दहेज प्रथा पर निबंध – Dahej Pratha par Nibandh

Dahej Pratha par Nibandh

दहेज प्रथा समाज में फैली एक ऐसी कुप्रथा है, जिसकी आग में न जाने रोजाना कितनी महिलाएं झुलस रही हैं और कितनी ही महिलाओं की जिंदगी इसमें जलकर तबाह हो गई है।

दहेज के दंश में समाज इस तरह जकड़ चुका है कि अपने मानवीय मूल्यों का पतन करने से भी नहीं चूक रहा है। कोई इसे परंपरा समझकर तो कोई इसे अपनी प्रतिष्ठा मानकर निभा, तो कोई इस कुप्रथा को कर्ज लेकर मजबूरी में निभा रहा है।

दहेज प्रथा उच्च वर्ग से लेकर निम्न वर्ग तक बड़े स्तर पर फैली हुई है। दहेज लोभियों के लिए कई तरह के कानून भी भारत ने बनाए गए हैं, लेकिन इसके बाबजूद कुछ रुढिवादी और संकीर्ण सोच के व्यक्तियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता और वे इसे अपनी शान और प्रतिष्ठा मानते हैं।

वहीं कई बेटियों के जन्म के बाद से ही उनके मां-बाप दहेज देने की चिंता सताने लगती है, तो कई मां-बाप बेटियों की शादी में दहेज देने की वजह से भारी कर्ज में डूब जाते हैं, या फिर अपनी कई ख्वाहिशों को सिर्फ इसलिए पूरा नहीं कर पाते ताकि वे अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जोड़ सकें।

वहीं आज की युवा पीढ़ी दहेज जैसी कुप्रथा का समर्थन न करे और इसके प्रति जागरूक हो सके, इसी मकसद से स्कूलों में दहेज प्रथा के विषय पर निबंध (Dahej Pratha par Nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में दहेज प्रथा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Dahej Pratha par Nibandh

दहेज प्रथा पर निबंध – Dahej Pratha par Nibandh

प्रस्तावना

दहेज प्रथा, भारतीय समाज के लिए एक कलंक है। यह एक अभिशाप की तरह पूरे देश में फैल रहा है और भारतीय समाज में दरार पैदा कर रहा है। वहीं दहेज प्रथा के चलते न सिर्फ कई बेटियों की जिंदगी बर्बाद हो रही हैं, बल्कि कई परिवार भी बिखर रहे हैं।

आज जहां हमारा देश लगातार नई ऊंचाईयों के हासिल कर रहा है, वहीं दहेज प्रथा के बढ़ते मामले इसको कई साल पीछे घसीट रहे हैं। इसलिए इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए सबको एक होकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

दहेज प्रथा क्या है – What Is Dowry System

दहेज प्रथा, भारतीय समाज में एक परंपरा की तरह प्रचलित है। यह एक ऐसी कुप्रथा है, जिसके तहत वर पक्ष के लोगों द्धारा विवाह करने के लिए वधू पक्ष से रुपया, गाड़ी या फिर किसी कीमती सामान की मांग की जाती है।

हालांकि, दहेज प्रथा को लेकर कई कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन इसके बाबजूद यह एक महामारी की तरह पूरे समाज में फैल रही है और कई जिंदगियों को तबाह कर रही है।

दहेज प्रथा एक अभिशाप:

दहेज प्रथा, भारतीय समाज के लिए एक कलंक हैं जो भारत की छवि को विश्व भर में धूमिल कर रही है और भारत की संस्कृति, परंपरा और इसकी गरिमा को ठेस पहुंचा रही है।

आज का आधुनिक एवं उन्नत भारत, जहां कई रुढिवादी विचारों और परंपरा से बहुत ऊपर उठा गया है, वहीं दहेज प्रथा आज भी इसे आगे बढ़ने से रोक रही है।

21 वीं सदी में भी लोग दहेज प्रथा को परंपरा मानकर निभा रहे हैं तो कई लोग दहेज देने को अपनी शान और प्रतिष्ठा मानते हैं।

दहेज प्रथा के लगातार बढ़ते चलन से ही आज कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के शोषण और अत्याचार की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। दहेज प्रथा के कारण ही नवजात बच्ची का शव झाड़ियों में मिलना या फिर कूड़े के ढेर में बच्ची को फेंकने की खबरें अब आम हो गईं हैं।

