रबिन्द्रनाथ टागोर जीवनी

Rabindranath Tagore in Hindi

रबीन्द्र नाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होनें हर किसी के दिल में अपने लिए अमिट छाप छोड़ी है जिन्हें आज देश का बच्चा-बच्चा जानता है। रबीन्द्र नाथ टैगोर की ख्याति एक महान कवि के रुप में पूरे विश्व में फैली हुई है।

वे न सिर्फ एक विश्वविख्यात कवि थे बल्कि वे एक अच्छे साहित्यकार, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकारस, चित्रकार, महान विचारक और दार्शनिक भी थे। रबीन्द्र नाथ टैगोर विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे जिन्हें गुरूदेव कहकर भी पुकारा जाता था।

भारत का राष्ट्र-गान रबीन्द्रनाथ टैगोर की ही देन है। रबीन्द्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएं और कहानियां लिखने का बेहद शौक था। इसके साथ ही उन्हें प्रकृति से भी बेहद प्रेम था। कई बार तो वे प्रकृति को देखते-देखते इसी में खो जाया करते थे। और कल्पना किया करते थे।

आपको बता दें कि भारत के महान साहित्यकार रबीन्द्रनाथ टैगोर ने  स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय चेतना को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा साल 1913 में, रबीन्द्र नाथ टैगोर को अपनी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे एशिया के पहले व्यक्ति थे।

वहीं भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार भी माना जाता है।

आज हम आपको महान कवि रबीन्द्रनाथ टैगोर की जन्म, शिक्षा, उनकी रचनाएं, उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण काम और उनकी जीवन की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे जिसे पढ़कर हर कोई प्रेरणा ले सकता है और अगर कोई इनके द्धारा बताए गए मार्ग पर चले तो वह निश्चित ही सफलता हासिल कर सकता है। तो आइए जानते हैं भारत के महान साहित्यकार रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में –

रबिन्द्रनाथ टागोर जीवनी – Rabindranath Tagore Biography in Hindi 

Rabindranath Tagore

रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में – Rabindranath Tagore Information in Hindi

नाम (Name) रबीन्द्र नाथ टैगोर
जन्म (Birthday) 7 मई 1861, कोलकाता के जोड़ासाको की ठाकुरबाड़ी
पिता का नाम (Father Name) श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर
माता का नाम (Mother Name) श्री मति शारदा देवी
पत्नी का नाम (Wife Name) म्रणालिनी देवी
धर्म (Cast) हिन्दू
राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय
भाषा (Language) बंगाली, इंग्लिश
उपाधि (Occupation) लेखक और चित्रकार
प्रमुख रचना (Notable works) गीतांजलि
पुरस्कार (Awards) नोबेल पुरस्कार
मृत्यु (Death) 7 अगस्त 1941

रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारेमें विस्तारपूर्वक जानकारी – Rabindranath Tagore Information in Hindi

महान विचारक और दार्शनिक रबीन्द्रनाथ टैगोर, विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे जो कि कोलकाता के जोड़ासाको की ठाकुरबाड़ी में एक प्रसिद्ध और समृद्ध बंगाली परिवार में 7 मई  1861 को जन्मे थे। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था जो कि ब्रह्मा समाज के एक वरिष्ठ नेता थे।

टैगोर परिवार के मुखिया और रबीन्द्र नाथ टैगोर जी के पिता जी एक बेहद ईमानदार, सुलझे हुए और सामाजिक जीवन जीने वाले व्यक्तित्व थे।  वहीं इनकी माता का नाम शारदादेवी था  जो कि  एक साधारण सी घरेलू महिला थी। आपको बता दें कि रबीन्द्र नाथ टैगोर अपने माता-पिता के सबसे छोटे पुत्र थे।

रबीन्द्र नाथ टैगोर की शिक्षा – Rabindranath Tagore Education

रबीन्द्र नाथ टैगोर बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा पहले तो घर पर ही ली फिर बाद में उन्होंने अपनी शिक्षा कोलकाता के एक मशहूर स्कूल सेंट जेवियर से ली थी।

आपको बता दें कि महान विचारक टैगोर जी के पिता एक समाजसेवी थे और वह हमेशा समाज की सेवा में ही जुटे रहते थे और वे अपने बेटे रबीन्द्र जी को भी एक बैरस्टिर बनाना चाहते थे।

इसके लिए रबीन्द्र जी के पिता ने उनका एडमिशन लंदन के एक विश्वविद्यालय में करवाया जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई का अध्ययन किया लेकिन रबीन्द्र जी की रुचि हमेशा से ही साहित्य में थी इसलिए वे बिना डिग्री प्राप्त किए ही वापस भारत लौट आए।

दरअसल बचपन से ही रबीन्द्र जी का मन कहानियां और कविताएं लिखने में लगता था अर्थात उन्हें अपनी मन की भावनाओं को कागज पर उतारना बेहद पसंद था। यही वजह है कि उनमें साहित्यिक प्रतिभा भी जल्दी ही विकसित होने लगी थी। इसलिए बाद में उन्होंने एक महान कवि, विचारक और लेखक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का साहित्य में योगदान और उनकी रचनाएं – Rabindranath Tagore Books

बचपन से ही उनके साहित्य की तरफ रुझान ने उन्हें एक महान कवि और मशहूर साहित्यकार बनाया। बेहद कम उम्र से ही रबीन्द्र नाथ जी को साहित्य की अच्छी जानकारी हो गई थी।

इसलिए उन्होंने महज 8 साल की उम्र में ही अपनी पहली कविता लिख ली थी। वहीं साल 1877 में रबीन्द्र नाथ जी जब 16 साल के थे तब उन्होंने लघु कथा लिख दी थी।

