गोपाल गणेश आगरकर | Gopal Ganesh Agarkar Biography

Gopal Ganesh Agarkar in Hindi

गोपाल गणेश आगरकर जी भारत के एक महान समाज सुधारक, लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद और विचारक थे, जिन्होंने अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान भारतीय समाज में फैली जातिप्रथा और छूआछूत जैसी कुरोतियों को दूर करने के काफी प्रयास किए थे, इसके साथ ही वे विधवा विवाह के घोर समर्थक थे।

गोपाल गणेश आगरकर जी भारत के महान क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के काफी करीबी दोस्त थे। इसके साथ ही उन्होंने लोकमान्य तिलक, विष्णुशास्त्री चिपलूनकर, महादेव बल्लाल नामजोशी, वीएस आप्टे, वीबी केलकर, एमएस गोले और एनके धराप के साथ न्यू इंग्लिश स्कूल, डेक्कन एजुकेशन सोसायटी और फर्ग्यूसन कॉलेज जैसे प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों के स्थापना भी की थी।

इसके अलावा वे सप्ताहिक पत्रिका केसरी के संपादक और पत्रिका ‘सुधारक’ के संस्थापक भी थे। इसके साथ ही गोपाल गणेश आगरकर (Gopal Ganesh Agarkar) पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज प्रिंसिपल के पद पर साल 1892 से अपने जीवन की आखिरी सांसों तक रहे। 

गोपाल गणेश आगरकर ने अपने जीवनकाल में तमाम समाज सुधार के काम किए और शिक्षा के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के सामाजिक जीवन पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में आगरकार जी के जन्म, शिक्षा समेत उनके जीवन में किए गिए महत्वपूर्ण कामों के बारे में बताएंगे – जो कि इस प्रकार है –

Gopal Ganesh Agarkar

गोपाल गणेश आगरकर – Gopal Ganesh Agarkar in Hindi

पूरा नाम (Name)गोपाल गणेश आगरकर (Gopal Ganesh Agarkar)
जन्म (Birthday)14 जूलाई 1856
जन्मस्थान (Birthplace)टेंभू (कराड के पास, जि. सातारा)
माता (Mother Name)सरस्वती आगरकर
पिता (Father Name) गणेशराव आगरकर
मृत्यु (Death)17 जून 1895 को उनका देहांत हुआ
शिक्षा (Education)1875 में मॅट्रिक परिक्षा उत्तीर्ण।
1878 में B.A. की परिक्षा उत्तीर्ण।
1880 में M.A. की उपाधि उन्होंने संपादन की।
विवाह (Wife Name)यशोदा के साथ (1877 में)
पुस्तकें (Books)विकार विलसित, डोंगरी के जेल के 101 दिन आदी

प्रारंभिक जीवन जन्म तथा शिक्षा – Gopal Ganesh Agarkar Information and Education

भारत के महान समाज सुधारक गोपाल गणेश आगरकर जी महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड़ तहसील के तेम्भू गांव में एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम गणेश राव आगरकर और उनकी माता का नाम सरस्वती आगरकर था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कराड से हासिल की।

इसके बाद साल 1878 में उन्होंने बी.ए. की डिग्री हासिल की और फिर साल 1880 में अपनी ए.म. की पढ़ाई पूरी की । उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद आगरकर जी ने अपना पूरा जीवन देश की लोगों की सेवा करने में लगा दिया। 

शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए आगरकर जी ने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की – Gopal Ganesh Agarkar University

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के सहयोगी रहे गोपाल गणेश आगरकर जी ने शिक्षा का जमकर प्रचार-प्रसार किया, उनका मानना था कि शिक्षा से ही राष्ट्र की उन्नति और पुनर्निमाण संभव है।

इसलिए उन्होंने साल 1884 में उच्च शिक्षण संस्थान डेक्कन एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की। इसके बाद साल 1885 में उन्होंने फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने जनवरी, साल 1880 में पुणे में लोकमान्य तिलक और विष्णुशास्त्री चिपलूनकर का साथ मिलकर न्यू इंग्लिश स्कूल की भी स्थापना की।

पत्रिकाओं के माध्यम से कई सामाजिक मुद्दों के खिलाफ उठाई आवाज:

उन दिनों गोपाल गणेश आगरकर मराठी सप्ताहिक पत्रिका केसरी के पहले संपादक थे, जिसे उन्होंने साल 1880-1881 के दौरान लोकमान्य तिलक के साथ शुरु किया था।

