कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें “जननायक” के तौर पर भी जाना जाता है, उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत का सर्वोच्च नागरी पुरस्कार – “भारत रत्न” से सन्मानित करने का निर्णय लिया गया है. कर्पूरी ठाकुर वो नाम है, जो आम बिहारी लोगो के लिए, और स्थानिक गरीब लोगो के लिए लढे, और उनके लिए बहुत कुछ किया, जिसके वजह से वो हर किसी के दिल में हमेशा के लिए बस गए.
कर्पूरी ठाकुर जी ने जो सुधार लाये, और जो उन्होंने गरीब लोगो के लिए और देश के लिए किया, उसके लिए तो शब्द कम पढ जायेंगे, पर आज हम उनके बारे में थोडा थोडा जानने वाले है. कर्पूरी ठाकुर जी एक स्वतंत्रता सेनानी, एक शिक्षक और एक राजनेता के तौर पर पहचाने जाते है.
कौन थे कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें मिला है भारत रत्न? उनके बारे में जानिये ये बाते | Karpoori Thakur
नाम: | कर्पूरी ठाकुर |
जन्मतिथि: | 24 जनवरी 1924 |
जन्मस्थल: | पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम), समस्तीपुर जिला, बिहार |
मृत्यु: | 17 फरवरी 1988 |
पार्टी: | समाजवादी पार्टी, भारतीय क्रांतिकारी दल, जनता पार्टी, लोक दल |
नेतृत्व: |
|
पुरस्कार और सम्मान: | भारत रत्न (2024 में) |
प्रसिद्धी: | जननायक, सामाजिक न्याय के प्रवर्तक, आरक्षण नीति के प्रमुख |
पेशा: | स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनेता |
संतान: | राम नाथ ठाकुर |
कौन थे कर्पूरी ठाकुर? – Karpoori Thakur Biography
कर्पूरी ठाकुर का जन्म पितौंझिया नामक गाव में २४ जानेवारी १९२४ को हुआ था. ये गाव समस्तीपुर जिल्हा बिहार में आता है, और आज उस गाव को “कर्पूरी ग्राम” इस नाम से जाना जाता है. उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर था, और माँ का नाम रामदुलारी देवी था. इसी गाव में वो बड़े हुए, और इसी गाव में उन्होंने अपनी मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की १९४० में, जब हमारा देश गुलामी में था. उसके बाद वो स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल हो गए.
कर्पूरी ठाकुर जी ने हमेशा ही अपना जीवन समाजवाद, स्वतंत्रता, और शिक्षण को ध्यान में रखते हुए बिताया. १९४२ में हुए “भारत छोड़ो आन्दोलन” में भी उन्होंने सहभाग लिया था, और उन्हें कारावास भी हुआ, कुछ २६ महीनो के लिए. वे शिक्षक के तौर पर अपना जीवन बिता रहे थे, पर आम लोगो की समस्याए उनसे देखी नहीं जाती, और उन्होंने राजकारण में कदम रखा.
कर्पूरी ठाकुर का पोलिटिकल करियर – Karpoori Thakur Political Career
भारत के स्वतंत्रता में भी कर्पूरी ठाकुर जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, और उन्होंने राजकारण में कदम रखने के बाद १९५२ में उन्होंने पहला विधान सभा चुनाव जीता, और उसके बाद वो कभी विधान सभा चुनाव नहीं हारे. वो बिहार के 2 बार मुख्यमंत्री रहे, एक बार उपमुख्यमंत्री, और एक बार बिहार के शिक्षा मंत्री के तौर पर पद संभाला.
कर्पूरी ठाकुर बिहार के ११वे मुख्यमंत्री बने, पहले दिसम्बर १९७० से 2 जून १९७१ तक, और फिर जून १९७७ से अप्रैल १९७९ तक). वे बिहार के दुसरे उपमुख्यमंत्री भी रहे, १९६७-६८ में, और बिहार के शिक्षा मंत्री भी रहे, १९६७-६८ में.
कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे, जो कांग्रेस पार्टी के नहीं थे, और उन्होंने उनके कार्यकाल में बहुत से ऐसे बदलाव किये, जो जरूरतमंद, और स्थानिक गरीब लोगो को ध्यान में रखते हुए किये गए. उन्होंने हमेशा ही गरीबो पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, और उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीब और जरूरतमंद लोगो के लिए बहुत कुछ किया, जिसके वजह से वो जन नायक के तौर पर पहचाने जाने लगे. जब वो मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए पिछड़े वर्ग के लोगो को आरक्षण मिला कर दिया, और बिहार बोर्ड के मीट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता को भी ख़त्म किया.
उन्होंने “कर्पूरी ठाकुर मिनिमम वेजेस अॅक्ट” भी लागू किया, जिसके तहत खेतो में मजदूरी करने वाले लोगो को एक फिक्स और अच्छे पैसे मिले, जिसके वजह से वो अपनी रोज की ज़िन्दगी अच्छे से बिता सके, और तो और उन्होंने गरीबो के लिए शिक्षा और आरोग्य सम्बंधित भी कई काम किये.
उनके लिए गए कई निर्णय, और किये गए कई बदल आज बिहार को सामने लेकर आये है, और उनके पोलिटिकल एजेंडा आज भी कई पोलिटिकल लोगो के लिए प्रेरणा स्थान है. अब उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरी पुरस्कार “भारत रत्न” से सन्मानित किया जा रहा है. उन्हें “जन नायक” के तौर पर पहचाना जाता है.
उनका राजनैतिक जीवन इतना भी आसान नहीं रहा. वे 2 बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे, पर पोलिटिकल डिस्टर्बेंस के चलते उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था. वो दो बार मुख्यमंत्री तो रहे, पर उनका कार्यकाल बहुत लम्बा नहीं था, पर उस कार्यकाल में लायी गयी क्रांति बहुत बड़ी थी, उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए शिक्षा, आरोग्य, और गरीबो और जरूरतमंद लोगो के कल्याण के लिए.
तो इस लेख के द्वारा हमने कर्पूरी ठाकुर जी के बारे में जाना है. आज भी बिहार, और भारत के कई पोलिटिकल लोग उन्हें अपना प्रेरणास्थान मानते है. भले ही आज वो हमारे बीच नहीं है, पर उन्होंने लिए हुए निर्णय, और गरीबो और जरूरतमंदो के लिए किये गए कामो ने उन्हें सबके दिलो में हमेशा के लिए अमर कर दिया है.
आप अगर उनके बारे में और जानना चाहते है, तो उनके बारे में लिखे गए किताबो को पढ़ सकते है, या इन्टरनेट पर उनके बारे में अधिक जानकारी को भी पढ़ सकते है.
FAQs About Karpoori Thakur
उत्तर: कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे, और उसके साथ वो बिहार के दुसरे उपमुख्यमंत्री भी रहे, और उन्होंने बिहार के शिक्षा मंत्री के तौर पर भी पद संभाला.
उत्तर: कर्पूरी ठाकुर का जन्म २४ जनवरी को बिहार के पितौंझिया नाम के गाव में हुआ था, और उस गाव को आज कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है.