भारत का भव्य एवं आर्कषक “मैसूर पैलेस” (अंबा विलास महल) – Mysore Palace History in Hindi

Mysore Palace History in Hindi

यह एक भव्य एवं बेहद खूबसूरत ऐतिहासिक महल है, जिसकी सुंदरता के लाखों लोग कायल हैं, यही वजह है कि मैसूर प्लेस की भव्यता एवं खूबसूरती को निहारने लाखों सैलानी हर साल यहां आते हैं, यह पैलेस न सिर्फ कर्नाटक राज्य के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत के ऐताहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाता है। मैसूर पैलेस, यहां के पर्यटकों के मुख्य आर्कषण का केन्द्र है।

Mysore Palace History in Hindi

भारत का भव्य एवं आर्कषक “मैसूर पैलेस” (अंबा विलास महल) – Mysore Palace History in Hindi

मैसूर पैलेस के बारे में परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों के जवाब एक नजर में –

• मैसूर पैलेस कहां स्थित है? – Where is Mysore Palace

दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर में स्थित है।

• मैसूर पैलेस को किसने बनवाया था? – Who is Built Mysore Palace

मैसूर पैलेस को महाराज राजर्षि महामहिम कृष्णराजेंद्र वाडियार चतुर्थ ने बनवाया था।

• मैसूर पैलेस को कब बनवाया गया था और इसे बनने में कितना समय लगा था? – When is Built Mysore Palace

मैसूर पैलेस का निर्माण कार्य 1897 में शुरू हुआ था और यह महल 1912 में बनकर तैयार हुआ था। इस अद्भुत एवं भव्य महल को बनने में करीब 15 साल का लंबा समय लगा था।

• मैसूर पैलेस का नक्शा किसने और कब बनाया था? – Mysore Palace Map

मैसूर पैलेस का नक्शा साल 1912 में ब्रिटिश के हेनरी इर्विन ने बनाया था।

• मैसूर पैलेस की सबसे बड़ी खासियत क्या है? – Mysore Palace Facts

कर्नाटक में स्थित मैसूर पैलेस, भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है। इस महल के कल्याण मंडप की काँच से बनी छत, दीवारों पर लगी अद्भुत तस्वीरें और सोने का राजसिंहासन इसकी सबसे बड़ी खासियत है।

• मैसूर महल की वस्तु कला? – Mysore Palace Architecture

मैसूर महल को बेहद अद्भुत एवं शानदार ढंग से बनाया गया है। यह पूर्वी, द्रविड़, और रोमन स्थापत्य कला के मिश्रण से बना है।

मैसूर पैलेस (अंबा विलास महल) का इतिहास – Mysore Palace Information

भारत के मुख्य आर्कषणों में से एक कर्नाटक का मैसूर पैलेस, एक ऐसा अद्भुत महल है, जिसके इतिहास में कई आपदाओं के आने के बाद भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।

मैसूर पैलेस तीसरे या चौथी पीढ़ी के वंश शासक द्धारा स्थापित किया गया है, यह मूल रुप से मैसूर के शाही शासक का मुख्य आवास माना जाता था, जिन्होंने यहां पर करीब साल 1399 से लेकर 1950 तक शासन किया था।

भारत के सबसे बड़े एवं भव्य महलों में से एक मैसूर पैलेस में करीब 7 अति सुंदर एवं आर्कषक महल बने हुए हैं, इसलिए इसे महलों के शहर के रुप में भी जाना जाता है। यही नहीं इसकी भव्यता की वजह से इस महल की तुलना ब्रिटेन में बने बकिंघम पैलेस के साथ की जाती है।

मैसूर पैलेस का निर्माण एवं वास्तुकला – Mysore Palace Architecture

बेहद खूबसूरत एवं इस भव्य मैसूर महल का निर्माण महाराज कृष्णराजेंद्र वाडियार चतुर्थ के द्वारा करवाया गया था। इस भव्य महल की आर्कषक एवं शानदर बनावट का काम साल 1897 में शुरु किया गया था और यह करीब 15 साल के लंबे समय के बाद साल 1912 में बनकर पूरी तरह तैयार हुआ था।