इसके बाद आगरकर जी और उनके मित्र लोकमान्य तिलक के साथ किसी सामाजिक विषय को लेकर आपसी मतभेद हो गया जिसके चलते उन्होंने केसरी को छोड़ दिया।

इसके बाद गणेश आगरकर जी ने खुद की ‘सुधारक’ नामक एक नया साप्ताहिक पत्रिका निकालने की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने बाल विवाह, जातिगत भेदभाव और छूआछूत के खिलाफ अभियान चलाया और हिन्दू धर्म के अंधविश्वास और आडम्बरों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की, इसके साथ ही आगरकर जी ने विधवा पुनर्विवाह का खुलकर समर्थन किया।

गोपाल गणेश आगरकर जी का मानना था कि लड़कों की शादी 20 से 22 साल की उम्र में जबकि लड़कियों की शादी 15-16 साल की उम्र में कर देनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने 14 साल तक की अनिवार्य शिक्षा का भी पुरजोर समर्थन किया था।

लोकमान्य तिलक और गोपाल गणेश आगरक की जुगलबंदी और विचारधारा:

लोकमान्य बालगंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण आगरकर जी घनिष्ट मित्र थे उन दोनों में  काफी समानताएं थी, दोनों ही सामाजिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से वास्ता रखते थे, लेकिन कुछ मुद्दों पर उनकी विचारधारा अलग-अलग थी।

आपको बता दे कि बालगंगाधर तिलक स्वभाव से आतिवादी विचारधारा के थे, जबकि आगरकर जी उदारवादी विचारधारा के थे। लोकमान्य तिलक एक आर्थिक रुप से संपन्न परिवार से संबंध रखते थे, जबकि आगरकर जी गरीबी में पले-बड़े हुए थे। इस तरह दोनों की जीवनशैली और विचारधाराओं में काफी अंतर था, और फिर दोनों की विचारधाराएं भी अलग-अलग बनती गई, जिसके चलते दोनों समाज-सुधारक बाद में एक-दूसरे से अलग हो गए।

आगरकर जी की किताबें – Gopal Ganesh Agarkar Books

भारत के महान समाज सुधारक गोपाल गणेश आगरकर जी नें ”फुतके नशीब” नामक किताब में अपनी बायोग्राफी लिखी। इसके अलावा उन्होंने अलंकार मीमांसा, विकार विलसित, ”डोंगरी के जेल के 101 दिन” आदि पुस्तकें भी लिखीं।

आपको बता दें कि समाज के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करने वाले समाज सुधारक आगरकर जी पर  साल 1882 में कोल्हापुर के एक दीवान पर टिप्पणी करने की वजह से मानहानि का केस दर्ज कर दिया गया, जिसकी वजह से उन्हें मुंबई के डोंगरी जेल में करीब 101 दिन की जेल की सजा काटनी पड़ी थी, इस दौरान उन्होंने शेक्सपियर का नाटक ‘हॅम्लेट’ का मराठी में अनुवाद किया, जो कि विकार विलिसत के नाम से मशहूर हुआ।

वहीं गोपाल गणेश आगरकर जी ने जेल की सजा काटने के बाद अपने डोंगरी जेल के अनुभवों को ”डोंगरी के जेल के 101 दिन” पुस्तक में लिखा।

गोपाल गणेश आगरकर जी की मृत्यु –  Gopal Ganesh Agarkar Death

भारतीय समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले गोपाल गणेश आगरकर जी का 17 जून, साल 1895 में 39 साल की अल्पायु में निधन हो गया। ऐसा कहा जाता है कि अस्थमा की अटैक की वजह से यह महान आत्मा का निधन हो गया।

आपको बता दें कि वे अपने जीवन के अंतिम समय में फर्ग्युसन कॉलेज के प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत थे।

महज 39 साल के अपने छोटे जीवनकाल के दौरान उन्होंने बडे़ स्तर पर महाराष्ट्र के लोगों में शिक्षा एवं मानवीय मूल्यों का जमकर प्रचार-प्रसार किया और  पूरी तरह से उच्च नैतिक चरित्र का अनुकरण किया, इसके साथ वे अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सच्ची निष्ठा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे उनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा।

वे एक आदर्श समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लोगों की सेवा करने में सर्मपित कर दिया। ऐसे महान समाज सुधारकों की वजह से ही आज हमारे समाज में काफी बदलाव आया है। उनका कहना था कि –

