सालासर बालाजी का चमत्कारिक मंदिर – यहां बालाजी को हैं दाढ़ी-मूंछ

Salasar Balaji History in Hindi

राजस्थान के चुरु जिले के पास स्थित सालासर बालाजी का मंदिर, भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। सालासर बालाजी मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

यह मंदिर सुजानगढ़ से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर सालासर गांव में बना हुआ है। इस मंदिर में बालाजी अपने भव्य एवं आलौकिक स्वरुप के साथ सोने के सिंहासन पर विराजित हैं।

यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां दाढ़ी मूछों वाले हनुमान जी यानी बालाजी अपने विशाल स्वरुप में स्थापित हैं। आंध्रप्रदेश में स्थित तिरुपति बाला जी मंदिर के बाद सालासर में स्थित बालाजी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है।

राज्सथान के सालासर बालाजी जी के मंदिर में प्रतिष्ठित बाला जी  की प्रतिमा के प्रकट होने को लेकर कई आश्चर्यचकित एवं चमत्कारिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं। इस मंदिर में साल भर बाला जी के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

यहां चैत्र, आश्विन और भाद्रपद महीनों में शुक्लपक्ष की चतुदर्शी और पूर्णिमा को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं हनुमान जयंती पर सालासर की रौनक देखते ही बनती है।

इन मौकों पर यहां देश के कोने-कोने से भक्तजन बालाजी महाराज की एक झलक के दर्शन करने आते हैं। वहीं इस मंदिर के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि भारत के इस प्रसिद्ध बालाजी मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों द्धारा किया गया है, आइए जानते हैं सालासर बालाजीमंदिर के निर्माण, इतिहास एवं इससे जुड़ी चमत्कारिक कथाओं के बारे में-

सालासर बालाजी का चमत्कारिक मंदिर – यहां बालाजी को हैं दाढ़ी-मूंछ – Salasar Balaji History

Salasar Balaji

सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास एवं पौरणिक कथा – Salasar Balaji Temple Story and Information

सिद्धपीठ बालाजी का उत्पत्ति और सालासर में स्थापित होने का इतिहास काफी चमत्कारिक और रोचक है।

ऐसा माना जाता है कि बालाजी महाराज ने अपने परम भक्त मोहनदास की उनके प्रति गहरी आस्था और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें मूर्ति के रुप में प्रकट होने का वचन दिया था और इस वचन को पूरा करने के लिए नागौर जिले के आसोटा गांव में एक खेत में वे चमत्कारी रुप से प्रकट हुए थे।

इस मंदिर से जुड़ी रोचक कथा के मुताबिक 1754 ईसवी में असोटा गांव जब एक किसान अपने खेत में हल जोत रहा था, तभी उसके हल का निचला हिस्सा किसी पत्थर से टकराया।

जिसके बाद उसने जब उस पत्थर को निकाला, फिर किसान ने उस पत्थर को अपने अंगोछे से पोंछकर साफ किया तो उनसे देखा कि उस पर बालाजी भगवान की अद्भुत छवि बनी हुई है।

वहीं इसके बाद किसान की पत्नी ने काले पत्थर की उस प्रतिमा को एक पेड़ के पास स्थापित किया।

वहीं बाला जी के मूर्ति के प्रकट होने की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। वहीं आसोटा के ठाकुर चम्पावत भी इस बालाजी के चमत्कारी मूर्ति के दर्शन के लिए आए।

कथा के मुताबिक आसोटा के ठाकुर को भगवान हनुमान जी ने उसी रात सपने में दर्शन देकर उनकी इस प्रतिमा को सालासर पहुंचाने के लिए कहा था।

वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपने दूसरे भक्त सालासर के महाराज मोहनदास को भी सपने में दर्शन देते हुए कहा कि जिस बैलगाड़ी से उनकी प्रतिमा को सालासर ले जाए, उस बैलगाड़ी को रोके नहीं और जहां बैलगाड़ी अपने आप रुक जाए, वहीं बाला जी की भव्य मूर्ति की स्थापना कर दी जाए।

वहीं सपने में मिले इन आदेशों के मुताबिक भगवान बालाजी जी के आलौकिक प्रतिमा को उनके वर्तमान स्थान पर धूमधाम से प्रतिष्ठित किया गया था।

