधना करते हैं, और उन्हें कुमकुम आदि लगाते हैं। वहीं फिर दीपावली के दिन अधिष्ठात्री देवी माता लक्ष्मी, बुद्दि के देव भगवान गणेश और विद्या की देवी सरस्वती मां का विशेष पूजन होता है।

इसके बाद दीपावली के चौथे दिन यानि की गोर्वधन पूजा के दिन भगवान कृष्ण की आराधना की जाती  और इस दिन लोग अपने -अपने घरों में अन्नकूट आदि बनाती है।

इसके बाद भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर उनके अच्छ स्वास्थ्य और लंबी उम्र कामना करती हैं।

दीपावली पर मनाए जाने वाला उत्सव:

सुख-समृद्धि का यह त्योहार पांच दिनों का पर्व होता है। यह पर्व धनतेरस से शुरु होकर भाई दूज के त्योहार पर खत्म होता है। दीपावली के पावन पर्व पर हर तरफ रोश्नी की जगमगाहट और चकाचौंध दिखाई देती है।

इस मौके पर बाजारों की रौनक देखते ही बनती है। इसके अलावा दिवाली के पावन पर्व पर कई जगहों पर मेला आदि का भी आयोजन किया जाता है। भगवान श्री राम के वनवास के बाद अयोध्या वापसी की खुशी में मनाए जाने वाले इस पर्व में धन और यश की देवी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है।

अलग-अलग देशों की दीवाली:

कार्तिक मास की अमावस्या की घोर अंधेरी रात्रि को मनाया जाने वाले इस प्रकाशोत्सव को न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में में धूमधाम से मनाया जाता है – ब्रिटेन, मलेशिया और मॉरीशस में हिन्दुओं एववं भारतीयों की संख्या काफी अच्छी होने की वजह से इन देशों में इस पर्व को हर्षोल्लस और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

दीपावली त्योहार के प्रमुख लाभ:

आर्थिक दृष्टि से यह त्योहार काफी महत्वपूर्ण है, इस मौके पर छोटे-छोटे व्यापारियों की भी अच्छी कमाई हो जाता है।

यह त्योहार स्वच्छता का प्रतीक है, इसे मौके पर सभी लोग अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, जिससे कई गंभीर बीमारी आस-पास भी दस्तक न दे सेकें।

यह त्योहार आपसी प्रेम, सौहार्द और भाईचारा देखने को मिलता है।

छोटी सोच से दीवाली से होने वाले कई नुकसान:

  • वर्तमान युग में मनाई जाने वाले दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी से प्रदूषण फैलता है जिससे स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर होता है।
  • अलग-अलग तरह की लाइटों की सजावट में बिजली की बर्बादी होती है।
  • साफ-सफाई के बहाने लोग काफी पानी की बर्बादी करते हैं।
  • दिखावे के चक्कर में लोग फिजूल खर्च करते हैं।

उपसंहार

दीपावली आपसी भाईचारा, सोहार्द और एकता का त्योहार है। इस दिन लोग अपने परिवारजन, और खास लोगों के साथ मिलकर अपने रिश्तों को मजबूत बनाते हैं और मन-मुटाव भी दूर करते हैं

दीवाली पर निबंध – Deepawali Par Nibandh

कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व से की सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई। इसलिए इस पर्व के अलग-अलग धर्मों के लिए अपना महत्व है।

दीपावली से जुड़ी पौराणिक कथा – Story Of Diwali

  • भगवान राम की विजय और अयोध्या वापसी:

हिन्दुओं के इस सबसे प्रमुख त्योहार दीवाली को मनाने के पीछे हिन्दू धर्म भगवान राम की विजय और अयोध्या वापसी की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।

जिसके मुताबिक कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान राम 14 साल का वनवास काटकर वापस अयोध्या नगरी लौटे थे, अपने राजा के आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए थे।

जिससे अमावस्या की अंधेरी रात भी प्रकाश से जगमगा उठी थी, तभी से यह दीपों का त्योहार प्रकाशोत्सव मनाया जाता है।

  • समुद्रमंथन से मां लक्ष्मी और कुबेर का प्रकट होना:

प्रकाशोत्सव का पर्व, दीपावली मनाने के पीछे एक यह भी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है कि कार्तिक मास के अमावस्या के दिन देवताओं और राक्षसों द्धारा समुद्रमंथन के समय माता लक्ष्मी, दूध के समुद्र से ब्रहा्ण्ड में प्रकट हुई थी।

तभी से माता लक्ष्मी के जन्मदिवस के रुप में इस पर्व को मनाए जाने की परंपरा शुरु हुई।इस मौके पर हिन्दु धर्म के लोग अपने-अपने घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का विशेष पूजन करते हैं।

  • भगवान कृष्ण ने किया था नरकासुर का वध:

हिन्दू धर्म में दीपावाली का पावन उत्सव मनाने के पीछे यह भी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है कि भगवान कृष्ण ने नर्कासुर का वध किया था।

महादैत्य नरर्कासुर महिलाओं को बंधी बनाकर उन पर अत्याचार करता था जिसके बाद भगवान कृष्ण ने उसका अंत कर सभी महिलाओं की जान बचाई थी तभी से दीपावली के इस पावन पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रुप में मनाया जाताहै।

  • 12 सालों के बाद पांडवों की हस्तिनापुर वापसी:

हिन्दू महाकाव्य के मुताबिक दीपावली मनाने की एक मुख्य यह भी है कि, कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन, पांडव अपने राज्य से निष्कासन के 12 साल बाद अपने राजधानी हस्तिनापुर लौटे थे।

जिसके बाद पांडवों के राज्यों के लोगों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था तभी से दीपावली का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है।

  • विक्रमादित्य का राज्याभिषेक:

हिन्दुओं के महान राजा विक्रमादित्य का कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन राजतिलक हुआ था। तभी से लोगों ने इस त्योहार को मनाने की परंपरा शुरु कर दी थी।

  • महर्षि दयानंद ने किया था निर्वाण प्राप्त:

यह दिन आर्य समाज के लिए बेहद खास दिन होता है, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद जो कि महान हिन्दू सुधारक के साथ-साथ आर्य समाज के संस्थापक थे।

उन्होंने कार्तिक के महीने की अमावस्या के के दिन निर्वाण प्राप्त किया था। उसी दिन से दीपावली के पर्व को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है

  • महावीर ने इस दिन ही त्यागा था अपना शरीर:

जैन धर्म के लोगों के लिए भी दीपावली के त्योहार का खास महत्व है। दरअसल महावीर जैन ने इस दिनबिहार के पावापुरी में अपनी शरीर त्याग दिया था

उपसंहार-

दीपावली के इस पर्व को आपस में मिलजुल कर प्रेम, सोहार्द और भाईचारे के साथ मनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही आतिशबाजी करने से बचना चाहिए ताकि प्रदूषण फैलने से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।

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