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जानिए प्रथम विश्व युद्ध से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में-

World War 1

इतिहास की किताबों में आपने कई युद्धों को पढ़ा होगा, जिनमें हजारों लोगों की जाने गयी। देशों की आर्थिक स्थितियों को भी काफी हानि हुई। हालांकि ज्यादातर युद्ध एक दूसरे की रियासतों को झड़पने के लिए हुआ करते थे। जिसका असर सिर्फ उन दो रियासतों पर ही पड़ता था जिनके बीच युद्ध होता था लेकिन इतिहास की किताबों में एक युद्ध ऐसा भी था जिसकी चपेट में पूरा विश्व आया। World War 1 – पहला विश्व युद्ध साल 1914 से 1918 तक लड़ा गया था। जिसका असर आजतक कई देशों में साफ देखने को मिलता है।

रिपोर्टस के अनुसार 28 जुलाई 1914 से लेकर 11 नवंबर, 1918 तक चले प्रथम विश्व युद्ध केन्द्रीय शक्तियों (बुल्गारिया, तुर्की, ऑस्ट्रिय-हंगरी, जर्मनी) और मित्र राष्ट्रों (फ्रांस, इंग्लैंड, रुस, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका, रुमानिया) के बीच हुआ।

पहले विश्व युद्ध में लगभग सभी प्रभावशाली देशों ने हिस्सा लिया। जिसके दूरगामी परिणाम हुए। करीब 4 साल तक चले इस युद्ध में करोड़ों  लोगों की जान चली गई तो आधी दुनिया हिंसा के चपेट में आ गई थी। तो आइए जानते हैं प्रथम विश्व युद्ध (ग्लोबल वार) विश्व युद्ध क्यों हुआ? किन देशों के बीच लड़ा गया और इसके प्रमुख कारण, परिणाम और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में-

जानिए आख़िर क्यों हुआ था प्रथम विश्व युद्ध – World War 1 History

World War 1

प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारण – Causes Of World War 1

प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक बिस्मार्क की नीति भी है। दरअसल, बिस्मार्क ने पहले फ्रांस को पराजित कर फ्रांस के एल्सास और लॉरेन जैसे प्रदेश पर जर्मनी का अधिकार स्थापित किया था।

जिसके बाद फ्रांस और जर्मनी के रिश्ते काफी बिगड़ गए थे और फ्रांस जर्मनी से अपनी हार का बदला लेना चाहता और अपने खोए हुए प्रदेशों को फिर से हासिल करना चाहता था।

वहीं बिस्मार्क ने फिर रुस, इटली एवं ऑस्ट्रेलिया से संधि कर खुद को बेहद मजबूत बना लिया, जिसके चलते फ्रांस, जर्मनी के सामने कमजोर पड़ता चला गया और हर समय फ्रांस को हर समय जर्मनी के हमले का डर बना रहा।

प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारणों में से एक राष्ट्रीयता की उग्र भावना भी शामिल है। उस दौरान यूरोप के अलग-अलग राज्यों ने अपने राष्ट्र की प्रगति एवं विकास के लिए काम करने शुरु कर दिए।

इस दौरान सभी धर्म, जाति एवं समुदाय के लोगों ने अपने राष्ट्र के लिए मिलजुल कर काम किया। वहीं इसके चलते इटली और जर्मनी के बीच एकीकरण हो गया।

वहीं इस दौरान तुर्की सम्राज्य कमजोर पड़ने लगा और तुर्की सम्राज्य समेत ऑस्ट्रिया हंगरी के कई क्षेत्रों में स्वतंत्रता की मांग तेजी से बढ़ने लगी साथ ही यहां के कई क्षेत्रों में स्लाव प्रजाति के लोगों की अधिकता होने की वजह से स्लाव राष्ट्र की भी मांग होने लगी।

रुस ने इस दौरान सर्वस्लाववाद एवं अखिल स्लाव आंदोलन को इसलिए बढ़ावा दिया, क्योंकि उनका मानना था कि ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं तुर्की से आजाद होने के बाद स्लाव रुस के प्रभाव में आ जाएगा।

वहीं इन आंदोलनों के चलते रुस और ऑस्ट्रेया-हंगरी के रिश्तों में कड़वाहट आ गई। इसके साथ ही इस दौरान पोलो, चेक एवं सर्व जाति के लोग भी आजादी की मांग कर रहे थे, जिसके चलते यूरोपीय राष्ट्रों को रिश्तों में और अधिक कड़वाहट होती चली गई।

प्रथम विश्व युद्ध होने के प्रमुख कारणों में से एक मिलिट्रीज्म भी है। इसके तहत उस दौरान ज्यादातर देशो नें खुद को आधुनिक हथियारों से लैस एवं मजबूत बनने की कोशिश की।

इसके तहत उस दौरान मशीन गन, टैंक, बंदूक लगे 3 बड़े जहाज आदि का अविष्कार किया गया। यही नहीं कई देशों ने इस दौरान अपने सैन्य बल को और अधिक मजबूत बनाया एवं युद्ध के लिए सशक्त एवं बलशाली सेना तैयार की।

