Nalanda in Hindi
प्राचीन वैदिक प्रक्रिया को अपनाकर प्राचीन समय में बहुत सी शिक्षात्मक संस्थाओ की स्थापना की गयी थी, जैसे की तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जिन्हें भारत की प्राचीनतम यूनिवर्सिटी में गिना जाता है।
बिहार के पटना से करीब 90 किलोमीटर और बोधगया से करीब 62 किलोमीटर दूर दक्षिण में। 14 हैक्टेयर में फैला नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष फैले है। पुरातात्विक और साहित्यिक सबूतों के आधार पर, नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ईसा पूर्व के आसपास की गई थी। जिसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने की थी।
महाविहार नालंदा का इतिहास – Nalanda History in Hindi
ऐसा कहा जाता है कि, इसके लिए हर्षवर्द्धन ने भी दान दिया था। हर्षवर्द्धन के बाद पाल शासकों की ओर से भी इसे संरक्षण प्राप्त था। इस विश्वविद्यालय का अस्तित्व 12वीं शताब्दी तक बना हुआ था।
इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि, इस विश्व विद्यालय में करीब 780 साल तक पढ़ाई हुई थी। तब बौद्ध धर्म, दर्शन, चिकित्सा, गणित, जैसे विषयों की पढ़ाई होती थी। ऐसी मान्यता है कि।माहात्मा बुद्ध ने कई बार इस विश्वविद्यालय का दौरा किया था। और यही वजह है कि।पांचवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच यहां बौद्ध शिक्षा की भी शुरूआत की गई।
विश्व के इस पहले आवासीय विश्वविद्यालय में दुनिया भर के करीब 10 हजार से भी ज्यादा छात्र एक साथ शिक्षा हासिल करते थे। जिन्हे पढ़ाने की जिम्मेदारी करीब 2 हजार शिक्षकों पर थी। यहां पढ़ने वाले छात्रों में बौद्ध छात्रों की संख्या काफी ज्यादा थी। इतिहासकारों की माने तो इस विश्वविद्यालय में सम्राट अशोक ने सबसे ज्यादा मठों, विहार तथा मंदिरों का निर्माण करवाया था।
कनिंघम ने की थी विश्व धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज:
इतिहासकारों की माने तो, विश्व धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने किया था। खुदाई से मिली जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय के सभी इमारतों का निर्माण लाल पत्थर से किया गया था।
इस परिसर को दक्षिण से उत्तर की ओर बनाया गया है। मठ और विहार परिसर के पूर्व में बने थे। जबकि मंदिर पश्चिम दिशा में बना हुआ है।
अभी भी इस परिसर में दो मंजिली इमारत है। ये इमारत परिसर के मुख्य आंगन के पास बना हुआ है। पुरात्व विभाग को इसे लेकर संभावना है कि, इस विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक इसी स्थान पर छात्रों को संबोधित करते होंगे। इस परिसर में एक छोटा सा प्रार्थना सभागार भी है। जो अभी भी सुरक्षित अवस्था में है। और इस प्रार्थना सभागार में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है।
खिलजी ने क्यों जला थी नालंदा यूनिवर्सिटी- पूरा सच – Nalanda University
हम सभी जानते हैं कि।एक समय में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। और यही वजह थी कि, यहां कई मुस्लिम आक्रमणकारियों का आना- जाना लगा रहा था। औऱ उन्ही में से एक था। तुर्की का शासक इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी। उस वक्त भारत पर खिलजी का ही राज था।
