Anamika Sengupta founder of Almitra Sustainables
एक महिला के साथ बहुत सारी जिम्मेदारियाँ जुड़ी हुई होती है। वो एक पत्नी, माँ और बेटी होती है और वो कोशिश करती है की सभी रिश्ते अच्छे से निभा पायें। काम के साथ साथ अपने परिवार को संभालना उन्हें आता है। लेकिन क्या हो जब माँ बन जाने पर उन्हें काम से हाथ धोना पड़े।
एक औरत माँ बनती है तो उसे कंपनी छोड़कर जाने को कह दिया जाता है। इसके बाद भी वो हार नहीं मानती और खुद की कंपनी बना लेती है और उसे नाम देती है “अलमित्रा सस्टेनेबल”( Almitra sustainables)। ये कहानी है मुंबई की अनामिका सेनगुप्ता की जिनके माँ बनने पर कंपनी ने उन्हें कह दिया की अब आप काम में फोकस नहीं कर पाएगी और उन्हें निकाल दिया।
माँ बनते ही कंपनी ने बाहर निकाला तो इस महिला ने खोल दी खुद की कंपनी – Anamika Sengupta founder of Almitra Sustainables
मुंबई में एक छोटे से इलाके डोंबीबली में रहने वाली अनामिका की माँ हमेशा से यही चाहती थी की बेटी पढ़-लिखकर आगे बढ़े। छोटे से कमरे में पली बढ़ी अनामिका को उनकी माँ ने पढाई की अहमियत समझायी और उन्होंने अनामिका को खूब पढ़ाया।
रद्दीवाले से किताबे लेकर उन्हें पढना होता था क्योकि उनके पास किताब खरीदने के पैसे नहीं होते थे। इसके बाद कक्षा आठ में आते ही अनामिका ने खुद की लाइब्रेरी खोल ली और बच्चो को किताबे किराये में देने लगी।
अनामिका ने बढ़िया पढ़ाई की और ग्रेजुएशन के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई। अनामिका इस कंपनी में एचआर के तौर पर काम कर रही थी और तीस साल की उम्र होते होते उन्हें आठ साल का बहुत गहन अनुभव हो गया। तरक्की ऐसी हुई की कंपनी ने उन्हें ग्लोबल रिक्रूटमेंट हेड बना दिया और बढिया पैसे भी मिलने लगे।
इसी दौरान अनामिका को एक लड़के से प्यार हुआ और उन्होंने शादी करने का फैसला किया और अपना आगे का जीवन शुरू किया। शादी के बाद जब वो माँ बनी तो उनकी कंपनी के हाव भाव अनामिका के प्रति बदल गया। अनामिका को कंपनी से जाने के लिए कह दिया गया। इसके पीछे की वजह थी उनका माँ बनना। कंपनी ने कहा की अब आप काम में उतना ध्यान नहीं दे पाएगी और आख़िरकार अनामिका को काम छोड़ना पड़ा और वो घर में बच्चे की देखभाल करने लगी।
ऐसे आया आईडिया-
अपनी खुद की कंपनी खोलने का विचार उसी वजह से आया जिस वजह से वो कंपनी से निकली गई थी। उन्होंने देखा की बच्चो के कपडे को बदलने के लिए जो रैप इस्तेमाल होता है वो अमेरिका से आयात होता है। उन्हें लगा की इतना बड़ा देश भारत और इतनी छोटी से चीज अमेरिका से आती है।
यही से उन्होंने अपना काम शुरू करने का मन बनाया। अनामिका ने छोटे छोटे स्थानीय हस्तशिल्प कारीगरों से सम्पर्क किया और रैप बनाना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उत्पाद बिकने लगा और उन्होंने इसे नाम दिया “अलमित्रा सस्टेनेबल”। अनामिका इसे फेसबुक की सहायता से प्रमोट करती हैं।
पर्यावरण को बचाने की मुहिम- अनामिका खुद का काम और आगे ले जाने का विचार बनाने लगी लेकिन उन्हें ये भी लगता था की इससे पर्यावरण प्रदूषित होगा। क्योकि लगभग उत्पादों में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता था। इसीलिए अनामिका ने बांस की सहायता से बाकी उत्पादों को बनावाना शुरू किया। आज के समय में अनामिका बांस का स्ट्रा, टूथब्रश और कई सारी चीजे बना रही है। अनामिका की कंपनी का काम बढ़ रहा है और इसके साथ उनका नाम भी।
“अनामिका की कहानी से हमे ये सीख मिलती है की जब एक औरत माँ बनती है तो कमजोर नहीं बल्कि पहले से अधिक मजबूत हो जाती है”।
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सच में किसी भी औरत को कभी भी कम नहीं आखना चाहिए क्यों की हर कोई कभी कभी एसा कम कर सकता हे जिसका दुनिया को अंदाजा भी नहीं होता .
आपका आज का आर्टिकल काफी अच्छा लगा
शुक्रिया योगेश जी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए। सही कहा आपने आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुष से कंधे से कंधे मिलाकर चल रही हैं और अपनी प्रतिभा के दम पर खुद को साबित कर रही हैं, जो कि वाकई तारीफ-ए-काबिल हैं वहीं उन्हीं में से एक हैं अनामिका सेनगुप्ता ने जिन्हें मां बनने पर जब कंपनी से बाहर निकाला गया तो एक कंपनी खोल ली और आज करोड़ों रुपए की कंपनी की मालिक हैं। हम आगे भी इस तरह के पोस्ट आप लोगों के लिए अपलोड करते रहेंगे।