राजेन्द्र कुमार पचौरी जीवनी

Rajendra K Pachauri 

Rajendra K Pachauri

राजेन्द्र कुमार पचौरी जीवनी – Rajendra K Pachauri in Hindi

पूरा नाम (Name) डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी
जन्म (Birthday) 20 अगस्त, 1940 नैनीताल (उत्तराखंड)
शिक्षा (Education) विदेशो में अध्यापन का विशद अनुभव – इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग तथा अर्थशास्त्र में Ph.D.
विवाह (Wife Name)  सरोज पचौरी के साथ

डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी के कार्य – Rajendra K Pachauri Works

जब 2007 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा हुई तो भारतीयों का प्रसन्न होना स्वाभाविक था। नौ वर्ष पूर्व अर्थशास्त्र का नोबेल अमर्त्य सेन को मिला था और अब भारत के जाने-माने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित पर्यावरणविद् डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी / Rajendra K Pachauri को अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल्बर्ट ऑर्नल्ड (अल) गोर गुनियर के साथ संयुक्त रूप से 2007 का नोबेल शांति पुरस्कार  मिला।

यहां यह बताना उल्लेखनीय है कि जहां अल गोर को यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण-संवर्ध्दन हेतु उनके व्यक्तिगत प्रयासों के लिए मिला, वहीं डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी को यह पुरस्कार व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। अल गोर के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) नामक संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की संस्था को मिला।

डॉ. पचौरी इस संस्था के अध्यक्ष हैं। पर इससे उनको मिले पुरस्कार का महत्त्व कम नहीं हो जाता। युद्ध में मोर्चे पर तो फौज के सिपाही लड़ते हैं, लेकिन जीत का श्रेय व्यूह रचना करने वाले सेनापति को ही मिलता है। ऐसा ही डॉ. पचौरी के विषय में कहा जा सकता है।

डॉ. राजेन्द्र कुमार पचौरी / Rajendra K Pachauri  ने डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी से अपने कैरियर का आगाज किया। यहां उन्होंने कई वरिष्ट प्रबंधकीय पदों पर कार्य को बखूबी अंजाम दिया। पचौरी भारत लौटे तो उनका अनुभव भी उनके साथ था। भारत लौटकर पचौरी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज, हैदराबाद में बतौर सीनियर फैकल्टी मेम्बर नियुक्त हुए।

1975 से 1979 तक आप यहीं कार्यरत रहे। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि हैदराबाद के इसी एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज में देश के वरिष्ट नौकरशाहों (IAS) को प्रशिक्षित किया जाता है। जुलाई 1979 से 1981 मार्च तक पचौरी कंसलटिंग एंड एप्लाइड रिसर्च डिविजन में डायरेक्टर रहे।

इसके बाद अप्रैल 1981 में पचौरी ने टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट (TERI) का कार्यभार बतौर डायरेक्टर संभाला। उर्जा, पर्यावरण, वन, बायोतकनिक तथा प्राकृतिक संपदाओं के अनुरक्षण के क्षेत्र में TERI को महारत हासिल है। 2001 में पचौरी इस संस्थान के शीर्ष यानी डायरेक्टर जनरल के पद पर पहुंच गए।

इसी वर्ष भारत सरकार ने पचौरी को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं  के लिए पदमविभूषण से सम्मानित किया। 1988 में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम तथा विश्व जलवायु संगठन ने IPCC की स्थापना की। पचौरी ने 20 अप्रैल 2002 को इस संस्था के चेयरमैन का पदभार संभाला।

इसके अतिरिक्त भी पचौरी की अनेक उपलब्धियां रही हैं – वेस्ट वजीर्निया यूनिवर्सिटी  के मिनरल एंड एनर्जी रिसोर्सेज कॉलेज में रिसोर्स इकोनॉमिक्स विभाग के विजिटिंग प्रोफेसर रहे। रिसोर्स सिस्टम इंस्टीट्युट, ईस्ट – वेस्ट सेंटर, अमेरिका में सीनियर विजिटिंग फैलो रहे।

विश्व बैंक, वाशिंगटन, डी.सी. में विजिटिंग रिसर्च फैलो रहे। पचौरी 1994 से 1999 तक इस कार्य से जुड़े रहे। 2000 में पचौरी येल यूनिर्वसिटी, अमेरिका के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल एंड फ़ॉरेस्ट स्टडीज से बतौर फैलो जुड़े। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पचौरी इंटरनेशनल सोलर एनर्जी सोसाइटी (ISES) तथा वर्ल्ड रिर्सोर्सिंग इंस्टीट्युट ऑन डेवलपिंग कंट्रीज से बतौर मेम्बर जुड़े रहे।

इंटरनेशल एसोसिएशन फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स (IAEE) वाशिंगटन, डी.सी. में पचौरी ने पहले प्रेसिडेंट तथा बाद में चेयरमैन का पदभार संभाला। वे 1992 से एशियन एनर्जी इंस्टीट्युट के प्रेजिडेंट भी हैं। भारत सरकार की अनेक कमेटियों में भी पचौरी की सहभागिता रही। बतौर मेम्बर पचौरी ऊर्जा के क्षेत्र में दक्षता रखने वाले पैनल में शामिल किए गए।

यह पैनल ऊर्जा मंत्रालय ने गठित किया था। इसके अतिरिक्त दिल्ली विजन – कोर प्लानिंग ग्रुप, भारत सरकार के एडवाइजरी बोर्ड ऑन एनर्जी, नेशनल एनवायरनमेंटल काउंसिल तथा ऑयल इंडस्ट्री रिस्ट्रक्चरिंग ग्रुप के मेम्बर भी पचौरी रहे।

ट्राइरीम साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में उन्हें शामिल किया गया। इंडिया इंटरनेशल सेंटर की एक्जीक्यूटिव कमेटी के वे 1985 से मेम्बर हैं। 1987 से इंडिया हैबिटेट सेंटर की गवर्निंग काउंसिल का मेम्बर होने के साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज के कोर्ट ऑफ गवर्नर्स के भी वे सदस्य हैं।

1999 में पचौरी को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे हेरिटेज फाउंडेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2001 में उन्हें प्रधानमंत्री के प्रति उत्तरदायी इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल का मेम्बर बनाया गया। 10 दिसंबर, 2007 को नोबेल पुरस्कार प्राप्त करते समय उनकी विनम्रता दर्शनीय थी।

लेकिन हम जागरुक पाठकों को यह बताना अपना फर्ज समझते हैं कि जलवायु परिवर्तन से अनेक प्रकार की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं, जो संपूर्ण मानवता को प्रभावित कर सकती हैं। पचौरी ने IPCC के लिए नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा भी –

“इस पुरस्कार के मिलने से जलवायु परिवर्तन की ज्वलंत समस्या की ओर समूचे विश्व का ध्यान आकृष्ट होगा।”

हमारा भी यही मानना है कि यह समस्या मानव निर्मित है और हमें ही इसका उपाय खोजना होगा।

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