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बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार “दीपावली” जानिए इस पावन पर्व को क्यों मनाते हैं?

Why is Diwali Celebrated for 5 Days in Hindi

दीपावली, हिन्दुओं का सबसे बड़ा और प्रमुख त्यौहार है। यह असत्य पर सत्य की जीत का त्यौहार है। इसके साथ ही दीपावली का अपना एक सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस त्यौहार को हिंदू धर्म के लोग पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं और अपने परिवार के लोगों के साथ खुशियां बांटते हैं।

हिंदु परंपरा और रीति-रिवाज के साथ हर घर में प्रकाश का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तीनों दृष्टि से महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार का लोग हर साल बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। दीपावली के पावन पर्व को लोग क्यों मनाते हैं (Why is Diwali Celebrated), कब मनाते हैं और क्या है इसका पौराणिक महत्व चलिए हम आपको बताते हैं।

बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार “दीपावली” जानिए इस पावन पर्व को क्यों मनाते हैं? – Why is Diwali Celebrated for 5 Days

Why is Diwali Celebrated

दीपावली का अर्थ Deepavali Meaning

दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है, दीप और आवली। दीप का अर्थ है प्रकाश या रोशनी और आवली का मतलब से पंक्ति या लाइन। इस तरह दीपावली का मतलब है रोशनी की पंक्ति।

दीपावली को प्रकाश का पर्व और दीपोत्सव भी कहा जाता है। यह पर्व लोगों को अंधेरे से प्रकाश की तरफ जाने की सीख देता है। इसे सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी अपनी-अपनी मान्यता के मुताबिक मनाते हैं। इस पावन पर्व का अलग-अलग धर्मों में अपना एक अलग महत्व है।

दीपावली कब मनाई जाती है ? – When is Diwali Celebrated

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक प्रकाश का पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन अमावस्या की घोर अंधेरी रात असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। यह त्योहार परम्परागत रुप से हर साल अक्टूबर या फिर नवम्बर के बीच में पड़ता है।

ये पर्व लोगों की जिंदगी में  ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आए, इसी कामना के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर खत्म होता है। यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है जो कि 5 दिनों तक चलता है।

दीपावली क्यों मनायी जाती है ? – History of Diwali

वैसे तो हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों का मनाने की अलग-अलग वजह है। वैसे ही दीपावली का पावन त्यौहार मनाने के पीछे भी कई सारी वजह है। इसका अपने, पौराणिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक कारण है। जिसकी वजह से हर साल ये प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

मान्यता है कि हिन्दू धर्म के लोगों के लिए दीपावाली के दिन से नए साल की शुरुआत होती है। जिससे इस त्यौहार में कई लोग धार्मिक और नेक काम करने की कोशिश करते हैं ताकि पूरे साल वे इस तरह के काम करते रहें जिससे उनकी जिंदगी खुशीपूर्वक बीत सके। दीपावली का त्यौहार लोगों के जीवन में नई खुशियां और उमंग लेकर आता है।

हालांकि दीपावली का त्यौहार प्राचीन भारत से ही मनाया जा रहा है। धर्म के विकास के साथ इसमें कई पौराणिक कथाएं और स्पष्टीकरण जुड़ते गए जिन्होंने इस त्यौहार को धार्मिक मान्यताएं दी। वहीं दीपों की जगमगाहट का यह त्योहार मनाने के कई सारे पौराणिक और ऐतिहासिक कारण है जो कि नीचे लिखे गए हैं –

बुराई पर अच्छाई की विजय के इस त्योहार को मनाने के पीछे हिन्दू धर्म के धार्मिक महाकाव्य रामायण के मुताबिक यह भी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है कि इस दिन भगवान राम, राक्षस रावण को हराकर अपनी धर्मपत्नी सीता और अपने प्रिय भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या नगरी वापस लौटे थे।

वहीं अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजा के स्वागत में पूरे राज्य को सजाकर, मिट्टी के दिए जलाए थे जिससे अमावस्या की अंधेरी रात भी जगमग हो उठी थी। तभी से यह प्रकाश का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।