आपको बता दें कि रबीन्द्र नाथ जी ने करीब 2 हजार 230 गीतों की रचना की वहीं भारतीय संस्कृति में खासकर बंगाली संस्कृति में अपना अमिट योगदान दिया। वहीं उन्हें अपने साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें साल 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

टैगोर की रचनाओं की खासियत यह रही कि उन्होंने नए गद्य और छंद के साथ लोकभाषाओं का बखूबी इस्तेमाल किया। वहीं टैगोर जी रचनाएं बेहद सरल और आसान भाषा में होने की वजह से पाठकों के द्धारा खूब पसंद की गईं।

आपको बता दें कि साल 1880 के दशक में रबीन्द्र नाथ जी की कई रचनाएं प्रकाशित हुईं जबकि साल 1890 में रबीन्द्र नाथ जी ने मानसी की रचना की। रबीन्द्र नाथ जी की यह रचना उनकी विलक्षण प्रतिभा की परिपक्वता का परिचायक है।

आपको बता दें कि पूरी दुनिया के एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’ गुरुदेव की ही रचनाएं हैं।

इसके अलावा गुरुदेव रबीन्द्रनाथ जी की सबसे लोकप्रिय रचना ‘गीतांजलि’ रही जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। वहीं रबीन्द्र नाथ जी की रचना गीतांजलि की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि बाद में इसका अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रैंच, जापानी, रूसी समेत दुनिया की सभी मुख्य भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया। इसके बाद टैगोर जी की ख्याति पूरे विश्व में फैल गई और वे मशहूर होते चले गए।

रबीन्द्रनाथ जी की कहानियों में क़ाबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्टमास्टर काफी प्रसिद्ध हुईं। उनकी इन कहानियों को आज भी लोग उतने ही उत्साह से पढ़ते हैं।

चित्रकार के रुप में रबीन्द्र नाथ टैगोर – Rabindranath Tagore as a Painter

रबीन्द्र नाथ टैगोर एक अनुभवी और बेहतरीन चित्रकार थे। उनकी चित्रकारी करने का तरीका एकदम अलग और अद्भुत था, उनकी चित्रकारी में ही उनके महान विचारों की झलक दिखती थी हालांकि उन्हें कला की कोई औपचारिक शिक्षा हासिल नहीं की थी।

इसके बाबजूद उन्हें दृश्य कला के कई स्वरूपों की अच्छी समझ थी। महान साहित्यकार रबीन्द्र नाथ जी की कल्पना की शक्ति ने उनकी कला को जो विचित्रता प्रदान की है उसकी व्याख्या शब्दों में करना संभव नहीं है।

शांतिनिकेतन की स्थापना – Santiniketan Established

रबीन्द्रनाथ टैगोर कभी नहीं रुकने वाले और निरंतर काम करने पर भरोसा रखने वाले व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपनी जीवन में कई ऐसे काम किए जिनसे न सिर्फ कई लोगों को फायदा मिला बल्कि उनके कामों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

प्रकृति प्रेमी रबीन्द्र नाथ टैगोर जी ने साल 1901 में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक स्कूल की स्थापना की जहां उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं का मिलाने का अद्भुत प्रयास किया। दरअसल रबीन्द्र नाथ जी चाहते थे कि हर विद्यार्थी कुदरत या प्रकृति के समुख पढ़े, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल मिल सके।

इसके बाद वे स्कूल में ही स्थायी रूप से रहने लगे और 1921 में ही शांतिनिकेतन विश्व भारती विश्व विद्यालय बन गया। आपको बता दें कि बाद में शांति निकेतन के संबंध में सरकारी नीतियों की भारी निंदा की गई जिसके बाद सरकारी सहायता मिलना बंद हो गई है यही नहीं शांति निकेतन का नाम पुलिस की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया इसके साथ ही वहां पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों को धमकी भरी चिट्टियां भेजी जाने लगी। आपको बता दें कि ब्रिटिश मीडिया ने अनमने ढंग से कभी टैगोर की सराहना की तो कभी तीखी आलोचना की।

रबीन्द्र नाथ टैगोर की उपलब्धियां और सम्मान – Rabindranath Tagore Awards

भारत के राष्ट्रगान जन-गण मन के रचयिता और महान साहित्यकार रबीन्द्र नाथ टैगोर जी को अपने जीवन में कई उपलब्धियों से नवाजा गया। उनकी सबसे प्रमुख रचना गीतांजलि के लिए साल 1913 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत और बांग्लादेश के लिए राष्ट्रगान की रचना की। जिसके लिए उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई है और उन्हें आज भी याद किया जाता है।

रबीन्द्र नाथ टैगोर की मृत्यु – Rabindranath Tagore Death

रबीन्द्र नाथ टैगोर जी अपने जीवन के आखिरी समय में बीमार चल रहे थे जिसकी वजह से उन्हें इलाज के लिए शांतिनिकेतन से कोलकाता ले जाया गया था जहां उन्होंने 7 अगस्त 1941 को अपनी आखिरी सांस ली थी।

रवीन्द्र नाथ जी एक ऐसा व्यक्तित्व थे जिसने अपने प्रकाश से सब जगह रोशनी बिखेरी। वह भारत की एक अनमोल विरासत थे। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई शाखा हो जिनमें उनकी रचना न हो। एक कवि, नेता या लेखक के रूप में उनकी व्याख्य शायद शब्दों में करना बेहद मुश्किल है। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। रबीन्द्र नाथ टैगोर जी को हमारी टीम की तरफ से शत-शत नमन।

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