भारत का वो गाँव जहाँ आज भी हर कोई बोलता है संस्कृत!

Sanskrit Speaking Village

संस्कृत हमारे देश की सबे प्राचीन भाषाओ में से एक है। सारे वेद और पुराण इसी भाषा में लिखे गए हैं। इस भाषा का अपना हमेशा से अलग महत्व और स्थान रहा है। अब यह भाषा केवल किताबी तक सीमित रह गई है और धार्मिक अनुष्ठान इसी में होते है और इसे बोलने वाले कम है। लेकिन एक गांव ऐसा हैं जहाँ आज भी हर कोई संस्कृत में बात करता है। बच्चा-बच्चा संकृत बोलता है और यहाँ वेदों का पाठ होता है।

भारत का वो गाँव जहाँ आज भी हर कोई बोलता है संस्कृत – Sanskrit Speaking Village

Sanskrit Speaking Village
Source: Sanskrit Speaking Village

कर्णाटक का मात्तुर गाँव – Mattur Village

इस गाँव का नाम है मात्तुर (Mattur Village), जो की कर्णाटक के शिमोगा जिले में स्थित हैं और यहाँ लगभग 537 परिवार रहते हैं। यहाँ की कुल जनसंख्या लगभग 2900 है। लेकिन यहाँ रहने वाले परिवार में हर एक बड़ा, बच्चा और बूढ़ा संस्कृत भाषा में बात करता है और इसी वजह से यह गाँव देशभर में हाईलाइटेड है।

गाँव में सबका पहनावा भी ऐसा है की आपको लगेगा की आप चाणक्य के जमाने में पहुच गए हैं। यह सब परंपरागत परिधान पहनते है और चोटी रखते हैं। इस गाँव में रहने वाले लोग बताते हैं की यहाँ संस्कृत के लिए पाठशाला है जहाँ बिना किस जातिगत भेदभाव के हर एक शक्स इस भाषा को सीख सकता है और समझ सकता है।

गाँव में रहने वाले हर शख्स को हिंदी आये ना आये लेकिन संस्कृत भाषा जरूर आती है। ऐसा नहीं है की इस जमाने के हिसाब से वो लोग फिट नहीं हैं बल्कि यहाँ के लगभग लोग शानदार अंग्रेजी भी बोलते हैं। इसके अलावा यहाँ सांकेतिक भाषा में बात भी होती है। अंग्रेजी लेकर यहाँ के लोग खिलाफत नहीं बोलते बल्कि इनका कहना है की यह भी बहुत जरूरी है। यह भाषा हमारे समाज को आगे ले जाती है लेकिन संस्कृत भी आवश्यक है।

1980 से संस्कृत को अपनाया – Speaking Sanskrit since 1980

इस गाँव में लोगो ने सन 1980 से संस्कृत को अपनाया है। इसी साल से गाँव के लोगो ने संकल्प लिया की संकृत भाषा को ये आमभाषा बनायेगे और गाँव में हर बच्चा और बड़ा इसी भाषा का इस्तेमाल करेगा और तभी से ऐसा होता आ रहा है।

गाँव के लोग कहते हैं की पहले के समय के कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और नेपाल तक केवल संस्कृत भाषा बोली जाती थी लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब हमे अच्छा लगता है जब लोग हमारे गाँव के बारे में जानने आते है और हमसे संस्कृत को लेकर बात करते है।

गाँव वालो का कहना है की दूर दूर के देशो से लोग उनसे मिलने आते है। बल्कि गाँव के कई सारे लोग विदेशो में भी है। गाँव की रहने वाली एक लड़की रेवा भारत से बाहर रहती हैं और उन्होंने कहा की उनके दोस्त खासतौर पर उनसे यह भाषा सीखने आते हैं।

अच्छा लगता है जब लोग संस्कृत को लेकर एक अच्छी सोच आज भी रखते हैं। गाँव में एक चौपाल भी हैं जहाँ हाथ में माला लिए बुजुर्ग जाप करते रहते है और संस्कृत को लेकर घंटो तक बातें करते हैं। सबसे बड़ी बात की गाँव में शादियाँ भी उसी तरीके से होती है जैसे की पहले के समय में हुआ करती थी।

यहाँ लगभग 6 दिन की शादियाँ होती है और लोग अलग अलग रश्मों की एन्जॉय करते हैं और शादी में शामिल होते है। गाँव में जातिगत मसला है ही नहीं और सभी धर्म और जाति के लोग आपस में बैठकर बातें करते है। दस साल की उम्र होते ही हर एक बच्चा वेद में निपुण होने लगता है।

भारत का ये गाँव अपने आप में एक मिशाल है। यह गाँव हमे बताता हैं की आखिर हमारी संस्कृती क्या थी और हम कहा आ गए हैं। इसके अलावा ये भी समझाता है की हम अपनी परम्पराओ को लेकर चले तब भी हम बेहतर तरीके से जीवन जी सकते हैं।

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