माता लक्ष्मी धन, यश, सुख, समृद्धि की देवी है। हिन्दू धर्म की पौराणिक कथा के मुताबिक मान्यता है कि कार्तिक महीने अमावस्या को राक्षस और देवताओं द्वारा समुन्द्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी का दूध के समुन्द्र (क्षीर सागर) से ब्रह्माण्ड में आई थीं।

तभी से माता लक्ष्मी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में भी हिन्दू धर्म के लोग इस त्योहार को मनाते हैं। वहीं दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का विशेष पूजन कर भक्त जन अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं।

हिन्दू धर्म में दीपावाली का पावन उत्सव मनाने के पीछे यह भी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है कि भगवान कृष्ण ने नर्कासुर का वध किया था। आपको बता दें कि नर्कासुर एक दैत्य था जो महिलाओं पर अत्याचार करता था। यही नहीं उसने अपनी दैत्य शक्ति से अपनी जेल में करीब 16000 महिलाओं को बंधी बना रखा था।

जिसके बाद भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर का वध कर उन सभी महिलाओं की जान बचाई थी। उसी दिन से बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा।

हिन्दू महाकाव्य के मुताबिक दीपावली मनाने की एक मुख्य यह भी है कि, कार्तिक महीने के अमावस्या के दिन, पांडव अपने राज्य से निष्कासन के 12 साल बाद अपने राजधानी हस्तिनापुर लौटे थे।

जिसके बाद पांडवों के राज्यों के लोगों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था तभी से दीपावली का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है। आपको बता दें कि कोरवों से जुऐं में हारने के बाद पांडवों को 12 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था।

हिन्दुओं के महान राजा विक्रमादित्य का कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन राजतिलक हुआ था। तभी से लोगों ने इस त्योहार को मनाने की परंपरा शुरु कर दी थी।

यह दिन आर्य समाज के लिए बेहद खास दिन होता है। दरअसल महर्षि दयानंद जो कि महान हिन्दू सुधारक के साथ-साथ आर्य समाज के संस्थापक थे। उन्होंने कार्तिक के महीने की अमावस्या के के दिन निर्वाण प्राप्त किया था। उसी दिन से दीपावली के पर्व को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है।

जैन धर्म के लोगों के लिए भी दीपावली के त्योहार का खास महत्व है। दरअसल महावीर जी  जिन्होंने आधुनिक जैन धर्म की स्थापना की थी।  उन्होनें इस दिन बिहार के पावापुरी में अपनी शरीर त्याग दिया था। तभी से ये खास त्यौहार मनाया जाने लगा वहीं इसके दूसरे दिन महावीर-संवत शुरु होता है। इसलिए कई राज्यों में इसे साल की शुरुआत मानते हैं।

महात्मा बुद्ध की कपिलवस्तु की वापसी –

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध जब 17 साल बाद अपने अनुयायियों के साथ अपने गृह नगर कपिल वस्तु लौटे तो उनके स्वागत में लाखों दीप जलाए गए। जिसके बाद से दीपावाली का पावन पर्व मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है।

गुप्त वंश के सम्राट चंद्रगुप्त की विजय-

ऐतिहासिक कथा यह भी प्रचलित है कि सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ईसा से 269 साल पहले दीपावली के ही दिन तीन लाख शकों और हूणों को युद्ध में हराकर विजय प्राप्त की थी। जिसकी खुशी में उनके राज्य के लोगों ने लाखों दीप जला कर जश्न मनाया था, तभी से दीपावाली का पावन त्योहार मानने की परंपरा चली आ रही है।

चंद्र कैलेंडर के मुताबिक, गुजराती लोग भी कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन दीवाली के एक दिन बाद अपने नए साल का जश्न मनाते हैं।