आपको बता दे कि पहले यह राजमहल चंदन की पुरानी लकड़ियों से बना हुआ था, लेकिन एक हादसे के बाद यह राजमहल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, फिर बाद में इस राजमहल के रुप में नए पैलेस का निर्माण किया गया।

मैसूर पैलेस का कलात्मक एवं वैज्ञानिक दोनों तरीकों से इतनी खूबसूरती से निर्माण किया गया था कि इसके बनने के बाद इतिहास में आई कई आपदाओं के बाद भी इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है।

भारत के इस अति भव्य मैसूर पैलेस को बेहक शानदार एवं अद्भुत तरीके से बनाया गया है। आपको बता दें कि इस भवन का निर्माण भारतीय – सारसैनिक शैली में गुम्‍बदों, प्राचीरों, आर्च और कोलोनेड के साथ किया है।

भारत के कर्नाटक राज्य में बना यह शानदार मैसूर महल रोमन द्रविड़ और पूर्वी स्थापत्य कला का अनुपम एवं अनूठा नमूना है। इस आर्कषक पैलेस को स्लेटी रंग के सुंदर पत्थरों से बनाया गया है। वहीं गुलाबीं रंग के पत्थर से बने गुंबद इसकी सुंदरता को चार चांद लगा रहे हैं।

भारत के सबसे विशाल एवं भव्य महलों मे से एक मैसूर प्लेस में एंट्री करते ही इसके मेन एंट्री गेट के दाएं तरफ एक बेहद आर्कषक सोने की कलश से सजा मंदिर बना हुआ है। इसके साथ ही इसके अन्य छोर पर भी वैसा एक ही एक मंदिर बना हुआ है, लेकिन यह दूर से साफ नहीं दिखाई देता है। इस भव्य भवन के बीचोबीच एक सुंदर बगीचा भी बना हुआ है।

इस भव्य मैसूर महल के अंदर एक बड़ा सा दुर्ग और करीब 82 किलों से सजा हुआ एक लकड़ी का हौद भी है, जिसे हाथियों पर राजा के बैठने के लिए लगाया जाता था। मैसूर महल की भव्यता को देखने के लिए गजद्धार से होकर गुजरना पड़ता है , इसके साथ ही रंग-बिरंगों शीशे की बनी छत वाला कल्याण एवं विवाह मंडप भी है।

मैसूर पैलैसे में गोम्बे थोट्टी और गुड़ियाघर भी बना हुआ है, जिसमें कई गुड़ियों को इकट्ठा करके रखा गया है।

इसके अलावा यहां बड़े-बड़े राजाओं के लिए दीवान-ए-खास और आम लोगों के लिए दीवान-ए-आम भी है। यही नहीं इस भव्य महल में कई सारे और भी कक्ष बने हुए हैं, जिनमें प्राचीन सभ्यता के चित्र एवं कई राजसी हथियार रखे हुए हैं।

भारत के इस भव्य महल के दरवाजे और छतों में बड़े-बड़े दरवाजे हैं, जिसमें बेहद सुंदर तरीके से नक्काशी की गई है। इसके अलावा इस भव्य महल का शाही राजसिंहासन काफी प्रख्यात है। आपको बता दें कि 200 किलो सोने से बने इस राजसिंहासन की दशहरा में प्रदर्शनी भी लगाई जती है।

बैंगलोर से 140 किमी. की दूरी पर स्थित भारत का सबसे बड़ा महल, अपने भव्य महलों, सुंदर बाग-बगीचों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की वजह से यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

मैसूर पैलेस को प्रमुख त्योहारों एवं खास मौके पर विशेष तरीके से सजाया जाता है, ऐसे मौकों पर इसकी भव्यता एवं सुंदरता देखते ही बनती है।

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