इस कुप्रथा की वजह से आज भी बेटियों को बोझिल समझा जाता है, तो वही कई मां-बाप को बेटी के पैदा होते ही उनकी शादी के लिए दहेज इकट्ठा करने की चिंता सताने लगती है।

वहीं दहेज प्रथा की वजह से ही आज भी कई परिवारों में बेटियों के साथ असमान व्यवहार किया जाता है और बेटों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। कहीं न कहीं यह कुप्रथा देश को आगे बढ़ने से रोक रही है।

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम – Problems Of Dowry System

दहेज समाज के लिए एक अभिशाप हैं, जिससे पड़ने वाले दुष्परिणामों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –

कन्या भ्रूण हत्या में इजाफा:

दहेज जैसी कुप्रथा की वजह से ही आज हमारे भारतीय समाज में कन्या भ्रूण हत्या के मामले बढ़ रहे हैं, और बेटियों की संख्या में कमी आ रही है।

महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में इजाफा:

दहेज प्रथा के चलते महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में भी इजाफा हुआ है। कई दहेज लोभी, उनके मनमुताबिक दहेज नहीं मिलने पर अपनी बहुओं को प्रताड़ित करते हैं, उनके साथ बदसलूकी अथवा मारपीट करते हैं, यहां तक की दहेज के लालच में लोग अपनी बहु की जान तक लेने में नहीं चूक रहे हैं।

महिलाओं का शारीरिक शोषण:

समाज में फैली इस दहेज प्रथा की वजह से महिलाओं का शारीरिक तरीक से भी शोषण किया जा रहा है। दहेज के दानव, दहेज नहीं मिलने पर बहू के साथ बदसलूकी करते हैं और उसे शारीरिक रुप से प्रताड़ना देते हैं, जो कि काफी निंदनीय है।

महिलाओं में मानसिक तनाव बढ़ना:

लालची प्रवृत्ति के ससुराल वाले, बहू पर अपने मायके से या फिर कीमती उपहार देने के लिए प्रेशर डालते रहते हैं। या फिर बहू के मायके से मिलने वाले सामान की तुलना आसपास की दुल्हनों द्धारा लाए गए सामान से करते हैं।

जिसके चलते कई बेटियां शादी के बाद मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती है और कई तो डिप्रेशन तक का शिकार हो जाती हैं।

बेटियों के माता-पिता का कर्ज में डूबना:

दहेज प्रथा, भारतीय समाज की सबसे बड़ी बुराई है, इसके चलते कई परिवार कर्ज में डूब गए हैं। दरअसल, कई मां-बाप अपनी बेटियों की शादी में दहेज देने के चलते कर्ज में डूब जाते हैं, ताकि उनकी बेटी को ससुराल पक्ष की तरफ से किसी बात को लेकर प्रताड़ित नहीं किया जाए और वह मानसिक तौर पर सुखी रह सके।

बेटियों के परिवार वालों पर वित्तीय बोझ:

बेटियों की शादी में दहेज देने के लिए बेटियों के परिवार वाले कई साल पहले से ही पैसा जोड़ना शुरु कर देते हैं और तो और कई बेटियों के माता-पिता तो अपने जीवन स्तर को भी कम कर देते हैं और अपने खर्चे में कटौती करना शुरु कर देते हैं।

ताकि वे अपनी बेटियों के ससुराल वालों को दहेज देकर संतुष्ट कर सकें और उनकी बेटी को दहेज को लेकर किसी तरह का मानसिक तनाव नहीं झेलना पड़े।

दहेज प्रथा की वजह से ही लगती हैं बेटियां बोझिल:

बेटियों के जन्म होते ही, उनके पेरेंट्स बेटियों की शादी के लिए दहेज देने की चिंता सताने लगती है। वहीं कई लोग तो सिर्फ इसी वजह से बेटियां पैदा करना नहीं चाहते।

बेटियों के साथ असामान व्यवहार:

भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में दहेज जैसी कुप्रथा की वजह से ही यहां बेटे-बेटियों में आज भी कई जगहों पर फर्क किया जाता है और बेटियों को वो सम्मान और प्यार नहीं मिलता है, जो कि बेटों को दिया जाता है।

दहेज प्रथा के मुख्य कारण – Dahej Pratha ke Karan

भारतीय समाज में महामारी की तरह फैल रही दहेज प्रथा के कुछ कारण नीचे लिए गए हैं जो कि इस प्रकार है –