“वांछनीय होगा वो बोलूंगा और पूरा होगा वही करूंगा”

एक नजर में गोपाल गणेश आगरकर जी के कार्य – Gopal Ganesh Agarkar Biography in Hindi

  • 1880 में विष्णुशास्त्री चिपलूनकर, तिलक और आगरकर इन्होंने पूणा में न्यु इंग्लिश स्कूल की स्थापना की।
  • 1881 में तिलक और आगरकर इन्होंने मराठी भाषा में ‘केसरी’ और अंग्रेजी भाषामे ‘मराठा’ ये साप्ताहिक शुरु किये। ‘केसरी’ के संपादन पद की जिम्मेदारी आगरकर पर आयी।
  • दिन बदिन साप्ताहिक अधिकाधिक लोकप्रिय होने लगे। उसी में से कोल्हापूर के दिवाण बर्वे इनके गलत कारोबार पर टिका की, उस वजह से उनके उपर बर्वे इन्होंने मानहानी का मामला दर्ज करवाया. उसमे बर्वे की जीत हुयी। और तिलक – आगरकर को 1882 में 101 दिन की जेल हुयी। उन्हें बम्बई को डोंगरी के जेल में रखा। इस समय में आगरकर ने शेक्सपियर के ‘हॅम्लेट’ इस नाटक का ‘विकार विलसित’ इस नाम से मराठी अनुवाद किया वैसेही जेल मे जो अनुभव आये, उसका विवरण करनेवाला ‘डोंगरी के जेल मे के हमारे 101 दिन’ इन नाम की छोटीसी किताब उन्होंने जेल से छूटने बाद लिखी।
  • 1884 मे तिलक – आगरकर ने पूणा के डेक्कन एज्युकेशन सोसायटी की स्थापना की. वैसे ही 1885 मे इस संस्था के तरफ से पूणा मे ही फर्ग्युसन कॉलेज खोला गया।
  • केसरी और मराठा साप्ताहिक में से तिलक ये सामाजिक जागृती को ज्यादा एहमियत देने लगे। आगरकर ने सामाजिक सुधारना को प्राधान्य देणे का निर्णय लिया था। उस वजह से 1887 मे उन्होंने केसरी के संपादन पद का इस्तीफा दिया।
  • 1888 में उन्होंने ‘सुधारक’ नाम का अपना स्वतंत्र साप्ताहिक शुरु किया। ‘सुधारक’ मराठी और अंग्रेजी इन दोनों भाषा मे प्रसिद्ध किये जाते थे। उनके मराठी आवृत्ती के संपादन की जिम्मेदारी आगरकर ने और अंग्रेजी आवृत्ती के संपादन की जिम्मेदारी गोपाल कृष्ण गोखले इन्होंने संभाली थी। ‘सुधारक’ साप्ताहिक मे से अपने समाज सुधारणा के विचार उन्होंने बड़े लढाउ भाषा मे रखे।
  • आगे फर्ग्युसन कॉलेज के पहले प्राचार्य वा. शि. आपटे इनकी 1892 मे अचानक मौत हुयी। उसके बाद आगरकर की प्राचार्य के रूप मे नियुक्त किया गया। आखीर तक वो उस स्थान पर थे।
  • आगरकर ने भारतीय समाज मे के बालविवाह, मुंडन, नस्लीय भेदभाव, अस्पृश्यता इन जैसे बहोत अनिष्ट परंपरा और रुढ़ी का विरोध किया था।

 

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5 thoughts on “गोपाल गणेश आगरकर | Gopal Ganesh Agarkar Biography”

  1. वालजीभाई पटेल

    सामाजिक कान्तिकारी और स्पष्ट विचारक की किताबे ज्यादातार हिन्दी और गुजराती और अन्य प्रादेशिक भाषाओमे छापनी चाहिए l

  2. योगेन्द्र कुमार मौर्या

    गणेश आगरकर बारे मे पढ कर अच्छा लगा मै उनको नही जानता उनके बारे मे जाना

  3. Gururaj Kamble

    Agarkarji ne desh ke Vikas me bhut yogdan diya hi.
    Aur uper di gai sari history sahi hain

  4. अपने प्रेरक महान व्यक्तीयो की जिवनी पेश कर हमे आपने गौरवानित किया है।मै आप सभिको धन्यवाद करता हू।ये से ही हमे प्रेरित करे।

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