इतिहासकारों की माने तो, एक वक्त पर खिलजी बीमार पड़ा। जिसके बाद उसके हकीमों ने उसका खूब इलाज किया लेकिन वो स्वस्थ्य नहीं हो सका। फिर किसी ने खिलजी को नालंदा यूनिवर्सिटी की आयुर्वेद विभाग के प्रधान से इलाज कराने की सलाह दी। जिसे उसने पहले ठुकरा दिया।
दरअसल खिलजी ये मानता था कि, कोई हिंदुस्तानी डॉक्टर उसके हकीमों से ज्यादा बेहतर नही हो सकता है। आखिर कार अपने सलाहकारों की राय पर खिलजी इलाज के लिए तैयार तो हो गया।
लेकिन उसने शर्त रखी कि, वो किसी भारतीय का दवा इस्तेमाल नहीं करेगा। साथ ही अगर वो स्वस्थ्य नहीं होता है। तो डॉक्टर को मौत की सजा देगा। खिलजी की ये शर्त सुनकर इलाज करने वाले डॉक्टर राहुल श्रीभद्र चिंता में पड़ गए।
इसके बावजूद उन्होने उसका इलाज किया। और खिलजी ठीक भी हो गया। लेकिन बाद में उसने द्वेश की भावना से पूरे यूनिवर्सिटी को बर्बाद कर दिया। जिसके लिए हिन्दुस्तान उसे कभी मांफ नहीं करेगा।
यहां थी तीन विशाल लाइब्रेरी:
विश्व के इस पहले विश्वविद्यालय में तीन लाइब्रेरी थीं। ऐसा कहा जाता है कि। जब विश्वविद्यालय में आग लगाई गई। तो यहां की पुस्तकें जलने में करीब 6 महीने का वक्त लगा।यहीं नहीं ये भी कहा जाता है कि, विज्ञान की खोज से संबंधित पुस्तकें विदेश लेकर चले गए थे।
नालंदा से जुडी इतिहासिक चीजे और बाते:
पारंपरिक सूत्रों के अनुसार महावीर और बुद्धा दोनों पाचवी और छठी शताब्दी में नालंदा आये थे। इसके साथ-साथ यह शरिपुत्र के जन्म और निर्वाण की भी जगह है, जो भगवान बुद्धा के प्रसिद्ध शिष्यों में से एक थे।
- धर्मपाल
- दिग्नगा, बुद्ध तर्क के संस्थापक
- शीलभद्र, क्सुँझांग के शिक्षक
- क्सुँझांग, चीनी बौद्ध यात्री
- यीजिंग, चीनी बौद्ध यात्री
- नागार्जुन
- आर्यभट
- आर्यदेव, नागार्जुन का विद्यार्थी
- अतिषा, महायाना और वज्रायण विद्वान
- चंद्रकिर्ती, नागार्जुन के विद्यार्थी
- धर्मकीर्ति, तर्क शास्त्री
- नारोपा, तिलोपा के विद्यार्थी और मारप के शिक्षक
पर्यटन – Nalanda Tourism
अपने राज्य में नालंदा एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो भारत ही नही बल्कि विदेशी लोगो को भी आकर्षित करता है। इसके साथ ही बुद्ध धर्म के लोग इसे पवित्र तीर्थ स्थल भी मानते है।
नालंदा मल्टीमीडिया म्यूजियम – Nalanda Multimedia Museum
नालंदा में हमें एक और वर्तमान तंत्रज्ञान पर आधारित म्यूजियम देखने को मिलता है। जिनमे में 3 डी एनीमेशन के सहारे नालंदा के इतिहास से संबंधित जानकारियाँ हासिल कर सकते है।
क्सुँझांग मेमोरियल हॉल –
प्रसिद्ध बुद्ध भिक्षु और यात्रियों को सम्मान देने के उद्देश्य से क्सुँझांग मेमोरियल हॉल की स्थापना की गयी थी। इस मेमोरियल हॉल में बहुत से चीनी बुद्ध भिक्षुओ की प्रतिमाये भी लगायी गयी है।
नालंदा आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम – Nalanda Archaeological Museum
भारतीय आर्कियोलॉजिकल विभाग ने पर्यटकों के आकर्षण के लिये यहाँ एक म्यूजियम भी खोल रखा है। इस म्यूजियम में हमें नालंदा के प्राचीन अवयवो को देखने का अवसर मिलता है। उत्खनन के दौरान जमा किये गए 13, 463 चीजो में से केवल 349 चीजे ही म्यूजियम में दिखायी जाती है।
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