वहीं जर्मनी और ब्रिटेन, औद्योगिक क्रांति की वजह से उस दौरान सबसे अधिक आगे थे, जिनसे हर देश बराबरी करना चाहता था, लेकिन इनकी होड़ करना अन्य देशों के लिए वास्तव में काफी मुश्किल था।

वहीं मिलिट्रीज्म की वजह से उस दौरान कुछ देश खुद को बेहद शक्तिशाली एवं अपने देश की सैन्य क्षमता को सार्वधिक उत्कृष्ट मानने लगे एवं यह सोचने लगे कि उन्हें कोई नहीं परास्त कर सकता।

वहीं लोगों की इस धारणा की वजह से मिलिट्री का आकार बड़ा किया गया। अर्थात इसी वजह से मॉर्डन आर्मी के नए कांसेप्ट की शुरुआत की गई।

इसके अलावा यहां आर्थिक प्रति द्धन्द्धिता और सम्राज्यवाद का होना, अंतराष्ट्रीय शांति कायम करने वाली संस्थाओं का अभाव, अंतराष्ट्रीय अराजकता का फैलना आदि थे।

19वीं सदी के दौरान कई राष्ट्रों ने अपने-अपने देश की स्थिति को मजबूत एवं सुदृढ़ बनाने के लिए अन्य शक्तिशाली राष्ट्रों के साथ संधि करनी शुरु कर दी।

वहीं इस दौरान कई संधि गुप्त रुप से भी हुईं यानि की दो देशों के बीच क्या संधि हुईं, तीसरे देश को नहीं पता चलता था। इस दौरान फ्रांस, ब्रिटेन एवं रुस के बीच ट्रिपल इंटेट एवं जर्मनी-ऑस्ट्रेलिया-हंगरी एवं इटली के बीच संधि हुई, जिसके दूरगामी परिणाम हुए-

जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली के मध्य साल 1882 में संधि हुई ।

फ्रांस, ब्रिटेन और रुस के बीच साल 1907 में ट्रिपल इंटेट हुआ। साल 1904 में ब्रिटेन और रुस के बीच कुछ शर्तों के तहत संधि हुई। वहीं इसके बाद रुस के जुड़ने के बाद ट्रिपल इंटेट के नाम से जाना गया।

उस दौरान फ्रांस, होलैंड, बेल्जियम और फ्रांस समेत पश्चिमी यूरोपीय देश अपना विस्तार एशिया एवं अफ्रीका में भी करना चाहते थे। वहीं उस दौरान ब्रिटेन सबसे सफल, मजबूत एवं संपन्न राष्ट्र था।

दुनिया के 25 फीसदी हिस्से पर ब्रिटिश शासन का राजस्व था, यही नहीं इसकी सैन्य क्षमता काफी अच्छी थी।

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम – Effects Of World War 1

इतिहास के इस सबसे बड़े युद्ध में से एक प्रथम विश्व युद्ध को दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा बदलाव का बिंदु माना गया है, जिसके दूरगामी परिणाम हुए। इस युद्ध का प्रभाव सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सैन्य और सामाजिक अर्थव्यवस्था पर पड़ा। इस युद्ध के परिणाम निम्नलिखित हैं।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद विश्व मानचित्र में काफी बड़े स्तर पर परिवर्तन देखा गया। इस विश्व युद्ध के बाद बाल्टिक सम्राज्य, रुसी सम्राज्य से स्वतंत्र कर दिए गए।

जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया और रुस की सीमाएं बदल गईं।

इस युद्ध के बाद कई सम्राज्यों के विघटन के साथ पॉलैंड, युगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया जैसे नए राष्ट्रों का उदय हुआ।

इस युद्ध के बाद इंग्लैंड में फिलिस्तीन को शामिल कर दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध के पहले तक विश्व राजनीति में यूरोप की काफी मुख्य भूमिका थी, लेकिन इसके बाद विश्व राजनीति पर अमेरिका का दबदबा कायम हो गया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रुस में 1917 में बोल्शेविक क्रांति हुई। जिसके चलते रुसी सम्राज्य की जगह पर सोवियत संघ का उदय हुआ और समाजवादी सरकार ने जारशाही का स्थान ले लिया।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद अधिनायकवाद का उदय हुआ । वर्साय की संधि का सहारा लेकर जर्मनी में हिटलर और उसकी नाजी पार्टी ने सत्ता हथिया ली।

नाजीवाद में एक नया राजनैतिक दर्शन दिया, इससे सारी सत्ता एक शक्तिशाली नेता के हाथों में केंद्रित कर दी गई।

पहले विश्वयुद्ध ने दूसरे विश्वयुद्ध के बीज बो दिए थे, दरअसल, इस दौरान हारे हुए राष्ट्रों के साथ बेहद कटु और अपमानजनक व्यवहार किया  गया, जिसकी वजह से उन राष्ट्रों में दोबारा उग्र राष्ट्रीयता की भावना आ गई थी।

