छोटे चार धाम | Chota Char Dham

Chota Char Dham

छोटे चार धाम महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है। छोटे चार धाम उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में बने हुए है और परिसर में कुल चार स्थल शामिल है – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। इनमे से बद्रीनाथ विशालकाय चार धामों में से भी एक है। चारो धाम अपनी कला, अनुरूपी और आर्किटेक्चर में अद्वितीय है।

Chota Char Dham

छोटे चार धाम – Chota Char Dham

मई के महीनें से चार धाम यात्रा की शुरुवात देशभर में हो जाती है। इस यात्रा की समाप्ति तक़रीबन दिवाली के 2 दिन बाद भाई-दूज के दिन होती है। जुलाई और अगस्त के महीनें में भारी बारिश की वजह से राज्य के बहुत से रास्ते बंद भी रहते है।

छोटा चार धाम मुख्य हिन्दू सांप्रदायिक परंपराओ का प्रतिनिधित्व करते है। जिनमे दो देवी स्थल (यमुनोत्री और गंगोत्री), एक शैव स्थल (केदारनाथ) और एक वैष्णव स्थल (बद्रीनाथ) शामिल है।

1950 तक यहाँ पहुचना काफी कठिन था और यहाँ तक पहुचने के लिए 4000 मीटर ऊँची पहाड़ी पर चलना पड़ता था।

1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद छोटे चार धाम के रास्तो में सुधार किया गया और भारत सरकार ने भी भारत की सीमाओं पर विशाल रास्तो का निर्माण करना शुरू किया और सभी धार्मिक स्थलों की परिस्थिति में सुधार करने पर जोर दिया।

इसके बाद तीर्थयात्री मिनी बस, जीप और कार से भी यात्रा कर सकते थे और आसानी से छोटा चार धाम के दर्शन कर सकते थे। सुधार के बाद आप अपने वाहनों को आसानी से बद्रीनाथ मंदिर तक ले जा सकते है, जहाँ से गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ केवल 10 से 15 किलोमीटर की दुरी पर है।

1. यमुनोत्री:

यमुनोत्री मंदिर यमुना नदी के मूल के पास बना हुआ है। यह मंदिर बंदर पूँछ शिखर के शीर्ष पर बना हुआ है।

मुख्य मंदिर जमीन से 10,750 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। यमुना नदी में पानी का मुख्य स्त्रोत जमी हुई झील और चम्पासागर हिमनदी है, जो मंदिर से तक़रीबन 1 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।

चम्पासागर हिमनद से ठंडे पानी का छोटा प्रवाह मंदिर से होकर ही गुजरता है। मंदिर का निर्माण नदी के बाए किनारे पर किया गया है और देवी यमुना की मूर्ति को काले मार्बल से बनवाया गया है।

प्रति वर्ष अक्षय तृतीय के पवित्र दिन इस मंदिर को भक्तो के लिए खोला जाता है, जो अप्रैल के अंतिम दिन और मई के पहले सप्ताह में आती है। इसके बाद यह तीर्थयात्रा अक्टूबर में दिवाली तक चलती है। इसके बाद नवम्बर से अप्रैल तक भारी हिमपात की वजह मंदिर को भक्तो के लिए बंद रखा जाता है। Read More: हिंदू तीर्थ स्थान गंगोत्री – Gangotri Temple

2. गंगोत्री:

हिन्दू धर्म के अनुयायियों में गंगोत्री मंदिर का एक विशेष महत्त्व है, क्योकि यह मंदिर पवित्र गंगा नदी का आध्यात्मिक स्त्रोत भी है।

पौराणिक कथा के अनुसार राजा भागीरथ की गंभीर तपस्या के परिणामस्वरूप इसी स्थल पर गंगा नदी ने पहली बार पृथ्वी को स्पर्श किया था। इसीलिए इस नदी को अक्सर भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है।

यमुनोत्री की तरह गंगोत्री के द्वार भी अक्षय तृतीय के दिन खुलते है और दिवाली के बाद बंद हो जाते है। Read More: यमुनोत्री मंदिर – Yamunotri Temple

3. केदारनाथ:

केदारनाथ उत्तराखंड के चार धामों में से सबसे पृथक धाम है। इसी के साथ, पर्यटक इसे चारो धामों की तुलना में सबसे पवित्र धाम भी मानते है।

यह मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर 3584 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। साथ ही यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है। हिमालय के शिखर पर लुभावनी बर्फ छाया से घिरा हुआ केदारनाथ मंदिर विस्तृत पठार के बीच में खड़ा है।

माना जाता है की वास्तविक केदारनाथ मंदिर का निर्माण महाभारत के पांडव बंधुओ ने करवाया था। जबकि वर्तमान मंदिर का निर्माण 8 वी शताब्दी ने आदिशंकराचार्य ने करवाया था। Read More: केदारनाथ मंदिर – Kedarnath Temple

4.बद्रीनाथ:

बद्रीनाथ एकमात्र ऐसा धाम है जो वास्तविक चार धामों में भी शामिल है और इसके साथ-साथ उत्तराखंड चार धाम यात्रा में भी शामिल है। इस वैष्णव मंदिर की स्थापना 8 वी शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने की थी।

वर्तमान शंकु आकार में बने रंगीन मंदिर का निर्माण 16 वी शताब्दी में गढ़वाल राजा ने किया था।

मई और जून के महीनो में लाखो श्रद्धालु यहाँ आते है। इसीलिए इस समय में दर्शन के लिए काफी कम समय दिया जाता है। इसीलिए बेहतर होंगा की आप जुलाई के शुरुवाती दिनों में और सितम्बर-अक्टूबर के माह में चार धाम की यात्रा करे। Read More: बद्रीनाथ मंदिर – Badrinath Temple

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