सालासर बालाजी मंदिर का निर्माण – Salasar Balaji Temple Architecture

सालासर बालाजी भगवान की चमत्कारिक प्रतिमा  1811 में श्रावण शुक्लपक्ष की नवमी को खेत में प्रकट हुई थी, जिसके बाद राजस्थान के चुरु जिले के सालासर में बालाजी के इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण करवाया दिया गया।

इस मंदिर के निर्माण में करीब 2 साल का समय लग गया था। सालासर मंदिर के बारे में दिलचस्प बात यह है कि इस विशाल मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों द्धारा किया गया है, जिसमें फतेहपुर से नूर मोहम्मद और दाऊ प्रमुख थे। आपको बता दें कि सालासर बालाजी मंदिर को सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है।

वहीं इस विख्यात मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन और दरवाजे चांदी से बनाए गए हैं। इस मंदिर के परिसर में एक बेहद प्राचीन कुंआ भी बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है, जो भी श्रद्धालु यहां स्नान करता है, उसे कई रोगों से मुक्ति मिलती है।

दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी का अद्भुत स्वरुप:

सालासर बालाजी धाम की प्रतिमा अपने अद्भुत और आलौकिक स्वरुप के लिए भी पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। यह अपने आप में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की प्रतिमा विराजमान है, बाकी चेहरे पर राम आयु बढ़ाने वाले सिंदूर चढ़ा हुआ है। आपको बता दें कि बालाजी की यह आर्कषक एवं भव्य प्रतिमा सोने के सिंहासन पर विराजित हैं।

इस मंदिर के ऊपरी हिस्से में श्री राम का दरबार  है, जबकि निचले हिस्से में भगवान श्री राम के कमल चरणों में बालाजी की प्रतिमा शोभायमान है। इस मंदिर की मुख्य प्रतिमा शालिग्राम पत्थऱ की बनी हुई है, जिसे गेरुए रंग से सुसज्जित किया गया है।

बालाजी भगवान की यह स्वरुप देखने में बेहद आर्कषक है। आपको बता दें कि सालासर भगवान जी की प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई है। इसके साथ ही इसमें सोने का बेहद सुंदर मुकुट चढ़ाया गया है। इस प्रतिमा पर स्वर्ण छत्र भी चढ़ाया गया है, यह स्वर्ण छत्र करीब 5 किलो सोने का बना हुआ है।

सालासर बालाजी भगवान को चढ़ता है खास भोग:

सालासर बालाजी मंदिर में  बाजरे के चूरमा का भोग लगाया जाता है, इसके पीछे यह मान्यता है कि जब बालाजी खेत में प्रकट हुए थे, तब किसान की पत्नी ने उन्हें सर्वप्रथम बाजरे के चूरमे का प्रसाद चढ़ाया था।

तब से यहां बालाजी को मेवा, मिष्ठान के साथ बाजरे के चूरमे का भोग लगाया जाता है।

सालासर बालाजी मंदिर में अखंड दीप है प्रज्वलित:

अपनी चमत्कारिक महिमा के लिए विख्यात इस आलौकिक बालाजी के मंदिर में कई सालों से एक अखंड दीपक प्रज्वलित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के प्रतिष्ठा के समय ही हनुमान जी के परम भक्त महंत मोहनदास जी ने इस चमत्कारी धुणी को जलाया था, जो कि तब से लेकर आज तक ज्यों की त्यों प्रज्जवलित है।

इसके साथ ही यहां मोहनदास जी का समाधिस्थल भी है, जिससे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वहीं शुरुआत में जाटी वृक्ष के पास यहां एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के नीचे बैठकर हनुमान भक्त मोहनदास जी बालाजी की पूजा करते थे। वहीं आज भक्तजन यहां नारियल एवं ध्वजा चढ़ाते हैं और धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं।

सालासर बाला जी मंदिर में लगने वाले मेला:

राजस्थान के चुरु जिले में स्थित सिद्धपीठ सालासर बालाजी भगवान के इस प्रसिद्ध मंदिर में हर साल चैत्र पूर्णिमा, आश्विन पूर्णिमा और भाद्रपद महीने की पूर्णिमा को विशाल मेले लगते हैं।