इस त्योहार का सिख लोगों के लिए भी अपना एक अलग महत्व है। दरअसल  सिख धर्म के पावन धार्मिक स्थल अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की स्थापना भी साल 1577 में दीवाली के मौके पर ही की गयी थी। इसके साथ ही 6वें सिख गुरू हरगोबिंद जी को भी साल 1619 में मुगल सम्राट जहांगीर की हिरासत से ग्वालियर किले से रिहा किया गया था। जिसकी खुशी में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि दीपावली का त्योहार हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा 5 दिन त्योहार है। वहीं पांचों दिन के इस त्योहार से अलग-अलग पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं –

धनतेरस से शुरु होता है दीपावाली का महापर्व – Dhanteras

दीपावली का महापर्व धनतेरस  से शुरू होता है। जिसका अर्थ है घर में धन और समृद्धि का आना। इस दिन सुख-समृद्धि की धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना होती है। इस दिन नए बर्तन, सोने-चांदी का सामान या फिर अन्य वस्तु खरीदना भी शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन नई वस्तुएं घर में खरीद कर लाने से घर में धन की वृद्धि होती है।

नरक चतुर्दशी होती है छोटी दीपावली – Naraka Chaturdashi

दीपावाली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी होती है जिसे छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान करके सूर्य देवता की पूजा की जाती है। ऐसा करने से लोगों का भरोसा है कि उन्हें मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दीपावली के सुखसमृद्धि की माता लक्ष्मी का पूजन – Laxmi Pooja

कार्तिक महीने अमावस्या के दिन इस दिन धन और यश की देवी माता लक्ष्मी की हिन्दू रीति-रिवाज के साथ विधि-विधान से पूजा होती है। इस दिन घर के कोने-कोने में लोग दीप जलाते हैं और घर को सजाते हैं।

गोवर्धन पूजा – Govardhan Puja

दीपावली के एक दिन बाद छप्पन भोग लगाकर गोवर्धन की पूजा होती है। इस दिन लोग अन्नकूट बनाते हैं और अपने परिवारजनों के साथ भोजन करते हैं। खासकर इस दिन का खेती किसानी वाले लोगों के लिए खास महत्व है।

भाई दूज- Bhai Dooj

ये इस महापर्व का आखिरी दिन होता है। इस दिन बहन- अपने भाई को तिलक करती है और अपनी भाई की लंबी उम्र और उसकी सलामति की दुआ करती है।

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दीपावली आपसी भाईचारा, सोहार्द और एकता का त्योहार है। इस दिन लोग अपने परिवारजन, और खास लोगों के साथ मिलकर अपने रिश्तों को मजबूत बनाते हैं और मन-मुटाव भी दूर करते हैं।

इस खास त्योहार का लोग हर साल बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं और इसके लिए हर साल लोग खास तैयारी करते हैं। लोग कई दिन पहले से ही इस त्योहार को खास बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं। इस दिन लोग अपने-अपने घरों की साज-सज्जा करते हैं और खास रंगोली बनाते हैं।

वहीं इस दिन के लिए लोग नए-नए कपड़े खरीदते, ऑनलाइन शौपिंग करते हैं। और घरों में कई तरह के पकवान बनाते हैं। वहीं समय के साथ-साथ इस खास त्योहार को मनाने का तरीका भी बदल गया है। आजकल  दीपावली के खास त्योहार के दिन एक दूसरे को गिफ्ट देने का चलन भी हो गया है। गिफ्ट देकर लोग अपनी रिश्तों की डोर मजबूत करते हैं।

इसके अलावा दीपावली के त्योहार के मौके पर कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को बोनस और दीवाली गिफ्ट भी देती है। अब लोग इस दिन अपने घरों में विशेष पार्टी का आयोजन करते हैं और अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ आपसी संबंधों में मधुरता लाने की कोशिश करते हैं।

इसके अलावा यह त्योहार व्यापारी वर्ग के लिए भी काफी मुनाफा देने वाला साबित होता है। इस त्योहार के मौके पर दुकानों की ब्रिकी बढ़ जाती है। इस तरह से दीपावाली का त्योहार सभी के जीवन में खुशियां और नई उमंग लेकर आता है और नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है।

Gyanipandit के सभी पाठकों को Gyanipandit की टीम की ओर से दीपावली की शुभकामनाएं!

Wish you Happy Diwali to all

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