संत तुकाराम महाराज की जीवनी | Tukaram Maharaj In Hindi

Tukaram – तुकाराम महाराज महाराष्ट्र के भक्ति अभियान के 17 वी शताब्दी के कवी-संत थे। वे समनाधिकरवादी, व्यक्तिगत वारकरी धार्मिक समुदाय के सदस्य भी थे।

तुकाराम अपने अभंग और भक्ति कविताओ के लिए जाने जाते है और अपने समुदाय में भगवान की भक्ति को लेकर उन्होंने बहुत से आध्यात्मिक गीत भी गाये है जिन्हें स्थानिक भाषा में कीर्तन कहा जाता है। उनकी कविताए विट्ठल और विठोबा को समर्पित होती थी, जो भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते है।

Tukaram
संत तुकाराम महाराज की जीवनी – Tukaram Maharaj In Hindi

तुकाराम ज्यादातर संत तुकाराम, भक्त तुकाराम, तुकोबा, तुकोबाराया और तुकाराम महाराज के नाम से प्रसिद्ध थे।

संत तुकाराम के जन्म और मृत्यु के बारे में किसी को पता नही है और इससे संबंधित कोई अधिकारिक जानकारी भी इतिहास में मौजूद नही है लेकिन खोजकर्ताओ के अनुसार उनका जन्म 1598 या 1608 में भारत के महाराष्ट्र राज्य में पुणे के देहु गाँव में माना गया है।

उनका परिवार कुनबी समाज से था। तुकाराम के परिवार का खुद का खुदरा ब्रिक्री और पैसे उधारी पर देने का व्यवसाय था, साथ ही उनका परिवार खेती और व्यापार भी करता था उनके पिता विठोबा के भक्त थे। विठोबा को हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। जब तुकाराम अल्पावस्था में ही थे तभी उनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी थी।

संत तुकाराम की पहली पत्नी राखाम्मा बाई थी और उनसे उनका एक बेटा संतु भी हुआ। जबकि उनके दोनों बेटे और पत्नि 1630-1932 के अकाल में भूक से मौत हुयी थी।

उनकी मृत्यु और फ़ैल रही गरीबी का सबसे ज्यादा प्रभाव तुकाराम पर गिरा, जो बाद में ध्येय निश्चित कर महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वत श्रुंखला पर ध्यान लगाने चले गये और जाने से पहले उन्होंने लिखा था की, “उन्हें खुद से चर्चा करनी है।”

इसके बाद तुकाराम ने दोबारा शादी की और उनकी दूसरी पत्नी का नाम अवलाई जीजा बाई था। लेकीन इसके बाद उन्होंने अपना ज्यादातर समय पूजा, भक्ति, सामुदायिक कीर्तन और अभंग कविताओ में ही व्यतीत किया।

तुकाराम के आध्यात्मिक गुरु बाबाजी चैतन्य थे। जो खुद 13 वी सदी के विद्वान जनानादेव की चौथी पीढ़ी के शिष्य थे। उनके अभंग के कार्यो में तुकाराम चार और लोगो का अनुसरण करते थे, उन चार में भक्ति संत नामदेव, जनानादेव, कबीर और एकनाथ का समावेश था।

कुछ विद्वानों के अनुसार, तुकाराम शिवाजी महाराज से मिले थे। तुकाराम ने ही शिवाजी महाराज की मुलाकात रामदास से उनके आध्यात्मिक ज्ञान के लिए करवाई थी। एलेनोर ज़ेलियोट ने भक्ति अभियान में कहा था की तुकाराम का शिवाजी महाराज पर भी बहुत प्रभाव पड़ा था।

सूत्रों के अनुसार तुकाराम की मृत्यु 1649 या 1650 में हुई थी।

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14 thoughts on “संत तुकाराम महाराज की जीवनी | Tukaram Maharaj In Hindi”

  1. prashant ramteke

    तुकाराम् माहाराज् विश्न्नु का आव्तार् नहि हे…

  2. संध्या वीर औरंगाबाद

    मैने संत तुकाराम महाराज के बरमे बोहत पढ़ा है लेकिन संत तुकाराम महाराज का जन्म आपके हिसाबसे ठीक नही लग रहा उनका जन्म नामदेव महराज के थोड़े समय बाद का है ऐसा लग रहा है लेकिन आपकी जानकारी बोहत अछि है.

    1. Gyani Pandit

      संध्या जी अगर आपके पास संत तुकाराम महाराज के बारे में और अधिक जानकारी हैं. जो इस लेख में होनी चाहियें तो क्रिपया हमारें साथ शेयर कर.

  3. Unke death ka reason jai ke ek baar pandharpur ki yaatra nikle the par be jaa nahi paaye kyuki vo beemar the…aur vir vithal vo bhot chinta hue ke mera priya bhakt kyu nai aayA to unhone use lens unka vahan bheja to tukaram ne kaha ke mein nai baith sakta is par kyoki ye mere guru ka vahan hai par unke vahan ne unhe bhot vinante karne vahan par bithaya n unhe pandharpur vithal ke paas le Gaye….n unke charno par sir rakhte he vo swarghen ho gaye

  4. sant tukaram maharaj ke jivani padhakr achcha laga unki dvara kiye gaye abhang aur bhaktigit aaj bhi logo ke juba par hain, unke jivan par ek marathi film aayi thi jisaka naam “Tukarm” us film me bhi unke baremen bahut achchi tarikese aur vistarpurvak jankari batayi gayi hain.

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