लोगों की बढ़़ती लालची प्रवृत्ति:

कुछ लोग लालची प्रवृत्ति के होते हैं, जो अपने शौक को दूसरों के पैसों से पूरा करना चाहते हैं, ऐसे लोग भारतीय समाज में दहेज प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं।

दहेज लेना, प्रतिष्ठा का प्रतीक:

भारतीय समाज में कई लोग ऐसे भी हैं, जो दहेज देना अपनी शान समझते हैं। आर्थिक रुप से मजबूत कई परिवार अपनी बेटियों की शादी में बड़ी कार या फिर ज्यादा जेवर देना अपनी शान समझते हैं, और मानते हैं कि इससे समाज में उनकी अच्छी छवि बनती है, जबकि इसका दंश आर्थिक रुप से कमजोर बेटियों के परिवार वालों को झेलना पड़ता है, इस कुप्रथा की वजह से कई परिवार तो भारी कर्ज में तक डूब जाते हैं।

दहेज को एक परंपरा मानना:

लोग दहेज को एक परंपरा समझकर इसका आज भी पालन कर रहे हैं, तो वहीं कई परिवार वालों पर यह परंपरा बोझ साबित हो रही है और उनके दुख का कारण बनती जा रही है।

शिक्षा का अभाव:

भारतीय समाज में अशिक्षित लोग दहेज प्रथा जैसी कुरोति को ज्यादा बढ़ावा दे रहे हैं, ऐसे लोग दुल्हन की आर्थिक स्थिति का अंदाज दुल्हे के परिवार वालों को मिले उपहार, जेवर आदि से लगाते हैं।

इसके अलावा लड़की की सुंदरता या फिर उसमें किसी तरह की शारीरिक कमी, बेरोजगारी की समस्या, दिन पर दिन बढ़ती महंगाई आदि भी दहेज जैसी कुप्रथा को जन्म दे रही हैं।

दहेज प्रथा रोकने के उपाय – Dahej Pratha ko Kaise Roke

  • दहेज प्रथा रोकने के लिए, लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देने की जरूरत है।
  • लड़कियों की शिक्षित कर दहेज प्रथा को रोका जा सकता है।
  • लड़कियों को ऐसे घर में शादी से साफ इनकार कर देना चाहिए, जिसके परिवार वाले दहेज लोभी हों।
  • लड़कों को दहेज लेने से साफ मना करना होगा और दहेज को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनने से रोकना होगा।
  • दहेज प्रथा के खिलाफ समाज के सभी लोगों को मिलकर आवाज उठानी होगी।
  • दहेज को शान या प्रतिष्ठा नहीं समझना चाहिए, बल्कि इस पर शर्म करनी चाहिए।
  • दहेज लोभियों के खिलाफ बनाए गए कानून को और ज्यादा सख्त और मजबूत करने की जरूरत।
  • दहेज प्रथा रोकने के लिए, बेटा-बेटी में फैले फर्क को समाज से दूर करना होगा।
  • दहेज प्रथा रोकने के लिए कन्या भ्रूण हत्या पर पूरी तरह रोक लगानी होगी।
  • दहेज प्रथा रोकने के लिए समाज में महिलाओं की स्थिति में और भी अधिक सुधार करने की जरूरत है।
  • दहेज प्रथा रोकने के लिए महिलाओं के प्रति सम्मान-प्रतिष्ठा की भावना को विकसित करना होगा।
  • दहेज प्रथा के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत।
  • दहेज का दंश रोकने के लिए महिला सशक्तिकरण पर जोर देना होगा।

उपसंहार

हमारा भारतीय समाज दहेज के दंश में बुरी तरह जकड़ा हुआ है, वहीं यह कुप्रथा, हमारे समाज को अंदर से खोखला बना रही है और महिला-पुरुष में असमानता की भावना पैदा कर रही है।

इसके साथ ही भारतीय संस्कृति और परंपरा की गरिमा को पूरे विश्व में कम कर रही है। इसलिए दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ हम सभी को एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।

इसके साथ ही भारत सरकार को भी इसके खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए, ताकि आगे कोई महिला दहेज की आग में न जले, और दहेज प्रथा पर पूरी तरह लगाम लग सके, तभी हमारा भारतीय समाज एक आदर्श समाज कहलाएगा।

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