इसके अलावा यहां हनुमान जयंती के मौके पर मेले का आयोजन किया जाता हैं। मेलों के मौके पर यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए यहां आते हैं।  आपको बता दें कि इन मेलों के दौरान यहां करीब 6 से 7 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

वहीं आमतौर पर यहां मंगलवार और शनिवार को भी भक्तों की काफी भीड़ रहती है। यहां मंगलवार के दिन राजभोग और मंगल आरती भी होती है।

सालासर में अंजनी माता का मंदिर:

पावन धाम सालासर में बालाजी के प्रसिद्ध मंदिर से थोड़ी दूरी पर अंजनी माता का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि बालाजी के अनुरोध पर अंजनी माता सालासर पर विराजमान हुईं। अंजनी माता के मंदिर में बालाजी भगवान अपनी माता अंजनी की गोद में बैठे हुए है।

पौराणिक कथा के मुताबिक ब्रह्राचारी हनुमान जी ने अपनी माता अंजनी से कहा कि वह स्त्री, संतान संबंधी तमाम परेशानी को लेकर आने वाले भक्तों की चिंता दूर करने में काफी कठिनाई महसूस करते हैं, जिसके बाद अंजनी माता सालासर आईं और यहां प्रतिष्ठित हो गईं।

हालांकि बालाजी और अंजनी माता मंदिर में एक साथ विराजित नहीं है, क्योंकि पहले किसकी पूजा होगी, इसको लेकर परेशानी हो सकती है। अंजनी माता के मंदिर से भी भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

 कैसे पहुंचे सालासर बालाजी धाम मंदिर – How To Reach Salasar Balaji Temple

राजस्थान में स्थित सालासर बालाजी पावन धाम के दर्शन के लिए जाने वाले भक्त ट्रेन, बस एवं फ्लाइट आदि के माध्यम से यहां आसानी से पहुंच सकते है।

यहां से निकटतम एयरपोर्ट- संगानेर एयरपोर्ट है, जो कि सालासर से करीब करीब 138 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से टैक्सी और बस के माध्यम से सालासर बालाजी मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

वहीं ट्रेन से यहां पहुंचने वाले यात्रियों पहले तालछापर स्टेशन पर उतरना पड़ेगा। यह स्टेशन सालासर से सबसे नजदीक स्थित है, जिसकी सालासर से दूरी करीब 26 किलोमीटर है।

इसके अलावा यात्री सीकर या फिर लक्ष्मणनगर स्टेशन पर भी उतर सकते हैं। इसके बाद टैक्सी से यहां पहुंच सकते हैं। सालासर शहर, बस सुविधा से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

सालासर के लिए तमाम बसें चलती हैं, जिसके माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही आपको बता दें कि यहां आने वाले भक्तों के ठहरने के लिए भी अच्छे ट्रस्ट और धर्मशालाएं बनी हुई हैं। इसके साथ ही यहां खाने-पीने के लिए भी अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है।

सालासर बालाजी धाम मंदिर का समय – Salasar Balaji Temple Timings

गतिविधियाँ: मंदिर की दैनिक गतिविधियों में मुख्य रूप से निचे दी गयी गतिविधियाँ शामिल है।

  1. दिन में समय-समय पर भगवान की आरती करना।
  2. सवामनी की व्यवस्था।
  3. देवी-देवताओ की दैनिक पूजा।
  4. रामायण का जाप।
  5. कीर्तन और भजनों का जाप।
  6. ब्राह्मण और दुसरे भिक्षुको का भोज।
  7. हर मंगलवार को भजनकारो द्वारा सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।
  8. यात्रियों के रहने की व्यवस्था करना।

सालासर बालाजी धाम मंदिर में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार और मेले – Salasar Balaji Temple Festival

  • चैत्रशुक्ला चतुर्दशी और पूर्णिमा /श्री हनुमान जयंती
  • भाद्र शुक्ल चतुर्दर्शी और पूर्णिमा
  • अश्विन शुक्ल चतुर्दशीऔर पूर्णिमा

नोट: सालासर बालाजी के बारे में सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से ये लेख लिखा है। इस लेख में दिए बातोँ पर आप विश्वास करे या अंधविश्वास ये आपपर निर्भर करता है।

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