इस दौरान राष्ट्रों ने अपनी शक्ति को मजबूत कर लिया, जिसका परिणाम द्धितीय विश्वयुद्ध के रुप में देखने को मिला।

प्रथम विश्व युद्ध में जहां करोड़ों जानें गईं और कई देशों को भारी नुकसान हुआ वहीं इसके कुछ सकारात्मक प्रभाव भी पड़े।

इसके बाद मजदूरों और महिला वर्ग की स्थिति में सुधार हुआ। इसके साथ ही इस दौरान नस्लभेद की भावना में भी कमी देखी गई।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद वस्तुओं की कीमत काफी अधिक बढ़ गईं, जिसके चलते आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई।

इसके साथ ही लाखों लोगों व्यक्तियों की मौत हो जाने एवं अरबों रुपए की संपत्ति नष्ट हो जाने की वजह से सामाजिक आर्थिक व्यवस्था पर भी काफी प्रभाव पड़ा।

सैन्य परिणाम:

प्रथम विश्व युद्ध के बाद हारे गए देशों की सैन्य शक्ति को कमजोर करने के लिए निस्त्रीकरण की व्यवस्था की गई। इस नीति का सबसे बड़ा शिकार जर्मनी हुआ।

इस तरह प्रथम विश्व युद्ध के बाद कुछ अच्छे तो ज्यादातर परिणाम दुखदाई ही थे।

प्रथम विश्व युद्ध का भारत पर प्रभाव – Effects Of World War 1 On India

पहले विश्व युद्ध के दौरान भारत पर ब्रिटेन का शासन था, जिसकी वजह से भारतीय सैनिकों को इस युद्ध में शामिल होना पड़ा था।

इस युद्ध के दौरान करीब 13 लाख भारतीयों ने ब्रिटिश आर्मी की तरफ से लड़ाई लड़ी। जिसमें से करीब 50 हजार सैनिक शहीद हो गए। वहीं इस युद्ध का भारत पर राजनैतिक, समाजिक एवं आर्थिक प्रभाव पड़ा।

दरअसल, इस युद्ध के खत्म होने के बाद भारत में पंजाबी सैनिकों की वापसी ने राजनैतिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया।

इसमें कोई शक नहीं है कि इस युद्ध में तमाम दुखदाई और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारतीय सैनिक समुदायों में साक्षरता दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

वहीं इस युद्ध के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था ने पूंजीवाद को बढ़ावा दिया।

प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े कुछ रोचक एवं महत्वपूर्ण तथ्य – Facts About World War 1

प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया द्धारा सर्बिया पर हमला किेए जाने से हुई थी। और यह करीब 4 सालों तक चला था, जिसमें करीब 36-37 देशों ने हिस्सा लिया था।

प्रथम विश्व युद्ध होने का तत्कालिक कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार  फेर्ड़ीनंद की हत्या था।

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान पूरा विश्व धुरी राष्ट्र और मित्र राष्ट्रों में बंट गया था। धुरी राष्ट्रों में इटली, हंगरी, ऑस्ट्रिया और जर्मनी शामिल थे, तो मित्र राष्ट्रों में रुस, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड शामिल थे।

बिस्मार्क को गुप्त संधियों का जनक भी कहा जाता है।

प्रथम विश्व युद्ध के समय वुडरो विल्सन अमेरिका के राष्ट्रपति थे।

साल 1914 से 1918 तक चलने वाले प्रथम विश्व युद्ध में करीब 1 करोड़ लोगों  ने अपनी जान से हाथ धो लिया था। इसमें मित्र राष्ट्रों के करीब 60 लाख सैनिक और धुरी राष्ट्रों के 40 लाख सैनिक शहीद हो गए थे।

प्रथम विश्व युद्ध से जुड़ा एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इस युद्ध में एक तिहाई सैनिकों की मौत स्पेनिश फ्लू नामक बीमारी के होने की वजह से हुई थी।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान आग फेंकने वाली तोप का इस्तेमाल सबसे पहले जर्मनी ने किया था। जो कि 130 फीट की दूरी तक आग फेंक सकती थी।

इस विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहले विश्व युद्ध में 30 बिलियन डॉलर खर्च किए थे।

प्रथम विश्व युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। इसकी रुसी सेना में करीब 12 मिलियन सैनिक थे, वहीं इस युद्ध में करीब तीन चौथाई सैनिकों का कोई पता नहीं चला था।

प्रथम विश्व युद्ध से जुड़ा रोचक तथ्य यह है कि इस दौरान करीब 5 लाख से ज्यादा कबूतरों का इस्तेमाल संदेश को पहुंचाने के लिए किया गया था।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 8 साल का लड़का सबसे कम आयु का सैनिक था।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई थी।

वर्साय की संधि में दूसरे विश्व युद्ध का बीजारोपण हो गया था।

प्रथम विश्व युद्ध के ज्यादातर परिणाम दुखदाई थे, लेकिन भारत पर इसके कुछ प्रभाव सकरात्मक भी रहे। इस विश्व युद्ध के बाद न सिर्फ महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था से पूंजीवाद को भी बढ़ावा मिला।

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